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बाबा जी की यात्रा-2

Baba ji ki yatra-2

फिर उसने अपने लंड को तेल लगाकर चिकना किया और मेरी गांड के छेद पर भी थोड़ा सा तेल लगाकर लंड को गांड के ऊपर रख दिया और वो मुझसे बोला कि तुम बस दो मिनट के लिए दर्द को बर्दाश्त कर लेना और उसने बातोँ ही बातों में एकदम से एक जोरदार धक्का मारा. मेरी तो एकदम साँस ही बंद हो गई और आँखो के आगे अंधेरा सा छा गया. मुझे लगा कि आज मेरी गांड फट गई और मेरे गले से चीख भी नहीं निकल रही थी और जैसे ही मैंने दर्द के मारे अपना मुहं खोला तो एक कमीने ने मेरे मुहं में अपना लंड डाल दिया. मेरी आँखों से आँसू बाहर निकल आए और मेरे उस दर्द ने मुझे चीखने, चिल्लाने पर मजबूर कर दिया, लेकिन उन सभी की पकड़ के आगे में मजबूर थी. फिर कुछ ही देर बाद उसके कुछ धक्को के बाद मेरी हालत थोड़ी ठीक हो गई और अब मुझे अच्छा महसूस होने लगा था. फिर अचानक एक लड़का जिसका नाम बबलू था वो मेरे नीचे घुसकर नीचे लेट गया उसका लंड तनकर खड़ा था. जोगिंदर ने मुझे उस पर बैठने के लिए बोला और में अब उसके लंड पर धीरे धीरे बैठ गयी. वो नीचे से अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर मेरी चूत में डालने लगा. उसने एकदम से ज़ोर लगा दिया और अब उसका लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया.

अब बबलू नीचे से धक्के लगा रहा था और जोगिंदर ऊपर से और में बीच में चुद रही थी. वो दोनों लगातार धक्के लगा रहे थे और करीब दस मिनट के बाद बबलू का लंड झड़ गया, लेकिन जोगिंदर अभी भी चल रहा था. अब बबलू ने मुझे उठा दिया और अब दूसरा लड़का अर्जुन उसकी जगह पर लेट गया. फिर मेरी दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी.

मेरे मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी अहहह उह्ह्ह्हह्ह आईईईईईई मज़ा आ गया हाँ और ज़ोर से धक्का देकर चोदो मुझे, लेकिन कुछ देर के बाद अर्जुन का लंड भी झड़ गया और उसके साथ ही जोगिंदर का लंड भी अब अपनी जगह छोड़ चुका था. जिसकी वजह से मेरी गांड और चूत दोनों उनके गरम गरम वीर्य से लबालब हो चुकी थी. मैंने उनका वो गरम गरम लावा अपनी चूत गांड में महसूस किया और में अब बहुत अच्छा महसूस कर रही थी और जब में उठकर खड़ी हुई तो मेरी गांड और चूत दोनों से ही उनका माल बूंद बूंद करके टपक रहा था.

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अब दोनों लड़के सोनू और बंटी बाकी रह गये थे इसलिए उन्होंने मुझे एक बार फिर से घोड़ी बना लिया और मेरे नीचे सोनू और ऊपर बंटी था. मेरी गांड और चूत अब एकदम से खुल चुकी थी, जिसकी वजह से दर्द का नामो निशान नहीं था. जोगिंदर ने अपना लंड एक बार फिर से मेरे मुहं में घुसा दिया और उधर कुछ ही झटको के बाद बंटी का लंड झड़ गया.

जोगिंदर ने सोनू को उठाकर पीछे आने को बोला. अब जोगिंदर मेरे नीचे था और सोनू मेरी गांड पर सवार हो गया था. जोगिंदर का लंड हर एक धक्के के साथ मेरी बच्चेदानी के साथ टकरा रहा था और मेरे मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी. तभी कुछ देर के बाद सोनू का वीर्य निकल गया और उस हरामी ने अपना माल से भरा हुआ लंड मेरे मुहं के अंदर जबरदस्ती ठूंस दिया. दोस्तों उसके लंड का स्वाद एकदम नमकीन चावल जैसा था. मैंने पहली बार वीर्य का स्वाद चखकर देखा था और अब मेरे पीछे बबलू मेरी गांड पर सवार हो गया. मेरी यह तीसरी बार चुदाई हो रही थी. में उनके चुदाई करने के तरीके को देखकर बहुत खुश थी क्योंकि वो कोई भी मेरे एक भी छेद को खाली नहीं छोड़ रहे थे और वो एक के बाद एक चुदाई कर रहे थे.

तभी बंटी ने मेरे बूब्स पर बियर गिरा दी और फिर बीच में घुसकर मेरे बूब्स से बियर को चाटने लगा. वो हरामी साला मुझे पता नहीं मेरे बूब्स को चाट रहा था या बियर, लेकिन जोगिंदर अब भी करीब 20- 25 मिनट तक लगातार मेरी चुदाई करता रहा और फिर कुछ देर बाद बबलू और जोगिंदर का लंड ठंडा हो गया मेरी चूत और चूतड़ दोनों ही एक बार फिर से माल से भर गई थी और में अब बहुत थक चुकी थी.

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हरामी सोनू ने जोगिंदर के कान में कुछ कहा और जोगिंदर मुस्करा दिया. सोनू और बबलू ने मुझे गोद में उठाकर नीचे जमीन पर लेटा दिया और वो सभी पांच लोग मेरे आस पास खड़े हो गये और अब वो सभी हसंते हसंते मेरे ऊपर पेशाब करने लगे. दोस्तों मेरा अब बहुत बुरा हाल हो चुका था. मेरी गांड, चूत, मुहं और सारा बदन बहुत दर्द कर रहा था.

बंटी को जोगिंदर ने कहीं जाने के लिए बोला और वो चार लोगों के साथ गाड़ी ले जाने के लिए कपड़े पहनने लगा. मैंने उससे अपने जाने के बारे में पूछा तो जोगिंदर बोला कि यह इन लोगों को छोड़कर अभी वापस आ रहा है और में यही हूँ. तो बंटी और सोनू और दूसरे लड़के वहां से चले गये. अब मुझे जोगिंदर ने बोला कि जाओ नहा लो फिर में तुम्हे घर पर छोड़ दूँगा. में बाथरूम में चली गई और नहाते हुए अचानक जोगिंदर बाथरूम में आ गया और वो मुझसे बोला कि उसका अभी मन नहीं भरा है. में एक बार फिर में पूरी बेशर्म हो चुकी थी.

मैंने कहा कि आ जाओ मेरी जान. चुदाई से ना तो मेरी चूत घटेगी और ना ही गांड, लेकिन तुम्हारा लंड जरुर कुछ देर बाद झड़कर छोटा हो जाएगा. अब उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और उसने पांच मिनट के बाद डॉगी स्टाइल में मेरी चुदाई शुरू कर दी. 20 -25 मिनट वो फिर से लगा रहा, कभी डॉगी स्टाइल में तो कभी खड़े खड़े धक्के देने में लगा रहा. फिर उसका झड़ गया और इधर में दो बार झड़ा चुकी थी. आज मुझे पता चला था कि असली चुदाई क्या होती है? मेरे पति के साथ चुदाई तो बस कुछ मिनट का खेल ही था. फिर में और जोगिंदर साथ साथ नहाते रहे और फिर कुछ देर बाद बंटी गाड़ी लेकर आ गया.

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बंटी को वहीं छोड़कर जोगिंदर और में गाड़ी लेकर आ गए. हम दोनों मेरे घर पर आ गये थे और जब हम घर पर आए तो मैंने देखा कि मेरी पति मेरे ना आने की वजह से बहुत चिंता में डूबे हुए बैठे थे. मैंने उन्हे बताया कि यह जोगिंदर जी है और इन्होने मेरी यहाँ तक आने में बहुत मदद की है. में बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए बहुत दुःख दर्द को सहते हुए यहाँ तक पहुंची हूँ. अगर यह ना होते तो ना जाने मेरा क्या होता? और वैसे यह भी पटियाला से है. मेरे पति ने उनका बहुत बहुत धन्यवाद कहा और फिर हम सभी ने एक साथ बैठकर चाय पी और जाते समय जोगिंदर ने मेरा मोबाईल नम्बर ले लिया और चला गया.

फिर मेरे और जोगिंदर के बीच चुदाई का यह सिलसिला पांच साल तक लगातार चलता रहा. में उसकी चुदाई से बहुत खुश थी, वो मुझे कभी अपने घर पर तो कभी मेरे घर पर तो कभी फार्म हाऊस में ले जाकर चोदता और में उसके साथ बहुत मज़े करती. तो दोस्तों यह थी मेरी चुदाई की कहानी जो कहाँ से जाकर कहाँ खत्म हुई, लेकिन मुझे उसकी उस पहली चुदाई में बहुत मज़ा आया क्योंकि उसने पहली ही बार में मुझे वो मज़ा दिया था जिसके लिए में बहुत सालों से तड़प रही थी.