भाई-बहन की चुदाई

भैया ने ट्रेन में ताकत लगाई-1

Bhaiya ne train me takat lagai-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम गुड्डू है और में 20 साल की लड़की हूँ और यह मेरी बिल्कुल वास्तविक कहानी है. अब में आपको अपने बारे में शुरू से बताती हूँ. दोस्तों में अपने घर में अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर की हूँ. मेरे सबसे बड़े भैया है, जो आर्मी में है और अभी उनकी शादी नहीं हुई है, मुझसे छोटा एक भाई है और में होस्टल में रहकर पढाई करती हूँ.

एक दिन मेरे भैया मुझसे मिलने होस्टल आए तो में उन्हें देखकर बहुत खुश हुई, वो सीधे आर्मी से मेरे पास ही आए थे और अब घर जा रहे थे. फिर मैंने भी उनके साथ घर जाने का मन बना लिया और कॉलेज से 8 दिन की छुट्टी लेकर में और भैया घर के लिए रवाना हो गये. अब जिस ट्रेन से हम घर जा रहे थे, उस ट्रेन में मेरा रिजर्वेशन नहीं था सिर्फ़ भैया का था, इसलिए हम लोगों को सिंगल बर्थ ही मिली. अब ट्रेन में बहुत भीड़ थी और रात के 11 बजे थे और हम इस ट्रेन से सुबह में घर पहुँचने वाले थे.

फिर में और भैया अकेले उस बर्थ पर बैठ गये, जब सर्दियों के दिन थे और आधी रात के बाद ठंड बहुत हो जाती थी. फिर भैया ने अपने बैग से कम्बल निकालकर आधा मुझे ढक दिया और आधा खुद ने ओढ़ लिया और में मुस्कुराती हुई उनसे चिपककर बैठ गई. अब सारी सवारियां सोने लगी थी और अब ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी जा रही थी. अब मुझे भी नींद आने लगी थी और भैया को भी नींद आने लगी थी. फिर भैया ने मुझे अपनी गोदी में सर रखकर सो जाने के लिए कहा तो भैया का इशारा मिलते ही मैंने उनकी गोदी में अपना सर रखकर अपने पैरों को फैला लिया.

अब में उनकी गोदी में आराम के लिए अच्छी तरह से ऊपर हो गई तो भैया ने भी अपने पैर समेटकर अच्छी तरह कम्बल में मुझे और खुद को ढक लिया और मेरे ऊपर अपना एक हाथ रखकर बैठ गये. अब तक मैंने कभी किसी पुरुष को इतने करीब से टच नहीं किया था.

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अब भैया की मोटी-मोटी जांघो में मुझे बहुत आराम पहुँचाया था और अब मेरा एक गाल उनकी दोनों जाँघो के बीच में रखा हुआ था और एक हाथ से मैंने उनके पैरों को पकड़ रखा था. तभी मेरे सोते हुए दिमाग ने एक झटका सा खाया और मेरी आखों से नींद गायब हो गई और वो वजह थी भैया की जांघो के बीच का स्थान फूलता जा रहा था और जब वो मेरे गाल पर टच करने लगा तो में समझ गई कि वो क्या चीज़ है? अब मेरी जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी. अब में समझ गई थी कि भैया का लंड मेरे बदन का स्पर्श पाकर उठ रहा है, अब ये ख्याल मेरे मन में आते ही मेरे दिल की गति बढ़ गई थी.

फिर मैंने अपने गाल को दबाकर उनके लंड का जायज़ा लिया, जो ज़िप वाले स्थान पड़ गया था. अब भैया भी थोड़े कसमसाए थे, शायद वो भी मेरे बदन से गर्म हो गये थे. तभी तो वो बार-बार मुझे अच्छी तरह से अपनी टांगो में समेटने की कोशिश कर रहे थे. अब उनकी क्या कहूँ? में खुद भी बहुत गर्म होने लगी थी. फिर मैंने उनके लंड को अच्छी तरह से महसूस करने की चाहत में अपनी करवट बदली. अब मेरा मुँह भैया के पेट के सामने था.

फिर मैंने करवट लेने के बहाने ही अपना एक हाथ उनकी गोदी में रख दिया और सरकते हुए उनकी पेंट के उभरे हुई जगह पर आकर रुकी. फिर मैंने अपने हाथ को वहाँ से नहीं हटाया, बल्कि दबाव देकर उनके लंड को देखा. अब उधर भैया ने भी मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपने से चिपका लिया था. फिर मैंने कुछ भी सोचे बिना उनके लंड को अपनी उंगलियों से टटोलना शुरू कर दिया और उस वक़्त भैया भी शायद मेरी हरकतों को जान गये थे. तभी तो वो मेरी पीठ को सहलाने लगे थे.

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अब हिचकोले लेती ट्रेन जितनी तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ रही थी, उतना ही मेरे अंदर तूफान उभरता जा रहा था. अब भैया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना होते देखकर मेरी हिम्मत बढ़ी और अब मैंने उनकी जांघों पर से अपना सर थोड़ा सा पीछे खींचकर उनकी ज़िप को धीरे-धीरे खोल दिया. फिर भैया इस पर भी कुछ कहने की बजाए मेरी कमर को कस-कसकर दबा रहे थे और भैया ने अपनी पेंट के नीचे अंडरवियर पहन रखा था. अब मेरी सारी झिझक ना जाने कहाँ चली गई थी?

फिर मैंने उनकी ज़िप के खुले हिस्से से अपना हाथ अंदर डाला और उनके अंडरवियर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके भारी लंड को बाहर खींच लाई, लेकिन अंधेरे के कारण में उसे देख तो ना सकी मगर हाथ से पकड़कर ही ऊपर नीचे करके उसकी लंबाई मोटाई को नापा, उनका लंड लगभग 7-8 इंच लंबा और 3-4 इंच मोटा था. अब मेरे दिल के सारे तार झनझना गये थे. अब इधर मेरे हाथ में लंड था तो उधर मेरी पेंटी में कसी मेरी चूत बुरी तरह से फड़फड़ा उठी थी.

इस वक़्त मेरे बदन पर टाईट जींस और टी-शर्ट थी. अब मेरे इतना करने पर भैया भी अपने हाथों को बेझिझक होकर हरकतें देने लगे थे. अब वो मेरी शर्ट को जींस से खींचने के बाद उसे मेरे बदन से हटाना चाह रहे थे तो में उनके दिल की बात को समझते हुए थोड़ा ऊपर उठ गई तो भैया ने मेरी नंगी पीठ पर अपना हाथ फैरना शुरू किया तो मेरे बदन में करंट दौड़ने लगा था.

फिर उन्होंने अपने हाथों को मेरी चूचियों पर पहुँचाया तो मैंने सिसकी लेकर झटके खाते हुए लंड को अपने गाल के साथ चिपकाकर ज़ोर से दबा दिया. अब भैया मेरी चूचियों को सहलाते-सहलाते धीरे-धीरे दबाने भी लगे थे. फिर मैंने उनके लंड को अपने गाल से सहलाया तो भैया ने एक बार फिर से बहुत ज़ोर से मेरी चूचियों को दबाया और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई. अब हम दोनों में इस समय भले ही बातचीत नहीं हो रही थी, मगर हम एक दूसरे के दिल की बातें अच्छी तरह समझ रहे थे.

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अब भैया अपने एक हाथ को सरकाकर पीछे की और से मेरी पेंट की बेल्ट में अपना हाथ घुसा रहे थे, लेकिन मेरी पेंट टाईट होने की वजह से उनकी थोड़ी-थोड़ी उंगलियाँ ही अंदर जा सकी. फिर मैंने उनके हाथ को सुविधा अनुसार मन चाही जगह पर पहुँचने देने के लिए में अपने हाथ को नीचे लाई और अपनी पेंट की बेल्ट को खोल दिया. फिर उनका हाथ अंदर पहुँचा और मेरे भारी-भारी चूतड़ो को दबोचने लगा और फिर उन्होंने मेरी गांड को भी अपनी उँगलियों से सहलाया.

फिर उनका हाथ जब और नीचे यानी मेरी जांघो पर पेंट टाईट होने के कारण नहीं पहुँच सका तो वो अपने हाथ को पीछे से खींचकर सामने की और लाए. फिर इस बार उन्होंने मेरी पेंट की ज़िप खुद खोली और मेरी चूत पर अपना हाथ फैरा. अब मेरी चूत पर उनका हाथ लगते ही में बैचेन हो गई थी. अब वो मेरी फूली हुई चूत को अपनी मुठ्ठी में लेकर भींच रहे थे. फिर मैंने बेबसी से अपना सर थोड़ा सा ऊपर उठाकर भैया का सुपाड़ा चूमा और उसे मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन उसकी मोटाई के कारण मैंने उसे मुँह में लेना उचित नहीं समझा और उसे अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी.