Bhabhi Sex

स्नेहा भाभी की चूत में लंड फंसाया-1

Bhabhi ne chut chudwai-1

हैलो दोस्तों में आपके लिए हाजिर हूँ एक कहानी लेकर.. दोस्तों आप सभी की तरह में भी इस साईट को बहुत चाहता हूँ आप ही की तरह मैंने भी इस साईट पर बहुत समय गुजारा है और दोस्तों में जब अपना स्कूल खत्म करके कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर आया तो में मेरे दोस्त राजेश के घर में रहता था। फिर उस दौरान मैंने राजेश की माँ (उर्मिला भाभी) और बहन (रिमी) को चोदना शुरू किया लेकिन में जब पहली बार उनके घर में गया तो घर के बाहर एक बहुत ही खूबसूरत औरत को देखा था और उसी वक़्त मैंने सोचा था कि कभी अगर मौका मिले तो में इसे ज़रूर चोदूंगा। दोस्तों उस औरत का नाम स्नेहा था। उनके पति भी राजेश के पापा के साथ एक ऑफीस में काम करते थे। ये दोनों परिवार एक ही फ्लोर में रहते थे इनके बीच बहुत अच्छे सम्बंध थे।

फिर उसके बाद में जब भी स्नेहा भाभी को देखता था तो मेरा लंड पेंट से निकलकर उनकी चूत में घुसने के लिए तड़प उठता था.. लेकिन क्या करूं स्नेहा भाभी बहुत शर्मीली औरत थी और इसलिए वो जब भी मुझे देखती थी सर झुकाकर घर में घुस जाती थी और उनका एक छोटा बच्चा था। भाभी की उम्र 22 साल थी.. लेकिन उनके पति 40 साल के आसपास थे। राजेश के पापा बहुत शराब पीते थे और एक ही ऑफीस में होने के कारण स्नेहा भाभी के पति भी उनके साथ बहुत शराब पीते थे और वो अपनी पत्नी के साथ ज़्यादा बात नहीं करते थे और ना ही सेक्स करते थे क्योंकि राजेश के पापा और वो रोज़ रात शराब पीने के बाद किसी रंडी के यहाँ जाते थे उसे चोदने के लिए.. इसलिए रात को देर से आते थे। फिर जब स्नेहा भाभी की नई नई शादी हुई थी तो उनके पति कम से कम महीने में 1 या 2 बार ही उनको चोदा करते थे.. लेकिन जब से उनकी बेटी पैदा हुई उस दिन से वो भी बंद हो गया।

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अब तो वो स्नेहा भाभी को ठीक से देखते भी नहीं चोदना तो दूर की बात थी और बेचारी स्नेहा भाभी इस भरी ज़वानी में अपने पति का प्यार पाने के लिए तरस गयी थी। फिर इस बारे में उन्होंने उर्मिला भाभी को बताया था। जब से में उर्मिला भाभी को चोदने लगा तो उन्होंने मुझे स्नेहा भाभी के बारे में बताया। तभी ये सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और में मन ही मन बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे अब यकीन हो गया कि में उनको चोद सकता हूँ.. लेकिन वो मुझसे कभी बात ही नहीं करती थी तो फिर मैंने उर्मिला भाभी से कहा कि वो स्नेहा भाभी को पटाकर चोदने में मेरी मदद करें। तभी ये सुनकर उर्मिला भाभी ने कहा कि अगर ऐसा हो जाए तो उस बेचारी की भी तमन्ना पूरी हो जाएगी.. क्योंकि उसकी ज़वानी तो अभी अभी आई है और उसे उसका मज़ा भी नहीं मिलता लेकिन उसके चक्कर में तुम हम माँ बेटी को मत भूल जाना। तभी मैंने कहा कि नहीं भाभी ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि में आप दोनों को भूल जाऊँ। फिर उसके बाद उर्मिला भाभी अपने काम में लग गयी.. स्नेहा भाभी को मेरे सामने झुकाने के लिए। वो जब भी स्नेहा भाभी से बात करती उस टाईम ज़्यादातर बात वो मेरे बारे में उनको बताने लगी और इस काम में रिमी ने भी उनकी बहुत मदद की।

फिर ऐसा रोजाना करने से तो स्नेहा भाभी मुझे देखते ही भाग जाती थी। फिर धीरे-धीरे बातों-बातों में उर्मिला भाभी ने किसी बाहर वाले से चुदवाने का आईडिया स्नेहा भाभी को दिया। पहले तो वो मना करने लगी क्योंकि वो अपने पति से बहुत डरती थी। लेकिन वो उर्मिला भाभी की बातों को बड़े ध्यान से सुनने लगी कि कैसे वो दूसरे से चुद कर जीवन का मज़ा लूट रही है। फिर उसके बाद उर्मिला भाभी ने मुझसे स्नेहा भाभी की पहचान करवा दी.. उस दिन मैंने स्नेहा भाभी से पहली बार बात की.. वो सर झुकाकर मुझसे बात कर रही थी। फिर उस दिन के बाद में जब भी उनको अकेले पाता तो चिड़ाता था। फिर धीरे धीरे वो मुझसे हँसी मज़ाक करने लगी और उर्मिला भाभी ने उनसे पूछा कि तुम्हे आशु कैसा लगता है? अगर तुम कहो तो तुम्हारी चुदाई के लिए में उसे पटा दूँ।

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तभी ये सुनकर स्नेहा भाभी थोड़ा डर गयी और थोड़ी देर बाद मुस्कुरा कर चली गयी.. क्योंकि पिछले 7-8 महीने से उन्होंने अपने पति से नहीं चुदवाया था और उनकी चूत में भी आग लगी हुई थी। तभी उर्मिला भाभी की बात सुनकर उनकी उत्सुकता और बड़ गयी और ये सुनते ही में भी ख़ुशी से झूम उठा। फिर एक दिन साहस करके उनके घर में घुस गया और उस वक़्त उनके पति ऑफिस जा चुके थे। तभी मुझे देखकर वो समझ गयी कि मुझे उर्मिला भाभी ने भेजा है। फिर मैंने उनसे इधर उधर की बातें करते करते उनका हाथ पकड़ लिया तो वो डर गयी और हाथ छुड़ाकर बेडरूम में घुस गयी। तभी में भी उनके पीछे पीछे अंदर घुस गया और अंदर जाते ही मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनके होंठ पर किस करने लगा।

तभी इस हरकत से वो थोड़ी घबराई हुई थी और फिर मैंने उनको सोफे पर बैठाया और समझाया कि वो कुछ ग़लत नहीं कर रही है और वो अपनी जवानी का पूरा आनंद उठाए वरना जब ये ढल जाएगी तो आपको पछताना पड़ेगा और में किसी से कुछ नहीं कहूँगा और उनको पूरा प्यार दूँगा और में उनके बूब्स को दबाने लगा। उनकी बेटी छोटी थी और वो माँ के दूध से ही अपना पेट भरती थी तो स्नेहा भाभी के दोनों बूब्स बहुत नरम लग रहे थे और ज़्यादा दूध के कारण उनकी चूचियाँ बहुत जोर से हिलती थी.. उनका रंग गोरा था और वो बहुत खूबसूरत थी। उनके होंठो के साईड में एक काला तिल था जो उनकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहा था। फिर में उनकी आँखों में आंखे डालकर किस कर रहा था क्या सेक्सी आंखे थी उनकी.. मेरे हाथ लगाने से ही उनके सारे रोम रोम खड़े हो गये। तभी करीब 15 मिनट तक मैंने उनको किस किया और हम दोनों की जीभ एक दूसरे से टकरा रही थी। में उन्हे स्नेहा भाभी बुला रहा था तभी उन्होंने कहा कि आज के बाद में तुम्हारे लिए सिर्फ़ स्नेहा हूँ.. तुम मुझे नाम से बुलाओगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

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फिर मैंने स्नेहा को सोफे पर लेटा दिया और उनके ब्लाउज के बटन एक एक करके खोलने लगा। उन्होंने अंदर सफेद कलर की ब्रा पहनी थी सफेद ब्रा के ऊपर से ही उनके भूरे कलर के निप्पल साफ दिख रहे थे। फिर में ऊपर से ही बूब्स को चूमने लगा और कुछ देर बाद मैंने ब्रा का हुक खोलकर उनकी चूचियों को आज़ाद कर दिया और उन्हें जोर जोर से चूसने लगा.. उनकी चूचियों में बहुत दूध था जो कि मेरे मुहं में भर गया। तभी अचानक उनकी बेटी जाग गयी और रोने लगी तो स्नेहा उठकर बेड पर लेट गयी और मेरे सामने अपनी बेटी को दूध पिलाने लगी। में उसके पीछे कमर पर हाथ रखे हुए लेटा हुआ था उनकी बेटी कुछ देर बाद सो गई तो स्नेहा ने उसे बेड से उठाकर झूले पर सुला दिया। फिर वो मेरी छाती पर सर रख कर लेट गयी और में उसके हाथ को चूमने लगा और फिर वो मेरे सामने अपने सारे दुखड़े रोने लगी।