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चाचा ने चूत में लंड का भोग लगाया-1

Chacha ne choot me land ka bhog lagaya-1

हैल्लो दोस्तों, आज में आप सभी चाहने वालो के लिए अपनी एक अनोखी दिलचस्प घटना और मेरी जिंदगी का वो सच जिसको में बहुत समय से अपने मन में रखकर बैठी हुई थी, उसे हिम्मत करके लिखकर यहाँ तक लाने के बारे में सोचा और आज में उसको बताने जा रही हूँ जिसके बाद मेरे जीवन ने बड़ी तेज़ी से अपना रंग बदला और मेरे सोचने समझने कुछ भी करने की इच्छा को उस घटना ने एकदम बदलकर रख दिया.

में वही सच आज आप लोगो के सामने लेकर आई हूँ जिसमे मैंने अपने चाचा के साथ अपने उस रिश्ते के बारे में बताया है, जिसको मैंने आज तक पूरी दुनिया से छुपाए रखा, लेकिन आज बड़ी हिम्मत करके आप लोगों को बताने जा रही हूँ और में उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी आप सभी को जरुर पसंद आएगी.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब मेरे पापा की पोस्टिंग हिमाचल में हुई थी और हम सभी घरवाले मतलब मम्मी, पापा और में शुरू शुरू में मेरे पापा का तबादला होने के बाद मेरे श्याम चाचा के घर पर रहने लगे और हमारा प्लान यह था कि जब तक हमे कोई अच्छा घर नहीं मिलता तब तक हम सभी मेरे चाचा के घर में ही रहेंगे इसलिए हम बड़े आराम से रह रहे थे और वहां पर जाकर में एक नये स्कूल में पढ़ने जाने वाली थी. दोस्तों वहां पर पहुंचकर हमने रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर एक टेक्सी ली और फिर हम सीधे अपने चाचा के घर पर चले गये और हमारा घर सामान हमारे पीछे एक कंटेनर में आना था इसलिए उससे पहले ही हम वहां पर पहुंच गए.

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दोस्तों मेरे चाचा का वहां पर टिंबर का अपना खुद का काम है और मैंने बहुत बार कुछ लोगों से सुना है कि वो उनका काम बहुत अच्छा चल रहा था इसलिए उनके पास पैसों की कोई कमी ना थी, लेकिन मेरे पापा को ही पता नहीं यह नौकरी करने का कौन सा भूत उनके सर पर चड़ा था?

जैसे ही हमारी टेक्सी मेरे चाचा के घर के सामने जाकर रुकी में तो देखकर एकदम दंग ही रह गयी इतना बड़ा लॉन? दरवाजे से एक सुंदर सा रास्ता जो घर के बरामदे तक था और एक बड़ा सा गार्डन जिसमे कुर्सिया लगी थी और बरामदे में एक बड़ा सा झूला भी लगा हुआ था और वो घर एकदम फ़िल्मो जैसा सुंदर आकर्षक था.

फिर मैंने देखा कि दरवाजे पर मेरे चाचा हमारा बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, मेरी चाचा जी थोड़ी छोटे कद की वो करीब पाँच फुट सात इंच की थोड़ी मोटी और एकदम गोरी चिट्टी बड़ी सुंदर नाकनक्श की थी.

मेरे चाचा उस समय कार्गो पेंट और आधी बांह की शर्ट पहने हुई थी और शर्ट के अंदर उन्होंने सफेद टी-शर्ट उन्होंने थोड़ा मोटा होने की वजह से अपनी उस शर्ट को अंदर भी नहीं किया था और आगे से कुछ बटन भी नहीं लगाए थे और अब वो अपनी बाहों को फैलाए हमारी तरफ बड़े और मुझे अपनी बाहों में लेकर वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोले कि तू कितनी बड़ी हो गयी है और वो मेरे पापा की तरफ देखकर उनसे बोले कि जब मैंने पिछली बार इसको देखा था तब तो यह एकदम छोटी बच्ची जैसी थी.

फिर मेरे पापा बीच में ही उनकी बात को काटकर बोले कि इतने साल तक तुम हमें किसी को मिलने नहीं आओगे तो ऐसा ही होगा और बच्चे छोटे से बड़े भी तो होंगे ना, क्या यह हमेशा ऐसे ही रहेगे? अब चाचा जी की नरम छाती और मोटी बाहों में मुझे बहुत नरम नरम लग रहा था, तभी उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे गालों पर एक पप्पी ली और चाचा जी पहले ही दिन से मुझसे बहुत घुल मिल गये और उनके साथ साथ में बहुत बहुत खुलकर हंसी मजाक बातें करने लगी और में उनका हंसमुख स्वभाव और मेरे लिए उनका वो व्यहवार देखकर वहां पर बहुत खुश थी.

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मुझे अब दो चार दिनों में ही ऐसा लगने लगा था कि जैसे में वहां पर बहुत सालों से रह रही हूँ और मेरे साथ साथ घर के सभी लोग मेरा पूरा परिवार भी मेरे चाचा के साथ बड़ा खुश था और में उन दिनों स्कर्ट और टी-शर्ट पहना करती थी.

फिर एक दिन शाम को मेरे चाचा जी, मेरी मम्मी और पापा सोफे पर बैठे हुए थे वो सभी इधर उधर की बातें हंसी मजाक कर रहे थे और सब लोग खुश नजर आ रहे थे और में अपनी दोपहर की नींद से जागकर उस कमरे में चली आई और चाचा जी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी तरफ खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और फिर उन्होंने अपने एक हाथ को मेरी जांघ पर रख दिया, लेकिन मेरी मम्मी, पापा ने उस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और में भी थोड़ा नींद में थी. मैंने भी ज्यादा दिमाग नहीं लगाया, उस समय मेरा एक पैर दूसरे पैर के ऊपर था और मेरा एक हाथ उनके गले के पीछे था, जिसकी वजह से मेरे बूब्स जो अब अपना आकार बदलकर पहले से ज्यादा बड़े आकार के आकर्षक गोल हो चुके थे, वो मेरे चाचा के कंधो से मुझे छूते हुए महसूस हुआ, लेकिन मैंने उस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

अब मेरी मम्मी और पापा बातें करते करते एक दूसरे से कहने लगे कि अरे यार हमें यहाँ पर आए हुए इतने दिन हो गए है और हमने अब तक पूरा घर ही नहीं देखा. चलो आज हम घर तो पूरा देख लें यह इतना बड़ा है कि शायद हमे कुछ घंटे लगे और वो दोनों यह बात कहकर उठकर दूसरे कमरे की तरफ चले गये. फिर उनके चले जाते ही मैंने जानबूझ कर अपने दोनों पैरों को अलग करते हुए अब पूरा फैला दिया जिसकी वजह से मेरे चाचा का हाथ जो मेरी जांघ पर था, वो फिसलकर मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गिरा और फिर वो नीचे लटककर मेरी गोरी गरम जांघ को छू गया.

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फिर भी में अपने काम को पूरी जिम्मेदारी से कर रही थी और वो नीचे से मेरी चूत को पूरी ईमानदारी से चाटकर अपना काम कर रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लोड़ा मेरी चूत में डाला जो एक ही बार में पूरा समा गया, क्योंकि मेरी चूत पहले से ही गीली थी. फिर उन्होंने मुझे खूब रगड़कर चोदा और आज भी जब में उस घटना को याद करती हूँ तो मेरी चूत पानी छोड़ने लग जाती है.