भाई-बहन की चुदाई

भाई के लण्ड से मेरे चूत की सुहागरात

Bhai Ke Lund Se Meri Chut Ki Suhagrat

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम शिल्पा है और मैं अंबिकापुर की रहने वाली हूँ। मैं कॉलेज की छात्रा हूँ, लेकिन बस पेपर देने जाती हूँ। मेरे घर में मैं, मेरा एक छोटा भाई है जो स्कूल में पढ़ता है। मम्मी हाउसवाइफ हैं और पापा महीने में तीन बार घर दिल्ली में जॉब करके आते हैं।

मेरा फिगर काफी अच्छा है, ऐसा मेरी सहेलियां कहती हैं। बॉयफ्रेंड बनाने में मेरा कोई इंटरेस्ट कभी नहीं रहा। मैं हमेशा खुलकर रहती थी, लेकिन मैंने सोचा था कि अगर मैं किसी के साथ रिश्ते में जाऊँगी तो वो सिर्फ अपने पति के साथ ही होगा। पर मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि मुझे अपने भाई से ही चूदवानी पड़ी। आइये बताती हूँ कैसे।

एक दिन की बात है, मेरी एक दोस्त ने पिकनिक मनाने का प्लान बनाया और उसने मुझे भी चलने को कहा। मैंने हाँ कह दी। मम्मी की भी इजाज़त ले ली। अगले दिन हम सब दोस्त स्कूटी से निकल गए। वहाँ पहुँचकर हम खूब मस्ती कर रहे थे। भूख लगने पर हमने खाना खाया।

खाना खाने के बाद हम सब बैठे-बैठे बातें कर रहे थे। मेरी एक दोस्त, दिशा, ने अपना मोबाइल निकाला और सबको ब्लू फिल्म दिखाने लगी। मुझे पहले कभी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी, इसलिए मेरा भी मन हुआ कि मैं भी देखूँ। उसने एक ब्लू फिल्म दिखाई जिसमें एक भाई अपनी बहन को चोदता है। ये देखकर हम सबकी चूत गीली हो गई। लगभग 10-15 ब्लू फिल्में देखने के बाद हमारी हालत ऐसी हो गई कि ऐसा लगा जैसे हमें एक-एक लंड की ज़रूरत पड़ गई थी।

पर मैंने खुद पर काबू पा लिया, क्योंकि उनके बॉयफ्रेंड थे। वो तो उनसे चूतवा लेतीं, लेकिन मैं किससे चूतवाऊँगी, ये सोचकर मैंने उस चीज़ को इग्नोर कर दिया। फिर हम सब घर आ गए। मैं अपने कमरे में गई और तुरंत नंगी होकर अपनी चूत शांत करने लगी, क्योंकि अंदर तो आग ब्लू फिल्म देख के लग ही चुकी थी।

फिर कुछ दिन यूं ही बीत गए। मेरा मन भी किसी से चूतवाने का करने लगा। पर मैं सोचती थी कि किससे चूतवाऊँ? किसी ऐसे से चुदवाना चाहती थी जिसके बारे में किसी को पता न चले। पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं बस ब्लू फिल्म देख के अपनी चूत में उंगलियां डाल के चूत को शांत करती रही। एक दिन मुझे अपने भाई को लेने स्कूल जाना पड़ा, क्योंकि वो जिस ऑटो से आता था, वो उस दिन नहीं आई थी।

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जब मैं उसके स्कूल पहुंची तो बारिश होने लगी थी और मैं रेनकोट ले कर नहीं गई थी। उस समय मैं सिर्फ एक पतले टॉप में थी जो पूरी तरह से भीग गया था। मेरी ब्रा साफ-साफ़ दिखने लगी। मुझे ख़राब लग रहा था और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने आज ही ये टॉप क्यों पहना है? फिर उसके बाद मैंने भाई को स्कूटी के पीछे बैठा कर चलने लगी। वो भीग चुका था।

वो मेरी कमर पकड़े हुए बैठा हुआ था और मुझसे चिपका हुआ था। मुझे वैसी कोई फीलिंग नहीं थी कि मुझे कुछ अच्छा लग रहा हो। फिर हम घर पहुंचे तो मम्मी बोली, “शिल्पा, तुम भी कपड़े बदल लो और अंश के भी कपड़े बदल देना। खाना तैयार है, तो लंच भी कर लेना।” मैंने ओके कहा और मैं उसे अपने कमरे में ले गई। वो मेरे बगल में ही सोता था, इसलिए उसके कपड़े भी मेरे रूम में थे।

मैंने सबसे पहले अपने कपड़े उतारे और बदले। भाई छोटा था, इसलिए मुझे उसके सामने कपड़े बदलने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। फिर मैंने पूरी नंगी होकर उसके सामने कपड़े बदले। वो मुझे घूर-घूर कर देख रहा था और मैं उसे देख कर हंस रही थी। फिर मैंने उसे नंगा किया और उसके कपड़े निकाले और फिर मैंने उसे पहनाया। उसका छोटा लंड था। जब मैं उसे पेंट पहनाने लगी तो उसकी चेन में उसका लंड फंस गया और उसकी चीख निकल गई।

मैं डर गई कि मम्मी को पता चलेगा तो वो मुझे डांटेंगी। मैंने उसे जैसे-तेसे चुप कराया, क्योंकि वो रोने लगा था। फिर मैंने दवा निकाली अपने फर्स्ट ऐड से और उसे वैसे ही नंगे में उसके लंड में अपने हाथ से दवा लगाने लगी। दवा लगाते समय उसका लंड बड़ा होने लगा था और सख्त होने लगा था। वो कुछ समझ नहीं रहा था कि ऐसा भी होता है। पर मैं सब जानती थी। दवा लगाने के बाद मैंने उसे नीचे ले कर आ गया और फिर हम खाना खाने लगे।

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खाना खाने के बाद मैं 3 बजे अपनी कोचिंग क्लास चली गई। फिर वहां से आकर मैंने घर का कुछ काम किया और फिर मम्मी की खाना बनाने में मदद करने लगी। यही काम करते-करते रात के 9 बज गए थे। फिर हम लोगों ने खाना खाया और फिर सोने चले गए। रात में सोच रही थी कि क्यों न मैं अपने भाई से ही चूतवा लूं? किसी को पता भी नहीं चलेगा और घर की बात घर में रह जायगी।

बस प्रॉब्लम ये थी कि वो किसी को ना बताये? अंश पढ़ाई कर रहा था, तो मैंने उसे बुलाया। अंश बेटा आना जरा यहाँ। वो बोला, “हाँ दीदी आ रहा हूँ।” फिर वो मेरे पास आ गया। उस समय मम्मी सो चुकी थीं। मैंने उससे कहा, “तू वहाँ दर्द तो नहीं हो रहा है न?” उसने कहा, “नहीं दीदी, अब दर्द नहीं हो रहा है।”

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मैंने कहा, “अच्छा, चल दिखा।” वो शर्माने लगा और मैंने कहा, “अरे पागल! अपनी दीदी से ही शरमायेगा क्या?” फिर वो आया मेरे पास और अपना लंड मुझे दिखाया। मैंने उसका लंड पकड़ा के उसे अच्छे से देखा और फिर थोड़ा सा हिलाया तो वो खड़ा हो गया। मैंने पूछा, “क्या डेरी मिल्क खायेगा?” उसने कहा, “हाँ दीदी खाऊंगा।” मैंने कहा, “तू किसी को बताना मत। मेरी कोई भी बात अगर तू ऐसा करेगा तो मैं तुझे रोज डेरी मिल्क खिलाऊँगी।”

उसने हाँ में सिर हिला दिया। फिर मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और खुद जमीन पर बैठकर उसका पूरा पेंट उतार दिया। उसका लंड अपने हाथ में ले कर हिलाने लगी। वो छोटा था, इसलिए मुझे डर नहीं था। जब उसका लंड अच्छे से टाइट हो गया तो मैंने उसको अपने मुंह में ले के चूसने लगी। उसे बहुत अच्छा लग रहा था मेरा ऐसा करना।

मैंने उसका लंड 20 मिनट तक चूसा और फिर नंगी हो गई। उसने कहा, “तू मेरे दूध पी जैसे तू मम्मी के दूध पीता है।” फिर वो मेरे दूध बहुत जोर से पीने लगा और काटने लगा मुझे दर्द होने लगा था। मैंने कहा, “अरे आराम कर।” फिर वो धीरे-धीरे मेरे दूध पीने लगा और मैं हलकी-हलकी सिस्कारियां भर रही थी।

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फिर उसने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत में डाल लिया और उसे अन्दर-बाहर करने को कहा। वो वैसा ही करने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” करके उससे चूदवा रही थी। फिर वो थक गया तो मैंने कहा, “अच्छा, तू बैठ।” फिर मैंने लंड पीना फिर से चालू कर दिया जब तक वो अच्छे से आराम कर रहा था। उसके बाद मैंने उससे फिर से चोदने को कहा तो वो फिर से मुझे चोदने लगा। ऐसे ही चुदाई के बाद मैं झपकी गई और फिर वो थक गया और वहीं लेट गया और सो गया।

दोस्तों, उसके बाद मैंने उससे रोज चूदवाने लगी। अब तो उसे भी मजा आने लगा है और हम दोनों बिना किसी को बताये बड़े आराम से चुदाई करते हैं। और किसी को कानो-कना खबर नहीं होती। तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। कैसी लगी आप लोगों को? उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी ये स्टोरी पसंद आई होगी। मैं ऐसे ही आपके मनोरंजन के लिए रोज स्टोरी लिखूंगी। आप सभी का मेरी स्टोरी पढ़ने के लिए धन्यवाद और इंतज़ार करियेगा मेरी अगली मदमस्त कहानी का, क्योंकि मुझे चुदवाना पसंद है!