Aunty Sex Story

बुआ की सील तोड़ चुदाई -3

राजस्थानी देसी सेक्स कहानी में , मेरी यह कहानी मेरी बुआ की रसीली और मेरी उसे चोदने की चाहत से भरी हुई है। इस कहानी में अब तक आपने पढ़ा..
मैं बुआ को और तड़पाना चाहता था जिससे कि वो मुझसे चोदने के लिए मिन्नते करे। मैं अपने लण्ड को उसके मुँह तक लेकर गया और अपनी लण्ड की टोपी को उसके होंठों पर फिराने लगा। कुछ देर के बाद बुआ खुद ही मुँह खोल कर लण्ड चूसने लगी।
अब मैं अपने आपको जन्नत में महसूस कर रहा था.. कुछ देर के बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
लगभग 2 मिनट तक लगातार लण्ड को रगड़ने से वो तड़पने लगी और मुझे चोदने के लिए कहने लगी। वो जितनी ज्यादा तड़प रही थी.. मु्झे उतना ही मजा आ रहा था।
अब उसकी चूत का बाजा बजने की कहानी का आगे का हाल सुनिए..

मेरे घर पर कोई नहीं था.. इसलिए मुझे उसके चीखने-चिल्लाने की कोई परवाह नहीं थी, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ते हुए अचानक से जोर का झटका मार दिया.. जिससे मेरा डेढ़ इन्च लण्ड उसकी चूत में चला गया।
मेरे इस झटके के प्रहार से वो जोर से चिल्लाई- मम्मीईईईइ.. मार दिया रेएएए…

मुझे ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत में मेरे लण्ड का कचूमर ही निकल जाएगा.. पर मैं इस मौके को किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने उसकी एक ना सुनते हुए अपने लण्ड को बाहर खींचा.. और दुबारा एक और जोरदार झटका लगा दिया।
इस बार अपने 4 इन्च के लण्ड को एक कील घुसने जितने से छेद में घुसा दिया।

उसकी चूत से खून निकलने लगा.. पर मैंने उसे इसे देखने नहीं दिया और इस बार तो वो और जोर से चीखी थी.. पर अफसोस.. कि उसकी इस चीख को मेरे अलावा सुनने वाला कोई नहीं था।
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अब मैंने उसे अपने 4 इन्च लण्ड से ही चोदना सही समझा.. पर वो मेरे हर एक वार के साथ बहुत जोर-जोर से चीख रही थी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही थी। पर अब उसका बस नहीं चल रहा था और ना ही आगे उसकी किसी भी कोशिश का परिणाम आने की आशा थी। मैं उसे ‘दनादन’ चोदे जा रहा था और साथ ही एक हाथ से उसके चूचे का कचूमर निकाल रहा था।

Rajasthani Desi Sex Kahani

लगभग 2-3 मिनट के बाद वो भी अपनी गान्ड उठा कर चुदवाने लगी, बस मुझे इसी मौके का इन्तजार था, मैंने एक और जोरदार धक्का देकर अपना बाकी का लण्ड भी उसकी चूत में उतार दिया। इस बार भी वो जोरदार चीखी.. पर इस बार उसने कोई विरोध नहीं जताया और गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाए जा रही थी।
करीब 7-8 मिनट और चोदने के बाद मुझे लगा कि अब मैं दो-चार धक्कों में ही झड़ जाऊँगा.. पर मैं अभी उसे छोड़ना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने एक तरकीब सोची।

मैंने बुआ की चूत से अपना लण्ड निकाला और बुआ से बोला- अरे बुआ.. मैं तुम्हारी चुदाई करने के चक्कर में अपना एक बहुत जरूरी काम तो भूल ही गया.. माफ़ करना बुआ हम बाकी कि चुदाई बाद में करेंगे.. अभी मुझे जाना होगा।
मुझे पता था कि बुआ अब मुझे किसी भी हालत में अधूरी चुदाई छोड़ कर जाने नहीं देगी और मैं भी कहाँ उसे बीच में छोड़ कर जाना चाहता था।
ऐसा कहते हुए मैंने अपनी अंडरवियर पहन ली थी।

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बुआ को बहुत जोरदार गुस्सा आया वो बोली- पहले तो जोर लगा-लगा कर राजस्थानी देसी सेक्स कहानी में मेरी चूत फ़ाड़ दी.. और अब शहंशाह को काम याद आया है.. अब तो मेरी चुदाई पूरी किए बिना कहीं नहीं जाने दूँगी।

तभी बुआ को बिस्तर पर खून दिखाई दिया और उसे देखते ही वो बोली- अगर अभी तू मुझे बीच में छोड़ कर गया.. तो मैं बाहर जाकर चिल्लाऊँगी.. (मेरी ठोड़ी पकड़ते हुए) और सीए साहब आपकी जो पूरे गांव में इज्जत हैं ना.. वो एक मिनट में खराब हो जाएगी।

मैं भी कहाँ उसे छोड़कर जाना चाहता था.. मैं तो उसे और कुछ देर चोद सकूँ इसलिए ये सब कह रहा था। मैंने फिर हँसते हुए अंडरवियर उतार कर उसे ‘दनादन’ चोदना चालू किया.. तो लगातार उसे अलग अलग तरीकों से चोदता रहा। इस दौरान वो दो बार झड़ी और मुझे रुकने के लिए कहती रही।

फिर मैंने झड़ते हुए अपना वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया.. वो उसे निगलना नहीं चाहती थी.. पर मैंने उसकी नाक बन्द कर दी.. जिससे उसे मेरे वीर्य को निगलना ही पड़ा।

उसके बाद मैंने उसे दोपहर के ढाई बजे तक दो बार और चोदा। मैं उसकी गाण्ड भी मारना चाहता था.. पर मुझे उसकी चूत की उधड़ी हुई हालत देखकर तरस आ गया.. उसकी चूत सूज़ कर पकौड़ा हो गई थी।

मैंने रसोई में एक चारपाई लगाई और उसे नंगी ही उठाकर रसोई में ले गया और उस चारपाई पर लिटा दिया। उसकी शक भरी निगाहें देख कर मैंने भांप लिया कि उसे अभी ये खौफ है कि मैं उसे यहाँ और चोदूँगा।

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फिर मैंने बुआ के होंठों पर एक किस किया और बोला- महारानी साहिबा.. मेरी इज्जत तो गाँव में जो थी.. वो ही है.. पर मैंने आपकी इज्जत पूरी तरह से लूट ली है.. आप अब गाँव और घर में किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं हो.. यहाँ हम आपको सम्भोग या सहवास करने के लिए नहीं बल्कि दूध पिलाने लाए हैं।

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बुआ थोड़ा मुस्कुराई और बोली- मेरे शहंशाह.. मेरी इज्जत आपने लूट जरूर ली है.. पर ये बात सिर्फ़ आपको और मुझे पता है.. और मुझे नहीं लगता कि ये बात किसी और को पता लगेगी और अधिकांश लड़कियों को दूध अच्छा नहीं लगता है। मेरे शहंशाह अगर आप चाय पिलाएंगे.. तो हमें बहुत खुशी होगी।
उसके चेहरे पर खुशी से भरी एक मुस्कान थी।

मैंने उसे चाय पिलाई और उसे एक दर्द निवारक गोली दी। लगभग एक घन्टे बाद जब उसे थोड़ी राहत मिली तो मैं उसे अपने एक दोस्त की बाइक से घर पर छोड़कर आया।

उस दिन के बाद मैंने उसे और उसकी चार सहेलियों को कई बार चोदा.. एक बार तो मैंने उन पाँचों के साथ ग्रुप सेक्स किया था।

आपको मेरी और मेरी बुआ की चुदाई की दास्तान कैसी लगी.. प्लीज मुझे मेल करके बताइएगा। इन्तजार कीजिए आगे राजस्थानी देसी सेक्स कहानी में बहुत कुछ है।