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आकाँशा को डाटा स्ट्रक्चर्स सिखा डाला-1

Aakansha ko choda kaam sikhane ke bahane se-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सूरज है और मेरी उम्र 26 साल है. दोस्तों मैंने आज तक सिर्फ़ एक ही लड़की के साथ सेक्स किया है और दूसरी लड़की के साथ सिर्फ़ किसिंग की है. दोस्तों में आज आप सभी को जो सेक्स अनुभव अभी बताने जा रहा हूँ वो उस लड़की का है जो मेरी पहली वाली गर्लफ्रेंड थी और उसके साथ में करीब 5-6 बार सेक्स कर चुका हूँ, लेकिन उसके साथ हुआ मेरा पहला सेक्स में कभी भी भूल नहीं सकता.

दोस्तों यह तब की बात है जब मेरे कॉलेज क दूसरा साल ख़तम होने वाला था. आपको अंदाज़ा हो ही गया होगा कि मेरी उम्र करीब 21-22 साल थी. उस समय में बहुत पतला हुआ करता था और उस वक़्त में बहुत टेंशन में भी रहता था, क्योंकि मेरी हमेशा तबियत खराब रहती और जिसका कारण मेरी पहले साल हुई पढ़ाई की नाकामयाबी थी और सभी लोग मुझसे ना जाने क्यों थोड़ा दूर ही रहते थे और में अब इन सब चीज़ो से बहुत उब चुका था और फिर मैंने एक दिन तय कर लिया था कि में अब यह सब कुछ बदल डालूँगा.

मैंने अब मन लगाकर अपनी पढ़ाई करना शुरू कर दिया था और फिर में बहुत जल्दी सभी बच्चो से पढ़ाई में आगे निकल चुका था और मेरे खुश रहने की वजह से मेरी तबीयत में भी अब धीरे धीरे बहुत सुधार रहा था और अब मुझे एक गर्लफ्रेंड की ज़रूरत थी जो बहुत ही सुंदर हो, लेकिन मुझसे हिम्मत नहीं होती थी किसी को अपने प्यार के बारे में कहने सुनने कि, लेकिन फिर एक दिन मेरा सोया हुआ नसीब तब उस दिन खुल गया जब में पहली बार आकाँशा से मिला.

दोस्तों आकाँशा मेरे कॉलेज में मेरी ही क्लास में थी और में उसकी सुंदरता का वर्णन पूरा करूं तो उसकी आखें काजल से काली और उसकी हंसी किसी को भी एक बार में घायल कर देने वाली थी. उसके वो खुले बाल जो उसके नितंब तक लंबे थे और पूरा भरा हुआ गोरा बदन जो किसी की भी नियत खराब कर दे. दोस्तों वार्सिकोत्सव वाले दिन तो उसने काली कलर की पूरी जालीदार साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे से मुझे उसका ब्लाउज साफ साफ दिख रहा था और उसके बूब्स के उभार की वजह से उसके थोड़ा झुकने पर भी उसके ब्लाउज के बीचो बीच पड़ने वाली दरार मुझे साफ साफ दिखाई पड़ रही थी. दोस्तों वो दरार तो मानो इतनी तंग थी कि शायद उसमे एक उंगली घुसाने में भी बला का ज़ोर लग जाए खैर वो तो वो दिन था.

अब में उस दिन से ही उससे बात करने का कोई ना कोई बहाना चाहता था, लेकिन कभी यह काम मुमकिन नहीं हो पा रहा था, लेकिन उस दिन तो मेरे नसीब में कुछ और ही लिखा हुआ था, मानो खुदा ने खुद मेरी इच्छा पूरी करने की ठान ली थी. उस दिन वो खुद मेरे पास आई और मुझसे बोली कि हैल्लो सूरज कैसे हो, क्या तुम मेरी एक मदद करोगे? दोस्तों अब मेरे नाम के आगे का सब मुझसे अनसुना हो गया था उसे मेरा नाम पता था कि में इसी खुशी में मेरे अंग अंग में एक बिजली की तरंग सी दौड़ गई थी और मुझसे जवाब ना पाने पर उसने मुझे फिर से वही सवाल किया. क्यों सुना, क्या कहा मैंने?

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मेरे माथे से बहता हुआ वो पसीना देखकर अचानक से वो खिलखिलाकर हंस पड़ी और मुझसे कहने लगी कि कितने बुद्धू हो तुम? लड़कियों से बात करने में इतना भी भला कोई डरता है क्या? दोस्तों उसका वो सवाल औपचारिक था जिसकी वजह से में भी उसकी बात का जवाब ना देते हुए हंस पड़ा और उससे कहने लगा कि माफ़ करना मुझे थोड़ी कम आदत है किसी लड़की से बात करने की, हाँ तुम बताओ कि तुम्हे मुझसे ऐसी क्या मदद चाहिए थी?

वो अभी भी मेरी तरफ देखकर हंस रही थी और उसकी वो हंसी मुझे उसके और भी करीब खींचती जा रही थी. अब वो किसी तरह अपना हंसना रोकते हुए मुझसे बोली कि क्यों तुम डाटा स्ट्रक्चर्स में बहुत होशियार हो ना? मेरा एक तो “सी” प्रोग्राम ज्यादा अच्छा नहीं है और ऊपर से यह डाटा स्ट्रक्चर्स यूज़िंग ”सी”, अब तुम ही बताओ में कैसे पास करूँ यह विषय? दोस्तों उसने जिस मासूमियत से मुझसे यह सवाल किया था. मेरा बस चलता तो में अपना छोड़कर सीधा उसी का पेपर दे देता. फिर मैंने उससे कहा कि वो बहुत आसान है, तुम मेरे नोट्स ले जाओ और तुम उसमें से पढ़कर देखो. दोस्तों में जानता हूँ कि में कितना बड़ा गधा था, अगर में चाहता तो उसे सिखाने के लिए पूछ सकता था, लेकिन मेरी अकल तो देखो, मैंने उससे कह दिया कि ठीक है कुछ ना समझ सको तो हम कॉलेज में तो मिलते रहेंगे और तुम मुझसे कभी भी पूछ लेना. फिर उसने मुझसे हाँ कहा और वो मेरे नोट्स को अपनी बाहों में भरकर मुझसे धन्यवाद कहकर मेरे कमरे से बाहर निकल गयी और में वहीं खड़ा खड़ा उसे देखता रह गया.

फिर दूसरे दिन जब वो मुझे मेरे नोट्स वापस करने आई तो उसने मुझसे कहा कि आप बिल्कुल भी बुरा मत मानना, लेकिन तुम्हारी लिखावट बड़ी खराब है जिसकी वजह से में नोट्स को कॉपी नहीं कर पाई. दोस्तों एक तो किसी की मदद करो और ऊपर से यह बात सुनो, लेकिन ना जाने क्यों हर किसी को लड़कियों की किसी भी बात का गुस्सा नहीं आता. अब वो मुझसे पूछने लगी कि क्या तुम खुद मुझे सिखा सकते हो? तो मैंने तुरंत से उसे “हाँ” में जवाब दे दिया, क्योंकि आख़िर में खुद कल से तैयार जो था और मेरे इस तेज जवाब से पहले तो वो एकदम से बौखला गई और फिर हंस पड़ी और बोली कि ठीक है तो फिर शाम को 6 बजे से पढ़ते है, लेकिन हम मेरे घर पर ही पढ़ाई करेंगे, नहीं तो माँ हमे पढ़ने नहीं देगी, क्यों तुम्हे कोई समस्या तो नहीं है ना? दोस्तों मुझे कौन सी अस्थमा का दिक्कत थी और फिर मैंने जल्दी से उसे हाँ कह दिया और उस दिन से हमने शाम को एक साथ में पढ़ना शुरू कर दिया.

वैसे उसका घर कुछ ख़ास बड़ा नहीं था और हॉल से टीवी की आवाज़ बहुत आराम से बेडरूम तक आ जाती थी इसलिए हम हमेशा दरवाजा बंद करके ही पढ़ते थे और उसके परिवार वाले सभी लोग बहुत खुले ख्यालों के थे जिसकी वजह से मेरे घर आने पर उन्हे कोई ऐतराज़ नहीं था और उसकी मम्मी तो मुझे बार बार कुछ ना कुछ खिलती ही रहती थी और मुझे उसके घर वाले बहुत पसंद थे. दोस्तों वो दिन भी बिल्कुल ठीक ही निकला था. में अपने समय से उसके घर पर पहुँच गया और दोस्तों मैंने गौर किया कि वो घर पर कॉलेज की अपेक्षा इतना बन-ठन कर नहीं रहती थी, लेकिन उस दिन उसे कहीं जाना था इसलिए वो बहुत ज्यादा सजधजकर तैयार ही बैठी हुई थी. उसने काले रंग की एक ड्रेस पहनी हुई थी जिसमें से उसकी छाती से ऊपर का भाग काले दानों से भरी जाली से ढका हुआ था और वो ड्रेस उसकी भरी हुई जंघो को बहुत कस रही थी और उसके हाथ में पहनी हुई वो काली चूड़ियां तो मानो सोने पे सुहागा लग रही थी.

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मेरा मन तो उस दिन बिल्कुल भी पढ़ाई करने का नहीं कर रहा था, बल्कि मेरा तो जी कर रहा था कि में सीधे उसको पीछे से कस लूँ. उस दिन उसने दरवाज़ा नहीं लगाया हुआ था और तभी मुझे लगा कि कहीं उसे मेरी नीयत पर शक़ तो नहीं हुआ, लेकिन बाद में जब उसके घरवालों ने अंदर आकर उसे भी जल्दी से बाहर निकलने को कहा तब बात साफ हुई कि उसने दरवाज़ा इसलिए खुला हुआ रखा था क्योंकि अब घर पर कोई नहीं रहने वाला था.

फिर उसके घर वाले चले गये और उसने सिर्फ़ बाहर का जाली वाला दरवाजा लगाया और अंदर का लकड़ी का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया. हम अंदर आकर किताब खोलकर बेड पर ही बैठ गये, लेकिन वो मुझे आज थोड़ी बैचेन सी लग रही थी क्योंकि उसको उस कसी हुई ड्रेस में बैठ पाना बहुत मुश्किल हो रहा था और में उसकी परेशानी समझ गया था.

फिर में किचन में गया और डाइनिंग टेबल वाली कुर्सी लेकर आ गया और अब मैंने उसे उस पर बैठने को कहा तो वो मुझसे धन्यवाद बोलकर उस कुर्सी पर बैठ गयी और अब हम दोनों एक दूसरे के सामने सामने बैठे हुए थे, लेकिन मेरा पूरा पूरा ध्यान बार बार उसकी कसी हुई गोरी और नंगी जांघो पर ही जा रहा था और शायद उसे भी इस बात का पता चल चुका था जिसकी वजह से वो थोड़ी थोड़ी देर में खड़ी होती और अपनी ड्रेस को जितना हो सकता नीचे खींचकर फिर से बैठ जाती. उसके इस संघर्ष और उसके उस परेशान चेहरे को देखकर में उठकर खड़ा हुआ और फिर उससे विदा लेकर अपने घर पर जाने लगा.

मेरे अचानक ऐसे करने से वो शायद समझ गई कि में क्यों जा रहा था? तभी उसने मुझे आवाज़ लगाई और मेरा एक हाथ पकड़ लिया और उसने मुझसे कहा कि तुम जानते हो ना कि तुम कितने अच्छे हो? दोस्तों मैंने जैसे ही मुड़कर उसकी तरफ देखा तो ना जाने मुझे क्या हुआ और अगले ही पल मैंने उसे अपनी तरफ खींचकर अपनी बाहों में भर लिया और उसने अपना मुहं मेरी छाती में छुपा लिया. दोस्तों मैंने कभी इतना करीब से उसके बालों को नहीं सूँघा था और उसके बालों की खुश्बू ने जैसे मुझे अब और भी बढ़ावा दे दिया था. मैंने आख़िरकार उसे उसकी जांघो से पकड़ लिया और में अब धीरे धीरे अपना एक हाथ ऊपर लाने लगा.

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उसने अपना मुहं मेरे छाती से बाहर निकाला और फिर मुस्कुराकर मुझे देखने लगी. अब मैंने अपना हाथ उसकी जंघो से हटाकर उसके गोरे गालों पर रख दिया और उसे लगातार चूमने लगा. फिर उसने मुझे रोक दिया कुछ समय मेरी आँखों में देखा और फिर हल्के से अपने नाज़ुक होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया. दोस्तों वो वक़्त जैसे अचानक से थम चुका था और में अपने सारे गिले शिकवे भूल चुका था. मैंने भी अब उसका पूरा पूरा साथ दिया और हम दोनों पागलों की तरह लगातार एक दूसरे को चूम रहे थे. पहले उसके होंठ, फिर दाँत, फिर जीभ. दोस्तों अब हम दोनों बस एक दूसरे में पूरी तरह डूब चुके थे और हमारे पीछे ही एक बेड था और उसकी पीठ बेड की तरफ थी. मैंने उसे किस करते करते धीरे से पीछे सरका दिया, जिससे हम दोनों ही बेड पर एक दूसरे की बाहों में किताबों पर गिर पड़े और फिर मैंने जैसे तैसे किस करते हुए उन किताबों को वहाँ से हटा दिया और उसे गोदी में उठाकर ठीक प्रकार से बेड पर रख दिया और अब उसकी जांघो से मुझे इस बात का पूरा अंदाज़ा हो गया था कि अब वो भी तड़प रही थी और हम दोनों के जिस्म में आग बराबर लगी हुई थी.

में थोड़ा सा पीछे हटा और अब उसे लेटे हुए देखने लगा क्योंकि मुझे उस क्षण पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था और वो उस समय क्या मस्त लग रही थी? और बेड पर लेटने से उसके बूब्स अब और भी ज्यादा उठे हुए लग रहे थे और ड्रेस थोड़ा और उठ जाने से उसकी गोरी नंगी टांगे कमाल की लग रही थी.

अब वो थोड़ा सा शरमा सी गई और उसने अपनी आँखें अपने एक हाथ से छुपा ली और हंस पड़ी. फिर मैंने अपनी शर्ट को उतारा और उसके पास में लेट गया और अब मैंने उसके पैरों पर हाथ फेरना शुरू किया और धीरे धीरे उसके होंठो तक पहुँच गया. मैंने उसका हाथ चेहरे से हटाकर उसे एक बार फिर से चूमा और फिर उसने मुझे ज़ोर से गले लगा लिया. कुछ देर वैसे ही पड़े रहने के बाद में अपना हाथ सरकाते हुए उसकी छाती पर ले आया. उसने कसकर मेरा हाथ पकड़ा और में तुरंत रुक गया.

अब उसने मुझसे पूछा कि क्यों तुम मुझसे प्यार करते हो ना सोनू? दोस्तों उसने आज पहली बार मुझे सोनू कहकर पुकारा था और में अब उस ख़ुशी की वजह से सातवें आसमान पर था और फिर मैंने अपना जवाब उसे दिया कि हाँ में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और फिर मेरे यह बात कहते ही उसने मेरा हाथ एकदम से छोड़ दिया और अब दोस्तों मैंने अपनी एक उंगली उसके बूब्स के बीच की दरार में डाल दी, वो एकदम से कराह उठी और उसकी इस आवाज को सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मैंने अपनी उंगली को लगातार अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.