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अपने साथ सेक्स करने की पर्मिसन दी बॉस को

(Apne Sath Sex Karne Ki Permission Di Boss Ko)

मैं एक खुशमिजाज और हंसमुख लड़की हूं मेरे चेहरे की मासूमियत से मैं किसी किसी का भी मन मोह लेती हूं। मेरी मुस्कान से तो ना जाने कितने लोग मुझ पर फिदा हो जाते हैं मेरी मम्मी को इस बात से बडी ही दिक्कत रहतीथी। वह हमेशा कहती बेटा तुम ऐसे ही किसी को देखकर भी मुस्कुराया मत करो लेकिन मेरी आदत थी कि जो बदल ही नहीं सकती थी। मेरे चेहरे में ऐसा तो कुछ था जिससे कि कोई भी मेरी तरफ खिंचा चला आता था और मेरी मुस्कान उसे अपनी और खींच लेती थी परंतु कुछ समय से मैं बहुत ज्यादा परेशान थी। Apne Sath Sex Karne Ki Permission Di Boss Ko.

मेरे हंसी भी गायब थी मेरे चेहरे की चमक भी फीकी पड़ती जा रही थी मैं काफी दुबली पतली भी हो चुकी थी और इतनी ज्यादा तनाव में आ चुकी थी कि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं किसे अपने दिल की बात बताऊ।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि सब कुछ मेरे हाथों से फिसलता जा रहा है मेरे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि सब कुछ पहले जैसा हो जाए। मेरी मम्मी भी मुझे कहने लगी बेटा कुछ दिनों से देख रही हूं तुम काफी परेशान हो और ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे को किसी की नजर लग गई हो। तुम्हारे चेहरे की रंगत भी गायब हो चुकी है तुम अब पूरी तरीके से बदल चुकी हो। मैंने अपने सर को झुकाते हुए अपनी मां से कहा ऐसा तो कुछ भी मुझे नहीं लगता मैं सिर्फ अपने आपको धोखा दे रही थी मेरी मम्मी मुझे कहने लगी बेटा तुम्हारे चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा है।

तुम्हारे चेहरे पर अब पहले जैसी चमक नहीं रह गई है लेकिन मैंने अपनी मम्मी को किसी प्रकार से समझाते हुए कहा ऐसी कोई बात नहीं है बस आजकल कुछ तबीयत ठीक नहीं है। मेरी मम्मी मेरी बहुत चिंता करती हैं वह मुझे कहने लगी मेरी बेटी को ना जाने किसकी नजर लग गई है। मैंने मम्मी से कहा मम्मी ऐसा कुछ भी नहीं है क्या मैं कुछ देर आराम कर सकती हूं? मेरी मम्मी कहने लगी ठीक है बेटा तुम आराम कर लो। मेरी मम्मी सब कुछ समझ चुकी थी लेकिन मैं ना जाने उनसे क्यों अपनी नजरें चुरा रही थी मैं उनसे बचने की कोशिश कर रही थी मेरे दिल में समस्याओं का अंबार लगा पड़ा था मैं किसी को भी बात नहीं बता पा रही थी।

एक दिन मेरी सहेली मेरे पास आई वह मुझे देखते ही कहने लगी दीक्षा तुम्हारे चेहरे की रौनक ना जाने कहां गायब हो गई है तुम बिल्कुल बदल चुकी हो तुम्हारा गोरा रंग फिका पढ़ने लगा है। एकाएक मेरी आंखों से आंसू निकल आए मैं उसके सामने टूट पड़ी मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका था और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे। मैंने अपनी सहेली से कहा मैं तुम्हें क्या बताऊं बस मैं कुछ दिनों से परेशान हूं। वह मुझे कहने लगी ऐसा क्या हुआ। मैंने उसे सारी बात बताई और कहां मेरे ऑफिस में मेरे बॉस जो कि अधेड़ उम्र के हैं उनकी बड़ी लड़की की उम्र 18 बरस की है वह मुझे अपने केबिन में बैठा कर रखते हैं और मुझे बड़ी गंदी नजरों से घूरते हैं।

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मैं यह बात अपनी मम्मी को भी नहीं बता सकती नहीं तो मम्मी मुझे कहती कि तुम नौकरी छोड़ दो लेकिन मैं कुछ करना चाहती हूं अपने जीवन में मुझे कुछ करना है। मेरे बॉस के के गोयल मुझ पर बड़ी गंदी नजर डालते हैं जिस वजह से मैं यह बात किसी को नहीं बता सकती और आज एकाएक मेरे मुंह से यह बात निकल पडी। मेरी सहेली मुझे कहने लगी देखो दीक्षा तुम बिल्कुल भी घबराओ मत तुम्हें यह बात अपनी मां को बता देना चाहिए। मैंने अपनी सहेली से कहा यदि मैं यह बात अपनी मां को बताऊंगी तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा और वह कभी भी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी और मुझे वह ऑफिस छोड़ने के लिए कह देंगी। मेरी सहेली मुझे कहने लगी मेरे साथ भी पहले ऐसा ही हुआ था मैं भी यह बात किसी को नहीं बता पाई थी मैं अंदर से बहुत ज्यादा टूट चुकी थी इसीलिए मैंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी। मैंने अपनी सहेली से कहा तुमने तो अपने जीवन में समझौता कर लिया लेकिन मैं समझौता नहीं करना चाहती और मैं चाहती हूं कि मैं आगे काम करूं यदि मैंने यह बात अपनी मम्मी को बताई तो वह मुझे कभी भी आगे काम करने नहीं देंगी।

मेरे पापा तो बिल्कुल भी इन सब चीजों को पसंद नहीं करते वह तो मुझे कह देंगे कि तुम घर पर ही रहो तुम्हें काम करने की जरूरत नहीं है। मेरी सहेली के साथ बात कर के मुझे थोड़ा हल्का महसूस हुआ और अच्छा भी लगा क्योंकि किसी को तो मैं अपने दिल की बात बता पाई थी। मेरे दिल में बहुत दिनों से यही बात चल रही थी और मैं किसी को बता भी नहीं पाई थी परंतु अब यह बात मैंने अपनी सहेली को बता दी थी मुझे थोड़ा हल्का महसूस हो रहा था और अच्छा भी लग रहा था।

उस दिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि मानो मैं पतंग बनकर आसमान में उड़ रही हूं मुझे इतना हल्का महसूस हो रहा था अपनी सहेली से बात कर के मुझे थोड़ा बहुत हिम्मत तो आ ही चुकी थी। जब भी मेरे बॉस मुझे ऐसे देखने की कोशिश करते तो मैं उन्हें किसी न किसी प्रकार से अपने बातों में उलझा लिया करती मैं उनसे बचने की कोशिश करने लगी। आखिरकार मै कब तक बचती और एक दिन उन्होने मेरी छाती पर अपने हाथ को लगा ही दिया। जब उन्होने अपने हाथ को मेरी छाती पर लगाया तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा उस दिन मैं घर आकर अपने कमरे में अकेले काफी देर तक रोती रही। मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे साथ ना जाने ऐसा क्या हुआ। मेरे बॉस मुझे पाना चाहते थे वह किसी भी सूरत में मेरे साथ एक रात बिताना चाहते थे लेकिन मैं इस बात के बिल्कुल खिलाफ थी।

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अगले ही दिन मैंने अपने बॉस को जाकर कहा सर मैं ऑफिस से रिजाइन दे रही हूं। उन्होंने मुझसे इसका कारण पूछा तो मैंने उन्हें बता दिया आप जिस प्रकार से मुझे छूते हैं मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। वह मुझे कहने लगे ठीक है दीक्षा आज के बाद कभी ऐसा नहीं होगा उन्होंने मुझे पूरी तरीके से आश्वासन दिया उसके बाद उन्होंने मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करने की बात कही तो मैं मान गई। मुझे क्या मालूम था वह सिर्फ मुझे अपनी बातों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि मैं ऑफिस छोड़कर कहीं नहीं जाऊं और उन्होंने मेरा रिजाइनिंग लेटर मुझे वापस कर दिया। मैं अब दोबारा से काम करने लगी थी सब कुछ ठीक चल रहा था वह भी मुझ पर अब पहले जैसी नजरों से नहीं देखा करते थे।

मुझे भी गोयल जी पर पूरा भरोसा हो चुका था लेकिन गोयल जी के दिल में मुझे पाने की चाहत थी वह मुझे पाने की कोशिश में पूरी तरीके से पागल हो चुके थे। उन्होंने मुझे कहा यदि तुम मेरे साथ आज डिनर पर चलो तो तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है। उन्होंने बड़ी शालीनता से मुझसे पूछा तो मैं भी उनकी बात मान गई और मैं गोयल जी के साथ डिनर पर चली गई हम दोनों ने साथ में डिनर किया और मुझे उनके साथ काफी अच्छा लगा जिस प्रकार से वह मुझसे बात करते मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उन्होंने मुझे मेरे घर तक भी छोड़ दिया मझे उन पर पूरा भरोसा हो चुका था। एक दिन ऑफिस मे उन्होंने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था। वह काफी देर तक मेरे स्तनों को दबाते रहे जिससे कि मेरे अंदर भी एक हलचल सी पैदा होने लगी थी। उन्होंने अपने काले से लंड को बाहर निकाल लिया मैंने जब उनके लंड की तरफ नजर मारी तो मै उनके लंड को देखती रही। उनका मोटा सा लंड तन कर खड़ा हो चुका था मुझे उसे देखने में बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने जब उनके काले और मोटे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने मुझे कहा तुम लंड को मुंह में ले लो। मैंने उसे मुंह में ले लिया तो मुझे भी अच्छा लगने लगा मैं उसे अपने गले तक लेने लगी काफी देर तक मैं उनके लंड को चुसती रही। जिस प्रकार से मैंने उनके लंड को चूसा उससे वह खुश हो चुके थे। वह अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे मैंने अपनी सलवार को खोलते हुए अपनी योनि को उनके लंड पर सटाया।

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मेरी योनि से गिला पदार्थ बाहर की तरफ को निकल रहा था जैसे ही उनका काला और मोटा सा लंड मेरी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो मैं चिल्ला उठी। मैं काफी तेज चिल्ला रही थी जिससे वह मुझे कहने लगे मुझे बहुत मजा आ रहा है। मुझे नहीं मालूम था कि मेरी योनि से खून भी निकल आया है जिस प्रकार से मैं अपनी चूतड़ों क उनके लंड के ऊपर नीचे करती जाती उससे मेरे अंदर का जोश और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा था। मै उनका पूरा साथ दे रही थी गोयल जी मुझे कहने लगे दीक्षा तुम्हारी चूत बड़ी लाजवाब है और तुम्हारा शरीर का एक-एक बड़ा लाजवाब है।

मैं तो तुम्हें ना जाने कबसे चाहता हूं मैंने उन्हें कहा लेकिन गोयल जी आपकी उम्र मुझस काफी ज्यादा है। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था आप जिस प्रकार से मेरे बदन को छूते थे लेकिन आज मुझे एहसास हुआ कि सेक्स करने में भी बड़ा मजा आता है। जिस प्रकार से आप मेरे साथ आज संभोग कर रहे हैं उससे मुझे बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने जब मुझे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो मुझे और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा था जैसे ही उन्होंने अपने वीर्य को मेरी योनि के अंदर गिराया तो मैं खुश हो गई। “Apne Sath Sex Karne”

उसके बाद मुझे उनके साथ सेक्स करने में बहुत अच्छा लगने लगा मेरे चेहरे की रंगत वापस लौट आई थी और मेरे चेहरे पर वह मुस्कान अब लौट आई थी। गोयल जी भी मुझसे बहुत खुश रहते थे जिस वजह से उन्होंने मेरी तनख्वाह भी बढ़ा दी थी मुझे वह कोई भी कमी नहीं होने देते। मुझे अब एहसास हो चुका था कि मै अपने हुस्न से क्या-क्या पा सकती हूं इसलिए मैं अपने हुस्न का हर जगह लाभ उठाने की कोशिश करती रहती हू और मुझे उसका लाभ भी मिलता है। “Apne Sath Sex Karne”