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बेटी की जगह माँ चुद गयी-1

(Beti ki jagh ma chud gai-1)

हैल्लो दोस्तों.. सभी रीडर्स को रोकी का प्यार.. में एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी लाईफ में घटी एक अनोखी घटना को लेकर.. लेकिन में उससे पहले उन सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी पिछली सभी कहानियों को इतना प्यार दिया और मुझे आगे बड़ने का मौका दिया और में आज फिर से अपनी एक सच्ची घटना लेकर आप सभी के सामने आया हूँ।

मेरा नाम रोकी है और मेरी उम्र 23 साल है और में इस साईट का दिवाना हूँ। दोस्तों मेरी आज की कहानी में मैंने बेटी की जगह गलती से उसकी माँ को चोद दिया। अब में सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ और थोड़ा विस्तार से बताता हूँ। मेरे घर के पड़ोस में एक घर में एक परिवार रहता है और उस परिवार में पांच लोग है.. जिसमें तीन बेटियाँ और पति पत्नी रहते है। उस घर में जो पति है वो 50 साल का है और उनका नाम हरिप्रसाद है.. उनकी पत्नी 47-48 साल की है और उनका नाम राधा है और में इन दोनों को दादा, दादी बुलाता हूँ और इनकी तीनों बेटियों को बुआजी बुलाता हूँ। उनमे सबसे छोटी बेटी का नाम मंजू है उसकी उम्र 26-27 साल है.. मंजू बुआ थोड़ी मोटी है क्योंकि वो रोज़ गर्भनिरोधक गोलियां खाती है और उसका रंग सावंला है।

आज से एक साल पहले मैंने उनको और उनकी एक सहेली छाया को चोदना शुरू किया था.. तब इन दोनों को मैंने लेस्बियन सेक्स करते पकड़ा था.. यह दोनों पूरी नंगी होकर एक दूसरे की चूत चाट रही थी और चूत में उंगली डालकर चोद रही थी। में जैसे ही कमरे में घुसा तो यह सब देखकर बहुत डर गया.. लेकिन यह दोनों सेक्स के नशे में चूर थे और इस कारण दोनों ने मिलकर मुझे ज़बरदस्ती नंगा किया और मेरे लंड को चूसकर खड़ा करके बारी बारी से मुझसे चुदवाया और उस दिन के बाद से में आज तक इन दोनों को चोदता आ रहा हूँ.. लेकिन 8 महीने बाद छाया बुआ की शादी हो गई और वो अपनी ससुराल चली गयी.. लेकिन वो जब भी अपने घर आती है तो में उन दोनों को एक साथ मिलकर चोदता हूँ।

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फिर छाया बुआ की शादी के बाद में सिर्फ़ मंजू बुआ को चोदता हूँ और हर रोज़ रात को उनके घर में जाकर उनकी चुदाई करता हूँ और कभी कभी दिन में भी उन्हें घर पर अकेले देखकर चोदता हूँ और ऐसा पिछले एक साल से हो रहा है। इस बारे में उनकी माँ (राधा) को भी पता है.. लेकिन वो किसी से कुछ नहीं कहती.. क्योंकि में जब एक दिन रात को मंजू बुआ को चोदकर जा रहा था तो मैंने राधा दादी को उनकी मझली बेटी और दामाद को कमरे में चुदाई करते देखते हुए पकड़ा था.. वो उनके कमरे की खिड़की से अंदर झाँक रही थी। दादी ने जैसे ही मुझे देखा वो एकदम से डर गयी।

फिर मैंने उनसे कहा कि में इस बारे में किसी को नहीं बताऊंगा.. लेकिन फिर भी वो मुझसे बहुत डरती है कि कहीं में यह बात किसी को ना बता दूँ। उनके पति हर वक़्त खेत पर होते है वहां पर एक छोटा सा मकान है और वो दादी को छोड़कर बाकी सब औरतों की चुदाई करते है। उनके खेत में जितनी भी मज़दूर औरतें काम करती है वो उन सभी को चोदते है और इस कारण हरी दादाजी ने पिछले 12-15 सालों से अपनी पत्नी को चोदना तो दूर ठीक से देखा भी नहीं है। तो इस तरह में रोज़ मंजू बुआ को चोदता था।

उनके कमरे में टीवी और डीवीडी है जिसमे हम लोग ब्लूफिल्म देख देखकर चुदाई करते है। हम एक अनोखी स्टाईल में चुदाई करते है.. पहले बुआजी मेरे लंड को चूस चूसकर लोहे के सरीए की तरह कर देती है और फिर उसके बाद एक बड़े से बर्तन में ढेर सारा तेल लाती है और उसमे वो मेरे लंड को डुबो देती है और फिर दोनों हाथों से मेरे लंड को उस तेल के अंदर मालिश करती है। जिससे मेरा लंड और भी चोदने के लिए मस्त हो जाता है।

ऐसा 10 से 15 मिनट तक करती है और फिर में उनको बेड पर सुला देता और उनकी चूत का मुहं खोलकर उसमे तेल डाल देता हूँ और उसके बाद में फिर से अपने लंड को उस तेल में डुबाकर चूत में घुसाता। चूत तो पहले से ही तेल से लपालप भरी होती है और मेरा लंड तेल में डूबने के कारण वो भी तेल से पूरा भीग जाता है। फिर जब में तेल से भरी चूत में लंड डालता हूँ तो लंड के घुसते ही चूत में से फच की आवाज़ निकलती और मेरा लंड एक बार में ही पूरा जड़ तक चूत में घुस जाता है और उसके बाद में चोदने लगता और तेल के कारण चुदाई के टाईम चूत में से ऐसी ऐसी आवाज़ें निकलती है कि हम दोनों उसे सुनकर मदहोश हो जाते है।

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फिर उसी तरह जब में गांड में लंड घुसाता तो उससे पहले गांड के छेद में उंगली डालकर तेल से लपालप भर लेटा और फिर लंड डालकर चोदता.. गांड मारते टाईम भी ऐसी ही आवाजें गांड से भी निकलती है और में बीच बीच में अपना लंड निकालकर तेल में डुबाकर फिर से अंदर डाल देता। में आप लोगों को बता नहीं सकता कि ऐसे चोदने में कितना मज़ा आता। उस वक्त मुझे चुदाई का इतना अनुभव नहीं था तो उस टाईम में ऐसे चोदने का मतलब समझ नहीं पाता था.. लेकिन ऐसे चोदने में बहुत मज़ा आता था। यह आईडिया मेरा नहीं था.. वो बुआजी का था.. लेकिन पता नहीं उनको ऐसी चुदाई के बारे में किसने बताया था.. लेकिन आज में उस बात को समझ गया हूँ कि ऐसे चोदने में मज़ा दुगना हो जाता है और में आप सबसे भी यही कहता हूँ कि ऐसे ही चुदकर या चुदवाकर देखिए कितना मज़ा आता है।

फिर एक दिन की बात है जब में बुआजी को रात में चोदने के बाद घर जाने लगा तो मंजू बुआ ने कहा कि कल दोपहर को घर में कोई भी नहीं होगा.. तो तुम छुपकर चले आना हम दोनों बहुत मस्ती करेंगे। तो मैंने उनकी बात मान ली और दिन के दो बजे उनके घर पहुँच गया और घर पर सच में कोई भी नहीं था.. इस कारण हम दोनों ने आराम से टीवी पर ब्लूफिल्म देखी और उसी स्टाईल में बहुत देर तक चुदाई का मज़ा लिया। फिर मंजू बुआ ने मुझे रात को भी आने को कहा और फिर में वहां से चला गया। तो मेरे जाने के बाद उनके मामाजी आए और मंजू बुआ को लेकर अपने साथ चले गये और यह सब इतना जल्दी हुआ कि वो मुझे बता भी नहीं सकी.. इसीलिए मुझे पता नहीं था कि वो घर पर है या नहीं और में रात को रोज़ की तरह उनके कमरे में चुपचाप घुस गया।

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मंजू बुआ दिन में हमेशा सलवार कमीज़ पहनती है और रात को मेक्सी पहन कर सोती है और फिर उस दिन शाम को अचानक से बहुत तेज बारिश होने लगी जिसकी वजह से लाईट भी चली गयी थी और इस कारण उनके कमरे में बहुत ही अंधेरा था। फिर मैंने अंदर जाते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मंजू बुआ की साईड में जाकर लेट गया और उनको ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया.. लेकिन बाहों में लेते ही मुझे लगा कि वो थोड़ी ज़्यादा मोटी लग रही है।