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लण्ड की प्यास चाची की चूत में बुझाई–1

Lund ki pyas Chachi ki Chut me Bujhaai-1, चूत और लण्ड के सभी खिलाड़ियों को मेरा प्रणाम।मैं रोहित एक बार फिर से आप सबके बीच में एक और नई कहानी लेकर हाज़िर हूँ।मैं 21 साल का नौजवान लौंडा हूं।मेरा मोटा तगड़ा लंड 7 इंच लंबा है। मेरा लण्ड किसी भी चूत की बखिया उदेडने की ताकत रखता है।
मुझे नई जवान कलिया, भाभियां, चाचियां चोदने का बहुत ज्यादा शौक है।मौका मिलने पर मैं रिश्तों में भी चूत ठोकने में पीछे नहीं रहता हूँ।अब तक मेरा लंड कई मस्त शानदार मालो की चूत का पानी निकाल कर पी चूका है। मेरे लण्ड को चूत का पानी निकालने में बहुत ज्यादा मज़ा आता है।

मेरी ये कहानी आज से 2 साल पहले की है जब मैं 19 साल का हो चूका था। मैंने कुछ टाइम पहले ही कॉलेज में एडमिशन लिया था। कॉलेज में जवान सेक्सी मालो को देख देखकर मेरा लण्ड उछाल मारने लगा था।अब मेरा लंड मुझसे चूत मांगने लगा था।अब मै रोज लण्ड का पानी निकाल निकाल कर लंड को शांत कर रहा था लेकिन इससे मेरे लंड को शांति नहीं मिल रही थी।
मै कॉलेज में रोजाना किसी न किसी लड़की को पटाने की सोचता था लेकिन किसी भी लड़की की चूत लेने की मेरी हिम्मत नहीं होती थी।फिर ऐसे ही धीरे धीरे दिन निकल रहे थे।फिर कुछ दिन के लिए मैं मेरे गांव आ गया। अब घर आते ही मैं अगले दिन मेरे चाचा के घर गया।वो हमसे थोड़ी दूर रहते थे। जब मैं चाचा के घर पहुँचा तो वहां चाचा नहीं थे।चाची उस टाइम कपडे धो रही थी। फिर चाची नेे मेरे हालचाल पूछे और मेरे लिए चाय बनाने के लिए कहने लगी लेकिन मैंने मना कर दिया।

अब चाची कपडे धोते हुए मुझसे बात कर रही थी।मैं चाची के पास ही खड़ा था।तभी मेरी नज़र चाची की फूली हुई गांड पर पड़ी।उनकी गांड के उभार को देखकर मेरे लंड में भयंकर करंट दौड़ पड़ा और लंड बेकाबू होकर खड़ा हो गया।इधर चाची का ध्यान कपडे धोने में था लेकिन अब मेरा ध्यान भटक चूका था।चाची मुझसे बातें करती जा रही थी।
फिर कुछ देर बाद चाची उठकर कपडे सुखाने लगी और मैं चाची को हवस भरी नज़रो से देखने लगा।मेरी नज़रे चाची की गांड और उनके जिस्म पर अटकी हुई थी।उनकी गांड के उभार को देखकर मेरा लंड हिचकोले खा रहा था।अब मैं मेरे लंड को मसले बिना नहीं रह पाया।फिर चाची नहीं मानी और वो मेरे लिए चाय बनाने लग गई।

अब मेरा ध्यान चाची के जिस्म पर अटका हुआ था।मैं उनके जिस्म को ताड रहा था।मेरी अर्चना चाची लगभग 34 साल की है। वो गौरे चिट्टे जिस्म की मालकिन है।चाची दो बच्चों की मां है लेकिन उनके ऊपर भरपूर जवानी चढ़ी हुई है।चाची का पूरा जिस्म आम की तरह एकदम रसीला है।
चाची के बोबे लगभग 34 साइज के है।उनके बोबो को देखकर किसी के भी लण्ड की हालत खराब हो सकती है।चाची हमेशा अपने जिस्म को ढककर रखती है जिससे उनके बोबे थोड़े से भी नहीं दिखते है। चाची के बोबो को देख देखकर मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।

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चाची की सेक्सी चिकनी कमर लगभग 32 साइज की है। चाची की कमर पर उनका गौरा चिकना पेट किसी भी लंड में आग लगा सकता है। कमर के नीचे चाची की सेक्सी शानदार गांड लगभग 34 साइज की है।चाची के चुतड़ो का उभार उनकी साड़ी में साफ साफ नज़र आता है।चाची की गांड को देख देखकर मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही थी।
अब चाची ने मुझे चाय दी और फिर हमने साथ में बैठकर चाय पी।फिर मैं लंड मसलता हुआ चाची के पास से घर आ गया और फिर चाची को चोदने के बारे में सोचने लगा लेकिन मेरा दिल चाची को चोदने की इज़ाज़त नहीं दे रहा था।इधर मेरा लण्ड चाची की चूत लेने पर अड़ा हुआ था।मैं चाची को चोदने का प्लान फिक्स नहीं कर पा रहा था।

अब मैं अगले दिन फिर से चाची के घर गया और उनसे इधर उधर की बाते करने लगा।ऐसे ही चार पांच दिन निकल गए।मैं धीरे धीरे चाची के पास मेरी पैठ बना रहा था। एक दिन जब मैं चाची के घर गया तो गेट अंदर से बंद था।फिर मैंने गेट खटखटाया तो थोड़ी देर बाद चाची में गेट खोला। जैसे ही चाची ने गेट खोला तो मैं चाची का नज़ारा देखकर दंग रह गया।वो ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी गीली थी।उन्होंने अपने जिस्म को साड़ी से ढक रखा था।चाची के सेक्सी अंदाज़ को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।

अब चाची ने तुरंत गेट बंद कर लिया। चाची उस टाइम नहा रही थी।
चाची– ऐसा कर तू थोड़ी देर बैठ तब तक मैं नहा लेती हूँ।
मैं– ठीक है चाची।
अब चाची शर्माती हुई मेरे सामने ही बैठकर नहाने लगी। ये चाची के लिए सिर मुंडाते ही ओले पड़े वाली बात थी।अब चाची कर भी क्या सकती थी। वो अपने जिस्म को ढककर नहाने की कोशिश कर रही थी लेकिन बेचारी चाची कितना अपने जिस्म को ढकती? वो पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन फिर भी सबकुछ दिख रहा था।इधर चाची के अधनंगे जिस्म को देखकर मेरे लंड की हालत खराब हो रही थी।अब मैं लंड को मसले बिना नहीं रह पा रहा था। मेरा लंड चाची की चूत में घुसने के लिए उतावला हो रहा था। चाची के नज़ारे को देखकर मेरा मुंह सूख रहा था।

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मैं लगातार चाची के जिस्म को ताड रहा था।अब चाची पूरी नहा चुकी थी लेकिन आज चाची की किस्मत ख़राब थी।वो उनके पहनने के कपडे भी कमरे में भूल चुकी थी। अब बेचारी चाची क्या करती? आज तो वो बुरी तरह से फंस चुकी थी।फिर मजबूर होकर चाची ने मुझसे कपडे लाने के लिए कहा। फिर क्या था मैं तुरंत कमरे में गया और चाची का पेटिकोट,पैंटी ब्लाऊज़ और साड़ी उठा लाया।अब मैं कपडे लेकर चाची के पास पहुँच गया और चाची को कपडे देने लगा। इधर मेरा लंड बुरी तरह से तनकर पेंट में तंबू बना चुका था। मेरी नज़रे चाची के जिस्म को घूर रही थी।

चाची को कपडे देकर मैं चाची के पास ही खड़ा रहा। चाची अब मुझे वहाँ से जाने के लिए कहना चाह रही थी लेकिन कह नहीं पा रही थी। मैं भी आज पूरा बेशर्म होकर चाची के जिस्म के दर्शन करना चाहता था।फिर चाची ने मजबूर होकर मुझे बरामदे में जाने के लिए कहा।अब मैं निराश होकर वापस बरामदे में बैठ गया और चाची को फिर से ताड़ने लगा।फिर चाची ने एक एक करके कपडे पहने और फिर चाय वापस आकर इधर उधर की बातें करने लगी।

इधर मेरे लंड की हालत खराब हो रही रही।मेरे लंड के उभार को चाची भी देख चुकी थी।वो मेरी हालात को समझ रही थी।फिर चाची ने हमारे लिये चाय बनाई।फिर मैं चाय पीकर वापस मेरे घर आ गया।अब घर आकर मैंने लंड को हिलाकर खुद को शांत किया।अब मै चाची को चोदने का फैसला ले चुका था।अब मैं जल्दी से चाची की चूत में लंड पेलना चाहता था।फिर बड़ी मुश्किल से मेरी रात निकली।अब चाचा के काम पर जाते ही मैं चाची के घर पहुँच गया। आज मैं मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता था।

चाची घर का झाड़ू पोंछा कर रही थी।मैं बार बार चाची को टच करने की कोशिश कर रहा था। चाची भी मेरी हवस भरी नज़रो को पढ़ रही थी।अब चाची घर का काम खत्म कर चुकी थी और अब वो नहाने के ििनतज़ारे में थी लेकिन वो मेरे जाने का ििनतजसर कर रही थी लेकिन आज मैं भी खुटा ठोककर बैठ चूका था।मैं भी आज चाची के यहाँ से हिल ही नहीं रहा था। चाची बार बार बाथरूम की ओर आ जा रही थी। तभी मैंने हिम्मत करते हुए चाची से कहा– चाची नहा लो ना।क्यों इधर उधर घूम रही हो?
मेरी बात सुनकर चाची ने कुछ नहीं कहा।फिर थोड़ी देर बाद चाची बोली– हां बस नहा ही रही हूँ।
अब चाची कपडे लेकर खुले में बने बाथरूम की ओर गई और जिस्म को रगड़ने लगी।अब मेरा लण्ड फिर से करंट मारने लगा।अब चाची ने बलाउज खोल दिया और मेरी तरफ पीठ करके चाची नहाने लगी। चाची की चिकनी चमचमाती हुई पीठ को देखकर मेरे मुंह से लार टपकने लगी। दिल करने लगा चाची को अभी के अभी पेल दू। चाची उनकी पीठ पर साबुन लगाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो पूरी पीठ पर साबुन नहीं लगा पा रही थी।

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तभी मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए चाची से कहा– चाची मैं लगाऊँ क्या साबुन?
चाची– नहीं, मैं खुद ही लगा लुंगी।
मैं– अरे चाची, आप नहीं लगा पा रही हो।मुझे ही लगाने दो।
तभी मैं उठकर चाची के पास चला गया और उनके हाथ से साबुन छीन लिया। चाची मना करने लगी।
चाची– अरे रोहित तुम मत परेशान होवो।
मैं– अरे चाची इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं । मैं आपकी इतनी सी हेल्प तो कर ही सकता हूँ।
चाची– अरे मैं कर लुंगी।
मैं– अरे नहीं चाची, आप थोड़े कर पाओगी। करूँगा तो मैं ही।

मेरी ये बात सुनकर चाची चुप हो गई।वो मेरा मतलब समझ चुकी थी।अब मैं चाची की मखमली पीठ पर साबुन लगा रहा था।इधर मेरा लण्ड चाची की चूत में घुसने के लिए तड़प रहा था।मैं खड़े होकर चाची की पीठ पर साबुन लगा रहा था इसलिए मुझे चाची के मस्त बोबो के हलके हलके दर्शन भी हो रहे थे।हालाँकि चाची ने बोबो को हाथों से ढक रखा था। अब मैं धीरे धीरेेे मेरे लंड को चाची की पीठ पर रगड़ने लगा।अब चाची मेरे लंड की रगड़ को महसूस कर रही थी तभी चाची ने मुझे रोक दिया।
चाची– रोहित अब रहने दो, मैं कर लुंगी।
मैं–अरे चाची मैं कर रहा हूँ ना।आप तो बस देखती जाओ।

कहानी जारी रहेगी………………….
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