तबाड़-तोड़ पलंग तोड़ चुदाई
Tabad tod palang tod chudai
नमस्कार दोस्तो,
सबसे पहले आपको मैं अपने बारे में बता दूँ…
मैं राज – उम्र छब्बीस वर्ष और लंबाई पाँच फीट ग्यारह इंच, जयपुर से हूँ।
जहाँ तक बात मेरे लण्ड की लम्बाई-चौड़ाई की है तो वो आपको आगे कहानी में पता चल जाएगा।
तो आपका वक़्त जाया न करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ, जो मेरी आप बीती है और मेरी जिंदगी के हसीन पलों में से एक।
मेरी अब तक की चुदाई-यात्रा में इसका खास स्थान है।
ये कहानी आज से 6 साल पहले की है, मैं 21 साल का होने वाला था और मेरा बर्थडे नजदीक था, मैं अपने बर्थडे पर आउटिंग का प्लान कर रहा था।
मेरे मकान के पास में एक गर्ल्स हॉस्टल चलता था। मैं रोज़ सुबह एक्सरसाइज करने छत पर जाता था, जब मैं छत पर गया तो सामने की खुली खिड़की पर मेरी नज़र पड़ी।
वहाँ एक लड़की (स्नेहा) थी, जिसके बाल गीले थे और वो अपने बाल मुँह के आगे लेकर तौलिये से सूखा रही थी, मेरी नज़र उसकी खिड़की पर टिक गई, ताकि उसकी शक्ल देख सकूँ।
यूँ तो पहले भी मैं अपनी गर्ल-फ्रेंड्स के साथ चुम्मा-चाटी कर चूका हूँ पर अब तक सेक्स का मौका नहीं मिला।
उसने जैसे ही बाल को झटक के पीछे किया, मैं तो उसकी तरफ देखता ही रह गया और उसकी छाती (बूब्स) के तो क्या कहने।
मेरे अंदाज़े से 34 से कम तो नहीं होंगे।
दोस्तो, जाने कहाँ से हिम्मत जुटा के मैंने उसे इशारा किया पर उसने मुझे बुरी तरह से घूर के देखा और दूसरी तरफ चली गई।
खैर, मैं मन को समझाते-बुझाते नीचे चला आया, उसका चेहरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और गीले बालों में तो वो क़यामत ही लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि यदि मिल जाये तो जीवन में और कुछ पाने को शेष नहीं रह जायेगा।
खैर, जैसे-तैसे दिन निकला और मैंने उसे सपना समझ के भूलने का निश्चय किया पर किस्मत को ये मंज़ूर नहीं था।
दो दिन बाद रविवार के दिन हमारी कॉलोनी में एक मास्टर जी की लड़की की सगाई थी, और उन्होंने इसलिए सभी को न्यौता दिया था, शाम के खाने का, जिसमे हॉस्टल की लड़कियाँ भी शामिल थीं।
स्नेहा भी अपनी साथ की लड़कियों के साथ आई थी।
मैंने उसे इगनोरे किया और काफी ले कर, एक कोने में खड़ा होकर पीने लगा पर मेरी चोर नज़र बार-बार उसपर जाकर टिक जाती थी।
कुछ देर में मैंने नोटिस किया वो मुझे देख के स्माइल दे रही थी। मुझे अचानक वो बात याद आ गई – लड़की हँसी मतलब फँसी।
मैंने सोचा मौका अच्छा है और मैं एक बार फिर हिम्मत जुटा के उसके पास गया और हाथ आगे बढ़ाते हुए बोला – हेल्लो मिस, मैं राज हूँ… आपके हॉस्टल के पास वाले घर में रहता हूँ।
इस बार उसने भी हाथ मिलाया और अपना नाम स्नेह बताया।
फिर जब थोड़ी बात चालू हुई तो मैंने उससे पूछा – उस दिन आप मुझे देख के मुँह बना के क्यों चली गई थीं? मैंने तो बस आपको हेल्लो और दोस्ती के लिए अप्रोच ही किया था।
स्नेहा – नहीं राज, ऐसी कोई बात नहीं है… एक अजनबी जिसका कुछ पता नहीं उसे कैसे हेलो का जवाब देती… चलो, फिर भी माफ़ कर दो और अब तो हम दोस्त है ना।
खैर वो दिन बिता और हमारे बीच धीरे-धीरे बात होने लगी। अब जब भी वो बाहर निकलती, मैं जानमुझ कर गली में आ जाता और उससे बात करते हुए उसके साथ चलते हुए आगे तक जाता, कोई न कोई बहाना कर कर।
फिर धीरे से मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर माँगा और हम बातें करने लगे, रात में मैसेज पर और दिन में जब भी कभी मौका मिलता तो कॉल कर लेता।
एक दिन उसने मुझसे पूछा – तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है?
मैंने कहा – हाँ है तो। क्यों क्या हुआ?
स्नेहा ने कहा – नहीं, यूँ ही पूछा… पर उसकी आँखें बता रही थी कि बात कुछ और है, पर मैंने उस वक़्त पूछना ठीक नहीं समझा और घर आ गया।
उस दिन के बाद हम कभी-कभी एडल्ट जोक भी शेयर करने लगे और कभी-कभी सेक्स से रिलेटेड बातें भी।
एक दिन स्नेह ने पूछा – कभी किसी के साथ सेक्स किया है? मैं उसके इस प्रश्न से अवाक् रह गया क्यूंकी मुझे एहसास नहीं था की वो एकदम से मुझे ऐसा कुछ पूछेगी।
मैंने उससे सच कह दिया कि नहीं यार, कभी मौका नहीं मिला… बस कभी-कभी चूमा-चाटी की है।
मैंने पूछा – और तुमने?
स्नेह ने कहा – नहीं, मैंने बस एक-दो बार किस किया था… मेरे क्लासमेट राजीव के साथ, जब मैं बारहवीं में थी… पर उसके बाद मौका नहीं मिला और मैं पढने के लिए यहाँ आ गई।
धीरे-धीरे मेरा बर्थडे आया और मैंने उससे कहा – कल चलो मेरे साथ, आउटिंग पर… मेरे बर्थडे पर… सब दोस्त आ रहे है, आप भी अपने फ्रेंड्स को साथ ले लेना।
पर शायद मौसम और तक़दीर को हमारी आउटिंग का आईडिया पसंद नहीं आया और अनायास ही सितम्बर के महीने में बारिश आ गई।
मैंने मौसम को बहुत कोसा और उसे मैसेज किया – यार, लगता है की आउटिंग कैंसिल करनी पड़ेगी। तो उसने कहा – उदास, मत हो… इस बर्थडे को तुम कभी नहीं भूलोगे… एक खास इंतजाम किया है, मैंने… बस, तुम शाम 8 बजे बाद कहीं मत जाना और मेरे कॉल का इंतज़ार करना… मैं स्पेशल पार्टी की वेन्यू बताऊँगी।
मैंने कहा – ओके, ठीक है।
खैर, 8 बजे योजना के मुताबिक सबको बहाना करके मैंने बर्थडे को जल्दी ख़त्म किया और घर पर सबको बोला – मुझे नींद आ रही है, मुझे कोई जगाना मत… और मैं सोने का बहाना कर के छत वाले कमरे में चला गया और लेट के उसके कॉल का इंतजार करने लगा।
8 बजे गये पर उसका कॉल नहीं आया, मुझे गुस्सा आ रहा था कि शायद स्नेहा ने मुझे उल्लू बनाया और झूठ बोला।
मैं मन मसोस कर सोने की कोशिश करने लगा तभी मोबाइल में उसका मैसेज आया – सॉरी थोड़ी देर लगेगी, कोई आ गया है।
खैर, 9 बजे उसका कॉल आया। मैंने सीधे पूछा – कहाँ आना है? क्या प्लान है? क्या स्पेशल है?
एक साथ सारे प्रश्न पूछ डाले। वो हँस पड़ी और बोली – सब्र करो, ज्यादा दूर नहीं… मेरे रूम में।
मैंने कहा – पागल हो गई हो क्या? वार्डन बाहर निकल देगी और मैं पिटूँगा सो अलग।
उसने कहा – तुम क्यों डर रहे हो, वो अपने किसी रिलेटिव के यहाँ शादी में गई है और मेरी रूम मेट भी नहीं है… तुम चुपके से बालकनी में आओ, मैं दरवाजा खोलती हूँ।
मैं बालकनी पर पहुंचा और धीरे से खिड़की से आवाज लगाई, उसने अन्दर से दरवाजा खोला और मैं अन्दर गया।
उफ़!!! क्या सेक्सी लग रही थी वो, रेड कलर की साडी में।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तबाड़-तोड़ ढेर सारे किस किए। उसके होंठ चूसने के साथ-साथ मैं उसके बूब्स भी दबा रहा था।
अब ना उससे रुकते बन रहा था और ना मुझसे।
हमने पूरी रात तबाड़-तोड़ पलंग तोड़ चुदाई की। मैंने पूरी रात में उसे ६ बार चोदा और २ बार उसकी गाण्ड मारी।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी…