चौकीदार के साथ सेक्स किया मम्मी ने अकेले
पढ़ें एक 18 साल के लड़के की कहानी, जिसने अपनी मम्मी और कॉलोनी के चौकीदार के बीच छुपे सेक्स अफेयर को पकड़ा। मम्मी की अधूरी प्यास, चौकीदार की मर्दानगी, और बेटे की जिज्ञासा ने कैसे एक नया रिश्ता बनाया, जानें इस हॉट हिंदी सेक्स स्टोरी में।
मेरा नाम अतुल है, उम्र 18 साल। मैं आज आपको अपने घर की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरी आँखें खोल दीं और मेरे अंदर की जिज्ञासा को आग में बदल दिया। मेरे पापा 45 साल के हैं, एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करते हैं, और रात को ही घर लौटते हैं। मम्मी की उम्र 38 साल है, वो हाउसवाइफ हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती और जिस्म की गर्मी किसी जवान लड़की को मात देती है। उनका फिगर 36-34-38—भरे हुए बूब्स, पतली कमर, और उभरी हुई गांड—देखकर कोई भी पागल हो जाए।
मैंने कई बार छुपकर पापा और मम्मी की चुदाई देखी। पापा उन्हें बिस्तर पर लिटाते, कुछ देर लंड अंदर-बाहर करते, और फिर थककर सो जाते। लेकिन मम्मी की आग बुझती नहीं थी। वो अकेले में अपनी चूत में उंगली डालतीं, उसे तेजी से आगे-पीछे करतीं, और जब पानी निकलता, तब जाकर उनकी साँसें शांत होतीं। ये सब देखकर मुझे शक हुआ कि मम्मी की प्यास पापा से पूरी नहीं हो रही। कहीं वो किसी और से भी चुदवा रही हैं? मैंने उनकी हर हरकत पर नजर रखनी शुरू कर दी।
एक दिन मम्मी फोन पर किसी से धीरे-धीरे बात कर रही थीं। “कल 11 बजे से पहले मत आना, अतुल 10 बजे के बाद कॉलेज जाता है।” उनकी बात सुनकर मेरे कान खड़े हो गए। मतलब कल कोई आने वाला है। मैंने प्लान बना लिया कि इस राज को खोलना है। अगले दिन मैंने मम्मी से कहा, “मैं कॉलेज जा रहा हूँ,” लेकिन बाहर निकलकर छत पर छुप गया। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर खटखट हुई। मम्मी ने दरवाजा खोला, और सामने हमारी कॉलोनी का चौकीदार योगेंद्र खड़ा था। मैं दंग रह गया।
योगेंद्र करीब 35 साल का था—हट्टा-कट्टा, काला-कलूटा, जानवर जैसा दिखता था। लेकिन उसकी मर्दानगी साफ झलकती थी। मम्मी ने उसे देखकर मुस्कुराया, और वो भी हल्के से हँसा। दरवाजा बंद करते ही दोनों कमरे में चले गए। मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं समझ गया कि आज कुछ जबरदस्त होने वाला है। मैंने सोचा, अगर मम्मी को रंगे हाथ पकड़ लूँ, तो ये चुदाई का तमाशा हमेशा फ्री में देखने को मिलेगा। पाँच मिनट बाद मैं नीचे आया और दरवाजे की की-होल से झाँका। अंदर का नजारा देखकर मेरे होश उड़ गए।
मम्मी और योगेंद्र दोनों नंगे थे। योगेंद्र का काला, मोटा लंड साँप की तरह फनफना रहा था, और मम्मी किसी अप्सरा की तरह लग रही थीं। उनके बड़े-बड़े बूब्स, गुलाबी निप्पल्स, और चिकनी चूत साफ दिख रही थी। योगेंद्र मम्मी की चूचियों को अपने खुरदुरे हाथों से मसल रहा था, और मम्मी सिसकारियाँ भर रही थीं— “आह… योगेंद्र…” वो अपनी चूचियों को उसके मुँह में धकेल रही थीं, और योगेंद्र उन्हें चूस रहा था जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो। दोनों की साँसें तेज थीं, और कमरे में गर्मी बढ़ रही थी।
थोड़ी देर बाद योगेंद्र नीचे सरका और मम्मी की चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मम्मी की चूत पर लहरा रही थी, और मम्मी अपनी टाँगें इधर-उधर पटकने लगीं। उनकी सिसकियाँ तेज हो गईं— “उफ्फ… और चाटो…” वो उत्तेजना से पागल हो रही थीं। मैं समझ गया कि ये सही मौका है। मैंने दरवाजा खटखटाया। मम्मी घबरा गईं। “कौन है?” मैंने कहा, “मैं हूँ, अतुल।” वो बोलीं, “तू तो कॉलेज गया था?” मैंने बहाना बनाया, “दोस्त का फोन आया कि छुट्टी हो गई, तो मैं छत पर था।” मम्मी ने कहा, “रुक, मैं कपड़े बदल रही हूँ।”
अंदर हड़बड़ी मच गई। मम्मी ने जल्दी से गाउन पहना, योगेंद्र को बेड के नीचे छुपने को कहा, और उनकी पैंटी, ब्रा, और योगेंद्र के कपड़े भी बेड के नीचे फेंक दिए। फिर दरवाजा खोला। मम्मी का चेहरा लाल था, वो डरी हुई लग रही थीं। मैंने पूछा, “क्या बात है, इतना डर क्यों रही हो?” वो हकलाने लगीं, “क… कुछ नहीं।” मैंने कहा, “मम्मी, मैंने सब देख लिया। योगेंद्र, बाहर आ जाओ।” योगेंद्र डरते-डरते बाहर निकला, पूरा नंगा। उसका लंड मुरझा गया था। दोनों शर्म से सिर झुकाए खड़े थे।
मैंने कहा, “मुझे तुम्हारे इस रिश्ते से कोई दिक्कत नहीं। लेकिन जो करो, मेरे सामने करो।” दोनों चुप रहे। मैंने फिर कहा, “ये बात हम तीनों तक ही रहेगी।” योगेंद्र बोला, “हम तेरे सामने कैसे करेंगे? बात तेरी मम्मी की है।” मैंने आगे बढ़कर मम्मी का गाउन उतार दिया। वो नंगी खड़ी थीं, और उनका विरोध खत्म हो चुका था। मैंने योगेंद्र से कहा, “अब दिखा अपनी मर्दानगी।”
योगेंद्र ने मम्मी के होंठों को चूसना शुरू किया। मम्मी पहले हिचक रही थीं, लेकिन मैंने योगेंद्र का हाथ उनकी चूचियों पर रख दिया। वो उन्हें मसलने लगा, और मैंने मम्मी की चूत में अपनी उंगली डाल दी। मम्मी ने मेरा हाथ हटाने की कोशिश की, पर मैंने उंगली तेजी से अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी। थोड़ी देर में मम्मी गर्म हो गईं, उनकी सिसकियाँ निकलने लगीं— “आह… अतुल…” योगेंद्र ने मेरा हाथ हटाकर अपनी जीभ मम्मी की चूत पर लगा दी। वो उसे चाटने लगा, जैसे कोई मलाई चूस रहा हो। मम्मी की शर्म गायब हो चुकी थी। वो अपनी चूत को ऊपर उठा-उठाकर चटवा रही थीं और चीख रही थीं, “योगेंद्र, चोद दे मुझे… मेरी चूत की आग बुझा दे!”
योगेंद्र ने अपना मोटा, काला लंड मम्मी की चूत पर टिकाया और एक जोरदार झटका मारा। आधा लंड अंदर घुस गया। मम्मी कराह उठीं— “उफ्फ… धीरे…” लेकिन योगेंद्र रुका नहीं। उसने धीरे-धीरे पूरा लंड मम्मी की चूत में उतार दिया। मम्मी का दर्द अब मजा में बदल गया था। वो अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगीं, और योगेंद्र जानवर की तरह धक्के मार रहा था। उसका लंड मम्मी की चूत को चीर रहा था, और कमरे में उनकी चीखें और थप-थप की आवाजें गूँज रही थीं।
मैं ये नजारा देखकर खुद को रोक न सका। मैंने मम्मी की चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं। उन्होंने कोई विरोध नहीं किया। फिर मैं उनके निप्पल्स चूसने लगा। मम्मी तड़प उठीं— “आह… अतुल… योगेंद्र… चोदो मुझे!” वो झड़ गईं, उनका शरीर ढीला पड़ गया। लेकिन योगेंद्र ने 10 मिनट तक धक्के मारे और फिर अपनी वीर्य की पिचकारी मम्मी की चूत में छोड़ दी। उनकी चूत से मम्मी और योगेंद्र का मिक्स जूस टपक रहा था। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया और सारा रस चाट लिया। उनकी चूत को चाटकर साफ कर दिया।
मम्मी अब बेशर्म हो चुकी थीं। मुझसे बोलीं, “अतुल, तू चूत अच्छी चाटता है।” मैंने हँसकर कहा, “हाँ, अब जब मन करे, हम सब मिलकर एन्जॉय करेंगे।” उस दिन से मम्मी और योगेंद्र की चुदाई मेरे सामने होती है, और मैं भी उनकी आग में हिस्सा लेता हूँ। ये हमारा छोटा-सा राज़ है, जो हमें हर बार नया मजा देता है।