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कामिनी की कमसिन चूत 1

Kamini ki kamsin chut-1

मेरे घर के पास एक दुकान है जिस में घर की ज़रूरत का लगभग सब सामान मिलता है।

मैं रोज उस दुकान में सिगरेट खरीदने के लिए जाता हूँ।

कुछ दिन पहले तक दुकानदार और उसकी पत्नी दुकान चलाते थे। उन दोनों का एक छोटा सा लडका भी है।

दुकानदार की पत्नी का नाम कामिनी है। कामिनी अपने नाम के अनुरुप आकर्षक और कामुक है।

कसा हुआ बदन, किसी को भी लुभाने वाले वक्ष, बड़े-बड़े चूतड़ और चौडी जाँघें। चुदाई के लिए ललचाने वाली इन सभी विशेषताओं से भरपूर स्त्री।

मुझे बड़े चूतड़ और चौडी जाँघों वाली औरतें खूब पसंद है क्योंकि ऐसी औरतें चौडी जाँघें होने के कारण मोटे लंड सह भी सकती हैं और लेना भी चाहती हैं। इसी तरह बड़े चूतड़ होने के कारण लंड का धक्का भी ज़ोर से सह लेती हैं।

मेरा लंड बड़ा तो नहीं है पर छोटा भी नहीं है। लेकिन मोटाई में किसी से कम भी नहीं। इसलिए चौडी जाँघें और बड़े चूतड़ वाली औरतें मेरे लौड़े को खूब पसंद करती हैं।

यही एक कारण है कि मेरे एक दोस्त की बीबी ने पहली बार तो मुझसे चुदने में आनाकानी की थी लेकिन एक बार चुदवाने के बाद अब खुद बुलाकर मुझसे अपनी चूत चुदवाती है।

कामिनी को मैंने जबसे देखा था तब से उसकी चूत चखने की मेरी तमन्ना थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था।

किस्मत से कुछ दिनों के बाद कामिनी का पति दुबई चला गया। मुझे इससे बेहद खुशी हुई और कामिनी की बूर का मजा लेने की आशा और भी बलवान हो गई।

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अब मैं सिगरेट खरीद कर तुरंत दुकान से निकलने की वजाए वहीं रुककर उसे पीने लगा। इससे कामिनी से दो-चार बातें भी हो जाती थीं और उसके उभरे हुए चूचकों के दर्शन भी।

करीब तीन महीने ऐसे ही गुजर गए। कामिनी की बातों से ऐसा नहीं लगता था कि उसके पति के जाने के बाद उसे दूसरे मर्द की जरुरत महसूस होने लगी हो। लगता था कि उसके पति ने जाने से पहले चोद-चोद कर कामिनी की चूत को फाड के रख दिया है और उसे अब लंड की जरुरत महसूस नहीं हो रही।

लेकिन मेरा अनुभव कह रहा था कि ऐसी कामुक औरत अब ज़्यादा दिन लंड लिए बिना नहीं रह सकती। कुछ दिन बाद ही मेरा अनुमान सही लगने लगा।

अब कामिनी मुझसे ज्यादा बात करने लगी थी। धीरे-धीरे उसका पल्लु नीचे सरकने लगा था। पल्लु नीचे सरकने के बाद वो थोड़ी देर रुक कर उसे उठा लेती थी। इससे मुझे कामिनी के चूचकों के ऊपरी भाग के दर्शन भी होने लगे थे।

मैं बातें भी करता और चूचक भी देखता। कभी एक चौथाइ तो कभी आधे।

एक छुट्टी के दिन सुबह जब मैं सिगरेट खरीदने गया तो कामिनी ने कहा – आपसे कुछ सलाह करना है। मैं कुछ समझा नहीं कि मुझसे क्या सलाह करना है।

मैंने कहा – कहो, क्या बात है?

उसने कहा – यहाँ अच्छा नहीं रहेगा।

कामिनी ने कहा अगर मैं आज आफिस जाऊँ तो वह भी जाना चाहेगी। ना जाने क्यों मुझे विश्वास हो गया कि कामिनी को मेरी सेवा की जरुरत है। कामिनी मुझे अपनी चूत चखने के लिए निमंत्रण दे रही है।

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मैंने हाँ कर दिया और बोला कि आफिस जाते समय पिकअप कर लूंगा। इस पर कामिनी ने कहा कि यहाँ कोई देखेगा तो कुछ अलग सोच लेगा इसलिए जाते समय थोड़ा आगे जाकर रुकूँ और वो वहीं आ जायगी।

मैंने कहा – ठीक है।

करीब १ बजे मैं घर से निकला और कामिनी की दुकान से थोड़ा आगे जाकर उसकी प्रतीक्षा करने लगा। कामिनी थोड़ी ही देर में आ गई। काली जीन्स और सफेद शर्ट में। कामिनी ने काली ब्रा से अपनी चूचियाँ कसकर बांध रखी थी।

टाइट सफेद शर्ट में काली ब्रा अच्छी तरह दिखाई दे रही थी। इससे उसकी चूचियों के साइज़ का अंदाज़ लगाने में मुझे दिक्कत नहीं हुई। उसका साइज करीब ३७ होगा।

मैंने कामिनी को आगे की सीट पर बैठाया और आफिस के लिए रवाना हो गया।

छुट्टी के कारण आज मैं अकेला था। मैंने अपने रूम में पहुंचकर कामिनी को सीट पर बैठाया और मैं भी उसी के पास बैठ गया।

कामिनी ने अपने पर्स से एक पैकेट सिगरेट निकाली। मैंने आश्चर्य चकित होकर पूछा – तुम सिगरेट पीती हो?

कामिनी ने कहा – नहीं, ये सिगरेट तो आपके लिए है। उसने कहा कि उसे सिगरेट पीता मर्द अच्छा लगता है।

मैंने सिगरेट जलाई और उसके पति के बारे में कामिनी से बातें करने लगा। बातचीत के दौरान हम और पास हो गए थे।

मैंने देखा कि कामिनी को मेरे उससे चिपकने से कोई दिक्कत नहीं हुई। थोड़ी शरमाई जरुर थी लेकिन वह अपने को दूर नहीं कर रही थी।

मैं समझ गया कि कामिनी को कोई राय-सलाह नहीं करनी थी। उसे तो अपनी रसीली चूत का रसपान कराना था और अपनी प्यासी बूर की प्यास बुझाना था।

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बात आगे बढाने के लिए मैंने उसकी कान में कहा – तुम बहुत सुन्दर और कामुक हो। उसने कुछ जवाव नहीं दिया। लेकिन उसकी शर्माहट बता रही थी कि वह अपनी जवानी लुटाने के लिए तैयार है।

अब देर करना मुनासिब नहीं था। मैंने उसके गाल में एक चुम्मा लेकर उसे दबोच लिया।

कामिनी मेरे आगोश में आसानी से आ गई और मैं उसके होंठ चूसने लगा। मैंने उसे भींचकर अपनी पूरी ताक़त से पकड़ रखा था।

धीरे-धीरे उसने भी मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। हम दोनों ने काफ़ी देर एक-दूसरे के होंठ चूसकर मजा लिया।

लेकिन मेरी नजर तो उसकी चूचियों पर थी। मेरे हाथ उन चूचियों को मसलने के लिए मचल रहे थे। इसलिए मैंने उसे थोडा अलग कर कर चूचियों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया।

थोड़ी ही देर में मैंने उसकी शर्ट का बटन खोल दिया।

कामिनी शरमा तो रही थी लेकिन अवरोध भी नहीं कर रही थी।

कहानी जारी रहेगी ..