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चाची की चूत का बुखार-1

Chachi ki choot ka bukhar-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राज है और में राजस्थान के अजमेर जिले का रहने वाला हूँ. दोस्तों यह मेरी  दूसरी कहानी है. अब आप मेरी आज की सच्ची घटना को सुनिए, इस कहानी में मैंने अपनी पड़ोसन को उसी के घर में बहुत जमकर चुदाई के मज़े दिए और अपने मन की उस इच्छा को पूरा किया, क्योंकि में कुछ दिनों से उसके सुंदर गोरे बदन को देखकर उस तरफ आकर्षित होने लगा था और में उस मौके की तलाश में था कि कब में उसको अपने सामने बिना कपड़ो के देखूंगा और में पहली बार देखकर अपने होश खो बैठा, मुझे क्या पता था कि उसकी सुंदरता उन कपड़ो के हट जाने के बाद मुझ पर जादू कर देगी, वो बिना कपड़ो के एकदम काम की देवी जैसी नजर आई और मैंने वो सब उसके साथ किया और अब आप लोग मेरी उस कहानी को पढ़े और उसके मज़े ले.

दोस्तों मेरा घर अजमेर के वैशाली नगर में है और में यहीं के एक कॉलेज में बी.ए. तीसरे साल का छात्र हूँ और यह बात दो महीने पहले की है, जब हमारे घर के सामने वाले घर में एक परिवार रहता था और उस घर में जो अंकल थे, वो मेरे पापा के बहुत करीबी दोस्त बन चुके थे, उनकी एक 7 साल की बेटी है, जिसका नाम निशा है और उनकी पत्नी जिसका नाम प्रिया है.

दोस्तों में अपनी पड़ोसन प्रिया आंटी को हमेशा चाची कहकर बुलाता हूँ, प्रिया चाची की उम्र 33 साल की है, वो भी हमारे ही कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई कर रही है और मेरी वो प्रिया चाची दिखने में बहुत ही हॉट सेक्सी है और उनके फिगर का आकार 40-36-40 है और वो हमेशा ही साड़ी पहनती है. दोस्तों वो अपनी साड़ी भी कुछ इस तरह से पहनती है कि पीछे से उनकी गोरी गदराई हुई कमर साफ साफ दिखती है और में उनके बड़े बड़े आकर्षक बूब्स को हमेशा ही अपनी चोर नजर से छुप छुपकर देखा करता हूँ, ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आता और वो जब भी कपड़े सुखाने ऊपर छत पर आती है तो वो अपनी साड़ी को उठाकर अपने पेट पर अटका देती है, जिसकी वजह से उनके बूब्स ब्लाउज के अंदर से बड़े बड़े साफ दिखाई देते है और वो जब भी नहाकर बाथरूम से आती है तो वो सीधा उनकी बालकनी में आकर अपने गीले बाल सुखाती है और उस समय उनके गीले कपड़ो से उनका गोरा बदन और उनके बूब्स बहुत ही मस्त लगते है.

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दोस्तों में किसी भी काम से उनके घर पर जाता हूँ, तब मेरी नज़र हमेशा उनके बूब्स पर ही होती है, लेकिन वो कभी भी मेरी तरफ इतना ध्यान नहीं देती है कि में घूर घूरकर उनके बूब्स को देख रहा हूँ और मेरी चाची की गांड भी इतनी मस्त है कि उसको देखकर हमेशा मेरा मन उनको एक बार छूकर महसूस करने का होता है और में हमेशा अपने मन में उनके विचार लिए उनके आगे पीछे बहुत दिनों तक ऐसे ही घूरता रहा और उनको ताकता झांकता रहा, लेकिन फिर एक दिन उस भगवान ने मेरे मन की बात को सुनकर मुझे आगे बढ़ने का वो मौका दे दिया. एक यह उस दिन की बात है, जब होली का दिन था, चाची और उनकी बेटी निशा ने मुझे अपने घर पर किसी बहाने से बुलाया और फिर मुझ पर उनकी बेटी ने पानी डाल दिया और वो मुझे अब रंग लगाने के लिए ज़िद करने लगी.

जब मैंने उनको रंग लगाने के लिए मना किया तो तब चाची ने मुझसे कहा कि तुम इस बच्ची का दिल रखने के लिए इससे थोड़ा सा रंग लगवा लो. तब मैंने उनको कहा कि नहीं चाची में अभी कुछ देर पहले ही नहाकर सीधा आपके पास आया हूँ, इसलिए में और रंग नहीं लगवा सकता और तभी निशा ने कहा कि मम्मी आप भैया को जबरदस्ती कसकर पकड़ लो, में इनको आज रंग लगा ही देती हूँ, आज में भी देखती हूँ कि यह मुझसे कैसे रंग नहीं लगवाते है और फिर चाची ने निशा की बात को सुनकर तुरंत मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया, जिसकी वजह से उनके एकदम मुलायम बड़े आकार के बूब्स मेरी पीठ पर छूने लगे थे. दोस्तों अपनी जिंदगी में पहली बार कोई औरत मेरे इतना करीब थी, जिसकी वजह से मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी, लेकिन में मन ही मन बहुत अच्छा महसूस करने लगा था और अब चाची के वो दोनों नरम नरम बूब्स मेरी पीठ से रगड़ रहे थे और में उनकी गोलाई को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रहा था और निशा मेरे चेहरे पर रंग लगा रही थी.

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उस समय मेरी गांड अपनी चाची की चूत से चिपकी हुई थी. फिर जब निशा ने मुझे रंग लगा दिया, तब वो कहने लगी कि मम्मी अब आप भी भैया को रंग लगा लो, लेकिन दोस्तों इस बार मैंने चाची से अपने रंग लगाने की बात सुनकर बिल्कुल भी आना कानी नहीं की और अब चाची ने मुझसे कहा कि देख अगर ज़्यादा नाटक करेगा तो ग़लती से यह रंग आँख में भी जा सकता है. अब में बिना हिले अपने वो रंग चाची से लगवाने लगा और ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, आंटी ने मेरे पूरे चेहरे पर अपने नरम हाथों से धीरे धीरे बहुत प्यार से वो रंग लगाया और फिर उन्होंने मेरे हाथ पर भी रंग लगाया.

दोस्तों उस दिन मैंने निक्कर पहनी हुई थी और चाची नीचे झुककर मेरे पैरों पर भी रंग लगाने लगी और मैंने उनको ऐसा करने से मना कर दिया, लेकिन आंटी ने ज़बरदस्ती वो रंग लगा दिया और उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि अब तू तेरी यह शर्ट भी ऊपर कर ले.

फिर मैंने उनको कहा कि देखो चाची जी आप तो मुझे रंग लगा रही है, लेकिन जब में भी आपको रंग लगाऊंगा तब आपका क्या हाल होगा, क्या इसका आपको पता है? चाची ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि हाँ आज तो तू भी लगा लेना. फिर में उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ, क्योंकि मुझे अब उनको अच्छी तरह से छूने के साथ साथ रंग लगाने का मौका जो मिलने वाला था, इसलिए में चुपचाप उनसे रंग लगवाता रहा और जैसे उन्होंने कहा में करता रहा.

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फिर जब मेरी रंग लगाने की बारी आई तो चाची ने मुझसे रंग लगवाने से साफ मना कर दिया और उन्होंने अपने कमरे के अंदर जाकर उसका दरवाजा भी बंद कर दिया. फिर मैंने उनको बार से बहुत बार आवाज देकर कहा कि चाची यह आपकी बिल्कुल बात ग़लत है, देखो आपने अभी मुझे जबरदस्ती रंग लगा दिया है और अब मेरी बारी आई है तो आप मुझसे मना कर रही है, लेकिन फिर भी चाची ने दरवाजा नहीं खोला, जिसकी वजह से में बहुत उदास हो गया और में कुछ देर उनके घर पर रुकने के बाद वापस अपने घर चला आया.

फिर करीब दो घंटे के बाद चाची के भाई और उनके साथ वो कुछ रिश्तेदार भी होली खेलने आ गए, जिसकी वजह से चाची को बाहर उनके सामने आना पड़ा और तब उन्होंने चाची को जबरदस्ती पकड़कर रंग लगा दिया और उन्होंने अंकल को भी रंग लगाया. फिर थोड़ी देर के बाद वो सभी लोग वापस चले गये और चाची अपने घर का दरवाज़ा बंद करना भूल गई और वो रंग से भरा हुआ उनका आँगन पानी डालकर धोने लगी.

तभी में उनके घर पर चला गया और मुझे देखकर वो उठकर दोबारा अपने कमरे में भागने लगी, लेकिन तभी मैंने तुरंत उनका पीछे से हाथ पकड़कर उनको खींच लिया, जिसकी वजह से मेरा लंड उनकी गांड से जाकर टकरा गया और अब में उनको रंग लगाने लगा और उनके चेहरे पर रंग लगाते लगाते मेरा एक हाथ उनके बूब्स पर जा लगा. तब मैंने महसूस किया कि उनके बूब्स इतने मुलायम थे कि उसकी वजह से मेरा लंड खड़ा होकर 6 इंच लंबा हो गया, क्योंकि इससे पहले मैंने कभी किसी के बूब्स को छूकर महसूस नहीं किया था और उनको रंग लगाने के बाद में वापस अपने घर चला गया.