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भाभी की चाची की चूत में लंड पेला-1

(Bhabhi ki chachi ki chut me lund pela-1)

ताऊ के लड़के की शादी में मैंने एक लेडी देखी. वो मेरी भाभी की चाची थी. उसकी जवानी देख कर मेरा मन चाची की चूत मारने के लिये मचल गया. मैंने चाची की चुदाई कैसे की?

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम शिवेश है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 19 साल है. मैंने अभी तक अपनी शादी नहीं करवाई है. मैं इस साईट का नियमित पाठक हूं. मैं एक प्लेब्वॉय भी हूं और सेक्स की प्यासी औरतों, आंटियों, भाभियों और लड़कियों की मदद भी कर देता हूं.

मैंने बहुत सारी कहानियां यहां पर पढ़ी हैं लेकिन खुद की कहानी लिखने की कभी हिम्मत नहीं हुई. आज मैंने बहुत हिम्मत जुटाकर ये कहानी लिखने की कोशिश की है. इसके बारे में शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूं कि यह मेरे साथ हुई एक सत्य घटना है.

खासकर वो औरते जो कि विधवा,या तलाकशुदा है वो मेसेज करे सब कुछ फ़्री सुविधा है।

यह बात आज से 1 साल पहले की है जब मेरे बड़े ताऊ के लड़के की शादी थी.

सारे लोग बारात में गये हुए थे लेकिन मेरा उसी दिन एक एग्जाम होना था तो मैं बारात में नहीं जा सका. मैं पेपर देने के लिए दिल्ली चला गया था. दिल्ली में मेरे मामा रहते हैं. वो अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं और मैं मामा के घर पहुंच गया.

वहीं से मुझे अगले दिन पेपर देने के लिये जाना था. फिर अगले दिन मैं एग्जाम देने के लिये गया और फिर शाम तक वापस आ गया. आकर मैंने हाथ मुंह धोया और थोड़ा फ्रेश हुआ. फिर खाना खाकर मैं आराम करने लगा.

मैंने घर फोन लगा कर बारात के बारे में पूछा तो वो लोग अभी वहीं लड़की वालों के वहीं पर थे और विदाई हो रही थी. दरअसल मैं सोच रहा था कि नई भाभी को देखने का मौका मिलेगा.

फिर मैंने सोचा कि अब दिल्ली आया ही हुआ हूं तो थोड़ा घूम ही लेता हूं. भाभी तो घर में ही मिलेगी. उनको तो बाद में भी देख लूंगा.

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एक सप्ताह तक मैं दिल्ली में ही रहा और मैं वहां पर खूब मौज मस्ती की. उसके बाद मैं घर लौट आया.

घर आकर मैं अपनी भाभी से मिला. मेरी भाभी देखने में एकदम से पटाखा थी. फिर मैंने शादी की कैसेट मंगवायी और उसको सारे लोग देखने लगे. मैं भाभी की बगल में ही बैठा हुआ था.

फिर मेरी नजर वीडियो में एक लेडी पर गयी. वो लेडी बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसका फिगर देख कर ही मेरा लंड तनाव में आ गया था. मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और मैंने ठान लिया कि लौड़े की प्यास इसकी चूत चोद कर मिटानी है.

मैंने भाभी से उस लेडी के बारे में पूछा तो भाभी ने बताया कि ये उनकी चाची है.
भाभी ने कहा कि वो उनकी चाची कम और दोस्त ज्यादा है.

उसके बाद फिर सब लोग कैसेट देखने लगे. अब मेरी नजर बार बार चाची पर ही जा रही थी.

कुछ दिन बीते और भाभी अपने मायके में चली गयी. दो दिन के बाद मैंने भाभी को फोन किया. मेरा मन घर में भाभी के बगैर नहीं लग रहा था. फोन पर वो बात करने लगी.

तभी बीच में उनकी चाची भी आ गयी. मैंने चाची का हाल बताने के लिये कहा तो भाभी ने फोन को चाची के हाथ में ही पकड़ा दिया और बोली- तुम खुद ही पूछ लो चाची से कि वो कैसी हैं.

चाची ने हैलो किया तो मेरा दिल जैसे बैठ सा गया. मेरा लंड एकदम से हलचल में आ गया. हाय … क्या मधुर आवाज थी चाची की। उसकी आवाज सुन कर ही मेरा लंड पैंट में तन गया था. मैंने सोचा कि जब आवाज ऐसी है तो ये असल में कैसी होगी.

मैंने ठान लिया कि इसकी चूत तो कैसे भी करके मैंने चोदनी ही है. मैं भाभी को रोज फोन करता और भाभी से भी मज़ाक करता कि आपको भैया की याद नहीं आती है क्या?

भाभी मेरी शरारतों को समझ रही थी लेकिन हँस कर टाल जाती थी. ऐसे ही मज़ाक चलने लगा और उनकी चाची से भी मेरी बातें होने लगीं.

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एक दिन दोपहर में लेटा हुआ मैं यही सोच रहा था कि चाची का नम्बर कैसे लिया जाये और उनको चोदा कैसे जाये?
मेरे लन्ड में आग लगी थी चाची की चूत मारने की और उस दिन चमत्कार हो गया. एक अन्जान नम्बर से फोन आया मेरे मोबाइल पर!
मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई- हैलो!

मैं सोचने लगा कि ये आवाज तो कुछ जानी पहचानी सी लग रही है.
फिर मैंने पूछा- कौन?
तो उसने कहा- पहचाना नहीं?

मैं समझ गया कि ये चाची ही है.
फिर वो जोर से हँसने लगी.
मैंने पूछा कि नम्बर कैसे मिला आपको?
वो बोली- तेरी भाभी से ही लिया है. वो कह रही थी आप मुझे बहुत याद करते हो. इसलिए मैंने सोचा कि मैं खुद ही बात कर लेती हूं.

इस तरह से हम दोनों मजाक करने लगे. फिर चाची से मेरी बातें होने लगीं और कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा. एक महीने तक हम दोनों बातें करते रहे. फिर भाभी अपने मायके से आ गयी.

चाची की बातों से लग रहा था कि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई है. चाची की आवाज सुन कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलता रहता था. चाची उधर से फोन पर हंसती रहती थी और मैं मुठ मारने लग जाता था.

कई बार तो चाची को मेरी आवाजों से शायद शक भी हो गया था कि मैं उनसे बातें करते हुए अपने लंड को छेड़ा करता हूं और मुठ भी मारता हूं न जाने कितनी ही बार मैंने चाची सास को सोच कर अपने लंड का पानी रात में निकाल दिया था.

मुठ मार कर मैं हमेशा यही सोचता कि पता नहीं किस दिन मेरा ये लंड चाची की चूत में घुसेगा.
चाची का नाम बताना तो मैं आपको भूल ही गया. उनका नाम रेनू था. रेनू चाची से बात करते हुए मुझे महीना भर हो गया था और उनसे कई बार मैं डबल मीनिंग बात भी करता था.

वो भी मेरी बातों का बुरा नहीं मानती थी. बल्कि उल्टा मुझसे मजाक करने लग जाती थी और उसी लहजे में जवाब दिया करती थी जैसे मैं उससे सवाल किया करता था.

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आखिरकार फिर वो दिन भी आ ही गया. ऐसे ही मैं बैठा हुआ था कि मेरा फोन बजने लगा.
फोन उठाया तो देखा कि चाची का फोन था.

फिर उस दिन फोन पर बातें करते हुए मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और मैंने चाची को बोल दिया कि आज मेरा बहुत मन कर रहा है.
रेनू चाची बोली- तो फिर आ जाओ.

मैंने पूछा- कब आना है बताओ?
रेनू बोली- आज ही आ जाओ.
इतना सुनते ही मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. मैं जल्दी से तैयार होने लगा और घर पर मैंने बोल दिया कि मैं अपने दोस्त के घर पर जा रहा हूं.

उसके बाद मैंने बाइक उठायी और भाभी के मायके के लिए निकल गया. भाभी का मायका 40 किलोमीटर के लगभग था. एक घंटे में मैं उनके घर पहुंच गया. शाम होने वाली थी और हल्की हल्की ठंड पड़ने लगी थी.

आगे बढ़ने से पहले मैं रेनू चाची सास के बारे में बता दूं कि वो रंग की थोड़ी सांवली थी. उसका फिगर काफी सुडौल था और देखने में बहुत मस्त लगती थी. उसके फिगर के कारण ही बार बार मेरा लंड उसकी चूत मारने के लिए तड़प उठता था.

मैं सीधा रेनू चाची के घर गया. भाभी के घर के पास में ही घर था उनका. चूंकि भाभी के घर में तो सब लोग मुझे जानते थे इसलिए मैं वहां नहीं गया क्योंकि मैं अपने घर पर दोस्त के घर जाने के बारे में बोल कर आया हुआ था.