बहन को सुहागरात मनाना सिखाया-4
Behan ko suhagraat manana sikhaya-4
मैंने फिर भी थोड़ी और कोशिश की तो वो खुद ही मेरी गांड पर हाथ लगाकर मुझे अपनी तरफ खींचने लगी और धीरे से मेरा बचा हुआ लंड भी उसकी चूत में समा गया. करीब 1/2 घंटे तक मैंने उसकी लगातार चुदाई की और में लगातार, लेकिन धीरे धीरे अपने लंड को चूत से अंदर बाहर करता रहा और कभी में उसे अपने ऊपर लेता और कभी वो नीचे हो जाती तो में उसके बूब्स और उसकी गांड बूब्स को लगातार दबा रहा था, वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
उसे अब बहुत मज़ा आ रहा था और मुझसे अपनी चूत की चुदाई करवाने के बाद वो मेरे ऊपर पूरी नंगी पड़ी हुई थी और अब वो मुझसे बोल रही थी कि आज से पहले मुझे कभी भी अपनी चूत में उंगली करने पर इतना मज़ा नहीं आया, जो मज़ा आज मुझे आपके लंड को अंदर लेने से आया, आज आपने तो मेरी सारी अंदर की खुजली को खत्म कर दिया और मुझे यह सब करके बहुत मज़ा आया, भैया आप प्लीज हर रोज़ मेरे साथ ऐसा ही करना, मुझे आपका लंड बहुत अच्छा लगता है.
दोस्तों यह सभी बातें कहकर वो अब मेरे लंड के साथ खेलने लगी, कभी लंड को ऊपर उठाती और कभी दोनों हाथों से लंड को पकड़कर हिलाती रही और उसके कोमल नरम हाथों में मेरा टाईट लंड बहुत बड़ा लग रहा था.
मैंने भी अब उसकी चूत में अपनी उंगली डाली और में उससे बोला कि तुम्हारे भैया बहुत अच्छी तरह से जानते है कि उसकी गुड़िया को कैसे खुश रखा जाए? में उसके बूब्स को दबाने लगा और उसके होंठो पर किस करने लगा और थोड़ी देर बाद एक बार फिर से मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसको स्वर्ग का सुख दे दिया, जो उसे बहुत सालों के बाद मिला था, लेकिन हाँ दोस्तों में बता दूँ कि जब कभी भी आप अपनी बहन को चोदो तो प्लीज कंडोम ज़रूर पहना वरना आप जानते हो कि क्या हो सकता है? दोस्तों मेरी इतनी कम उम्र में ही मुझे एक बहुत ही सेक्सी और वर्जिन लड़की को चोदने का मौका मिला था.
उस दिन के बाद से में हर रोज़ और गुड़िया भी इस तरह हम दोनों एक दूसरे के बदन के सेक्स की प्यास बुझाया करते है. हमें जब जैसे भी मौका मिलता तो हम एक दूसरे का पानी बाहर निकालकर हमारे गरम बदन को ठंडा किया करते और हमे यह सभी करने में बहुत मज़ा आने लगा था और उस पहली चुदाई के बाद उसने मुझे कभी भी किसी भी काम के लिए मना नहीं किया और मैंने उस बात का फायदा उठाकर उसकी चूत की बहुत जमकर चुदाई के मज़े लिए और कुछ दिन लगातार सुबह शाम चुदाई करने के बाद मैंने एक दिन उसकी चूत को बहुत ध्यान से देखा.
दोस्तों अब उसकी चूत बिल्कुल बदल चुकी थी, चूत का रंग, आकार और उसकी सुंदरता अब पहले से भी ज्यादा अच्छी हो चुकी थी, मेरा मतलब अब मैंने उसकी चूत को चोद चोदकर भोसड़ा बना दिया था और ठीक वैसा ही हाल उसके शरीर के सभी अंगो का था, वो पहले कच्ची कली थी, लेकिन अब वो खिला हुआ फुल बन चुकी थी. उसके बूब्स, गांड, चेहरे की बनावट, चाल तक भी बहुत बदल चुकी थी.
दोस्तों अब अब वो ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम सेक्सी दिखने लगी थी और मुझे भी अब अपनी सेक्स की प्यास को बुझाने के लिए कहीं बाहर किसी दूसरी चूत का सहारा नहीं लेना पड़ेगा और जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती हम दोनों का ऐसे ही लगातार चुदाई करने का विचार है, वैसे मैंने उससे कहा था कि वो किसी को भी इस बारे में ना कहे, क्योंकि अगर पापा को पता चला तो मेरी तो हालत खराब कर देंगे. अब तो मम्मी पापा के सामने तो हम दोनों एक दूसरे से कभी कुछ ज्यादा नहीं बोलते है, लेकिन जब हम दोनों अकेले में होते है तो हम बहुत ही पागल हो जाते, क्योंकि गुड़िया को मेरा लंड भा गया था और मुझे उसकी प्यासी चूत, लेकिन फिर भी वो खुद ही हर रात को मुझे अपनी चुदाई करने के लिए बुलाया करती थी, कभी हम दोनों एक साथ में बैठकर टी.वी. देख रहे होते, तो वो धीरे से सही मौका देखकर मेरा लंड पकड़कर मसलने लगती और मम्मी के आते ही वो तुरंत छोड़ देती.
फिर उसके बाद में उसका वो इशारा चुदाई के लिए बैचेनी को तुरंत समझकर उससे ऊपर अपने रूम में जाने को बोलता और उसके थोड़ी देर बाद में भी उसके पीछे पीछे कमरे में चला जाता और फिर में उसे वहीं पर बहुत जमकर चोदता और अब में उसकी चूत के साथ साथ गांड में भी लंड डालने लगा हूँ, वैसे पहली बार हम दोनों को ऐसा करने में बहुत ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ा, क्योंकि उसकी गांड का छेद बहुत ही छोटा था, इसलिए मैंने लंड के साथ साथ उसकी गांड पर वेसलिन लगाकर पहले अपनी ऊँगली को डालकर गांड को फैलाया और जब मुझे छेद के बड़े होने का अंदाजा हुआ, तब मैंने उसको घोड़ी बनाकर लंड को गांड के छेद पर सेट करके उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और फिर में धीरे धीरे अंदर की तरफ दबाव बनाते हुए उसकी गांड में लंड को डालता रहा, जिसकी वजह से उसने बहुत उछलकुद मचाई और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी.
मैंने लंड को कुछ देर तक एक जगह पर रखकर उसके बूब्स को सहलाकर उसके शांत होने का इंतजार किया और वो हर बार लंड को मुझसे बाहर निकालने के लिए कहती रही, लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और जब वो शांत होने लगी, तब मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा, जिसकी वजह से मेरा लंड उसकी गांड से रगड़ता हुआ आगे पीछे होने लगा और मैंने महसूस किया कि अब उसकी चीखने की आवाज अब सिसकियों में बदल चुकी थी और कुछ देर बाद मैंने अपना वीर्य उसकी गांड में डालकर उसको पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया और जब मैंने लंड को बाहर निकाला तो मेरे लंड के साथ उसकी चूत से मेरा वीर्य भी बाहर निकलकर बहने लगा. उसके कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.
दोस्तों जिस दिन मैंने उसकी गांड के मज़े लिए. उस दिन हमारी अच्छी किस्मत से घर पर दो दिन तक कोई भी नहीं था, क्योंकि उसकी गांड मारने की वजह से उसकी चाल दर्द की वजह से बिल्कुल बदल चुकी थी और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चीखी चिल्लाई. अगर घर पर उस दिन हमारे अलावा कोई और भी होता तो हम दोनों पकड़े जाते, लेकिन उन दो दिनों तक हमने मज़े बहुत किए.