Bhabhi Sex

भाभी की मुलायम गांड की गर्मी का एहसास

Bhabhi ki mulayam gand ki chudai

दोस्तों, मेरा नाम सत्येंद्र है और मैं जालंधर का रहने वाला हूं। मेरी जालंधर में स्वीट शॉप है। मैं काफी समय से स्वीट शॉप चला रहा हूं। उससे पहले मैं विदेश में नौकरी करता था लेकिन जब से मैं विदेश से लौटा हूं तब से मैंने स्वीट शॉप खोल लिया और उसके बाद से मैं यही काम संभाल रहा हूं। मेरे पिताजी मेरी बहन के पास दिल्ली गए हुए थे और मेरी मां भी उनके साथ में ही थी। जब वह लोग स्टेशन में थे तो शायद मेरे पिताजी की तबीयत खराब हो गई और उन्होंने मेरी बहन को फोन कर दिया।

मेरी बहन ने उन्हें अस्पताल में एडमिट करवा दिया। मेरी बहन का जब मुझे फोन आया तो वह कहने लगी कि पापा की तबीयत काफी खराब है तुम यहीं आ जाओ इसलिए मुझे जल्दी से दिल्ली निकलना पड़ा। मैं बहुत जल्दी में था। मेरी पत्नी मुझे कहने लगी आप इतनी जल्दी में कहां जा रहे हैं? मैंने उसे कहा कि पापा की तबीयत ठीक नहीं है।

वह भी बहुत घबरा गई और कहने लगी की मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं। मैंने उसे कहा नहीं तुम घर में बच्चों का ध्यान रखो। मैं कुछ दिनों बाद ही लौट आऊंगा। मैं बड़ी तेजी में घर से निकला और जब मैं ट्रेन में था तो उस वक्त मुझे ध्यान आया कि मैंने अपने कपड़ों का बैग तो घर पर ही छोड़ दिया। मेरे पास तो जल्द बाजी में दूसरा बैग आ गया जिसमें की खाने का सामान था। मैंने सोचा कोई बात नहीं अब दिल्ली में ही कपड़े ले लिए जाएंगे। मैं ट्रेन में बैठा हुआ था मैं लगातार अपनी बहन से संपर्क में था। मैं उसे बार बार फोन कर रहा था और पूछ रहा था कि पापा की तबीयत अब कैसी है? वह कहने लगी अब आप आराम से आ जाओ घबराने की कोई बात नहीं है। डॉक्टर ने कहा है कि अब वह ठीक है। मेरी बहन लेकिन मुझे कुछ भी बताने को तैयार नहीं थी।

मैं जब दिल्ली पहुंचा तो मैं सीधा ही अस्पताल चला गया। वहां मुझे मेरी बहन मिली और उसके साथ उसके हस्बैंड भी थे। मैंने अपनी बहन से कहा कि क्या हो गया? वह कहने लगी कि पिताजी को हार्ट अटैक आया था और वह तो गनीमत रही कि उन्होंने बिल्कुल सही समय पर फोन कर दिया और हम लोग वहां पहुंच गए। मैंने अपनी बहन से कहा वह तो जालंधर के लिए ही निकले थे। मेरी बहन कहने लगी हां मैंने उन्हें ट्रेन में बैठा दिया था मैं अपनी मां से मिला तो मेरी मां बहुत घबरा रही थी। मैंने उन्हें कहा कि आप डरिए मत पिता जी ठीक हो चुके हैं। यह कहते हुए वह भी थोड़ा निश्चिंत हो गई।

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जब मैं अपने पिताजी से मिला तो वह अब पहले से बेहतर महसूस कर रहे थे। मैंने उन्हें कहा अब आप बिल्कुल ठीक हैं। मैंने उन्हें दिलासा दिया तो वह अपने आप को अच्छा महसूस करने लगे। कुछ दिनों बाद मेरी बहन उन्हें अपने घर ले गई। मैं भी अपनी बहन के घर पर ही रुका हुआ था लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने उसे कहा कि मैं बाहर होटल में कहीं रुक जाता हूं। वोह कहने लगी भैया आप कैसी बात कर रहे हैं क्या यह आपका घर नहीं है।

मैंने उसे कहा मुझे दूसरे के घर में थोड़ा अनकंफरटेबल सा महसूस होता है और इसीलिए मैं ज्यादातर बाहर नहीं निकलता। मैंने जब अपने बहन से यह बात कही तो उसे बहुत बुरा लगा। मैंने काफी दिनों से एक ही कपड़े पहने हुए थे। मैंने उसे कहा मैं कपड़े खरीदने के लिए जा रहा हूं। वह कहने लगी यही घर के पास एक बड़ी शॉप है आप वहां चले जाइए। वह हमें पहचानते भी हैं। मैं उनके पास चला गया और मैंने वहां से कपड़े खरीद लिए। अब मेरे पिताजी की तबीयत भी ठीक होने लगी थी। मैंने अपनी बहन से कहा कि मैं पापा को घर लेकर जाता हूं। काफी दिन हो चुके हैं उन्हें यहां पर। मैंने उनका रिजर्वेशन करवा दिया और उसके बाद हम लोग जालंधर के लिए निकल पड़े। हम लोग जब ट्रेन में बैठे हुए थे तो मेरी बहन और उसके हस्बैंड भी हमें छोड़ने के लिए आए थे। मेरी बहन कहने लगी मैं कुछ दिनों बाद जालंधर आऊंगी। मैंने कहा ठीक है तुम आ जाना। हमारी ट्रेन भी दिल्ली से निकल चुकी थी। हमारे बगल वाली सीट में एक फैमिली बैठी हुई थी। वह मुझे कहने लगे कि लगता है आपके बाबूजी की तबीयत खराब है। मैंने उन्हें कहा हां अभी उन्हें कुछ दिनों पहले हार्ट अटैक हां गया था।

मैंने जब उन्हें सारी बात बताई तो वह लोग इस तरीके का व्यवहार करने लगे जैसे वह मुझे कई वर्षों से जानते हैं। मैंने भी उन्हें सारी बात बता दी। उनका नाम लखविंदर था। उनके साथ में उनकी पत्नी और उनके बच्चे भी थे। उनकी पत्नी भी बड़ी अच्छी थी और वह भी बार बार मेरे पापा को कुछ ना कुछ खाने के लिए पूछ रही थी लेकिन मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए वह कुछ भी नहीं खा रहे थे और जब हम लोग जालंधर पहुंच गए तो स्टेशन पर मेरी पत्नी और मेरे बच्चे भी आए हुए थे। हम लोग वहां से अपने पिताजी को घर लेकर चले गए।

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अब मैं टेंशन फ्री हो गया था और आप अपने काम पर जाने लगे। काफी दिनों से मेरा काम भी छूटा हुआ था। मैं अपनी स्वीट शॉप में गया तो मैंने अपने शॉप में काम करने वाले लड़के से पैसो का हिसाब पूछा तो उसने मुझे कहा कि इतना ही हिसाब हुआ है। मैंने कहा कि लगता है इनकम काफी कम हो गई है लेकिन मुझे भी पता था कि उसने पैसे अपनी जेब में रख लिए है। उस समय मैंने उसे कुछ नहीं कहा क्योंकि उस वक्त मेरी मजबूरी थी। कुछ दिन लखविंदर जी और उनकी पत्नी मेरी दुकान में आ गए। अब तो जैसे उनसे मेरे घरेलू संबंध ही बनने लगे थे। उनकी पत्नी लवलीन अक्सर मेरी दुकान में आ जाती।

एक दिन वह मुझे कहने लगी भाई साहब आप कभी हमारे घर पर आइए? मैंने कहा ठीक है मैं देखता हूं जब मुझे समय मिलेगा तो मै आपके घर आ जाऊंगा। उनके पास मेरा नंबर भी था। वह मुझे अक्सर मैसेज करने लगी। मुझे समझ नहीं आया वह इतना मैसेज क्यों कर रही हैं। मैंने भी उनसे बात करनी शुरू कर दी और हम दोनों के बीच अश्लील बातें शुरू होने लगी मैं उनकी चूत मारने के लिए उतावला बैठा था।

एक दिन लखविंदर जी कहीं बाहर गए थे उन्होंने उसे मुझे अपने घर बुला लिया मैं उनके घर गया तो उन्होंने मुझे अपने बेडरूम में बुला लिया। मैं उनके बगल में ही बैठा हुआ था मैंने उनके स्तनों को दबाना शुरू किया। जब मैंने उनके कपड़े उतारे तो उनके बड़े और भारी भरकम स्तनों का मैंने काफी देर तक रसपान किया। जब मैं उनके स्तनों को चूसता तो वह पूरे मूड में हो जाती। मैने उन्हे कहा आप मेरे लंड को चूसो। उन्होंने मेरे लंड को बहुत अच्छे से सकिंग किया और जब मैं पूरे मूड में हो गया तो उन्होंने मुझसे कहा आप मेरी चूत में अपने लंड को डाल दो। मैंने भी उनकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया उनकी चूत बड़ी गोरी थी। जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत के अंदर घुसा तो मुझे बहुत मजा आया। मैंने उनकी चूत बड़े अच्छे से मारी। जब उनकी चूत के अंदर मैंने अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई लेकिन जब मैंने उनकी गांड देखी तो मैंने उन्हें कहा लवलीन जी आप मेरे लंड पर तेल लगा दीजिए। उन्होंने मेरे लंड पर सरसों का तेल लगाया और मेरे लंड को बड़े अच्छे से मालिश की।

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जब मेरा लंड पूरा चिकना हो गया तो मैंने अपनी उंगली पर तेल लगाते हुए उनकी गांड के अंदर डाल दिया। जिससे उनकी गांड चिकनी हो गई। मैंने जैसे ही उनकी गांड के छेद पर अपने लंड को लगाया तो वह खुश हो गई। मैंने तेज गति से उनकी गांड में लंड डाल दिया। जब मेरा लंड उनकी गांड के अंदर बाहर होता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता। मैंने उनकी गांड तेजी से मारनी शुरू कर दी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वह भी अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे मिलाने पर लगी हुई थी। वह अपनी बडी चूतडो को मुझसे मिलाती तो मेरे अंदर और भी ज्यादा जोश पैदा हो जाता। मैंने उन्हें कहा मुझे आपकी गांड बहुत पसंद है।

वह कहने लगी तो फिर आप और तेजी से मेरी गांड मारो मुझे भी अपनी गांड में बड़े बड़े लंड लेना पसंद है। मैंने भी बड़ी तेज गति से उन्हें धक्के देने शुरू कर दिए उनकी गांड से चिपचिपा पदार्थ बाहर आने लगा। जब मेरे अंडकोष उनकी बड़ी गांड से टकराते तो मुझे और भी ज्यादा मजा आ जाता। मेरे लंड पर लगे तेल की चिकनाई कम होने लगी थी लेकिन उनकी गांड से जो गर्मी बाहर निकलती उससे मेरा लंड गर्म होने लगा। जब उनकी गांड क अंदर मेरा वीर्य गिरा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ।