चुदाई की कहानियाँ

मेरी अधूरी जवानी की बेदर्द चुदाई-12

Meri Adhuri Jawani Ki Bedard Chudai-Sexy Pussy

जीजाजी मेरी बातें सुनकर मुस्कुरा रहे थे, बोले- जो तुम इतनी कीमती चीज
हमें देती हो, उस पर ये सब कुर्बान है। तुम्हें क्या पता तुम हमें कितनी
कीमती चीज देती हो ! अपनी इज्जत ! समझी? अभी किसी को पता चल जाये तो
लड़कों को फर्क नहीं पड़ता और लड़की बदनाम हो जाती है। समझी इन पैसों का तो
क्या, और कमा लेंगे प़र इज्जत?
मैं चुप हो गई, वास्तव में जीजाजी सही कह रहे थे।
खाना खाकर फिर से हम वापिस रेस्टोरेंट के पास ही लिफ्ट से सीधे तीसरी
मंजिल में अपने कमरे के कॉरीडोर में पहुँच गए ! नीचे रेस्टोरेंट था उसके
ऊपर रिसेप्शन और कुछ कमरे थे उसके ऊपर हमारा कमरा और भी काफी कमरे थे और
उससे भी ऊपर दो मंजिलें और थी यानि उस होटल में काफी कमरे थे ! हमारा
कमरा काफी अच्छा था, जीजाजी ने बताया जो सबसे अच्छा और महंगा था, वही
हमने लिया है।
हम अपने कमरे में दाखिल हो गए और सीधे बिस्तर पर ढेर हो गए !
मैं टीवी का रिमोट लेकर मनपसंद चैनल स्टार प्लस लगा कर देखने लगी! जीजाजी
ने फोन लगा लिया और किसी से बात करने लगे !
अभी हमने अपने कपड़े नहीं बदले थे, जीजाजी ने कहा- अभी बदलना ही मत ! अभी
चाय मंगवाएँगे, पियेंगे !

मैंने कहा- ठीकहै।
उन्होंने वहीं इंटरकाम से दो चाय का आर्डर दे दिया और वे बाथरूम में चले गए।
थोड़ी देर में घण्टी बजी, मैंने कहा- अन्दर आ जाओ !
मुझे पता था कि चाय लेकर बैरा आया होगा। बैरा ही था !
उसने मुझे गौर से देखा मुझे उसकी नज़र कुछ अच्छी नहीं लगी। उसने मुझे पलंग
पर बैठी हुई को चाय देनी चाही पर मैंने उसे डांट कर कहा- वहीं मेज पर रख
दे !
मेरे तेवर देख कर वो सकपका गया और चाय वही मेज पर रख कर मुझसे नज़र चुराता
फटाफट बाहर चला गया, दरवाज़ा बंद कर दिया !
जीजाजी आये तो मैंने यह बात बताई तो वो हंसने लगे और कहा- यार तुम्हें
बहुत गुस्सा आता है? एकदम झाँसी की रानी हो तुम !
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई, हमने चाय पी, थोड़ी देर में घण्टी बजी, मुझे
पता था बैरा चाय के बर्तन लेने आया होगा।
यह दूसरा बैरा आया था पहले वाला नहीं आया ! बर्तन ले जाने के बाद जीजाजी
ने दरवाज़ा बन्द कर दिया, मेरे पास आकर बैठ गए और टीवी देखते देखते मुझे
सहलाने लगे।
मैंने भी अपना सर उनके कंधे पर रख दिया !
मैंने कहा- अब तो मैं ये भारी भरकम कपड़े उतार दूँ?
जीजाजी ने मुस्करा कर कहा- हाँ ! बिल्कुल हल्की हो जाओ ! सारे उतार दो !
मैं उनका अभिप्राय समझ कर मुस्करा उठी, मैंने कहा- आप दूसरी तरफ मुँह
करो, मैं कपड़े बदलती हूँ !
तो उन्होंने मुँह फेर लिया और बोले- ब्रेजरी और कच्छी मत पहनना !

मैंने कहा- ओके !
और मैं सिर्फ मैक्सी पहन कर सारे कपड़े वार्डरोब में रखे और उनके पास आई।
तब तक उन्होंने भी कपड़े खोल कर लुंगी लगा ली ! मैं पलंग के पास आई, कहा-
बाथरूम में जा रही हूँ !
तो वे बोले- इस मैक्सी का बोझ क्यों रखा है? इसे भी उतार दो और सिर्फ यह
तौलिया लपेट लो !
मैंने इंकार किया पर मेरा इंकार कहा चलना था, वो जबरदस्ती मैक्सी हटाने
लगे तो मैंने कहा- ठीक है। मैं बाथरूम से सिर्फ तौलिया लपेट कर ही आऊँगी
!
तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया। मैं बाथरूम में गई, पेशाब किया, चूत को अच्छी
तरह से धोया और मैक्सी उतार कर जैसे राम तेरी गंगा मेली में मन्दाकिनी ने
लपेटा था, वैसे सिर्फ़ तौलिया लपेट कर बाहर आई !
मैं तौलिया लपेट कर मस्तानी चाल से पलंग के पास गई तो देखा कि जीजाजी ने
कम्बल ओढा हुआ है और उनकी लुंगी एक तरफ पड़ी है, चड्डी और बनियान भी कमरे
के फर्श पर लावारिसों की तरह पड़े हैं।
मैं यह सोच कर रोमांचित हो गई कि कम्बल के अन्दर जीजाजी बिलकुल नंगे हैं
और मैं नई नवेली दुल्हन की तरह कुछ शरमाती, कुछ सकुचाती उस तौलिये में
अपने पूरे बदन को ढकने की असफल कोशिश करती उनके पास आई ! अब मैं उस
तौलिये को साड़ी तो नहीं बना सकती ना ! स्तन ढकूँ तो जांघें दिखे और
जांघों को ढकूँ तो स्तन उघड़ रहे थे और मुझे चलते हुए आते भी शर्म आ रही
थी !

Hot Sex Story :  Pub se room jaa kr chudwaya

उनके पास आते ही उन्होंने लपक कर मेरा तौलिया छीन के फर्श पर अपनी
बनियान-चड्डी पर फेंक दिया और बोले- आज तुम्हारी और अपनी दोनों की शर्म
दूर कर दूँगा। अब इस कमरे में ना तुम कपड़े पहनोगी और ना मैं !
मैं भी नंगी होते ही फटाफट उनके कम्बल में घुस गई ताकि अपना नंगापन ढक
सकूँ ! मेरे अन्दर जाते ही वे मुझसे चिपक गए, उनका नंगा शरीर मेरे नंगे
बदन से चिपक रहा था, मुझे झुरझुरी सी आ रही थी, उनका शरीर वासना की आग
में जल रहा था !
जीजाजी का बदन मेरे बदन से चिपका बड़ा भला लग रहा था ! उनका नंगा सीना
मेरे स्तनों से रगड़ खा रहा था ! वे मुझे बुरी तरह चूम रहे थे और मैं
उनकी बाँहों में मछली की तरह फिसल रही थी, उनके नंगे बदन से रगड़ खा रही
थी, उनका लिंग मेरे पेट कमर और जांघों से टकरा रहा था।
मैं भी उनके गालों-कन्धों पर चूम रही थी और उत्तेजना से काट भी रही थी।
वे भी उसके जबाब में मेरे गाल-कंधे और वक्ष पर काट रहे थे और हंस कर कह
रहे थे- आज मैं तुझे काटने को मना नहीं करूँगा, बस खून मत निकाल देना,
बाकी ये निशान तो कल तक हट जायेंगे !
और जोश में मैंने उनके गाल पर अपने दांतों के निशान बना दिए कि वे सिसिया
कर रह गए और जबाब में मेरे भी गाल काट कर मुझे सिसिया दिया !
अब वे चूमते चूमते नीचे सरक रहे थे, गालों से स्तन चूसे, फिर पेट की नाभि
में जीभ फिराई और मेरी चूत में आग सी जल गई, मुझे पता चल गया कि जीजाजी
खतरनाक सेक्स एक्सपर्ट हैं।
मेरे पति को तो मालूम ही नहीं था कि औरत के किन किन अंगों को चूमने पर मज़ा आता है।
जीजाजी पेट से जांघें, पिण्डली चूमते-चूमते सीधे मेरे पैरों के पंजों के
पास चले गए और उन्होंने मेरे पैर के पंजे का अंगूठा अपने मुँह में ले
लिया और चूसने लगे।
मैं उन्हें रोकती, तब तक मेरे शरीर में आनन्द की तरंगें उठने लगी, आज
मुझे पता चला कि पैर के अंगूठे या अंगुलियों को चूसने से भी स्त्री
कामातुर हो सकती है।
मैं सोचती रह गई कि जीजाजी ने यह ज्ञान कहाँ से लिया होगा !
मेरे मुँह से आनन्दभरी किलकारियाँ निकल रही थी पर अपने पैरों गन्दा समझ
कर मैंने उनको वहाँ से हटाना चाहा और कहा- छीः ! कोई पैरों को भी चाटता
है क्या?
वे बोले- तू मेरी जान है और तेरे अंग अंग में मुझे स्वर्ग नज़र आता है। तू
कहे तो मैं तेरी गाण्ड भी चाट सकता हूँ !

Hot Sex Story :  विनायक और शिवानी की हॉट सेक्स स्टोरी: पहली चुदाई का रोमांच

मैंने शरमा कर कहा- धत्त !
फिर वे पैरों को छोड़ कर मेरे मनपसंद स्थान पर आ गए, यानि कि मेरी….चूत
! रात के करीब 10 बज गए थे, मुझे भी थकान के कारण नींद आ रही थी, मैंने
उनसे कहा- अब मैं मैक्सी पहन लूँ क्या?
पर उन्होंने कहा- नहीं, रात भर नंगे ही सोयेंगे और रात को कभी भी मूड बन
गया तो मैं तुम्हें चोदना शुरू कर दूँगा।
मैंने कहा- ओ के ठीक है। मुझे क्या फर्क पड़ेगा, आप ही थकेंगे, मुझे तो
सिर्फ टांगें चौड़ी करनी हैं, कूदना तो आपको है।
और एक पुरानी कहावत और जोड़ दी- सड़क का क्या बिगड़ेगा, इस पर चलने वाले थकेंगे !
वे हंस पड़े और बोले- फिर तू चुदते हुए जल्दी जल्दी निकालने का क्यूँ कहती
है जब तेरा कुछ बिगड़ना ही नहीं है?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मैं तो आपका ख्याल करती हूँ, बुड्ढे आदमी हो इसलिए !
तो वे बोले- अब तो तुम्हें पता चल गया होगा कि मैं कितना बुड्ढा हूँ !
मैंने कहा- पता तो है न ! आपने मुझे कितना परेशान किया है ! तो जवानी में
क्या करते होंगे, बेचारी मेरी दीदी की क्या हालत होती होगी?

वो हंस पड़े !
मैंने कहा- अब सो जाओ !
तो वे बोले- नहीं, क्रिकेट का मैच आ रहा है, वो देख कर सोऊँगा, तुम सो जाओ !
मुझे तो कोई रुचि थी नहीं क्रिकेट में, मैं तो सो गई, वे भी मेरे पीछे
चिपक कर लेट गए और मैच देखने लगे !
कोई डेढ़-दो घंटे के बाद मेरी नींद खुल गई क्योंकि जीजू पीछे से मेरे
कूल्हे मसल रहे थे और मेरी एक टांग थोड़ी उठा कर मेरी चूत का छेद टटोल रहे
थे। मैं उनकी कोशिश को सरल करने के लिए थोड़ी टांग उठाते हुए बोली- क्या
हुआ ?
तो वे बोले- यार भारत मैच हार गया है साउथ अफ्रीका से ! इसलिए गम गलत
करना है ताकि मुझे नींद आ जाये !
मैंने हंस क कहा- यह तो मुझे पता ही था कि कभी भी आपका लण्ड मेरी चूत में
घुस सकता है पर इतनी जल्दी की आशा नहीं थी।
मैंने कहा- हारे, तो गम गलत करना है ! जीत जाते तो भी जीत की ख़ुशी में
चोदते ! यानि मेरी चुदाई तो होनी ही है।
ऐसा कहते हुए मैंने उनके लिए रास्ता बनाया अपनी टांग थोड़ी उठा कर !
और जीजू ने थोड़ा मेरी चूत के छेद पर थूक लगा कर पीछे से ही मेरी चूत में
अपना लण्ड सरका दिया था और घस्से लगाने लगे। इस वक़्त वो बहुत जोर से चोद
भी रहे थे, साथ ही मेरे स्तन भी बेदर्दी से मरोड़ रहे थे !
मैं उनके हाथ से अपना स्तन छुड़ाते हुए बोली- क्या करते हो? दर्द हो रहा
है। भारत को क्या मेरी चूचियों और चूत ने हराया है जो इन पर गुस्सा उतार
रहे हो?

यह कहानी आप Hotsexstory.xyz में पढ़ रहे।
Hot Sex Story :  दारु पीला के चूत की चुदाई की

यह सुनकर उन्होंने स्तन मरोड़ना तो बंद कर दिया पर चूत के भरी भरकम धक्के
जारी रखे ! उन्होंने कंधे पकड़ रखे थे और अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर रख रखी
थी वर्ना उनके धक्कों से में कुछ आगे खिसक सकती थी।
मेरी चूत में भी जीजू के धक्कों से कुछ हलचल मचनी शुरू हो गई थी ! मैं
अपने शरीर का रहस्य नहीं जान पाई कि कभी तो 6-8 महीनों में एक बार भी चूत
से पानी नहीं निकलता है। या कभी मन में ही नहीं आती है और कभी 6-8 घंटों
में ही 8-10 बार पानी निकल जाता है। यह भी कुदरत का करिश्मा ही है।
मैंने जीजू को ऊपर आने को कहा ताकि मैं भी आनन्द ले सकूँ ! पीछे से मुझे
इतना आनन्द नहीं आता है।
मैंने अपनी दोनों टांगें योग करने के अंदाज़ से उठा दी, तब तक जीजाजी ने
पास की दराज़ से निकाल कर कंडोम पहन लिया और मेरे ऊपर आकर घुड़सवारी करने
लगे, जिसे सही मायने में ऊँट सवारी कहना ज्यादा सही है क्यूंकि ऊँट पर
बैठने वाला ही कभी आगे और कभी पीछे होता है क्योंकि ऊँट के चलने का अंदाज़
ही ऐसा होता है।
उनके धक्के जबरदस्त लग रहे थे, मैंने अपनी टांगें पूरी उठा ली थी जितनी
उठा सकती थी, अब मेरी चूत बिल्कुल खड़ी अवस्था में थी जिसमें जीजू अपना
लण्ड पूरा पेल रहे थे जड़ तक !
मैंने कहा- मेरी टांगों से नीचे हाथ डालकर मेरे चूचे पकड़ लो और इन्हें
दबाओ, मुझे इन्हें दबवाना अच्छा लग रहा है।
जीजाजी ने कोशिश कि पर उनकी लम्बाई ज्यादा होने के कारण उनका बोझ मुझ पर
पड़ रहा था इसलिए उन्होंने थोड़ी देर बाद मेरे स्तन छोड़ दिए और वापिस मेरे
कूल्हे पकड़ कर झटके लगाने लगे। कमरे में खप-खप, खच-खच और हमारी जांघें
टकराने की आवाज़ें गूंज रही थी पर हमें कोई डर नहीं था किसी के सुनने का !

कहानी के सभी 16 भागो को देखने के लिए यहाँ क्लिक करे>>