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बुआ की लड़की की चुदाई-1

Bua ki ladki ki chudai-1

नमस्कार दोस्तो शुरू करता हु मै अपनी जीवन की एक और दास्तां बता रहा हूँ। ये सच है या नही आप पड़कर खुद समझ जाओगे,
दोस्तो ये बात उस समय की है जब मै अपने घर से बाहर एक छोटे से कस्बा जिसका नाम बीसलपुर हैं जोकि पीलीभीत (यूपी) मे था और वहाँ कमरा लेकर पड़ाई करता था और मै उस समय बी ए कर रहा था ।

मै मेरे एक दोस्त के जानकार के मकान मे किराये पर रहता था चूंकि बो मेरे दोस्त के रिस्तेदार थे और रिश्ते मे फूफा लगते थे। इसलिए मै भी उनको फूफा और उनकी पत्नी को बुआ बोलता था। उनके परिबार मे उनका एक बेटा और एक बेटी थी। उनका बता आठवी अमन और बेटी लवी नौवी कक्षा मे पड़ते थे। उनके मकान मे मेरे अलावा एक कमराऔर किराये पर था जिसमे एक लड़का जिसका नाम संतोष रहता था और बो ग्यारवी मे था।। उस समय मुझे अपने कैरियर की चिंता थी तो मै दिन रात पढाई करता था मै किसी से ज्यादा बात चित नही करता था बस दिन रात पढाई मे व्यस्त रहता था।

‌एक रात मैंने ऐसा देख। की पूरा माहौल बदल गया। मै रात को करीब साढ़े बारह बजे पढाई कर रहा था तभी थोड़ा फ्रेश होने के लिए छत पर जाने लगा तभीमै सीड़ी पर चड़ रहा था तभी मेरी नजर संतोष के कमरे मे पड़ी उस का कमरा और सीढ़ी दोनो चिपके ही थे और सीढ़ी के पास उसके कमरे मे रोशनी जाने के लिए एक छोटा सा खिड़की लगी थी। उस खिड़की से रोशनी आ रही थी तो रात के अंधेरे मे कमरे से आ रही रोशनी पर मेरी नज गयी। तभी मै ने देख।

कि संतोष पूरा नंगा होकर लवी को पूरा नंगा करके उसकी चुदाई कर रहा था ये देखते ही मेरी साँसे बिल्कुल थम गयी और मै चुपचाप वहाँ खड़े होकर उनकी चुदाई देखने लगा। मुझ उन की चुदाई एक दम साफ साफ दिखाई दे रही रही थी मै देख। कि संतोष ने लवी को जमीन पर लिटा रख हैऔर उसक पैरो को पकड़कर के अपने कंधो पर रखा हुआ है और लगातार उसकी चुदाई कर रहा है लवी की उम्र तो नही बताऊँगा दोस्तो लेकिन उसकी चूत पर बाल आने शुरू ही हुए थे उसकी चूत पर हल्के भूरे रंग के बाल आ रखे थे जो कि नई जवान हो रही लड़कियोंके आते है उसकी चूत को देखकर बताया जा सकता था कि अभी अभी हुई जवान है।

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संतोष उसकी चूत को लगातार चोद रहा था और वो बिना किसी परेशानी के पूरा लंड ले रही थी हालांकि वो मेरे से उम्र मे काफी कम थी लेकिन उसको ऐसे चुदते देख मुझे उसकी चुदाई करने और देखने दोनों का मजा आ रहा था उसकी चूत को देखकर मुझे भी अब रहा नही जा रहा था ऐसा मन कर रहा था कि अभी इसकी चूत मे लंड डालकर चोद दू लेकिन मैने उनकी चुदाई का आनंद लेना ठीक समझा।

कुछ दस मिनट की चुदाई के बाद संतोष झड़ गया और उसके उपर ही लेट गया और उसे किस करने लगा इसके बाद संतोष ने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और निकर पहनने लगा तो लवी भी उठी और अपनी सलवार पहनने लगी तभी मै वहा से ऊपर चला गया और लवी धीरे से बिना आवाज किये अपने बिस्तर पर जाकर लेट गयी थी।

लेकिन लवी तो बिस्तर पर चली गई पर मेरा मन अब उसकी चूत और चुदाई देखकर ना तो सोने का हो रहा था और ना ही पड़ने का, मेरा मन मे केवल अब उसकी चूत ही घूम रही थी और मन में बस इतना ही खयाल आ रहा था कि लवी को कैसे चोदा जाए। यही सोचते हुए मै नीचे आ गया और उसके चूत के ख्यालों मे घूमते हुए कब सो गया पता नही चला।

अगले सुबह जब मै उठा तो देखा कि सब उठ चुके हैं और अमन और लवी स्कूल जा चुके है वो दोनो एक प्राइवेट स्कूल में पड़ते थे तो रोज स्कूल जाते थे और संतोष गवर्मेंट स्कूल मे पड़ता था तो वो रोज स्कूल नही जाता था और इधर उधर घूमता था। चूँकि मै कॉलेज में था तो मै कॉलेज नही जाता था बस एक कोचिंग जाता था और पूरे दिन रूम पर पडाई करता था।

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लेकिन रात का सीन बार बार मेरी आँखों में आ रहा था जिससे मेरा मन पडाई में नही लग रहा था और मेरे आँखों में केवल लवी की चूत ही आ रही थी और दिमाग मे उसे चोदने का ख्याल ही आ रहा था यही सोचते हुए दोपहर हो गयी और अमन और लवी स्कूल से आ चुके थे। अभी तक मै लवी को केवल ऐसे ही देखता था किन्तु अब मेरे ख्याल उसके लिए बिल्कुल बदल गये थे।

अब मै उसके निप्पल, गांड सब कुछ खूब निहारने का सोच लिया। मेरा कमरा घर में लगे नल के सामने था और नल के पास ही सीडी थी और सीढ़ी से पीछे की तरफ चिपका हुआ कमरा संतोष का था। दोपहर में स्कूल से आने के बाद लवी ने खाना खाया और खाने के बाद जब बो हाथ धुलने के लिए नल पार आयी तो आज मैने उसको पहली बार हवस की नजर से देखने लगा।

उसके छोटी छोटी चूची और उसकी कमर मुझे आज कामसिन् लग रही थी आज मै उसकी चूची जोकि छोटी छोटी थी लेकिन बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी मेरा मन उन्हे चूसने को कर रा था ऐसा लग रहा था कि मै इनको निचोड़ लू। मैं उसकी चूची को हवस भरी नजर से देख रहा था तब तक वो हाथ साफ करके जाने लगी और उसने मुझे उसको घूरते देख लिया लेकिन वो चुपचाप चली गई और अपनी पढाई करने लगी। मै अब बस यही सोचता था कि लवी की बुर कैसे चोदू। मकान मे मेरे अलावा संतोष और बुआ उनके दोनो बच्चे रहते थे बुआ जी के पति कभी कभी ही आते थे। क्योंकि उनको गाँव में खेती का काम था।

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लवी खाना बनाना सीख चुकी थी इसलिए बुआ कभी कभी गाँव में फूफा जी के पास चली जाती थी क्योंकि अभी बो भी जवान थी 40 के आस पास थी इसलिए उनका भी मन चुदने का करता होगा इसलिए भी और कुछ काम भी होते थे तो बुआ जी बीच बीच में गाँव जाती रहती थी और संतोष (किरायदार ) भी शनिवार को घर चला जाता था तो कभी कभी मकान मै और बुआ जी के बच्चे ही रह जाते थे क्योंकि मै गाँव कम जाता था। तो अब मै उस समय का इंतजार करने लगा कि किस दिन बुआ जी गाँव जाएगी।

बुआ जी गाँव मे 2-3 दिन तक रुकती थी। मै दिन दिन भर लवी को चोदने को सोचते हुए रहने लगा और उसके निप्पल और उसके शरीर को निहरता रहता था। उसके निप्पल देख के मुठ मारता था।