Bhabhi Sex

भाभी ने सुहागरात में चुत चोदना सिखाई-1

Bhabhi ne suhagraat me chut chodna sikhaai-1

मेरा रिश्ता तय हुआ तो मेरी मौसेरी भाभी ने मुझे मजाक में पूछा कि सुहागरात कैसे मनाओगे. मैं शर्मा गया तो भाभी ने कहा कि मैं सिखा दूंगी. उसके बाद क्या हुआ?

यह पूर्णत एक काल्पनिक सेक्स कहानी है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप लोग इसे पढ़कर इस कहानी से अपने आपका जुड़ाव कर पाएंगे.

यह कहानी मेरी और मेरी मौसी के लड़के की पत्नी के बीच है. Suhagraat sex कहानी में भाभी का नाम पूजा रख लेते हैं. मैं अपना नाम बदल कर देव रख लेता हूँ.

कहानी की शुरुआत मेरी शादी से हुई थी. गांव में रहने की वजह से मैं बहुत ही सीधा साधा लड़का था.

मेरे मौसेरे भाई की शादी शहर में हुई थी. उनकी पत्नी यानि पूजा भाभी की कम उम्र होने की वजह से उनकी शारीरिक बनावट भी बहुत सुंदर थी. लंबे काले बाल, पतला सा मुँह उनके चूचे बहुत बड़े थे. शरीर में सबसे सुंदर उनके चूतड़ थे जो बहुत बाहर को निकले हुए थे. कुल मिलाकर भाभी एक ऐसा माल थीं, जिन्हें देखकर कोई भी उनके पास जाने के लिए लालायित हो जाता.

मेरे मौसेरे भाई अपने काम के सिलसिले में अधिकतर गांव से बाहर रहते थे और भाभी, मौसी के साथ गांव में ही रहती थीं. उनका घर मेरे घर से लगा हुआ था.

भाभी शुरू से ही मेरे साथ काफी खुली हुई थीं, वो मुझसे काफी मजाक भी कर लिया करती थीं. लेकिन शर्मीले स्वभाव का होने के कारण मैं उनसे ज्यादा बात नहीं कर पाता था.

इसी दौरान मेरे घर वालों ने मेरी शादी तय कर दी. गांव का होने के वजह से लड़की को देखने हमारा पूरा परिवार गया था. जिसमें भाभी भी साथ गई थीं. रीति रिवाज के कारण मुझे नहीं ले जाया गया था. घरवालों को लड़की बहुत पसंद आई और उन्होंने रिश्ता तय कर दिया.

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जब शाम को मैं अपनी xxx bhavi से मिला तो उन्होंने लड़की के बारे में मुझे बताया- देव तुम्हारी तो किस्मत खुल गई. तुम्हें बहुत अच्छी बीवी मिली है.
मेरी नजरों को पढ़ते हुए भाभी ने कहा- तुमको उसके बारे में जानने की इच्छा नहीं है?
मैंने हंस कर हां में सर हिला दिया.

तो भाभी कहने लगीं- वो तो मुझसे भी बहुत सुंदर है और wedding chudiyan सेक्सी भी है.
मैंने शरमा कर पूछा- कैसे?
तो उन्होंने कहा- सुहागरात में तुम्हें अपने आप पता चल जाएगा.

सुहागरात के नाम से मैं थोड़ा घबरा गया. मेरी घबराहट उन्होंने मेरे चेहरे पर पढ़ ली और मुझसे मजाक करने लगीं.
भाभी ने कहा- तुम घबरा क्यों रहे हो?
मैंने बोला- ऐसे ही … कोई बात नहीं है.

कुछ देर बाद मैं उनके पास से चला गया. लेकिन मेरे दिल न जाने कौन सी अजीब सी बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

जैसे-जैसे शादी का दिन करीब आ रहा था. मेरी घबराहट दिन पर दिन बढ़ रही थी. मुझे लगता था कि पता नहीं कि सुहागरात में क्या होगा. इसकी वजह से मैं थोड़ा उदास भी रहने लगा था, जिसे मेरी भाभी ने समझ लिया था.

एक दिन जब मैं उनके घर गया, तो वह वहां पर अकेली थीं. उन्होंने मुझसे पूछा- तुम इतने उदास क्यों रहने लगे हो?

मैंने भाभी की बात टालने की कोशिश की … लेकिन उन्होंने कहा- तुम मुझे अपनी परेशानी खुल कर बताओ, जिससे मैं तुम्हारी मदद कर सकूं.

उनके ये कहने पर मुझे बहुत अच्छा लगा … लेकिन मैं फिर भी उनसे अपनी बात नहीं कह पाया.

शायद भाभी मेरे मन की सारी बात समझ रही थीं. लेकिन वो मेरी परेशानी मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं. इधर मैं उनसे कह नहीं पा रहा था.

दूसरे दिन जब मैं उनके यहां गया, तो भाभी अपने फोन पर एक फिल्म देख रही थीं. उन्होंने मुझे देखा तो फोन रख कर मुझसे बैठने के लिए कहने लगीं. मैं उदास सा चेहरा लिए उनके सामने बैठ गया.

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कुछ पल यूं ही चुप रहने के बाद उन्होंने मुझे फोन दिया और www my bhabi com बोलीं कि मैं अभी तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं.

मैंने हल्के से सर हिला कर हामी भर दी. भाभी वहां से उठ कर रसोई में चली गईं. उनके जाने के बाद जब मैंने फोन में देखा, तो उसमें एक कामुक फिल्म चल रही थी. जिसमें एक बड़ी उम्र की लड़की एक अपने से छोटे उम्र के लड़के के साथ अपने खेतों में चुदाई के मजे कर रही थी.

उस फिल्म को देख कर मैं एकदम से हड़बड़ा गया और बाहर की तरफ देखने लगा. भाभी उधर नहीं थीं, वे किचन में जा चुकी थीं.

मैंने फिर से अपनी निगाहें मोबाइल की स्क्रीन पर टिका दीं. मैं धीरे धीरे फिल्म देखने लगा. उसमें मुझे मजा आने लगा. इसी बीच मेरे दिमाग में एक बार ये आया भी कि भाभी ने ऐसी फिल्म चलते हुए मुझे मोबाइल क्यों दे दिया. मैं अभी इस विषय पर ज्यादा सोचता कि तभी भाभी के आने की आहट हुई और मैंने मोबाइल देखना बंद कर दिया.

एक पल बाद भाभी कमरे में चाय लेकर आ गईं और मुझसे बोलीं- तुम्हें फिल्म कैसी लगी?
मैंने चेहरे पर जा सी मुस्कान लाते हुए कहा- अच्छी थी.
उन्होंने कहा कि तुम्हें फिल्म में सबसे अच्छा क्या लगा?

मैं शर्म के कारण भाभी से बोल नहीं पा रहा था.
भाभी ने बोला- शरमाओ मत मुझसे खुलकर बात करो.

उनके बार-बार कहने पर मुझे थोड़ा कॉन्फिडेंस आया. मैंने बोला कि फिल्म में जो औरत थी … वो मुझे बहुत अच्छी लगी.

भाभी बोलीं- वो तुमको औरत लगी?
मैंने कहा- हां … न..नहीं मेरा मतलब वो लड़की बहुत अच्छी लगी.
भाभी ने आंख दबाते हुए पूछा- हां अब आए न पटरी पर … तो बताओ उस लड़की में तुमको क्या क्या अच्छा लगा?
मैंने कहा- मतलब?
भाभी बोलीं- बताओ न … उस लड़की में तुमने क्या क्या देखा?

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मैं चकरा गया कि अब क्या कहूँ. मैं फिर से उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा और ऐसा शो किया कि मैं क्या बताऊं कि मुझे उस लड़की में क्या-क्या अच्छा लगा.
भाभी ने अपने मम्मे उठाए और कहा- मतलब उसके ये कैसे थे.
फिर वो पलट कर झुकीं और अपनी गांड उठाते हुए बोलीं- और उसकी ये कैसी थी?

मैं समझ गया कि भाभी पूरी मस्ती लेने के मूड में हैं.

मैंने कहा- भाभी मुझे ये सब बताने में शर्म आती है.
भाभी मेरी तरफ देखते हुए devar bhabhi bp बोलीं- तो सुन लो देवर जी … जिसने की शरम … उसके फूटे करम … ऐसे ही हथियार हिलाते रहा जाओगे.

भाभी ने जैसे ही हथियार हिलाते रह जाओगे कहा, मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

मैंने कहा- भाभी आप ये क्या कह रही हो … हथियार मतलब क्या हुआ?

भाभी ने अपनी साड़ी का पल्लू हटाया और अपनी मदमस्त sexy beeg com वाली चूचियां मेरे सामने उठाते हुए अपनी कमर पर हाथ रखा और कहने लगीं- पूरे चूतिया हो गए हो क्या … या ऐसे ही पैदा हुए थे? मैं तुमसे साफ़ साफ़ पूछ रही हूँ कि चुदाई में लौंडिया की गांड कैसी लगी और उसके मम्मे कैसे थे? और तुम हो कि मर्द के नाम पर खुद को कलंक साबित करने में लगे हो. साफ़ साफ़ बोलो कि लड़की दिखने में कैसी थी. और अबकी बार किसी तरह की सीधेपने की बात की तो देखती हूँ.