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सेक्सी औरत मेरी सास बनी-1

Maine saas ki chudai ki-1

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम युसुफ ख़ान है और मेरी उम्र 28 साल है और मुझे हमेशा से ही बड़ी गांड वाली औरते बहुत पसंद है। रास्ते में कोई भी 35-40 साल की खूबसूरत बड़ी गांड वाली औरत दिखती तो में उसकी हिलती हुई गांड को देखता था और मन ही मन उसकी गांड मार लेता हूँ। फिर दिन ऐसे ही बीत रहे थे। तभी मैंने एक दिन सोचा यार कब तक ऐसे मुठ मारता रहूँगा क्यों ना कोई मस्त 35-40 साल की खूबसूरत औरत को फसां लूँ जिसकी गांड बड़ी सेक्सी हो जो चलते समय गांड मटका मटका कर चलती हो और जिसे देखते ही अच्छे अच्छो के लंड खड़े हो जाए और जिसकी बेटी भी खूबसूरत हो कमसिन हो उसकी उम्र 18-19 साल की हो ताकि आगे चलकर उसे भी चोदने का मौका मिले।

फिर में हमेशा इसी सोच में डूबा रहता था। फिर रोज जब ऑफीस से घर आता तो दोस्तों के साथ बातचीत करने के लिए पास ही के एक ऑटो स्टेण्ड के पास जाता हूँ। फिर हम सब लोग वहाँ पर चाय और सिगरेट पीते पीते बातें करते है और हमारे एरिया में सभी भाषा के लोग रहते है एक अच्छे लोगों का एरिया है उँची उँची बिल्डिंग है मतलब ये समझ लीजिए की लोगों की चहल पहल रास्ते में बहुत होती है और मार्केट में बहुत भीड़ भाड़ होती है। मेरे सारे दोस्त खूबसूरत लड़कियों पर नज़र मारते थे और में भी लेकिन मुझे बड़ी उम्र की औरतो की गांड पर नज़र मारने की आदत पढ़ गयी है। फिर एक दिन मैंने सोचा कि गुजराती औरते 35-40 के बाद काफ़ी मस्त हो जाती है और साड़ी भी इस तरह पहनती है कि जब मार्केट जाती है तो उनकी मस्त सेक्सी गांड बाहर की तरफ उठी हुई लगती है और कुल्हे हिलते है और उनकी बेटियाँ भी बहुत मस्त होती है।

फिर में जिस सेक्सी औरत की तलाश में था वैसी ही एक औरत मुझे किस्मत से दिखाई दी.. उसकी लगभग 37 साल की उम्र थी। क्या सेक्सी गांड थी उसकी और साथ में उसकी एक लगभग 19 साल की बेटी थी.. उसने जिन्स और टी-शर्ट पहनी थी.. वो मार्केट से घर जा रहे थे। तभी मैंने सोचा कि क्यों ना पीछा करके देखा जाए कि वो कौन सी बिल्डिंग में रहती है। फिर मैंने अपने दोस्तों से कहा कि यार मुझे घर पर जाना है ऑफीस का कुछ बाक़ी काम साथ लाया हूँ वो करना है कल मिलते है और में उसी रास्ते पर चलने लगा। फिर वो दोनों मेरे आगे आगे चल रही थी.. साड़ी में उसकी हिलती हुई मस्त गांड ने मेरा लंड खड़ा कर दिया था और बेटी भी मस्त माल थी। फिर आगे चलकर एक मोड़ पर वो दोनों एक बिल्डिंग में चली गई। फिर में समझ गया कि ये यहीं पर रहते होंगे। फिर कुछ दूर पास के ही मोड़ पर मेरा भी घर था।

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फिर उस दिन मैंने घर पहुंचकर उन दोनों को याद करके 2 बार मुठ मारी। फिर वो मुझे रोज़ शाम को उसी जगह पर दिखने लगी थी.. कभी अकेले आती तो कभी बेटी भी साथ में होती थी। फिर ऐसे ही कुछ दिन गुज़रे और फिर एक दिन उसे एक ऑटो से धक्का लगा.. मार्केट के भीड़ भाड़ वाले इलाके में ये तो आम बात है लेकिन उसे कंधे पर थोड़ा ज़ोर से लगा था और जबकि ग़लती उसी की थी। फिर उसके हाथ से सब्जी भी गिर गयी थी सारे टमाटर रास्ते में पढ़े थे। फिर मैंने मौका देखकर चौका मारने के लिए समय रहते ही उसके पास गया और सहारा देते हुए बोला कि आंटी आपको चोट तो नहीं आई?

फिर मैंने उसके टमाटर जमा किए और थैली में भरकर दिए और उसे हाथ देकर कहा कि आइए में आपको घर छोड़ दूँ। तभी उसने कहा कि नहीं कोई बात नहीं में चली जाऊंगी.. लेकिन वो खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। फिर आख़िर उसने मेरा हाथ पकड़ ही लिया और मैंने उसे उसी ऑटो में बैठाया और साथ में भी बैठ गया आगे मोड़ पर ऑटो रुका उस ऑटो वाले ने उसे अपनी ग़लती समझ कर पैसे भी नहीं लिए। फिर मैंने कहा कि क्या आप यहाँ पर रहती है? तभी उसने कहा कि हाँ 4th फ्लोर पर। फिर मैंने कहा कि लिफ्ट है ना? तभी उसने ना में गर्दन हिलाई। फिर मैंने कहा कि तो चलिए आराम से में आपको ऊपर तक छोड़ दूँ और में उसे घर तक ले गया।

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फिर उसके घर में उसका पति और बेटी थी जिसने नाईट सूट पहना था वो और भी मस्त लग रही थी। फिर मैंने कहा कि चलिए में चलता हूँ। तभी उसने कहा कि नहीं.. अंदर आओ चाय पीकर जाना.. आख़िर तुमने इतनी मदद की है। तभी उसके पति के बुलाने पर में अंदर चला गया। फिर उसने बेटी और पति को मार्केट में हुए हादसे के बारे में सब बता दिया। फिर उन दोनों ने भी मुझे शुक्रिया कहा। फिर हम बातें करने लगे। तभी उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कहाँ पर रहते हो.. क्या करते हो.. घर में कौन कौन है। फिर मैंने कहा कि में यहीं पा पास ही में अगले मोड़ के दूसरी बिल्डिंग में रहता हूँ.. एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ.. मेरी शादी नहीं हुई है और घर के लोग लड़की ढूंढ रहे है।

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फिर उसके पति ने कहा कि वो तीन लोग ही है घर में.. बेटी कॉलेज में है और वो खुद एक एक्सपोर्ट कंपनी में सेल्स मेनेजर है इस वजह से वो हमेशा टूर पर होते है और कभी कभी एक सप्ताह तक। तभी मुझे सुनकर बड़ा अच्छा लगा। उन लोगों ने मुझे चाय पिलाई और मेरा मोबाईल नंबर लिया। फिर मैंने भी उनका नंबर लिया और फिर में घर पर आ गया। तभी दूसरे दिन मैंने उनके घर कॉल किया दोपहर का वक़्त था में ऑफीस में लंच करके बैठा था। तभी उस औरत ने फोन उठाया मैंने उसके दर्द के बारे में पूछा और बातचीत की ऐसे ही कुछ दिन बीत गये। फिर जब कभी वो दोनों माँ बेटी मुझे मार्केट में देखती तो मुस्कुरा देती और कभी कभी उसका पति भी मिलता था।

फिर बात बढ़ने लगी और एक अच्छी जान पहचान बन गयी थी। फिर एक दिन दोपहर को उसका कॉल आया और मैंने बात की तो पता चला की उसकी बेटी और पति गावं में किसी रिश्तेदार की शादी में गुजरात गये है और चार दिन बाद आएँगे। फिर उसने कहा कि उसकी अपनी देवरानी जेठानी से नहीं बनती थी तो वो नहीं गयी। फिर मैंने बातों बातों में कहा कि फिर आपका ख़याल कौन रखेगा? तभी उसने कहा कि अरे बेटा तुम हो ना मेरा ख़याल रखने के लिए और हंस पड़ी। तभी मैंने कहा कि हाँ तो में हूँ ना और हम दोनों जोर से हँसने लगे। फिर में मन ही मन बहुत खुश था। लेकिन उसी शाम को वो मुझे ऑटो स्टैंड पर नहीं दिखी तो मैंने उसे फोन किया और कहा कि क्या आज आप मार्केट नहीं आए? आपकी तबियत ठीक तो है ना? तभी उसने कहा कि में बिलकुल ठीक हूँ अकेली हूँ तो मार्केट जाकर क्या लाऊँ? अकेली को खाने के लिए अभी घर पर बहुत है.. तुम वहाँ पर हो क्या यहीं पर आ जाओ चाय पी लेना और उस दिन के बाद तुम घर नहीं आए हो।