हिंदी सेक्स स्टोरी

मासूम सी परी मुझे दीवाना कर गई-1

Masum si pari mujhe diwana kar gai-1

मुझे ऑफिस के बाहर अचानक एक ऐसी लड़की दिख गयी, जिसे देखने के बाद सब कुछ जैसे रुक सा गया. उस मासूम सी परी को पाने के लिए मैं बेचैन हो गया. वो मुझे मिली क्या?

इश्क़ वासना को एक नया रंग देता है.
इश्क के साये में वासना से भरी निगाहें भी खूबसूरत हो जाती हैं.
एक एक स्पर्श प्यार की मिठास से भर जाती है.
इश्क़ और वासना में सहमति और असहमति का फ़र्क़ है.

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है, मेरी उम्र 28 साल की है और ये दास्तान हैं एक मोहब्बत की … जिसमें वासना तो है, लेकिन प्यार में लिपटा हुआ रंग है.

ये बात आज से कुछ 6 महीने पहले की है. मुझे अचानक से अपने ऑफिस के बाहर एक ऐसी लड़की दिख गयी, जिसे देखने के बाद सब कुछ रुक सा गया. मेरे हाथ में लगी हुई सिगरेट गिर गयी, इसका अहसास मुझे तब हुआ, जब मैं सिगरेट पीने के लिए अपने खाली हाथ को उठा रहा था.

अचानक थोड़ी देर में वो लड़की कहीं गायब हो गयी और मैं बेचैन हो उठा. मैं ऐसे उदास हो गया, जैसे मेरा कुछ अपना खो गया हो. वो तो आंखों ओझल हो गई थी, लेकिन मैं उसकी याद में ठगा सा खड़ा था. मेरा पूरा दिन उसकी याद में ही गुजरा, जैसे अब मेरा कुछ अपना रहा है ना हो.

ये तो सच है कि वक़्त सबका बदलता है, लेकिन इतनी जल्दी वक़्त बदल जाएगा … इसका मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था. इसी ऊहापोह में नींद भी बड़ी मुश्किल में आई और नतीजा ये हुआ कि मैं अगले दिन ऑफिस देरी से पहुंच सका.

ऑफिस पहुंचते ही मेरा दिलों-दिमाग एक नई स्फूर्ति से भर गया. वो लड़की मेरे दफ्तर के बाहर बैठी थी. दफ्तर में बैठते ही चपरासी ने बताया कि सर ये लड़की आपकी सेक्रेटरी के लिए चुनी गई है, आप इसका फाइनल इंटरव्यू ले लीजिए.

मेरे मुँह से चपरासी के लिए थैंक्यू निकला. कल तक तो मैंने बस उसकी आंखों को ही देखा था, आज तो बदन की तराश को देखते ही मैं पागल सा हो गया.

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बिल्कुल स्लिम … कोई 20 साल की एकदम नाजुक सी लड़की, एक बार छू लो तो निशान पड़ जाएं. उसकी चूचियां कोई 32 इंच की और नितंब बाहर निकले हुए थे. घुटने को छूने की नाकामयाब कोशिश करती, उसकी स्कर्ट उसकी गोरी जांघ पर लहर पैदा कर रही थी.

मैंने उसका फॉर्मल इंटरव्यू लिया और नाम काम जानने के बाद भी, उसे काम सिखाने की बात बोल कर मैंने उसे अपनी सेक्रेटरी की पोस्ट दे दी. उसका नाम आकृति था.

यहाँ से धीरे धीरे हमारी दोस्ती हुई. ये दोस्ती धीरे धीरे कॉफी हाउस, तो कभी किसी रेस्टोरेंट में हमें ले जाती रही.

कई मौकों पर मुझे ऐसा लगा कि शायद आकृति भी मुझसे आकर्षित होने लगी है. कभी कभी हम कुछ मजाक भी कर लिया करते थे, जो थोड़े अश्लील भी होते थे.

फिर 31 दिसंबर की रात हमारे लिए निर्णायक रात होने वाली थी. हमने तय किया था कि हम नया साल का स्वागत साथ में करेंगे.

मैंने दिल्ली के एक पंचसितारा होटल में पार्टी की बुकिंग कर ली और अलग से एक कमरे को भी चुपके से बुक करा लिया कि शायद कई दिनों का अरमान पूरा होने का मौका मिल जाए.

शाम को 7 बजे हम तय जगह पर पहुंच गए. आज उसने पहली बार पार्टी ड्रेस पहनी थी. गुलाबी रंग की सिंगल पीस की इस ड्रेस में उसके नुकीले मम्मे ढंके तो थे, लेकिन उसकी गोरी क्लीवेज साफ दिख रही थी. पीछे खुली हुई चिकनी बेदाग पीठ थी. कपड़े की लंबाई महज इतनी कि जैसे बस चड्डी को बहुत मुश्किल से छुपा रही हो.

आज मिलते ही मैंने सबसे पहले उसे एक हल्का सा हग किया, वो भी जैसे मुझमें समा गई.
मैंने उसी अवस्था में उसके कान में कहा- ठंड नहीं लग रही है तुम्हें?
उसने कहा कि उसके लिए तो आप जो न!

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बस इसी महावाक्य के साथ हम दोनों की जकड़ थोड़ी और मजबूत हो गयी. हम दोनों ने पार्टी सेलिब्रेशन में थोड़ी शराब को पी पिया. आकृति पीती नहीं थी, लेकिन मेरे कहने पर उसने दो पैग वोदका के जरूर पी लिए.

फिर हमने डांस किया. डांस क्या था, बस यूं समझो कि हम दोनों एक दूसरे के बांहों में झूमते ही रहे. उसकी समर्पण की मुद्रा बता रही थी कि वो मेरे ऊपर अपना सब कुछ लुटा देना चाह रही थी.

फिर 12 बजे के सेलिब्रेशन के बाद जब हम फिर से एक दूसरे के बांहों में खोए हुए थे, मैंने उसके कान में कहा- आकृति, आई लव यू.
वो बुरी तरह से शरमा गयी.

लेकिन जवाब में बस उसने अपने होंठों को मेरे गाल पर रख दिया. मैंने उसके हाथ पकड़े और भीड़ से अलग ले जाते हुए उस कमरे तक आ पहुंचा.

हम अन्दर आए … दरवाजे तो अब बंद हो गए थे. भीड़ और डीजे की आवाज अब शांति में बदल चुकी थी … लेकिन हमारी आंखें अब आपस में बात कर रही थीं. शायद हम इस मुकाम तक पहले भी आ सकते थे, लेकिन मेरा प्यार किसी प्रकार की जल्दबाजी और मौकापरस्ती से दूर रहना चाहता था.

दो मिनट तक एक दूसरे की आंखों को पढ़ने के बाद हम दोनों ने एक साथ स्मूच करना शुरू किया. मेरा सीना उसके वक्ष से चिपक हुआ था. मेरे हाथ उसके गाल, उसके बाल से होते हुए उसकी खुली पीठ तक पहुंच रहा था.

शराब ने उसकी झिझक को तो दूर कर दिया था, लेकिन गोरे चेहरे पर शर्म के लाल रंग जरूर दिख रहे थे.

हम अलग हुए, मैंने प्यार से उसके गाल को छूते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और फिर उसके बालों को खोल दिया. वो फिर से मेरी बांहों में झूल गई.
मैंने उसे दोनों हाथों से उठाया और धीमी चाल से उसे महसूस करते हुए बेड तक आ पहुंचा.

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आज पहली बार वो किसी पुरुष के साथ एक कमरे और एक बिस्तर को साझा कर रही थी और एक एक स्पर्श की अभिव्यक्ति उसका चेहरा कर रहा था.

मैंने आहिस्ता से उसे बिस्तर पर बिठाया. अपने हाथ को उसके कमर पर लगाकर उसके गालों को चूमा. उसकी गर्दन को जैसे ही मेरे होंठों ने छुआ, उसकी सांसें तेज हो गईं. अब मेरे हाथ उसके क्लीवेज पर घूम रहे थे.

उसने मुझे रोकते हुए कहा- मुझे डर लग रहा है.
मैंने कहा- डर लग रहा है, तो मैं हूँ … सारा डर मेरे पर छोड़ दो. तुम्हें यदि लगता है कि हम गलत कर रहे हैं, तो फिर हम कुछ नहीं कहेंगे.

उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट तैर गयी. मेरे सीने पर हाथ रखते हुए उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया. मैं फिर से उसके होंठों को चूसने लगा और तब तक मेरे दोनों हाथ उसके मांसल चूचियों तक पहुंच गए.

मैंने अब तक बहुत सारी लड़कियों के साथ सेक्स किया है, लेकिन आकृति की चूचियों, जितनी जान किसी में नहीं थी. उसने अपने चेहरे तो पीछे की तरफ झुका लिया. मेरा हाथ उसके पूरे शरीर पर घूम रहा था. मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया. मैं उसके पीठ को छूते हुए नीचे की ओर जा रहा था.

मेरे हाथ … और उसके कपड़े के बीच एक महीन दीवार थी. थोड़ा और नीचे जा कर मैंने उसके सिंगल पीस को धीरे धीरे निकाल दिया.

अन्दर उसने मैचिंग गुलाबी रंग की ही ब्रा पेंट पहनी हुई थी. जब लड़की आपसे मिलने आने के लिए मैचिंग की ब्रा पैण्टी पहनती है, तो ये संभावना ज्यादा हो जाती है कि वो आज कुछ तूफानी करने के लिए तैयार है.