Bhabhi Sex

गांव में भाभी रेशमा के साथ देवर बबलू की सच्ची चुदाई कहानी

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम बबलू है और ये मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है। ये स्टोरी मेरी और मेरी भाभी रेशमा की है, जो मेरे दिल की रानी है। ये सब तब शुरू हुआ जब रेशमा दुल्हन बनकर हमारे घर आई थी। रेशमा की शादी को 6 साल हो चुके हैं और वो मेरे भाई की बीवी है। रेशमा अब 34 साल की है और हमारी चुदाई की ये घटना 3 महीने पहले की है। मैं जुलाई में अपने गांव गया था, जो उत्तर प्रदेश में है। मेरे गांव में मेरे बड़े ताऊ जी, उनकी पत्नी, उनका बेटा और उनकी बहू रेशमा रहते हैं। रेशमा के एक बेटा और एक बेटी है।

एक सुबह मैं देर से सोकर उठा, करीब 11 बज गए थे। पिछली रात मैंने जमकर शराब पी थी, तो उसका खुमार अभी तक छाया हुआ था। फिर मैं पीछे आंगन की तरफ गया, जहां हैंडपंप लगा था और नहाने-धोने की पूरी व्यवस्था थी। उस वक्त घर पर कोई नहीं था। ताऊ जी और भाई खेत गए थे, बच्चे स्कूल गए थे और ताई जी भी कहीं नजर नहीं आ रही थीं। मैं मुंह-हाथ धोने आंगन की ओर बढ़ा। जैसे ही वहां पहुंचा, जो सीन देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। सारी खुमारी एक पल में गायब हो गई।

मेरी रेशमा भाभी हैंडपंप के पास बैठकर नहा रही थी। उसके बदन पर सिर्फ एक लाल पेटीकोट था, जिससे उसने अपनी दोनों चूचियां ढक रखी थीं। पेटीकोट घुटनों तक फैला था। गांव में औरतें अक्सर ऐसे ही नहाती हैं। रेशमा की पीठ मेरी तरफ थी और वो ठंडे पानी से नहाने का मजा ले रही थी। उसकी पीठ दूध-सी गोरी थी। पीछे से उसकी नंगी पीठ देखकर मैं उत्तेजित हो गया। वो कमर तक नंगी थी और मेरा लंड उसकी गोरी पीठ को देखकर तन गया।

अब रेशमा ने साबुन लगाना शुरू किया। पहले उसने अपने पैरों पर साबुन रगड़ा, ढेर सारा झाग बनाया। फिर साबुन लगाते-लगाते उसका हाथ घुटनों तक पहुंचा। अचानक उसने पेटीकोट को ऊपर खींचा, लगभग कमर तक उठा लिया। अब मुझे उसकी गोरी-गोरी जांघें साइड से दिखने लगीं। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि रेशमा अंदर से इतनी गोरी और खूबसूरत होगी। उसकी जांघें मोटी, लंबी और चिकनी थीं, जैसे रोज बेसन का लेप लगाती हो। अब वो अपनी जांघों पर साबुन रगड़ने लगी, ढेर सारा झाग बनाया। उसकी झाग से भरी जांघें देखकर मेरा लंड भी बेकाबू हो गया, ऐसा लगा जैसे पेशाब छूटने वाला हो।

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फिर उसने अपने हाथ को जांघों के बीच ले जाकर वहां साबुन रगड़ा। ये सब देखकर मैं पूरी तरह आउट ऑफ कंट्रोल हो गया। तभी रेशमा ने पेटीकोट को कमर से भी ऊपर उठाया और अपनी गांड नंगी कर ली। वो तरबूज जैसे गोल-गोल चूतड़ों पर बैठ गई। हाय, उसकी गांड की बनावट क्या थी! मोटी, भारी और बीच का छेद गहरा। हर साइड का चूतड़ 10-10 किलो के तरबूज जैसा। उसने अपनी गांड पर जमकर साबुन लगाया, खूब रगड़ा। फिर गांड के छेद में साबुन लगाने के लिए अपनी उंगली अंदर घुसा दी। वो नजारा देखने लायक था!

उसकी गांड का छेद चॉकलेट की तरह ब्राउन था। वो बीच वाली उंगली को छेद में अंदर-बाहर कर रही थी। ये देखते ही मेरा माल पजामे में छूट गया। अब तक रेशमा ने पूरे बदन पर साबुन रगड़ लिया था, लेकिन उसकी चूचियां अभी भी पेटीकोट में छुपी थीं। उसने पेटीकोट को नीचे खिसकाया और अपनी दोनों चूचियां नंगी कर दीं। मैं पीछे खड़ा था और उसकी भारी-भारी गोल चूचियों को साइड से देख रहा था। भाभी की चूचियां गजब की थीं, लगता था भैया सारी रात इन्हें मुंह में दबाए रखते हों।

अब भाभी ने चूचियों पर साबुन रगड़ना शुरू किया। उसने निप्पल को पकड़कर चारों तरफ खूब साबुन लगाया। मेरे मन में उसे सामने से देखने का ख्याल आया। मैं उसकी तरफ बढ़ा और सामने जाकर खड़ा हो गया। अब उसकी नंगी चूचियां और मोटे निप्पल मेरी आंखों के सामने थे। वो दबा-दबाकर साबुन लगा रही थी। तभी मेरी नजर उसकी चूत पर गई। हाय, भाभी की चूत क्या माल थी! बड़ी-बड़ी झांटें, साबुन के झाग से सनी हुई। चूत फूली हुई थी, उसका दरवाजा बड़ा और खुला हुआ, जैसे भैया ने अपने लंड से उसे फाड़ डाला हो। चूत के होंठ गुलाबी और खूबसूरत थे।

अचानक भाभी की नजर मुझ पर पड़ी। वो चौंक गई, जैसे सांप सूंघ गया हो। अपने देवर के सामने वो लगभग पूरी नंगी थी और मैं उसे भूखे शेर की तरह घूर रहा था। शर्म से वो पानी-पानी हो गई। अपनी चूचियों को हाथों से छुपाने लगी, लेकिन इतनी बड़ी चूचियां छोटे हाथों से कैसे छुपतीं? मैंने कहा, “भाभी, शर्माने की क्या बात है? घर पर कोई नहीं है और मैंने आपको पूरा नंगा देख ही लिया है।” फिर मैंने कहा, “भाभी, आपका क्या कमाल का खजाना है! आज मैं इसे अच्छे से देखना चाहता हूँ।” इतना कहकर मैंने उसका पेटीकोट पकड़कर ऊपर से निकाल दिया।

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मैंने कहा, “भाभी, आज मुझे आपको नंगा नहाते हुए देखना है, शर्माइए मत।” वो थोड़ा नॉर्मल हुई, मेरी तरफ देखा और बोली, “बबलू, यहाँ से चले जाओ और किसी को मत बताना कि तुमने मुझे नंगा देखा।” मैंने कहा, “एक शर्त पर—आपको मेरे सामने बिना शर्माए नंगी नहाना होगा।” थोड़ा सोचकर भाभी मान गई। उसने हाथ चूचियों से हटाया और मग से पानी अपने बदन पर डालने लगी। मेरा लंड फिर तन गया। मैंने पजामा उतार दिया और भाभी के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया।

मेरे लंड को देखकर भाभी हल्के से चीखी, “बबलू, ये क्या बदतमीजी है? मैं तेरी भाभी हूँ, तू मेरे साथ ऐसी गंदी हरकत कर रहा है। मैं भैया से शिकायत करूंगी।” मुझे गुस्सा आ गया। मैंने बनियान उतारी और पूरा नंगा हो गया। अब हम दोनों नंगे थे। मैं भाभी पर झपटा और उनकी चूचियों को मुंह में दबोच लिया। निप्पल चूसने लगा, एक हाथ से दूसरी चूची मसलने लगा। इस अचानक हमले से भाभी तैयार नहीं थी और जमीन पर गिर पड़ी। मैंने एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा। मेरे इस ट्रिपल अटैक से भाभी बेकाबू हो गईं।

5 मिनट तक मैं ऐसा ही करता रहा। भाभी की सिसकियां शुरू हो गईं। उनके बदन पर साबुन लगा था। मैंने उन्हें बाहों में जकड़ लिया और मग से पानी डालना शुरू किया। सारा साबुन उतर गया। उनका गोरा बदन सोने-सा चमकने लगा। वो मेरे सीने से चिपकी थीं और मेरा लंड उनकी चूत पर रगड़ खा रहा था। अब मैं उन्हें चोदना चाहता था। भाभी जमीन पर लेटी थीं, मैं ऊपर था।

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मैंने प्यार से उनकी टांगें खोलीं और उनके कान में फुसफुसाया, “भाभी, मैं आपके अंदर जाना चाहता हूँ, आपका अमृत चखना चाहता हूँ।” वो बोली, “क्या मतलब?” मैंने कहा, “भाभी, आज मैं आपको अपना बनाना चाहता हूँ और चोदना चाहता हूँ।” वो मना करने लगी, “नहीं, ये पाप है। मैं सिर्फ अपने पति के साथ संभोग करती हूँ। मुझे अपवित्र मत करो।”

मैंने उनकी बात नहीं मानी। अपने लंड का सुपड़ा उनकी चूत पर रगड़ा। वो “नहीं-नहीं” बोल रही थीं। मैंने हल्का धक्का मारा, सुपड़ा अंदर चला गया। भाभी ने गांड उछाली, मुझे कसकर पकड़ा और सीने से चिपका लिया। उनके मुंह से “आह्ह” निकली, आंखों से आंसू छलक पड़े। वो परेशान लग रही थीं। मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए।

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फिर मैंने जोरदार धक्का मारा। हम दोनों गीले थे, तो मेरा पूरा लंड आसानी से अंदर चला गया। इस सुनामी जैसे हमले से भाभी का बदन सिहर गया। उनकी दबी वासना जाग उठी। वो मेरा साथ देने लगीं, मेरे होंठ चूमने लगीं। अपनी जांघें मेरी कमर पर लपेट दीं। मेरे हर झटके का जवाब उनकी गांड उछालकर आने लगा। मैंने हाथ उनकी गांड के नीचे ले जाकर छेद में उंगली घुसा दी।

भाभी जल बिन मछली की तरह छटपटाने लगीं। बोली, “देवर जी, आज से मेरे दो पति हैं। मुझे अपनी बीवी समझकर जी भरकर चोदो, हमेशा चोदो।” उनकी गांड का छेद मुलायम था। मैंने उंगली और अंदर घुसाई। वो बोली, “ऐसी चुदाई तो भैया ने कभी नहीं की। देवर जी, मुझे अपना अमृत पिला दो।” इतना कहकर उन्होंने मेरी गांड अपनी चूत पर दबाई और झड़ गईं। मैं अरबी घोड़े की तरह पेलता रहा। मेरा पानी निकलने वाला था। जोश में मैंने सारा लावा उनकी चूत में छोड़ दिया। फिर हम साथ नहाए। इसके बाद जब भी मौका मिला, हमने खूब चुदाई की और मजे लिए।