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आंटी की सेक्स स्टोरी: राधिका आंटी की चुदाई

हाय दोस्तों, मेरा नाम श्रीकांत है। मैं दिल्ली से हूँ, उम्र 26 साल, और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। अब तक मैंने कई लड़कियों और आंटियों के साथ मज़े किए हैं। ये कहानी शुरू होती है दिल्ली के पीतमपुरा इलाके से। वहाँ डीडीए के एक फ्लैट में राधिका आंटी रहती थीं।

उनके पति दिल्ली एयरपोर्ट पर नौकरी करते थे। उनका एक बच्चा था, जो 3 साल का था। राधिका आंटी की उम्र करीब 36 के आसपास होगी। देखने में वो साँवली थीं, लेकिन उनका चेहरा सेक्सी था। थोड़ी मोटी भी थीं, पर क्या माल थीं! कोई भी मर्द उन्हें देखकर तैयार हो जाए।

मैं अपने फ्लैट में दोस्तों के साथ रहता हूँ। पड़ोस में ही राधिका आंटी और उनका परिवार रहता था। वो हाउसवाइफ थीं। दिनभर घर का काम करती रहती थीं। हमारे फ्लोर पर उनकी फैमिली ही ऐसी थी, जिसकी उम्र हमारे आसपास थी। बाकी सब बुजुर्ग टाइप के लोग थे। आंटी से मेरी खूब बनती थी। हर सुबह जब मैं ऑफिस निकलता, वो मुझे स्माइल देतीं। कई बार उन्होंने मुझे सुबह के नाश्ते के लिए भी बुलाया। उनका बच्चा कभी-कभी मेरे लैपटॉप पर गेम खेलने आता था। मैं भी कई बार उनके घर टीवी देखने चला जाता। मौका मिलने पर अगर उनकी ब्रा-पैंटी दिख जाए, तो उसे सूँघकर मुठ मार लेता।

धीरे-धीरे राधिका आंटी मुझे आकर्षित करने लगीं। मेरे रूममेट ने कहा, “यार श्रीकांत, आंटी तुझे लाइन देती हैं।” मैंने कहा, “यार, ऐसा हो ही नहीं सकता।” लेकिन फिर भी वो मुझे अट्रैक्ट करने लगीं। मुझे भी लगने लगा कि आंटी मेरी ज़्यादा ही केयर करती हैं।

दिवाली के बाद जब मैं फ्लैट पर लौटा, तो आसपास के बुजुर्ग कपल्स वेकेशन पर गए थे। सिर्फ मेरा और राधिका आंटी का फ्लैट ही खुला था। मैं सीधा उनके पास अपनी फ्लैट की चाबी लेने गया। आंटी ने मुझे वेलकम किया और इधर-उधर की बातें कीं। बातों में पता चला कि राजेश अंकल (उनके पति) की नाइट शिफ्ट चल रही है और वो सुबह 9 बजे घर आते हैं। मेरे मन में लड्डू फूटा। मुझे लगा, अब मौका मिल सकता है। मैंने कहा, “आंटी, मेरे फ्लैट पर भी सारे दोस्त वेकेशन मोड में हैं। कोई नहीं है। कोई काम हो तो बता देना।” ऐसा बोलकर मैंने भी चांस मार लिया। लेकिन आंटी ने कुछ नहीं कहा, बस स्माइल दे दी।

उस रात कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं ऑफिस में था। लंच के दौरान आंटी का मैसेज आया, “श्रीकांत, मुझे रामलीला देखने जाना है। तुम्हारे अंकल नाइट शिफ्ट में हैं और दिनभर सोते हैं। तुम चलोगे?” मैंने कहा, “ठीक है आंटी, लेकिन अंकल को बुरा तो नहीं लगेगा ना?” उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें बता दिया है कि हम शाम को मूवी देखने जा रहे हैं।” मैंने कहा, “ओके,” और शाम के शो का इंतज़ार करने लगा। 5:30 बजे घर पहुँचकर तैयार हुआ और आंटी को कॉल किया। उन्होंने बताया कि मूवी की टिकट बुक करवा दी है—रात 11 बजे का शो है। मुझे यकीन हो गया कि आंटी के दिमाग में कुछ चल रहा है। मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मार दी।

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9:30 बजे आंटी का कॉल आया, “श्रीकांत, क्या कर रहे हो? डिनर के लिए घर आ जाओ।” मैंने हाँ कहा और उनके फ्लैट में घुस गया। आंटी ने टाइट जींस और टी-शर्ट पहनी थी। मैं तो देखता ही रह गया। मैंने कहा, “आंटी, यू लुकिंग टू यंग!” उन्होंने फिर से सेक्सी स्माइल दी।

डिनर के बाद इधर-उधर की बातें हुईं। आंटी बोलीं, “यार, बोर हो रहे हैं। चलो आउटिंग करते हैं और सीधा मूवी देखने चलेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है।” हमें एस.जी. हाइवे पर पीवीआर सिनेमा जाना था। हम दोनों मेरी बाइक पर निकल पड़े। हाईकोर्ट के पास जब भी बंप आते, मैं शॉर्ट ब्रेक लगाता। आंटी के 36-36 साइज़ के बूब्स मुझे स्लाइड करते हुए टच करते। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे थे, इसलिए बूब्स को ठीक से फील नहीं कर पा रहा था।

10:30 बजे हम अदालज त्रि मंदिर से वापस पीवीआर की ओर निकले। ठंड लग रही थी। बहुत ठंडी हवा चल रही थी। आंटी को भी ठंड लगने लगी। उन्होंने कहा, “श्रीकांत, बहुत ठंड लग रही है।” मैंने कहा, “आंटी, ऐसे में आप मुझे हग कर लो।” और उन्होंने मुझे टाइटली हग कर लिया। फिर क्या था दोस्तों, मेरा लंड टाइट हो गया। और क्यों न हो? जिस आंटी की ब्रा को सूँघ-सूँघकर मुठ मारता था, वही बूब्स अब मेरे पूरे शरीर को टच कर रहे थे। पता ही नहीं चला कब पीवीआर पहुँच गए। मूवी में सेंटर सीट मिली थी। भीड़ भी खूब थी। लेकिन रामलीला में जैसे-जैसे किसिंग सीन शुरू हुए, मैंने आंटी का हाथ टच करना शुरू किया। आंटी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। मैंने अपना हाथ उनके ऊपर रख दिया। उन्होंने थोड़े गुस्से से मेरी ओर देखा। मैंने हाथ हटा लिया। समझ नहीं आ रहा था कि आंटी मूड में हैं या खुद टाइट हो रही हैं।

मूवी के बाद हम लौट रहे थे। फिर से आंटी ने बिना कुछ कहे मुझे हग कर लिया। मैंने कहा, “आंटी, अब क्या हुआ? वहाँ सिनेमा में हाथ रखा तो गलत, और यहाँ आप रखें तो सही?” वो जोर-जोर से हँस पड़ीं और बोलीं, “बुद्धू, वहाँ पूरी दुनिया थी। यहाँ कोई नहीं है।” मैंने कहा, “आंटी, बुरा न मानो तो एक बात बोलूँ?” वो बोलीं, “पूछो-पूछो।” मैंने कहा, “मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं। लगता है बस आपके साथ ही रहूँ। आपसे दूर रहने का मन नहीं करता।” आंटी ने स्माइल दी और बोलीं, “बेटे, कोई अच्छी गर्लफ्रेंड पकड़ ले। शादी की उम्र में जीएफ न मिले तो आंटी भी पसंद आने लगती हैं।” और हँसने लगीं। मैंने कहा, “नहीं यार, सच में।” वो बोलीं, “लाइन मत मार। कोई जीएफ पकड़ ले।”

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और हम घर आ गए। मैं अपने फ्लैट पर गया। आंटी ने कहा, “चलो चाय पीते हैं।” रात के 2 बज गए थे। मैं उनके घर चला गया। आंटी ने किचन में चाय बनाने रख दी और बोलीं, “श्रीकांत, ज़रा चाय का ध्यान रखो। मैं चेंज करके आती हूँ।” मैं किचन में चला गया। चाय तैयार हो गई और मैं निकाल रहा था। तभी आंटी ने आकर मेरे हाथ पर हाथ रखकर कहा, “ये काम मत करो। वो मैं कर लूँगी।” जब मैंने आंटी को देखा… बॉस, क्या कमाल का सीन था! अभी सोचता हूँ तो भी मेरा लंड टाइट हो जाता है। सिल्क की मैरून नाइटी थी, और क्या मादक खुशबू वाला डियो लगाया था। मैं तो उसी वक्त पकड़कर चोदने के मूड में था। लेकिन कंट्रोल करके रूम में आ गया। आंटी ने चाय सर्व की। मैंने लाइट ऑफ करके लैंप ऑन कर दिया।

आंटी मेरे पास सोफे पर बैठ गईं और बातें करने लगीं। उन्होंने अपने पैर टेबल पर रखे। उनकी नाइटी पैरों से थोड़ी ऊपर आ गई। मैं उनके पैरों को देखने लगा। बड़े सेक्सी लग रहे थे। थोड़े मोटे ज़रूर थे, लेकिन जैसा कहा—चोदने वाला माल थीं। आंटी बोलीं, “तुम रास्ते में क्या कह रहे थे? मुझे तुम पसंद हो वगैरह?” मैंने कहा, “आंटी, क्या बताऊँ। पिछले 6 महीने से आपको याद करके अपनी रातें पूरी करता हूँ।” राधिका हँसने लगीं और बोलीं, “पूरी रात मुठ मारते हो?”

मैं शॉक्ड हो गया। पहले कभी आंटी ने ऐसा शब्द यूज़ नहीं किया था। मैंने कहा, “आप तो अंकल के साथ मज़े लेती होंगी। लेकिन मैं आपको याद करके मज़े लेता हूँ।” आंटी अब खुलकर बातें करने लगीं और बोलीं, “क्या याद करके मुठ मारते हो?” मैंने कहा, “बातों से ज़्यादा प्रैक्टिकल करूँ तो?” आंटी बोलीं, “पागल हो गए हो क्या? चल हट। अब तुम जाओ। मैं सोने जा रही हूँ।” और नखरे करने लगीं।

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वो खड़ी होकर बेडरूम की ओर जाने लगीं। मैं खड़ा हुआ और पीछे से उन्हें पकड़कर किस करना शुरू कर दिया। आंटी कुछ बोलने गईं, उससे पहले ही मैंने उन्हें अपनी ओर घुमाकर स्मूच करना शुरू कर दिया। आंटी भी उत्तेजित होकर साथ देने लगीं और बोलीं, “श्रीकांत, तेरे अंकल कुछ मज़े नहीं देते। मैं खुद तेरे साथ सोने के ख्यालों में सो जाती हूँ। आज पूरी रात तेरे साथ सोना है।”

मैं उन्हें बेडरूम में ले गया। रात निकाल दी। वो पूरी नंगी थीं। ब्रा नहीं थी। बड़े-बड़े बूब्स और हाल ही में शेव की हुई चूत… क्या मस्त नज़ारा था। मैंने अपने कपड़े उतार दिए। आंटी आँखें बंद करके बेड पर पड़ी थीं। मैं उनके बूब्स चूसने लगा। दोनों बूब्स के बीच में किस करने लगा। आंटी बोलीं, “मुझे साइन चाहिए।” मैंने दबाकर वहाँ किस किया और अपना किस का निशान दे दिया। उनके बूब्स बड़े मोटे थे। मैं दोनों निप्पल को अपने दाँतों से चबाने लगा। आंटी पागल की तरह सिसकारियाँ ले रही थीं।

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फिर धीरे-धीरे किस करते हुए नीचे आया। आंटी बोलीं, “आज मेरी चूत को चाट ले।” मैंने उनकी चूत को सूँघा और पूरा पानी चाटने लगा। जीभ को अंदर डालकर चूसने लगा। आंटी बहुत गर्म हो गई थीं। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपना लंबा लंड उनकी चूत पर रख दिया। आंटी बोलीं, “डाल दे पूरा। मार डाल मुझे। पूरी चूत को फाड़ डाल।” मैंने एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया। आंटी “आआआह्ह्ह्ह” कर उठीं और बोलीं, “कुत्ते, इतना मोटा लंड लेकर घूमता है। कितनी रंडियों को चोदकर इतना बड़ा किया?” मैं उत्तेजित होकर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। 20 मिनट बाद मेरा पानी निकल गया। आंटी भी थक गई थीं। मैं साइड में लेट गया।

कुछ देर बाद आंटी बोलीं, “आज इतनी आसानी से तुझे चोदने वाली नहीं हूँ।” और मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगीं। 10 मिनट में मेरा लंड फिर तैयार। अब आंटी मेरे ऊपर आ गईं। वो मुझे पागल की तरह काट रही थीं। फिर उन्होंने मेरे पैरों की ओर अपना मुँह किया और अपनी चूत को मेरे लंड पर रख दिया। मुझे पीछे से उनकी बड़ी-बड़ी गांड दिख रही थी। आंटी ने धक्के शुरू कर दिए। मैं तो मज़े ले रहा था। मेरा लंड खुश था और मैं उनकी बड़ी गांड को दबा रहा था। 15 मिनट बाद आंटी थक गईं और मुझे हग करके सो गईं।

फिर सुबह 4:30 बजे उन्होंने मुझे जगाया और कहा, “डार्लिंग, सॉरी। लेकिन हसबैंड आने का टाइम हो गया है। तुम जाओ।” लेकिन मैंने भी प्रॉमिस लिया कि हफ्ते में एक बार तो मज़े मिलने चाहिए। वो बोलीं, “मुझे तो रोज़ लेना है।” ये कहकर दरवाज़ा बंद कर दिया। मैं भी थक गया था और अगले दिन ऑफिस भी जाना था। मैं सो गया।