माँ की चुदाई

विधवा माँ की तड़पती जवानी

मेरी माँ विधवा थी और एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी। इतनी उम्र होने के बावजूद उनका शरीर तंदुरुस्त और भरा हुआ था। हमेशा उनके चेहरे पर एक कामुक चमक दिखाई देती थी। कई बार मैंने उन्हें छुप-छुपकर अपनी चूत में उंगली डालते हुए देखा था। मैं समझ गया कि वो बहुत सेक्सी औरत हैं, पर संकोच की वजह से मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कुछ करूँ। अक्सर खाली वक्त में मैं टीवी देखता या नॉवेल पढ़कर टाइम पास करता था। शनिवार और रविवार को मेरे दफ्तर की छुट्टी होती थी। दोस्त की माँ को मैं “माँ” कहकर ही बुलाता था।

उस दिन शनिवार था। मैं अपने कमरे में बैठकर किताब पढ़ रहा था कि अचानक कुछ गिरने की आवाज़ आई। मैंने जाकर देखा तो माँ के हाथ से तेल का डिब्बा गिर गया था। मैंने पूछा, “क्या हुआ माँ?” तो वो बोली, “कुछ नहीं दिनू, तेल का डिब्बा उतार रही थी कि हाथ से फिसल गया।” तेल उनके सीने और ज़मीन पर गिरा था। जब वो बैठकर ज़मीन पर गिरा तेल साफ करने लगीं, तो मैंने कहा, “लाओ मैं कर देता हूँ।” वो बोलीं, “नहीं, मैं कर लूँगी।” जब वो बैठकर तेल साफ करने लगीं, तो मैंने देखा कि उनके बड़े गले वाले ओपन ब्लाउज़ से उनकी चूचियों का उभार साफ दिख रहा था। उनके भारी-भारी चूचे घुटनों से दबकर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। उनकी मोटी चूचियों को देखकर मैं पागल सा हो गया। माँ की हाइट 5’6″ थी, चूचियों का साइज़ शायद 38 होगा, और चूतड़ों का साइज़ आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हैं। माँ एकदम हेल्दी थीं। उस दिन से मैं माँ को अजीब निगाहों से देखने लगा, खासकर उनकी चूचियों को, और सोचता कि कभी मौका मिला तो जमकर इन्हें मसलूँगा।

माँ भी हमेशा हँस-हँसकर बातें करती थीं। थोड़ी देर बाद माँ बाथरूम में कपड़े धोने लगीं। तभी उन्होंने आवाज़ लगाई। मैं उठकर गया तो बोलीं, “जाकर बाज़ार से सर्फ का पैकेट ले आ।” मैं बाज़ार जाने लगा, पर रास्ते में याद आया कि पर्स तो घर पर भूल गया हूँ। मैं वापस घर लौटा और डोरबेल बजाई, पर कोई जवाब नहीं मिला। मैंने सोचा शायद माँ बिज़ी होंगी। अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला और अंदर गया। देखा तो माँ बाथरूम में नहा रही थीं। मैंने आवाज़ दी, “माँ, मेरा पर्स कहाँ रखा है?” वो बोलीं, “अलमारी से ले ले।” मैंने “ठीक है” कहा और बाथरूम के पास गया। जो मैंने देखा, उसे देखता ही रह गया। माँ के शरीर पर सिर्फ ब्लाउज़ और ब्रा थी। साड़ी और पेटीकोट एक तरफ उतरे पड़े थे। वो अपनी चूत पर मालिश कर रही थीं, शायद अभी-अभी उन्होंने अपने बाल साफ किए थे। ये देखकर मेरा मोटा और लंबा लंड टाइट होने लगा और पैंट से बाहर आने की कोशिश करने लगा। मैं वहाँ से चला गया, क्योंकि मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था।

सर्फ का पैकेट लेकर जब मैं घर पहुँचा, तो सीधे बाथरूम में पेशाब करने गया। पेशाब करते वक्त बार-बार वो सीन याद आ रहा था और मैं पागल हो रहा था। बाहर आकर उनके कमरे में गया तो माँ बोलीं, “क्या बात है? तू बहुत परेशान लग रहा है।” मैंने कहा, “कुछ नहीं, बस सिर में हल्का दर्द है।” मैं उन्हें कैसे बताता कि असल में क्या बात थी। माँ बोलीं, “चल, तुझे सिर में तेल लगा देती हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है।” मैं पास बैठ गया और वो मेरे सिर में तेल लगाकर मालिश करने लगीं। मालिश करते-करते वो बोलीं, “दिनू बेटा, आज मेरा पैर भी बहुत दुख रहा है।” मैंने कहा, “ठीक है माँ, मैं आपके पैरों में सरसों का तेल लगा दूँगा।” वो बोलीं, “नहीं, मैं खुद लगा लूँगी।” उनका हाथ मेरे सिर पर बड़े प्यार से मालिश कर रहा था कि अचानक वो कुछ लेने के लिए झुकीं तो उनकी चूचियाँ मेरे मुँह से टच हो गईं। माँ को महसूस हो गया था कि उनकी चूची मेरे मुँह से छू गई थी, पर वो कुछ नहीं बोलीं, बस मुझे देखकर मुस्कुरा दीं।

Hot Sex Story :  मां को रंडी बनाया-3

फिर हम लोग टीवी पर पिक्चर देखने लगे। टीवी पर इंग्लिश में सेक्सी फिल्म चल रही थी। सेक्सी सीन देखकर माँ भी गरम हो गई थीं, शायद इसलिए कि उन्होंने अभी-अभी अपनी झाँटें साफ की थीं। वो बोलीं, “दिनू, क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है जिसे तू बहुत चाहता है या प्यार करता है?” मैं शरमाकर बोला, “मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। और मुझे तो आप सबसे सुंदर लगती हो। मैं चाहता हूँ कि मेरी होने वाली बीवी भी आपके जैसी ही खूबसूरत हो।” माँ बोलीं, “धत्त! पागल जैसी बात क्यों करता है?” मैंने कहा, “नहीं माँ, मैं सच कह रहा हूँ।” अब मुझे माँ के चेहरे पर वासना नज़र आने लगी। मैं समझ गया कि वो गरम होने लगी हैं। वो बोलीं, “तुझे मुझमें क्या अच्छा लगता है?” मैंने कहा, “आपकी आँखें और हँसने का अंदाज़ मुझे बहुत आकर्षित करता है।” वो बोलीं, “सच बता, झूठ क्यों बोलता है?” मैंने कहा, “आप इस उम्र में भी बहुत अट्रैक्टिव लगती हो और साफ-सफाई का भी खूब ख्याल रखती हो।”

माँ बोलीं, “आँखें और हँसने का अंदाज़ तो समझ आया, पर साफ-सफाई की बात समझ नहीं आई।” मैंने कहा, “आप न ज्यादा मेकअप करती हो, फिर भी इतना ध्यान रखती हो कि मुझे बहुत अच्छा लगता है।” वो हँसते हुए बोलीं, “मतलब तू मुझे हमेशा देखता रहता है कि मैं क्या कर रही हूँ?” मैंने देखा कि उनकी आँखें वासना से भर चुकी थीं और चेहरा सुर्ख हो गया था। मैंने कहा, “माँ, जब मैंने आपको देख ही लिया तो अब किस बात की शरम?” फिर वो चुप हो गईं। मैंने कहा, “आप अनचाहे बालों का भी खूब ध्यान रखती हो। आज जब मैं पर्स भूल गया था, तब मैंने आपको चोरी-छुपे बाथरूम में देखा था। लेकिन कमर के ऊपर आपने कपड़े पहने थे, इसलिए मुझे आपका ऊपरी हिस्सा नहीं दिखा।” वो थोड़ा शरमाते हुए उठने लगीं, तो मैंने उनका हाथ पकड़कर बिस्तर पर लेटा दिया और पास बैठ गया। वो बोलीं, “तुझे पता है कि तू क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “मुझे बस आप अपना शरीर एक बार फिर दिखा दो, कभी कुछ नहीं करूँगा।” वो नाराज़गी दिखाने लगीं, फिर कुछ देर चुप रहकर बोलीं, “देख दिनू, जैसा मैं कहूँगी, वैसा ही तू करेगा।” मैंने कहा, “ठीक है।” उन्होंने कहा, “जब तक मैं न कहूँ, तू कहीं हाथ नहीं लगाएगा।” मैंने कहा, “ठीक है।”

फिर उन्होंने मुझे कहा, “पेटीकोट उतार।” मुझे लगा कि शायद आज सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा। मैंने उनका पेटीकोट का नाड़ा खींचकर उतार दिया। फिर जैसे ही मैंने उनका ब्लाउज़ उतारा, उनके चूचे बाहर आने को तड़प रहे थे। माँ बोलीं, “चल, अब ब्रा भी उतार।” जैसे ही मैंने ब्रा उतारी, उनकी चूचियाँ उनकी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। ये देखकर मैं पागल हो गया और उनकी चूचियों को हथेली से दबाने लगा। माँ तुरंत नाराज़ हो गईं और उठने लगीं, पर मेरे वज़न और दबाने के अहसास से वो उठ न सकीं और दोबारा बिस्तर पर गिर गईं। उन्हें मज़ा आने लगा था। पहले तो मैं दबाता रहा।

Hot Sex Story :  Chudasi Maa Ki Chudai Chacha Ne Kar Di

थोड़ी देर बाद हिम्मत बढ़ी तो मैंने उनके निप्पल मुँह में भर लिए और चूसने लगा। उन्हें अब मज़ा आने लगा था। मैं भी जोश में आकर एक हाथ से उनकी चूत को रगड़ने और सहलाने लगा। वो जोर-जोर से आहें भरने लगीं। उनकी आँखें बंद थीं। मैंने कहा, “मुझे कुछ और चाहिए।” वो बोलीं, “अब तो सब दे दिया, अब क्या चाहिए?” शायद वो सब कुछ मेरे मुँह से कहलवाना चाहती थीं। मैंने कहा, “जिसके आपने बाल साफ किए हैं।” वो बोलीं, “अब सब तेरा है, जो चाहिए ले ले। सब तो तूने देख लिया और छू लिया।” मैं समझ गया कि वो भी सेक्स के लिए तैयार होकर आई थीं। पहले मैंने उनकी चूत को जीभ डालकर काफ़ी देर तक चूसा। फिर वो मेरे कपड़े उतारकर घुटनों के बल बैठ गईं और मेरे लंड को हाथों में लेकर चूसने लगीं। मैं उनका सिर पकड़कर उनकी मुँह की चुदाई करने लगा और साथ ही उनकी चूचियों से खेलने लगा। उन्हें भी मस्ती चढ़ने लगी थी।

वो बोलीं, “हाय दिनू, तेरा लंड तो काफ़ी मोटा और लंबा है। इस लंड से चुदने में मुझे और मेरी चूत को बहुत मज़ा आएगा।” वो मेरे लंड को चूस भी रही थीं और बैठकर अपनी चूत के दाने को सहला भी रही थीं। वो इतनी गरम हो गई थीं कि आहें भरते हुए बोलीं, “दिनू, अब आ भी जा। मुझे और मेरी चूत को मत तड़पा, जल्दी से मेरे ऊपर आ जा।” फिर मैंने माँ को लिटाकर उनकी दोनों टाँगें फैलाईं, उनकी जाँघों को अपनी कमर की तरफ किया और दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रख दिया। मैंने अपना लंड उनकी चूत के पास ले जाकर पूरा जोर का धक्का दिया। मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया। मुझे अपने लंड पर उनकी कसी हुई गरम चूत की दीवारों का स्पर्श होने लगा। वो बोलीं, “उफ्फ दिनू, कई सालों बाद इस चूत ने लंड खाया है। वो भी लंबा और मोटा। थोड़ा दर्द हो रहा है, ज़रा धीरे-धीरे डालो रaja।” मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो माँ की रसीली चूत में पूरा लंड अंदर चला गया। अब मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया।

माँ तो पूरी मस्ती में आ चुकी थीं और मज़ा ले रही थीं। वो बोलीं, “दिनू, ज़रा जोर-जोर से गाँड उठा-उठाकर चोदो। मुझे चूतड़ों पर ज़ोर से मारो, मज़ा आता है। उसकी आवाज़ मुझे अच्छी लगती है।” पूरे कमरे में पुच-पुच की आवाज़ें गूँजने लगीं। ये सुनकर मैं भी जोर-जोर से अपना लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। वो भी जोश में आकर बोलीं, “दिनू, मज़ा आ गया। आज बहुत दिनों बाद जवानी का मज़ा लिया। कसम से, आज तूने मुझे मेरे जवानी के दिन याद दिला दिए।” मैं भी जोश के साथ चुदाई करते हुए बोला, “आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा। अब तू हर वक्त मेरा ही लंड अपनी चूत में डलवाने को तड़पेगी।” माँ बोलीं, “आह्ह्ह… क्या मज़ा आ रहा है। खूब जोर-जोर से चोदो मुझे।”

यह कहानी आप Hotsexstory.xyz में पढ़ रहे।
Hot Sex Story :  Doctor Ne maa ko choda

इसी दौरान माँ दो बार झड़ चुकी थीं, लेकिन मैं उन्हें सुपरफास्ट एक्सप्रेस की तरह पुच-पुच चोद रहा था। वो आहें भरते हुए बोलीं, “आह, गुड दिनू, मज़ा आ गया।” करीब 20-25 मिनट बाद मेरे लंड ने सारा वीर्य उनकी चूत की गहराई में गिरा दिया और मैं एकदम सुस्त हो गया। मेरा लंड भी शांत हो गया। फिर माँ और मैं एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला तो उनकी चूत के किनारों से मेरा वीर्य बहकर उनकी गाँड की ओर जा रहा था। उनकी चूत से बहती वीर्य की धारा और गाँड देखकर मेरा मन उनकी गाँड मारने को हुआ। लेकिन एक बार झड़ने से लंड अभी पूरी तरह गाँड मारने के मूड में नहीं था।

तो मैंने उनकी चूत और अपने लंड को कपड़े से साफ किया और फिर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया। जब लंड पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया, तो मैंने माँ से कहा, “माँ, आपके मोटे-मोटे चूतड़ देखकर मेरी बड़ी इच्छा हो रही है कि एक बार आपकी गाँड मारूँ। अगर आपको बुरा न लगे तो क्या मैं आपकी गाँड मारूँ?” वो बोलीं, “दिनू, सारा काम क्या एक ही दिन में पूरा करेगा? रात के लिए कुछ नहीं रखेगा? फिर भी तेरी बड़ी इच्छा है तो चल, मार ले गाँड, लेकिन आराम से।” फिर माँ उल्टा होकर लेट गईं। उनके बड़े-बड़े चूतड़ों के बीच उनकी गाँड बहुत सुंदर लग रही थी।

उन्होंने अपने चूतड़ों को दोनों हाथों से फैलाया। मैंने ढेर सारा थूक उनकी गाँड के छेद पर लगाकर लंड उनकी गाँड में डाला और करीब आधे घंटे तक गाँड मारता रहा। जब हमारी चुदाई लीला खत्म हुई, वो बहुत खुश हुईं। मैंने पूछा, “माँ, मैंने ढेर सारा वीर्य आपकी चूत में डाला, कहीं गड़बड़ तो नहीं होगी?” वो बोलीं, “अरे पागल, जब से तेरा दोस्त पैदा हुआ, उसके तुरंत बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया था। इसलिए कोई चिंता की बात नहीं।” फिर जितने दिन मैं वहाँ रहा, उन्हें जमकर चोदता रहा।

कैसी लगी दोस्त की विधवा माँ की चुदाई? अच्छी लगे तो शेयर करो। अगर कोई मेरे दोस्त की मम्मी के साथ चुदाई करना चाहता हो तो ऐड करो > लंड की प्यासी विधवा औरत।