नौकर-नौकरानी चुदाई

नौकर की बीवी को चोदा

पढ़िए निखिल और गीता की कामुक और हॉट सेक्स कहानी, जहाँ वासना और आनंद की चरम सीमा तक का सफर है। इस मसालेदार देसी कहानी में दिल्ली के बॉस और नौकर की बीवी की चुदाई की सच्ची दास्तान।

हेलो दोस्तों, मेरा नाम निखिल है, और आज मैं आपके सामने अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी हॉट और मसालेदार कहानी लेकर आया हूँ, जो आपके दिल और जिस्म, दोनों को गर्म कर देगी। ये कहानी इतनी सेक्सी है कि इसे पढ़ते वक्त आप अपने आप को रोक नहीं पाएंगे। तो कमर कस लीजिए, क्योंकि ये राइड आपको कामुकता की उस चरम सीमा तक ले जाएगी, जहाँ सिर्फ़ आनंद और वासना का राज होता है। बस इतना ख्याल रखें कि अपने लंड को ज्यादा तड़पाएँ नहीं, और हाँ, इस कहानी को पढ़ने के बाद कमेंट ज़रूर करें!

मैं दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में बॉस हूँ। मेरे अंडर में कई कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन उनमें से एक, सोनू, मेरा खास था। सोनू शादीशुदा था, और उसकी बीवी का नाम था गीता। गीता को पहली बार देखते ही मेरे दिल और लंड, दोनों ने एक साथ धोखा दे दिया। उसका फिगर था 36-28-36, गोरा रंग, लंबे रेशमी बाल, और वो स्माइल… हाय, वो स्माइल जो किसी का भी दिल चुरा ले। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे बार-बार उसकी ओर खींच रही थी।

पहली बार मैं सोनू के घर गया था, जब उसने मुझे चाय के लिए बुलाया। गीता उस वक्त किचन में थी, और जैसे ही वो बाहर आई, मेरा लंड सलामी देने लगा। उसने टाइट साड़ी पहनी थी, जिसमें उसका हर कर्व साफ़ नज़र आ रहा था। उसकी कमर इतनी पतली थी कि मैं उसे अभी अपनी बाहों में भर लूँ, और उसके बूब्स… ओह, वो इतने भरे हुए थे कि बस दबाने का मन कर रहा था। उस दिन सोनू को कुछ सामान लाने बाहर जाना पड़ा, और मैं गीता के साथ अकेला रह गया।

गीता ने मुझसे पूछा, “सर, आपकी शादी हो गई?” मैंने तुरंत मना किया और कहा, “गीता, तुम तो इतनी खूबसूरत हो कि मेरे लिए कोई और दिखती ही नहीं।” उसने शरमाते हुए स्माइल दी और किचन में चली गई। उसकी वो शरम, वो अदा, मेरे दिल में आग लगा गई। उस दिन से मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था—गीता को चोदना। मैं हर रात उसके नाम की मुठ मारता, और सोचता कि कब उसे अपनी बाहों में भरकर उसकी चूत में अपना 7.5 इंच का लंड डालूँ।

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एक दिन सोनू का फोन आया, लेकिन फोन गीता ने उठाया। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी। उसने कहा, “सर, सोनू आज छुट्टी लेना चाहता है, प्लीज उसे कुछ मत कहना।” मैंने हँसते हुए कहा, “जब बीवी ने कह दिया, तो मेरी क्या मजाल!” उसने फिर कहा, “आप बहुत दिन से घर नहीं आए।” बस, यही वो मौका था। मैंने तुरंत कहा, “एक-दो दिन में आऊँगा, गीता।” अगले दिन मैंने सोनू को साउथ दिल्ली काम पर भेज दिया और सीधा उसके घर पहुँच गया।

जब मैंने बेल बजाई, गीता अभी-अभी नहाकर निकली थी। उसका गीला बदन, टाइट साड़ी में लिपटा हुआ, ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो। उसकी साड़ी उसके गीले जिस्म से चिपकी हुई थी, और उसके बूब्स का उभार साफ़ दिख रहा था। मेरे लंड ने तुरंत रिएक्ट किया, और मैंने सोचा, “बस, अब इसे पकड़कर चोद ही देता हूँ।” उसने मुझे अंदर बुलाया और कहा, “सर, सोनू तो काम पर चला गया।” मैंने जानबूझकर कहा, “मैंने उसे बोला था कि मैं उसे घर से ले जाऊँगा।” गीता ने सोनू को फोन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने पहले ही उसका फोन कटवा दिया था। फिर मैंने कहा, “गीता, कोई बात नहीं, चलो चाय पी लेते हैं।”

वो चाय बनाने किचन में चली गई। मैंने उसे पानी के लिए आवाज़ लगाई, लेकिन शायद उसने सुना नहीं। मैं किचन में चला गया। गीता मुझे देखकर थोड़ा घबरा गई। मैंने पानी माँगा, और फिर कहा, “गीता, मैं बाहर बोर हो रहा था, सोचा तुमसे बात कर लूँ।” मैंने उसकी तारीफ की, “तुम बहुत सुंदर हो, गीता। सचमुच, तुम्हारी स्माइल तो कातिल है।” उसने थैंक्स कहा, और हमारी बातें शुरू हो गईं। बातों-बातों में मैंने उसका मोबाइल नंबर ले लिया और वहाँ से चला गया। उस रात मैंने गीता के नाम की मुठ मारी और अगले दिन फिर उसके घर चला गया।

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अगले दिन भी वही रूटीन। गीता ने चाय बनाई, और मैंने उससे उसकी मैरिज लाइफ के बारे में पूछा। वो उदास हो गई। उसने बताया कि सोनू उसका ध्यान नहीं रखता, और उनकी सेक्स लाइफ भी ठंडी पड़ चुकी है। मैं समझ गया कि गीता को मेरे लंड की सख्त ज़रूरत है। मैंने देर न करते हुए उसे गले लगा लिया। वो भी मेरे गले से लिपट गई, जैसे उसे यही चाहिए था। मैंने धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ रखा, और उसकी साँसें तेज़ हो गईं। वो थोड़ा पीछे हटी, लेकिन मैंने उसे फिर से अपनी ओर खींच लिया।

मैंने कहा, “गीता, मैं जानता हूँ तुम्हारी शादीशुदा ज़िंदगी अच्छी नहीं चल रही। लेकिन मैं तुम्हें वो सुख दे सकता हूँ, जो तुम डिज़र्व करती हो।” उसने मेरे खड़े लंड को देख लिया था, और उसकी आँखों में वासना साफ़ झलक रही थी। उसने कहा, “सच बताऊँ, मैं अपने पति से बहुत परेशान हूँ। वो मुझे वो प्यार नहीं देता, जो मुझे चाहिए।” बस, यही वो पल था। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में वो भी मेरा साथ देने लगी। वो तो पागलों की तरह मुझे किस कर रही थी, जैसे बरसों की प्यासी हो।

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मैंने उसके बूब्स अपने हाथों में ले लिए, और उसने मेरा लंड पकड़ लिया। उसका टच इतना गर्म था कि मेरा लंड और सख्त हो गया। थोड़ी देर बाद हमने एक-दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए। उसका गोरा जिस्म, वो टाइट बूब्स, और उसकी गुलाबी चूत… हाय, मैं तो बस उसे चाटना चाहता था। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और ऐसे चूसा जैसे कोई पॉर्नस्टार हो। मैं तो उसी वक्त उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरा सारा माल पी लिया और फिर भी चूसती रही।

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थोड़ी देर बाद जब मेरा लंड फिर से खड़ा हुआ, उसने कहा, “निखिल, आज तक किसी ने मुझे शांत नहीं किया। मुझे वो सुख दे दो, जो मैंने सिर्फ़ सपनों में देखा है।” मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार झटका मारा। उसकी चीख निकल गई, लेकिन वो चीख दर्द की नहीं, आनंद की थी। तीन-चार झटकों में वो झड़ गई और रोने लगी, “प्लीज, अब और मत रुको।” मैंने और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारे। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी।

शाम तक मैंने उसे चार बार चोदा। हर बार वो और ज़्यादा पागल हो रही थी। जब उसका पति आने वाला था, उसने कहा, “निखिल, प्लीज, रोज़ दिन में एक बार मुझे चोदना। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।” मैंने हाँ कहा, और फिर हम रातभर फोन पर बात करते रहे। अब दो महीने से मैं उसे रोज़ चोदता हूँ। उसके पति को भी अब पता चल गया है, लेकिन वो कुछ नहीं कहता। शायद उसे भी मेरी गीता की खुशी देखकर सुकून मिलता है।

अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई, तो प्लीज कमेंट करें। और हाँ, अगर दिल्ली में कोई गर्ल, भाभी, या आंटी अपने पति से परेशान है, तो मुझे एक मौका दे। मेरा दावा है, मैं सिर्फ़ तीन-चार झटकों में तुम्हारा पानी निकाल दूँगा। बस एक बार ट्राई करके देखो, तुम्हें मेरे लंड की लत लग जाएगी।