भैया विदेश में भाभी की चूत और मेरा लंड ऐश में
Bhaiya videsh me bhabhi ki chut aur mera lund aish me
प्रिय पाठकों, सबसे पहले आप सबको मेरा नमस्कार।
मेरा नाम विक्की है।
मेरी उम्र 24 साल है, मैं अहमदाबाद में रहता हूँ।
यह कहानी जो मैं आप सबको सुनाने जा रहा हूँ वो सच्ची है और उम्मीद करता हूँ कि आप सबको बेहद पसंद आयेगी।
बात कुछ महीने पहले की है।
हम फ़्लेट में रहते है और नीचे एक परिवार रहता था।
भाभीजी की उम्र 29 साल थी और उनका मस्त फिगर था।
उनके पति और 5 साल का बेटा था।
उनके पति एक कम्पनी में आइटी मैनेजर थे और अकसर विदेश जाया करते थे।
जब मैंने पहली बार भाभी को छत पर देखा तब वो कपडे सूखाने आईं थीं।
ग़ज़ब सेक्सी लग रही थीं वो।
मेरा लंड तो तभी फ़ुफ़वारे छोडने लगा और मैं पहले दिन से ही भाभी को चोदने के सपने देखने लगा।
भाभी की चूचियाँ इतनी सेक्सी थीं की देखते ही मेरे 9 इंच के लंड में पानी आ जाता था।
मैं उनको ताडता रहता और उनकी प्यारी-प्यारी गोल-गोल चूचियाँ निहारता रहता था।
अपने लंड को समझाता था कि बेटा शांति रख, एक दिन जरुर मिलेगी भाभी की चूत चोदने को।
मैं ये नहीं समझ पा रहा था कि भाभी से बात करूँ तो कैसे करूँ।
फिर एक दिन मैं उनके बेटे को चोकलेट दिलाने के बहाने बाहर ले गया और धीरे-धीरे मैं उससे काफ़ी घुलमिल गया था।
रोज उसे अपने कमरे में ले आता था।
भाभी बेटे के बहाने ऊपर आती थीं और उसे लेकर चली जाती थीं।
अब मैं भाभी से बातें करने लगा था और नीचे भी अकसर क्रिकेट देखने के बहाने चला जाता था।
जब भी मैं टीवी देखने नीचे जाता था तब वो चाय जरुर पिलाती थीं।
एक दिन चाय पीते-पीते मैंने भाभी से पूछा – भाभी, भैया अकसर बाहर रहते है तो आपका मन कैसे लगता है इतने बडे घर में?
भाभी बोलीं – बस, मैं, मेरा बेटा और मेरी तन्हाइ।
मैंने सोचा भाभी तो आसानी से पट सकती हैं।
बस थोडा पहल करने की जरूरत है।
अब तो मैं चुदाई के सपने दिन-रात देखने लगा था।
एक दिन भाभी ने मुझे नीचे बुलाया और बोलीं – विक्की, मुझे कुछ खरीदना है तो क्या तुम मेरे साथ चल सकते हो?
मेरा बेटा तुमसे मिला हुआ है और तुम उसे सँभाल लोगे।
मैंने मन में कहा – भाभी, सँभाल तो मैं तुम्हे भी लूँगा।
मैंने जल्दी से हाँ कर दी और हम पास में ही एक मॉल में चले गये।
भाभी ने वहाँ से चार पैन्टी, चार ब्रा और कुछ मेकअप का सामान लिया।
इतने में मेरे दिमाग में शरारत आई और मैंने भाभी से कहा – भाभी, ये आपकी ब्रा कितने नंबर की है?
वो बोलीं – तुमसे क्या मतलब? तुम्हें क्या करना है?
मैं बोला – मुझे लगता है ये आपको छोटी होगी।
भाभी तपाक से बोलीं – नहीं, मेरा साइज 34 है, और ये ब्रा भी 34 की ही है।
मैं मुस्कुराया और भाभी शरमा गयी।
फिर हमने चाट खाई और काफ़ी सारी मस्ती की।
अब तो भाभी भी मेरे से मजाक करने लगी थीं।
जब भी किसी कपल को देखतीं तो कुछ ना कुछ मजाक कर देतीं।
मैं भी पीछे हटने वाला नहीं था तुरंत एक चूलबूला सा जवाब दे देता और भाभी खिलखिला कर हंस पड़ती।
शाम के करीब सात बज चुके थे।
मैंने भाभी से बोला – भाभी, अब चलो ना।
मुझे तेज भूख लगी है और काफ़ी थक भी गया हूँ।
फ़िर हमने आटो किया और घर आ गये।
घर में जाते ही मैं भाभी के बेड पर लेट गया और भाभी से बोला – भाभी, आज तो आपने पूरी तरह से थका ही दिया।
भाभी बडे प्यार से बोलीं – आज तूम खाना यहीं खाना और यहीं सो जाना।
इतना सुनते ही मैं खवाबों में खो गया और आज रात की चुदाई के सपने देखने लगा।
रात के करीब दस बज चुके थे।
हम सब ने खाना खा लिया था।
उनका बेटा पापा के लिए रो रहा था और भाभी उसे समझने की कोशीश कर रही थीं पर वो मान नहीं रहा था।
फ़िर मैं उसे बाहर ले गया चोकलेट दिलाई और वापस आते-आते वो सोने लगा।
मैं घर आकर भाभी से बोला – ये तो सो गया है।
तो भाभी बोलीं – इसे धीरे से मेरी बगल में लेटा दो।
जैसे ही मैं उसे उनकी बगल में लेटाने गया तो मेरा हाथ भाभी कि एक चूची को छू गया और भाभी कुछ सकपका गयी पर कुछ नहीं बोलीं।
उसके बाद मैं भी उनके कमरे में टीवी देखने लगा और उनसे बाते भी करने लगा।
रात के बारह बज चुके थे।
अब भाभी को नींद आ रही थीं पर मैं उनसे पहले सोने का नाटक कर रहा था।
थोडी देर बाद भाभी को लगा कि मैं सो गया हूं तो उन्होने टीवी बन्द कर दिया और रोशनी भी बन्द कर दी और बिस्तर पर आकर लेट गयी।
करीब आधे घंटे के बाद मैं बाथरुम जाने के बहाने उठा और बिना रोशनी किये ही बाहर चला गया।
अंधेरे में ही वापस आ गया।
फिर मैं अंधेरे में ही बेड पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था कि तभी मेरा हाथ भाभी की चूची पर लगा।
उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
फिर मैं अंधेरे में ही बेड पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था कि तभी मेरा हाथ भाभी की चूची पर लगा।
उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
फिर में धीरे से जाकर उनके बगल में लेट गया और एक हाथ उनकी पहाड़ जैसी एक चूची पर रख दिया और दबाने लगा।
शायद भाभी भी जग रही थीं पर उन्होने बिल्कुल मना नहीं किया।
इसलिए मेरा होसला और बढ गया और मैंने अपना हाथ उनकी ब्रा के अन्दर डाल दिया और कस के दबाने लगा।
इसके बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा था और वो खुद ही मुझसे चिपकने लगी।
फिर मैंने अपना दूसरा हाथ उनकी चूत पर रख दिया और धीरे-धीरे उंगली करने लगा और वो ऊफ़ ऊफ़ ऊफ़ ऊफ़………… की आवाज़ें निकालने लगी।
भाभी ने भी मेरा लंड पेन्ट के अन्दर से पकड लिया और मेरा लंड रोकेट की तरह से उड़ने के लिये तैयार था।
फ़िर धीरे से मैंने भाभी की ब्रा का हूक खोल दिया और दोनो चूचियाँ गुबारे की तरह हवा मे आजाद हो गयीं।
अब मैंने उनको चूसना शूरु कर दिया।
भाभी पूरी तरह से गर्म हो चूकी थीं और उनकी साँस तेज़ थीं।
वो लगातार बोल रही थीं – और तेज़ डार्लिन्ग और तेज़।
अब वो जोर-जोर से मेरे लंड को चूसने लगी थीं।
भाभी के जिस्म को देखकर लग रहा था की भाभी को कई दीनो से लंड नसीब नहीं हुआ है।
मेरा 9 इन्च लम्बा लंड लेने के लिए भाभी तड़प रही थीं और बेड पर कमर और चूत चूत रही थीं।
मैं उनकी चूचियों को सहला रहा था जिससे उनकी साँस और तेज हो रही थी।
अब हम दोनों नंगे हो चुके थे और एक दूसरे से लिपट रहे थे।
भाभी की चूत बिलकूल साफ़ थी और नये गद्दे की तरह उभार ले रही थी।
अब मेरा सपना पूरा हो रहा था।
मैंने भाभी की एक टांग अपने कन्धे पर रखी और धीरे से लंड को उनकी चूत के अन्दर घूसाने की कोशिश की पर चूत थोडी सी कसी थी इसलिए आसानी से नहीं घूस रहा था।
मैंने सोचा थोड़ी सी वेसेलीन लगा लूँ।
फिर सोचा नहीं आज बिना वेसेलीन के ही चोदूँगा।
मैंने थोडा सा जोर लगाया और लंड 3 इंच अन्दर जा घुसा।
भाभी चीख़ उठीं और बोलीं – निकालो बाहर, मैं मर जाऊँगी।
फिर मैंने 3 मिनिट तक अपने को रोके रखा और चूचियों और होंठों से खेलता रहा।
भाभी को और मजा आ रहा था धीरे-धीरे नीचे का दर्द भी कम हो गया।
अब मैंने दूसरा जोर से धक्का मारा और मेरा लंड बिल्कुल प्लग की तरह फ़िट हो गया।
अब मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे कर रहा था।
भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं।
अपनी कमर को ऊपर-नीचे कर रही थीं और कह रही थीं – तेजी से मारो मेरी चूत को, फ़ाड दो आज इसे, तेरे भैया ने आज तक एसे नहीं चोदा कभी।
करीब पच्चीस मिनिट तक मैं चोदता रहा।
फिर मैं झडने वाला था तो मैंने भाभी से पूछा – भाभी, अन्दर छोडू या बाहर?
भाभी बोलीं – बस तूम तेज करते रहो।
मैंने चुदाई और तेज कर दी।
भाभी बोलीं – और तेज, मेरे राजा और तेज़।
कुछ ही देर मे भाभी झड गयी और मुझे जोर से कस कर पकड लिया।
अगले 10 सेकन्ड में मैंने भी अपना सारा माल भाभी की चूत मे उगल दिया।
आधे घन्टे तक मैं और भाभी बिस्तर पर ही पडे रहे और उसके बाद फ़्रेश होने चले गये और वापस आकर सो गये।
सुबह भाभी मेरे से नज़रे नहीं मिला पा रही थीं, पर मैंने भाभी को पीछे से पकड लिया और कहा – कल रात जो कुछ हुआ, वो सब एक सपना था।
इस बात पर भाभी मुस्कुरा पड़ी।
अब मैं भाभी को अकसर चोदता रहता था।
आपको मेरी कहानी केसी लगी?
यह ज़रूर बताएँ।