बड़ी बहन को चोदा और रखेल बनाकर रखा
हेलो दोस्तों, मेरा नाम कुलदीप है। आप सब कैसे हैं? मैं इस सेक्स स्टोरी वेबसाइट का बहुत बड़ा फैन हूँ और इसे नियमित रूप से पढ़ता हूँ। मुझे यहाँ की सभी कहानियाँ बहुत पसंद हैं, खासकर घर की चुदाई वाली, जैसे माँ बेटा सेक्स और भाई बहन की चुदाई। तो दोस्तों, मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपने जीवन की एक सच्ची घटना आपके साथ शेयर करूँ, जो मेरी और मेरी बड़ी दीदी की है। तो चलिए, अपना लंड हाथ में लें और मेरी और मेरी दीदी के नाम की मुठ मारने की तैयारी करें। लेकिन पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ।
मेरा और दीदी का परिचय
मेरा नाम कुलदीप है, उम्र 19 साल, हाइट 5 फीट 10 इंच, शरीर मजबूत, और मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है। मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरी दीदी का नाम सपना है, उम्र 21 साल, हाइट 5 फीट 6 इंच, फिगर 36-26-38, रंग गोरा, और वो दिखने में एकदम सेक्सी माल है। उनके बड़े-बड़े बूब्स और भारी-भरकम गांड किसी को भी पागल कर सकती है।
कहानी की शुरुआत
तो दोस्तों, अब मैं आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए अपनी जिंदगी की उस घटना पर आता हूँ। बात अगस्त 2012 की है। मैं बीकॉम के पहले साल में था और दीदी कॉलेज के दूसरे साल में। हम दोनों दिल्ली में पढ़ाई कर रहे थे। हम अपने कॉलेज से थोड़ी दूरी पर एक किराए के कमरे में साथ रहते थे। उस वक्त बारिश का मौसम था। हम दिन में कॉलेज जाते, ट्यूशन पढ़ाते, और शाम को 8-9 बजे कमरे पर लौटते। खाना भी बाहर से ले आते थे।
एक दिन जोरदार बारिश हुई। जब हम कमरे पर पहुँचे, तो देखा कि हमारे कमरे में पानी भर गया था। हम दोनों बारिश में भीग चुके थे। कमरे में कोई अलमारी नहीं थी, इसलिए कपड़े टेबल पर रखते थे। बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। तभी हवा से खिड़की खुल गई, और टेबल पर रखे सारे कपड़े नीचे गिरकर भीग गए। दीदी का पलंग खिड़की के पास था, वो भी पूरा गीला हो गया। हमारे पास बदलने के लिए सूखे कपड़े नहीं बचे थे।
दीदी के साथ वो रात
मैंने दीदी से कहा, “दीदी, आपको सर्दी लग जाएगी। अपने गीले कपड़े उतार लो।” दीदी बोली, “कहाँ से बदलूँ? मेरे सारे कपड़े तो भीग गए।” मैंने कहा, “आप मेरे बेड की चादर ले लो और लपेट लो।” मेरा बेड कमरे के कोने में था, जो गीला होने से बच गया था। दीदी ने पहले मना किया, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो मान गई। उन्होंने अपने कपड़े उतारे और चादर लपेट ली। फिर दीदी बोली, “तू भी अपने कपड़े बदल ले।” मैंने भी बेड से तौलिया उठाया, कपड़े उतारे, और उसे लपेट लिया।
जब मैंने दीदी को देखा, तो उनकी चादर में से उनके गोरे, चिकने पैर साफ दिख रहे थे। लेकिन उस वक्त मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था। रात हो चुकी थी, और हम सोने की तैयारी करने लगे। कमरे में एक ही बेड था। दीदी बोली, “हम दोनों एक ही बेड पर सो जाते हैं।” मैंने कहा, “ठीक है,” और हम सो गए।
रात में जागा जानवर
रात को एक-दो घंटे बाद मेरी नींद खुली। मुझे ठंड लग रही थी। जैसे ही मैंने आँखें खोलीं, मैं दंग रह गया। दीदी की चादर उनके शरीर से पूरी तरह हट गई थी, और वो बिल्कुल नंगी थी। उनके बड़े-बड़े बूब्स और साफ-सुथरी शेव की हुई चूत को देखकर मैं पागल हो गया। उस हालत में उन्हें देखकर मेरे अंदर का जानवर जाग उठा। मेरा लंड खड़ा होने लगा, और अब मैं दीदी को चोदना चाहता था।
मैंने नींद का बहाना बनाकर एक हाथ उनके बूब्स पर और दूसरा उनकी चूत पर रख दिया। दीदी गहरी नींद में थी, तो उन्हें कुछ पता नहीं चला। थोड़ी देर बाद उनकी नींद खुली। उन्होंने मेरे हाथ देखे, लेकिन मेरे सोने का बहाना देखकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मेरे हाथ हटा दिए। फिर मुझे नींद नहीं आई। मैंने सोचा कि वो सो गई हैं, तो मैंने फिर से अपना हाथ उनकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। थोड़ी देर तक दीदी चुप रही, लेकिन फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली, “ये क्या कर रहा है?”
दीदी को मनाया
मैं घबरा गया, लेकिन मौका छोड़ना नहीं चाहता था। हम दोनों नंगे थे, और ये सही मौका था। मैं दीदी के ऊपर चढ़ गया और उन्हें अपनी बाहों में ले लिया। दीदी छटपटाने लगी और बोली, “छोड़ मुझे!” मैंने कहा, “दीदी, प्लीज, बस आज।” दीदी बोली, “पागल हो गया है क्या? छोड़ मुझे।” मैंने कहा, “नहीं दीदी, बस एक बार।” वो बोली, “ये गलत है, मैं तेरी बहन हूँ।” मैंने कहा, “नहीं दीदी, आज हम भाई-बहन नहीं, बस एक लड़का और लड़की हैं।”
ये कहकर मैंने दीदी को चूमना शुरू कर दिया। उनके बूब्स दबाने लगा, उनके जिस्म को सहलाने लगा, और धीरे-धीरे उनके होंठों को चूसने लगा। अब दीदी का विरोध कम होने लगा। मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत पर रखी। दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली, “नहीं, मुझे बहुत अजीब लग रहा है।” मुझे समझ आ गया कि दीदी वर्जिन हैं, और आज मुझे अपनी सगी बहन की सील तोड़ने में बड़ा मजा आने वाला था।
पहली चुदाई
अब दीदी गरम हो चुकी थी। मेरा लंड उनकी चूत को सलाम कर रहा था। दीदी ने मेरे लंड को देखा और चौंक गई। बोली, “ये आज मेरी चूत को फाड़ देगा।” मैंने कहा, “नहीं दीदी, कुछ नहीं होगा। बहुत मजा आएगा।” मेरे बहुत मनाने पर दीदी मान गई। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया, उसे हाथ से पकड़ा, और दीदी की चूत के मुँह पर रख दिया। फिर एक जोरदार झटका मारा। लंड का सुपारा अंदर गया, और दीदी के मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ीं—आह्ह्ह… उईईई… अहह।
दीदी बोली, “प्लीज बाहर निकाल, मैं मर जाऊँगी।” लेकिन मुझे तो मजा आ रहा था। मैंने एक और जोर का झटका मारा। अब मेरा लंड 4 इंच अंदर चला गया। दीदी दर्द से छटपटाने लगीं और चीखने लगीं, “उईई… अह्ह्ह… मर गई… माँ… अह्ह्ह।” मैं थोड़ी देर रुका। जब दीदी थोड़ा शांत हुईं, तो मैंने पूरी ताकत से एक और झटका मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में समा गया। दीदी जोर से चीखीं और लंड बाहर निकालने को कहने लगीं। उनकी सील टूट चुकी थी। अब वो लड़की से औरत बन गई थी।
चुदाई का पूरा मजा
मैंने लंड को एक जगह रखकर थोड़ा इंतजार किया। जब उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने धीरे-धीरे लंड आगे-पीछे करना शुरू किया। दीदी मुझसे चिपक गईं। मैंने देखा कि उनकी चूत से थोड़ा खून निकल रहा था। थोड़ी देर बाद वो ठीक हुईं और अब मेरा साथ देने लगीं। वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई का मजा लेने लगीं। मैं जोर-जोर से धक्के मारकर उन्हें चोदने लगा। उस दौरान दीदी की चूत से दो बार पानी निकला। फिर मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और दीदी की चूत में ही अपना माल निकाल दिया। थककर वहीं सो गया। उस रात हमने 4-5 बार चुदाई की। अगले दिन मैंने दीदी की माँग में सिंदूर भर दिया। अब हम दुनिया के लिए भाई-बहन हैं, लेकिन अपने कमरे में पति-पत्नी। हम रोज सेक्स करते हैं। दीदी को डॉगी स्टाइल में चुदवाना बहुत पसंद है। मैंने उनकी चूत को चोद-चोदकर उसका भोसड़ा बना दिया।
आज का हाल
दोस्तों, अब दीदी की शादी हो चुकी है। लेकिन जब वो हमारे घर आती हैं, तो मुझसे चुदवाकर ही वापस जाती हैं। मैं उन्हें अब रखेल बनाकर चोदता हूँ। उनकी चूत मेरे लंड की दासी है। ये थी मेरे जीवन की सच्ची घटना। उम्मीद है, आपको ये बहुत पसंद आएगी।