भाई-बहन की चुदाई

बहन के साथ बिताए रातें

Behan Ke Sath Bitayi Ratein

हे दोस्तों, मेरा नाम अकाश है। मैं 26 साल का हूँ और पहली बार अपनी कहानी आप सबको सुनाने जा रहा हूँ जो मेरी बहन संतोष के साथ हुई थी। मेरी बहन बहुत ही खूबसूरत है। बात उन दिनों की है जब मैं 18 साल का था और मेरी बहन 21 साल की थी। उस समय उसकी जवानी थी। उसकी फिगर 32-28-30 होगी। बचपन में मैंने कई बार अपनी बहन को माँ से डांटते देखा था क्योंकि वह गलियों के आवारा लड़कों के साथ घूमती थी, दो-ती लड़के।

हमारे घर के पास हमेशा कुछ लड़के घूमते रहते थे। मेरी बहन को लाइन मारने के लिए एक दिन विजय नाम के लड़के ने मुझे अपने घर बुलाया और चॉकलेट देकर कहा कि मैं तुम्हारी बहन संतोष से बहुत प्यार करता हूँ, तुम इसे उसे दे दो और कहो कि मुझे एक बार उससे मिलना है। बाद में मैंने वापस घर आकर लेटर लेकर अपनी बहन को दिया। उसने मुझसे कहा किसी को न बताओ अकाश, ठीक है? मैंने कहा नहीं बताऊंगा। पहले एक-दो दिनों के लिए वह अपने होठ गले लगाए और मेरे गाल पर किस कर दी। “अच्छा अब तो नहीं बताओगे किसी को” संतोष ने कहा।

एक दिन संतोष ने कहा, “माँ, मुझे बाजार जाना है कुछ सामान लेना है।” माँ ने कहा, “तु अकेली कहीं नहीं जा सकती। अकाश को साथ ले जा और अकाश से बोला, इस पर ध्यान रखना किसी से मिलने पर बता देना। मैंने कहा ठीक है। फिर मैं अपनी बहन के साथ बाजार चला गया। रास्ते में हमें विजय मिला और उसने मुझे और संतोष को अपने घर ले गया। तब मुझे पता चला कि मेरी बहन घर से बाजार का बहाना करके अपने प्रेमी से मिलने आई थी। फिर विजय ने मुझे ठंडा पेय दिया और कहा, “तु यहीं रहो, हम दूसरे कमरे में बात कर के आते हैं।” मैंने कहा ठीक है लेकिन जल्दी आओ, दीदी माँ कॉल करेगी अगर देर हो गई तो।
अचानक उनके कमरे से दीदी की आवाज आई, “आऊ उु मर गई विजय, धीरे करो मैं घर कैसे जाऊंगी? अईiii uufff बहुत दर्द हो रहा है!” यह सब सुनकर मैं परेशान हो गया और सोचा चलकर देखता हूँ क्या बात है। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था। मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर देखा तो मेरी तो हालत ही खराब हो गई। विजय और संतोष दोनों नंगे बिस्तर में थे। विजय मेरी बहन के ऊपर जोर-जोर से उछल रहा था, और संतोष चिल्ला रही थी, “बंद करो, बाकी कल कर लें मेरे भाई देख लेगा! आय्यीiii माँ मर गई, चोद दो विजय!” फिर थोड़ी देर बाद वो दूसरे के ऊपर लेते रहे। यह सब देखकर मुझे भी उत्साह आने लगा और मेरा मन भी अपनी बहन को चोदने को करने लगा।

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फिर संतोष और विजय बाहर आए और हम घर चले गए। मेरी बहन कुछ लंगड़ाकर चल रही थी तो मैंने पूछा, “क्या हुआ बहन?” उसने कहा, “कुछ नहीं बस थोड़ी सी मोच हुई है।” तो तुम इतनी ज़ोर से चिल्ला क्यों रही थी? तुम्हारी आवाज बाहर तक आ रही थी। वह थोड़ा सा घबराकर बोली, “वह विजय मेरी मोच के दर्द को ठीक कर रहा था इसलिए अगर माँ पूछेगी तो यही कहना ठीक है।” मैंने कहा ठीक है पर वो बोली समझ गई ले लो किसी को नहीं बताओगे। मैंने कहा ठीक है दीदी! फिर हम घर आ गए और माँ ने हमें बहुत डांटा।

फिर संतोष खाना बनाने चली गई और मैं नहाने गया। मेरे दिमाग में अभी विजय और मेरी नंगी बहन का ही सीन चल रहा था और मैं सोच रहा था कि मैं कैसे चोद पाऊंगा अपनी सेक्सी बहन को। बाथरूम में उसकी याद में मुट्ठी मारकर शांत हुआ।
अगले दिन मेरी माँ बाज़ार गई थी और संतोष सो रही थी। मैंने अपना लंड निकाला और अपनी बहन के हाथ में रख दिया। उसके बाद उसके बालों में फेरने लगा, फिर उसके होंठों पर रख दिया। जैसे ही वह थोड़ा हिली तो मैं एक दम हाथ हटाकर दूर हो गया। वो फिर सो गई। अब मैंने उसके होंठों की किस की और वहीं बैठकर मुट्ठी मारने लगा और थोड़ी देर में मेरा सारा पानी निकल गया। मैंने उसे साफ करके अपनी सेक्सी बहन के बगल में जाकर सोने का नाटक किया।

मैंने अपना एक हाथ संतोष की चुचियों पर रखा। उसने कुछ हरकत नहीं की तो मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया। मुलायम Boobs थे, मन तो कर रहा था कि अब चढ़ जाऊँ अपनी बहन के ऊपर पर डर लग रहा था। मैं थोड़ी देर से ही सहला रहा था। उसने एकदम से मेरा हाथ पकड़कर हटा दिया। फिर मैं थोड़ी देर बिना हिले सोने की acting करनी लगा। 2 मिनट बाद मैंने फिर उसके Boobs दबाने शुरू कर दिए। उसे पता चला कि मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूँ और दूसरी तरफ करवट करके सो गई। फिर मैंने कुछ नहीं किया।

कुछ दिन ऐसे ही चलते रहे। एक मौका मिला घर पर कोई नहीं था, माँ पड़ोस में अंटी के घर बैठी थी और संतोष नहाने बाथरूम में गयी। मैं टॉयलेट गया हमारी बाथरूम और टॉयलेट के gate अलग-अलग 2 हैं बीच में एक दीवार है जो ऊपर से 1×1 के हॉल में खुली है। जब संतोष नहा रही थी तो मैंने उसे उस छेद से देखना शुरू कर दिया। क्या मस्त लग रही थी वो पूरी नंगी थी और उसके गुंघराले बाल उसके कमर पर पड़े थे। मुझे उस हॉल से झांकते वक्त संतोष ने देखा कि मेरी सांसें तेज हो गई थीं उस हॉल पर लटके 2 उसने देखते ही बोला “हराम जादे मुझको नंगा देख लिया, रुक जाओ माँ को बताऊंगी।”

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अब मैं बहुत डर गया था मेरे पैर कांपने लगे। संतोष जल्दी बाजी में आई और मुझे एक थप्पड़ मारा और कहा “आने दो माँ को बताऊंगी तेरी सारी हरकतें मैंने भी कहा अगर तुम मेरी बात बताएगी तो मैं तुम्हारी और विजय की बात भी बता दूंगा जो तुम उसके साथ कमरे में नंगी होकर कर रही थी।” फिर वह थोड़ी शांत हुई और बोली “अज़ाद ये सब ठीक नहीं है, मैं तुम्हारी बहन हूँ, तुम मुझे कैसे देख सकते हो?” मैंने कहा “मुझे कुछ नहीं पता, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और तुम्हें पाना चाहता हूँ।” उसने कहा “ठीक है इस बारे में बाद में बात करेंगे अब माँ आने वाली है, तुम जाओ मुझको कपड़े बदलने दो।”

और मैंने एकदम से उसका तोलीया खींच लिया वो फिर से मेरे सामने नंगी हो गई। मैं उससे चिपक गया और कहा “I love you yaar” और उसकी चुचियों पर किस कर के भाग गया। एक-दो दिन तक हमें समय नहीं मिला माँ पापा की वजह से उसके बाद माँ पापा एक हफ्ते के लिए गांव गए घूमने। मानो मेरी तो जैसे लौट आ गई हो मैं बहुत खुश था और संतोष भी मेरी नहीं, विजय से मिलने के लिए। माँ ने मुझसे कहा इस पर नज़र रखो और कहीं जाने मत दो हम जल्दी आ जाएंगे ठीक है? तुम्हारा और दीदी का ख्याल रखना। इतना कहकर माँ-पापा चले गए और मैं मुस्कुरा कर संतोष को देखने लगा और वो शर्म से देख रही थी। शाम तक सब ठीक था हमने कुछ नहीं किया अब रात को हमें एक साथ ही सोना था।

हम दोनों ने रात का खाना खाया और बिस्तर पर आ गए। मैंने संतोष को देखकर हंसने लगा तो उसने कहा “बहुत हसि आ रही है” मैंने कहा “नहीं हसेंगे कपड़े उतारो ना” उसने कहा “मुझसे नहीं उतरते, अपने आप उतर लो।” मैं खुश हो गया और एक के कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और बुरी तरह से चिपक गया दीदी के शरीर से। दीदी ने कहा “अरे पागल, अपने कपड़े तो उतर लो” मैंने भी कहा “मुझसे नहीं उतरते, खुद ही उतर लो।” वो पहले थोड़ा हसि और फिर मेरे तन से हर कपड़ा अलग कर दिया और बोली “बता अब क्या करना चाहेगा?” मैंने कहा “पहले मेरा लंड चूस ले” उसने कहा “ठीक है”।

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उसने मेरे लंड को अपने होठों से लगाया और मुंह में लेकर प्यार से चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकल गया और दीदी ने कहा “बस तुम तो पूरी रात मज़े करने के लिए कह रहे थे” मैंने कहा “अब क्या करूं जब तुम इतनी sexy हो तो कोई कैसे रोकेगा?” उसने कहा “भाई मैं विजय को बुला लूँ, मेरे दिल बहुत करना है उससे चुदने का।”

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मैंने कहा “ठीक है, लेकिन पीछे वाले गेट से आने को कहो और मैं भी चोद दूंगा तुम्हें उसके साथ।” दीदी ने कहा “ठीक है चोद दो”। थोड़ी देर में विजय आया और आते ही दीदी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले आया और मेरे सामने उसे चोदने लगा और मुझसे कहा “आओ, सीख लो चुदाई कैसे करते हैं।” दीदी बहुत तेज़ तेज़ अपनी गांड उठा कर उसका साथ दे रही थी और कह रही थी “चोद साले आज अपनी रंडी को कोई नहीं है रोके वाला पड़ दे आज मेरी चूत मेरे लंड से बड़ा था 3 फिर भी मैं अपनी बहन को मज़ा नहीं दे पाया क्योंकि मेरे खड़े होने से पहले ही झड़ गया था।

अब मैंने सोचा मैं भी दीदी को तबीयत से मज़ा कर दूँगी और दीदी की आवाज “आआआ मज़्ज़ा आया विजय अच्छा करो आज कोई जल्दी नहीं उऊय्यiiiii माँ क्या बात है!” और एकदम से विजय ने अपना लंड निकालकर मेरी बहन के मुंह में दे दिया और धक्के मारता रहा फिर थोड़ी देर बाद वो दीदी के मुंह में ही छूट गया और दीदी उसका माल बड़े प्यार से पी रही थी और लंड को चूस रही थी।

फिर विजय वहाँ से चला गया और मैं और संतोष दीदी के साथ नंगे ही सो गए। फिर अगले दिन रोज की तरह सारे काम किए और रात को खाना खाकर सो गए। मैंने कुछ भी नहीं किया दीदी के साथ 3 दिन ऐसे ही चले और फिर दीदी की चूत में खूजली होने लगी उसने मुझसे कहा “भाई एक बार कर ले ना मेरा भी काम हो जाएगा और तेरा भी”। मैंने कहा “क्यों जल्दी क्यों?” तो उसने बताया कि परसों पापा-माँ आ रहे हैं।