भतीजी के साथ यौन संभोग का मजा
नमस्ते दोस्तों, मैं मानव हूँ और फिर से आपके लिए एक नई कहानी लेकर आया हूँ। यह मेरा व्यक्तिगत और सच्चा घटना है। आप जानते हैं कि मैं कितना साहसी हूँ। यह कहानी मेरे भाभी के साथ हुई है। वह मेरी दूर की भाभी है, जिसे मैंने उसकी शादी के बाद छोड़ दिया था।
मेरी भाभी का नाम कुसुम है। वह राजस्थान में हनुमानगढ़ में रहती हैं। उसका शरीर देखकर कोई भी उस पर मर सकता है। इतना सुंदर और आकर्षक है उसका फिगर 34-30-36। रंग एकदम गोरा है, लंबाई 5’5” है। पेट बिलकुल अंदर की तरफ। और इतनी कमाल की चालें हैं कि बस पूछो मत। बाल काले और गांड के नीचे तक लंबे हैं।
मैं भी बैंक में नौजवान हूँ। 5’8” लंबा हूँ, और मेरी उम्र इस समय 29 साल है।
अब सीधे कहानी पर आते हैं।
कुसुम को मैंने पहली बार सात साल पहले किसी शादी में मिला था। उस समय मैं 22 का था, और वह 18 की कमाल की खूबसूरत लड़की थी। उसे देखते ही मेरी नजर उस पर आ गई। मुझे वह बेहद पसंद आई। और वह भी बार-बार मुझे देख रही थी।
हमारे बीच बार-बार नज़रें मिल रही थीं। लेकिन हम शादी में अपने काम में लगे थे। मैं उसे शादी के सपनों में सजाने लगा था।
मेरे चाचा की बेटी की शादी थी। उन्होंने मुझे बुलाया। वह भी वहाँ आई। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखकर मुस्कुराए। लेकिन बिजली तब गिरी जब चाची ने हमारा परिचय कराते हुए बताया कि वह मेरी दूर की भाभी लगती है। हम इतने हैरान थे कि क्या कहें।
फिर चाची ने कुछ काम बताए। छत वाले कमरे से कुछ लाना था। तो मैंने जाते समय उसे इशारा किया। वह भी मेरे पीछे आई।
ऊपर वाले कमरे में मेरे किस्मत से कोई नहीं था। उसने आते ही मुझे छूटा – बोला चाचा जी?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला – कुसुम मैं नहीं जानता क्या सही है? लेकिन मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
उसने कहा – प्यार तो मुझे भी है आपसे। पर आप मेरे चाचा हैं।
मैंने कहा – तो क्या हुआ? प्यार करते समय हमें पता नहीं था। हम अब भी प्यार कर सकते हैं।
उसने अपना सर झुका लिया और कुछ नहीं बोली।
मैंने उसे अपनी बाहों में गले लगा लिया। उस समय वह पंजाबी सूट पहनी हुई थी। पंजाबी सूट में वह गुलाब का फूल लग रही थी।
मेरी बाहों में वह पिघलने लगी। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखे रहे। पता नहीं कब मेरे होंठों ने उसके मुलायम होंठों को अपने अंदर समेट लिया।
अचानक किसी के कदमों की आवाज ने हमें अलग कर दिया। अब तक हम दोनों एक-दूसरे के हो चुके थे। फिर हमने चाची का लहंगा अलमारी से निकाला और अलग-अलग नीचे चले गए।
मैं वहाँ चार-पाँच दिन रहा। हम पूरे दिन मस्ती करते रहे। जब भी मौका मिलता, हम दोनों एक हो जाते थे और चुंबन करते। मैं उसके खूबसूरत गोले, सफेद, बड़े-बड़े उभारों को दबा देता। यह मौका मिलने पर एक दो बार चूस भी लिया था। लेकिन इससे ज्यादा करने का मौका नहीं मिला।
एक दिन तो मेरी बड़ी बहन ने हमें चुंबन करते देखा था। लेकिन कुछ नहीं बोली।
फिर हम अपने घर आ गए। लेकिन मैं महीने में एक बार उसके शहर जरूर जाता था। उसे किसी रेस्टोरेंट में मिलता।
लेकिन हमें शारीरिक संबंध का सुख नहीं मिला।
इस तरह पाँच साल निकल गए। और मेरी शादी हो गई। लेकिन उससे शारीरिक संबंध की इच्छा मेरे मन में अब भी पूरी नहीं हुई थी। अब तक मैं पूरी तरह से तरक्की कर चुका था.
अब हम दोनों पति-पत्नी हैं। कुछ दिन पहले मेरी पत्नी के ननिहाल गए थे। तब मुझे पता चला कि कुसुम की शादी यहीं हुई है।
मेरी बात सुनते ही वह भी दौड़कर आई। मेरे दिल की धड़कनें भी बढ़ने लगीं। मन बल्लियो उछल रहा था।
जब मेरी जान मेरे सामने आई तो मैं खड़े-खड़े ही फ़िदा हो गया था।
क्या रूप निकला था।
जैसा हमारे यहां रिवाज है, उसने शादी की पोशाक पहनी थी। क्या सितम दिखा रही थी उसकी जवानी। काली साड़ी कमर के नीचे बांधी थी। उसकी नाभि दिख रही थी। नितंबों का उभार बढ़ गया था। उसका एकदम सफेद दूधिया शरीर काली शादी में चमक रहा था। स्तन और भी बड़े हो गए थे। ब्लाउज भी डीप कट था। आह्ह्ह्ह्ह…. जो उसके स्तनों की गुहा को स्पष्ट दिखा रहा था।
उसकी पतली कमर लचक-लचक रही थी। उसे देखते ही लंड महाराज खड़े हो गए। जिसे मैंने बहुत मुश्किल से छुपाया था। उसकी गोरी कमर और पेट मुझे मदहोश कर रहा था। उसका गोरा वक्षस्थल मुझे पागल कर रहा था।
फिर उसने मुझे और मेरी पत्नी को डिनर पर बुलाया। और मैंने जल्दी से हां कहा। लेकिन मेरी पत्नी नहीं जाना चाहती थी। क्योंकि वह अपने माता-पिता और परिवार के साथ रहना चाहती थी। शाम को मेरी पत्नी ने जाने से मना कर दिया। लेकिन मैंने जाना ठीक समझा। और मन ही मन अपनी पत्नी को धन्यवाद दिया।
उसका घर बहुत सुंदर था और उस तरह ही सजा हुआ था।
मुझे जाने पर पता चला कि घर पर बस वह और उसके पति ही हैं। बच्चा अभी नहीं हुआ था। और ससुर-सास उसके पोते की मनन लेकर तीर्थ पर गए हैं।
उसके पति रमेश ने मेरी अच्छी आवाज भगत कितनी। लेकिन वह शराबी था, मुझे बाद में पता चला। रमेश ने मेरे साथ भोजन नहीं किया।
मेरे भोजन करने के बाद। दोनों ने मुझे रात में रुके रहने को कहा।
मैं तो यही चाहता था। मैंने पत्नी को फोन करके बता दिया।
हम लोग बरामदे में बैठे थे। उसके साथ ही रसोई थी।
थोड़ी देर बाद। रमेश बोला – चाचा जी मैं अब आता हूँ। और चला गया।
कुसुम बोली – चले गए शराब पीने!
और उदास होकर बोली – रोज बहुत ज्यादा शराब पीते हैं।
वो रसोई में चली गई।
मैं तो पहले ही मौके पर चौके का उस्ताद हूँ। धीरे से उसके पीछे मैं भी रसोई में चला गया।
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी। क्या चुच्चे थे, दोस्तों!
मैंने पीछे जाकर उसकी चिकनी कमर पर अपने हाथ बढ़ा दिए। मेरा हाथ फिसल कर पेट की तरफ चला गया।
क्या मुलायम और चिकना पेट था। मैं बता भी नहीं सकता।
मैं उसके ठीक पीछे खड़ा था। मेरा लिंग उसकी गांठ को छू रहा था।
मेरे होंठों ने उसका गर्दन गर्म करने शुरू कर दिया। उम्म…ह्ह्ह्ह!
अब वह पीछे हट गई। उसका गोरा, कमाल का, गरम शरीर मेरा शरीर से चिपक गया था। वह पिघलकर मेरे अंदर समा जाना चाहती थी।
हमारी वर्षों की तमन्ना पूरी हो रही थी
मेरा एक हाथ उसके मुलायम पेट को सहला रहा था। उसकी नाभि के साथ खेल रहा था। और दूसरा हाथ उसके बड़े वक्ष को मालिश कर रहा था।
मैंने अपना एक हाथ उसके गहरे कट लुस में डालकर। उसके उरोज (बॉब्स) को मालिश करने लगा। कितना मखमली अहसास था…..आह्ह..आआ…आह्ह्ह!
वो भी कम वेग से बोझिल हो रही थी। अपना सारा वजन मुझ पर डाल रही थी। मेरे होंठ अब भी उसके कानों से होते हुए। उसके गले के पीछे और बड़ी गर्दन की ब्लाउज से पीठ पर घूम रहे थे। उसके दोनों हाथ मुझे कमर के पास पकड़ कर कस कर खिंच रहे थे। उसकी आँखें बंद हो रही थीं। और वो मुझको कस कर काट रही थी।
मेरा लिंग कपड़ों को चीरकर उसमें समाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
मैंने उसकी साड़ी को पीछे से ऊपर उठा दिया। देखा कि उसने पैंटी नहीं पहनी थी। मेरी पैंट की ज़िप खोलकर मैंने लिंग उसके चुतड़ो की दरार में चिपका दिया।
मेरे लिंग की गर्मी उसे पागल कर रही थी।
इसके साथ ही मैंने दाहिने हाथ से उसकी आगे की साड़ी उठाई। और उसकी चुत पर हाथ लगाया। उममाह्ह्ह…क्या मुलायम फुली हुई, क्लीन शेव चुत थी। मेरी प्यारी सेक्सी भाभी की चिकनी चुत बिलकुल गीली हो चुकी थी। उसका रस जंगो पर फैलने लगा था।
अब वो बिलकुल पलट गई। और उसका मुंह ठीक मेरे मुंह के सामने था। उसकी आँखें वासना से लाल हो चुकी थीं। लबों से रस टपक कर आने को आतुर लग रहा था। उसका चेहरा गुलाबी हो गया था। जैसे किसी ने दूध में केसर उड़ेल दिया हो।
उसके कामुक शरीर की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया था। अब मेरे लबों ने उसके लबों को चूसना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे मुंह में आ गई ही। बिलकुल मिठाई जैसा स्वाद दे रही थी।
मेरे दोनों हाथ उस काम देवी के चेहरे को थामे हुए थे। अचानक उसके पति के लड़खड़ाते कदम की आहट हुई। हम दोनों अलग हो गए। रमेश लड़खड़ाते हुए किचन में आया।
आ गए आप। चाचा जी बैठे बैठे बोर हो रहे थे। तो रसोई में बात करने आए।
यह कुसुम की आवाज थी।
फिर हम बारंबार में आ गए। रमेश ने जैसे तैसे खाना खाया। और फिर सोने चला गया।
हम फिर अकेले हो गए। उसने मेरा बिस्तर अपने ससुर के कमरे में लगाया। जिसमें दो सिंगल बिस्तर थे। जिसमें से एक उसने मुझे दिया।
यह कमरा उसके कमरे के लगभग सामने था।
मैं फिर उसके नजदीक जाने लगा। तो उसने मना कर दिया। बोली – चाचा जी, ना छेड़ो, थोड़ा सब्र करो। फिर मैं तुम्हारी ही हूँ।
अब तो एक पल एक साल की तरह गुजर रहा था।
फिर उसने बर्तन साफ़ किए। और बाकी काम करके अपने कमरे में चली गई।
करीब एक घंटे के बाद वो मेरे कमरे में आई। और बताई कि उसका पति 2 बजे से पहले कभी नहीं उठता। और फिर भी वह बाहर से कुंडी लगा आई।
वो नहाकर आई थी। गुलाबी शरीर पर उसने पर्पल नाईटी पहनी थी। क्या कामयाब लग रही थी। मैं तो पहले ही अपने कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में था।
वो जैसे कामवासना की आग में जल रही थी। उसने अंदर से कुंडी लगा दी। और सीधे आकर मेरे ऊपर लेट गई। उसकी चुत मेरा लिंग रगड़ रहा था।
उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। उसके हाथ मेरे सिर को सहला रहे थे।
उसका पूरा शरीर तप रहा था।
अब उसने अपनी नाईट भी उतार फेंक दी थी। वो बिलकुल मेरे सामने नंगी खड़ी थी।
उस वक्त मुझे कोई स्वर्ग भी दे। तो मैं उसे उस अप्सरा के लिए कर दूंगा।
वो मेरे घुटनों के पास ही बिस्तर पर खड़ी थी। ऐसी LED की तौर पर चमक रही थी वो। उम्म…ह्ह्ह..!
अब वो फिर से मेरे ऊपर लेट गई। हमने फिर 5 मिनट तक दूसरी की जीभ को रगड़ा। मेरे हाथ उसके पीठ को सहला रहे थे।
अब मैंने उसे अपने ऊपर से दौड़ाया और लुढ़का लिया। और फिर उसके ऊपर आ गया। फिर मैंने उसके पैरो के बीच बैठकर। अपने दोनों पैर उसके कमर के दोनों तरफ से निकाल लिए।
अब मैं अपने अंडरवियर के छेद से अपना लिंग निकाल कर। उसकी चुत पर रगड़ने लगा। और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स दबाने लगा।
अब वो आह….आमम्म…एईईई….आह्ह्ह! कर रही थी। पर मैं कोई जल्दी नहीं करना चाहता था।
मैं 4-5 मिनट तक उसके पेट, कंधे, बूब्स उसकी बगल पर अपने हाथ घुमाता रहा। और वो आह्ह…उमम्म….ओओOhhh.. करत रही थी।
अब मैंने उसे पलट दिया। और उसकी पूरी पीठ को सहलाते हुए। कभी चाट रहा था। तो कभी काट रहा था। उसकी सिक्सकिया बढ़ गई ही।
फिर मैंने उसके कूल्हे, पैरों, जंगो को भी चाटा। बिलकुल चिकनी और सफेद टांगें थीं उसकी।
अब मैंने उसे फिर पलट दिया। अब वो सीधी हो गई। इतनी मस्त लग रही थी। कि मन कर रहा था कि खुद में उतर लूँ।
खैर वो आह…..उ्ह्ह्ह…..ओऊुु…..ओईई.. की जा रही थी। उसकी चुत लगातार टपक रही थी।
अब मैंने उसके माथे पर चुंबन किया। और बड़ी काली आँखों, तीखे नाक भरे। और गुलाबी सफेद गाल लंबी गोरी गर्दन कंधों को सहलाते हुए चाट गया था।
अब मैंने उसके स्टैनो को छूना शुरू किया। चाटना शुरू किया। जिससे उसकी सिक्सकिया तेज हो गई। शरीर अकड़ने लगा, उसकी गार्डन पीछे की तरफ मुड़ गई। सिना टन गया। हाथ कभी मुझे पकड़ते तो कभी बिस्तर के कोने को। कभी मेरे बालों को सहलाते तो कभी मेरी पीठ को नोचते।
उधर मैं एक हाथ से उसके स्तनों को मालिश कर रहा था। तो एक हाथ से उसके चुत के दाने को मालिश कर रहा था। मेरा लिंग चुत के निचले हिस्से को रगड़ रहा था।
फिर मैंने उसके पेट को दबाया, सहलाया और चाटा।
फिर मेरा मुंह उसकी चुत को चाटने लगा। अब वो बहुत जोर से सिक्सकिया। और उसकी चुत से बहुत सा पानी बाहर निकल गया। जिसे मैंने सारा चाट लिया।
अब मैंने उसके पैरों की तरफ लेट गया। उसके पैर को चाटते हुए। चुत की तरफ बढ़ने लगा।
वो बोली – जान अकेले ही मजे लेते रहोगे?
और मुझे छूकर। अपनी चुत मेरे मुंह पर रख दी। और मेरे लिंग को लोलीपॉप बनाकर चूसने लगी।
अब मेरा भी चुतना वाला था। हम दोनों आह…आह्ह्ह….ह्म..उु्ह्ह्ह. कर रहे थे।
मैंने अपना पानी छोड़ दिया। वो सारा गट गया। फिर बोली मेरे दिल के राजा। आजा मेरी प्यास बुझा दे। मुझे और ना तड़पा।
मैंने बोला – तुम खुद कर लो।
फिर उसने मेरे अंडरवियर को उतार लिया। क्योंकि अब तक लिंग अंडरवियर की छेद से ही निकला था। कुछ देर मेरे मुरझाए हुए लिंग को छूकर। उसमें जान डाली। और वो मेरे 6” लंबे लिंग पर बैठी। और घुटने मोड़ कर हिलने लगी। उसके हाथ मेरे चेस्ट पर थे। और मेरे हाथ उसके चुको को मालिश कर रहे थे।
करीब 5-7 मिनट में वो निढाल हो गई। और बोली – हो गया।
अब मैंने उसे नीचे लेटाया। और बीच में आकर उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा। और उसकी चुत में लिंग डाल दिया। और धक्के मारने लगा।
वो फिर आह…ह्ह्ह्ह….उह…..उईई…. कर रही थी।
आह….उ्ह्ह्ह…उमम्म.. के साथ उसका चुत में अपना लावा छोड़ दिया। और कुछ देर हम उसी स्थिति में रहे।
अब मैं और मेरी दिलरुबा भाभी साथ साथ लेते। उसने कहा – मेरे जान, मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार इतना परम सुख पाया।
हमने समय देखा। 1 बजे गए थे। वो खड़ी होकर कपड़े पहनने लगी। तो मैंने उसे रोका। और उसकी कुछ तस्वीरें लीं। फिर उसने कपड़े पहन कर अपने पति के पास सोने चली गई। मैं अकेला रह गया।
अगले दिन वो बहुत खुश थी। मैं अपनी पत्नी के साथ वापस आ गया।