हिंदी सेक्स स्टोरी

मेरी बहन ने मुहं काला किया-1

Bahan ne muh kala kiya-1

हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी को अपनी दीदी की एक सच्ची चुदाई की घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें उनको मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के ने बहुत जमकर चोदा और उनकी चूत को फाड़ दिया और पहली चुदाई में ही चूत का भोसड़ा बना दिया.

वैसे मेरी दीदी को भी चुदाई और सेक्स करने की बहुत इच्छा थी, उनकी चूत में बहुत ज्यादा गरमी थी, जो पहली चुदाई में बाहर निकल गई. दोस्तों आज में वही सब सच्ची बातें वो घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसके लिए में आज आप सभी के सामने अपनी कहानी लेकर आया हूँ और अब में अपनी दीदी का परिचय करवाते हुए कहानी को शुरू करता हूँ.

दोस्तों मेरी दीदी का नाम राधिका है और वो दिखने में सुंदर, उनका रंग गोरा, बड़े आकार के अपनी तरफ आकर्षित करने वाले बूब्स, पतली कमर, बाहर निकली हुई गांड, वो बहुत हॉट सेक्सी नजर आती, लेकिन ना जाने कहाँ से मेरी दीदी राधिका को बहुत समय से गंदी गंदी किताब पढ़ने की बहुत बुरी आदत हो गयी थी, वो अपनी पढ़ाई की किताब में उन गंदी चुदाई की कहानियों की किताबो को छुपाकर पढ़ाई करने के बहाने चुदाई की कहानी पढ़कर और उन नंगे लंड, चूत, गांड, बूब्स के चित्रों को देखकर वो जोश में आकर गरम होकर अपनी चूत में उंगली डालकर हमेशा अपनी चुदाई के मज़े लेती थी, वो लगातार अपनी चूत में अपनी दो उँगलियाँ डालकर वो अपने हाथ के साथ साथ पैरों को भी हिला हिलाकर बहुत जोश में आकर सेक्स के आनंद लेती थी और कुछ देर बाद जब चूत का पानी बाहर निकल जाता तो वो बिल्कुल शांत हो जाती और थोड़ी देर बाद उठकर सीधी बाथरूम में जाकर अपनी चूत को धोकर वापस आ जाती.

कुछ दिनों के बाद मेरी दीदी राधिका हमारे पड़ोस में रहने आए एक सरदारजी के साथ बहुत ही कम समय में ज्यादा घुल-मिल गयी थी और वो सरदारजी भी उससे बहुत ज्यादा बातें हंसी मजाक करने लगे थे, उनके बीच की दूरियां बहुत जल्दी कम होने लगी थी, शायद वो भी मेरी दीदी को मन ही मन चाहने लगे थे, वो हर कभी हमारे घर पर आने जाने लगे थे.

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दोस्तों वैसे वो सरदारजी शादीशुदा थे और वो अपनी एक बीवी और दो बच्चों के साथ हमारे पास वाले मकान में रहते थे. मेरी दीदी राधिका उनको हमेशा जीजाजी कहा करती थी, वो उनके बहुत ज्यादा करीब पहुंच चुकी थी. दोस्तों वो गर्मी के दिन थे, जब मेरी दीदी राधिका और मेरी माँ हमारे घर के आँगन में रात को अपनी अपनी चारपाई पर पास में सोए हुए थे.

रात को करीब एक या दो बजे वो सरदारजी रात को मेरी दीदी की चारपाई के पास आकर बैठ गए और मेरी माँ को सोता हुए देखकर सरदारजी ने मेरी दीदी को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया, लेकिन मेरी दीदी राधिका चुपचाप पड़ी रही, वो अब तक अपनी नींद से जाग चुकी थी, विरोध ना करने की वजह से उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई. अब थोड़ी देर के बाद सरदारजी ने मेरी दीदी की फ्रोक को उँचा कर दिया, वो उसके स्तन (बूब्स) को अपने दोनों हाथों में पकड़कर मसलने लगा और दबाने लगा, लेकिन अब भी मेरी दीदी राधिका उसकी इस हरकत से उतेज़ित होकर उसका पूरा पूरा मज़ा लेने लगी. यह सब थोड़ी देर चलता रहा और उसके बाद में सरदारजी मेरी बहन को खींचकर बाथरूम की तरफ ले जाकर उनकी चुदाई करने ही वाला था कि तभी मेरी माँ की नींद खुल गयी और उनको उठा हुआ देखकर सरदारजी डरकर तुंरत वहां से भाग गया.

अब मेरी माँ के पूछने और सवाल जवाब करने पर मेरी चुदक्कड़ दीदी राधिका एकदम शरिफजादी बनकर अपनी सफाई देने लगी कि मुझे इस बात की बिल्कुल भी खबर नहीं थी कि कब वो सरदारजी मेरी चारपाई पर आ गया और वो उसको कब से दबोचकर उसके स्तन को मसल कर सहला रहा था, वो तो बहुत गहरी नींद में थी. दोस्तों में बता देना चाहता हूँ कि मेरी दीदी राधिका का हमारे पड़ोस में रहने वाले एक दूसरे लड़के के साथ बहुत पहले से नाजायज़ सेक्स सम्बंध थे और वो कई बार अपनी चुदाई भी करवा चुकी थी, जिसकी वजह से उसको अब लंड लेने की आदत होने लगी थी.

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एक रात को जब मेरी माँ ने उठकर देखा कि मेरी दीदी राधिका घर में अपने पलंग पर सोई हुई नहीं है, इसलिए उसने तुरंत घबराकर मुझे जगा दिया और में हड़बड़ाकर उठा. मैंने जल्दी से आसपास में जाकर देखा और उसको ढूँढने लगा. तब मैंने देखा कि रात के दो बजे मेरी दीदी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के के पास जाकर उससे अपनी चुदाई करवा रही थी. उस लड़के का नाम कल्लू था और कल्लू ने मेरी दीदी को पूरा नंगा करके उसकी कुँवारी चूत में अपना मोटा लंबा 6 इंच का लंड डाल दिया और वो जानवरों की तरह लगातार धक्के देकर उनको चोदने लगा.

फिर मैंने देखा कि उसकी ऐसी चुदाई की वजह से मेरी दीदी राधिका की चूत की झिल्ली फट गयी थी और उसकी छोटी आकार की मासूम चूत भी फट गयी, जिसकी वजह से दीदी की चूत से अब बहुत खून निकल रहा था और वो दर्द से करहा रही थी और कुछ देर धक्के देने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी दीदी की चूत में डाल दिया था.

कुछ देर बाद जब मैंने देखा तो मेरी दीदी राधिका ठीक तरह से चल भी नहीं पा रही थी और वो लंगड़ी लंगड़ी चल रही थी, उसकी चूत आज फट चुकी थी और मेरी दीदी ने अंदर पेंटी भी नहीं पहनी थी, वो सिर्फ़ फ्रॉक पहनी हुई थी.

फिर मैंने ध्यान से देखा कि मेरी दीदी की चूत उस ताबड़तोड़ चुदाई की वजह से सूजकर एकदम लाल टमाटर की तरह हो गयी थी और आज उसकी चूत भी फट गयी थी, दीदी की चूत से कल्लू का वीर्य और उसकी पहली चुदाई का खून बाहर निकलकर मेरी दीदी की चूत से धीरे धीरे नीचे सरकते हुए उसकी जाँघ पर से रीस रीसकर बह रहा था और उसके पैरों पर भी खून के दाग साफ साफ दिखाई दे रहे थे.

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दोस्तों मेरी दीदी की चूत पर झांट के बाल भी नहीं थे, क्योंकि दीदी ने अपनी चूत के बाल चुदाई से पहले ही ब्लेड से काट लिए थे, इसलिए दीदी की चूत बिल्कुल साफ चिकनी दिख रही थी और दीदी की चूत एकदम लाल लाल टमाटर की तरह दिखाई दे रही थी और चूत के अंदर का भाग एकदम लालश लिए हुए गुलाबी कलर का था.

दोस्तों उसको दर्द बहुत था, लेकिन अपनी चुदाई करवाने की संतुष्टि भी उसके चेहरे से साफ साफ झलक रही थी, वो मन ही मन बहुत खुश थी, उसको किसी से कोई मतलब नहीं था बस उसको अपने मज़े करने थे. अब मेरी माँ ने उसको जबरदस्ती हमारे घर पर ले जाकर पलंग पर लेटाकर उसकी फ्रॉक को उतारकर दीदी को पूरा नंगी करके उन्होंने बहुत ध्यान से मेरी दीदी की चूत देखी, दीदी की चूत पूरी फेली, फटी हुई थी और उस चुदाई की वजह से लाल भी हो गयी थी.

अब दीदी की चूत से उस लड़के का वीर्य और उनकी पहली चुदाई का खून बाहर निकलकर उसकी गोरी गोरी जांघो और फ्रॉक पर टपका हुआ था और उसकी फ्रॉक पर भी बहुत जगह पर खून के लाल दाग की वजह से वो पूरी खराब हो गई थी. दीदी अब उस दर्द की वजह से रो रही थी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ मार रही थी और मेरी दीदी का उस जबर्दस्त चुदाई की वजह से बहुत बुरा हाल हो गया था, वो एकदम निढाल होकर चीख और चिल्ला रही थी.

कहानी जारी है-