Aunty Sex Story

चाची ने बड़ी मुश्किल से चूत दी–2

Chachi ne badi mushkil se chut di-2

अब बड़ी मुश्किल से आज का दिन निकला।फिर रातभर मै चाची को चोदने के बारे में सोचता रहा।लेकिन मुझे कोई प्लान नजर नहीं आ रहा था। अब अगले दिन में फिर स्कूल नहीं गया और चाची को चोदने के जुगाड में लग गया। अब मैने सोचा कैसे भी करके चाची को चोदना ही होगा। अब चाचा और मयक के स्कूल जाने के बाद मै बाथरूम में नहाने घुस गया और जानबूझकर सुखी अंडरवेयर को गीला कर दिया। अब मैने नहाने के बाद आज चाची को फिर बुलाया। तभी चाची बाथरूम के पास आ गई
चाची– क्या हुआ रोहित?

मैं– चाची वो मेरी अंडरवियर गिरकर पानी में भीग गई है। अब मै क्या पहनूं? मेरे कपड़ों में कोई दूसरी अंडरवियर पड़ी हो तो प्लीज आप देखिए ना।
चाची– ठीक है मै देखकर आती हूं।
कुछ देर चाची आई।
चाची– तेरी तो कोई अंडरवियर नहीं मिली है।एक काम कर टावेल लपेटकर बाहर आजा।
मैं तो यही चाहता था कि चाची ये कहे। अब मै नंगे बदन टावेल लपेटकर बाथरूम में बाहर आ गया। चाची हॉल में ही खड़ी थी। अब मेरी हिम्मत दिखाने की बारी थी तभी मैंने जानबूझकर टावेल को खोल दिया और चाची के सामने पूरा नंगा हो गया।चाची मेरे कड़क तने हुए लंड को देखने लगी।

मैं– चाची ये तो खुल गया।मुझे टावल बांधना नहीं आता है।प्लीज आप ही बांध दो ना।
चाची एकदम चुप थी।उनसे कुछ नहीं बोला जा रहा था।उनके चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी।मेरा लन्ड चाची के सेक्सी जिस्म को सलामी दे रहा था।।
मैं– चाची प्लीज बांध दीजिए ना।
तभी मै टावेल लेकर चाची के पास ही चला गया।
मैं– लो चाची आप ही बांध दो।
चाची तो मेरे लन्ड को देखकर सन्न थी।उनकी नजर मेरे लंड पर से नहीं हट पा रही थी।मेरे लन्ड को  देखकर चाची का बुरा हाल होने लगा।फिर चाची ने बिना कुछ कहे टावेल को मेरी कमर से बांध दिया।

चाची– लेे अब नहीं खुलेगा।
मैं– ठीक है चाची।
अब चाची का काम करने में मन नहीं लग रहा था। वो अजीब सी सकल बनाकर इधर उधर हो रही थी। मैं समझ चुका था कि चाची की चूत में हलचल हो चुकी है। अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो चुका था कि मेरे लन्ड को जल्दी ही चाची की चूत मिलने वाली है।
अब मैं चाची के रूम में गया और उनके दो तीन जोड़ी ब्रा पैंटी में मेरा गरमा गर्म माल भर दिया।कुछ देर बाद चाची नहाने जाने लगी तो जैसे ही उन्होंने ब्रा और पैंटी को उठाई तो वो उनमें माल देखकर चौंक गई।फिर बिना कुछ कहे वो बाथरूम में घुस गई।आज चाची ने चूत में बहुत देर तक बैगन डाला और वो बाथरूम में ही झड़ गई।फिर उन्होंने माल भरे हुए ब्रा और पैंटी को पहन लिया। अब वो नहा धोकर बाथरूम से बाहर निकल आईं।

अब मैंने फिर आज चाची को पढ़ाई में मेरी हेल्प करने के लिए बुलाया तो चाची बिना कुछ बोले मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गई और मुझे टॉपिक्स को समझाने लगी।आज वो पूरी तरह से बदली बदली नजर आ रही थी।उनके चेहरे की भाव भंगिमाएं बदल चुकी थीं। इधर मेरा लन्ड टावेल में तनकर टेंट बना चुका था।चाची तिरछी नजरों से मेरे लन्ड के उभार को देख रही थी। तभी मैंने मौके पर चौका मारते हुए टावेल को खोल फेंका। अब मेरा लन्ड उछलकर बाहर आ गया। चाची ने मेरे नंगे लंड को देख लिया था लेकिन फिर भी वो मुझे टॉपिक्स समझाने में लगी हुई थी।
अब मैंने हिम्मत करते हुए चाची के हाथ को पकड़ा और उनके हाथ में लंड थमा दिया।चाची ने तुरंत हाथ हटा लिया तो कुछ देर बाद मैंने फिर से चाची के हाथ को मेरे लन्ड पर रख दिया।चाची ने फिर से लंड पर से हाथ हटा लिया।

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अजब गजब नज़ारा था यारो जिस चाची को कभी मैने चोदने के बारे में नहीं सोचा था आज उसी चाची के सामने मै नंगा बैठा था। मैं बार बार चाची के हाथ में लंड पकड़ा रहा था और चाची बार बार हाथ को हटा रही थी।इधर चाची जानबूझकर अनजान बनते हुए मुझे टॉपिक्स समझाने में लगी हुई थी।
अब मैंने चाची के हाथ को अच्छी तरह से पकड़ा और उन्हें लंड पकड़ाकर उनके हाथ को पकड़ लिया। अब चाची चाहकर भी हाथ नहीं हटा पा रही थी। अब वो मेरे गरमा गर्म लंड को पकड़े हुए मुझे पढ़ा रही थी। अब मैं दूसरे हाथ से धीरे धीरे चाची के बूब्स को सहलाने लगा। चाची मेरे हाथ को हटाने लगी। अब मैंने चाची के बूब्स पर से हाथ हटा लिया।फिर कुछ देर बाद फिर से मैंने चाची के बोबे को पकड लिया और धीरे धीरे बोबे को दबाने लगा।चाची ने फिर से मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की लेकिन इस बार उनकी कोशिश सफल नहीं हो पाई और मैंने चाची के मस्त मुलायम बड़े बोबे को अच्छी तरह से मेरी पकड़ में लेे लिया। अब मैं धीरे धीरे चाची के बोबे को दबाने लगा।

आह क्या मस्त शानदार बोबा था चाची का।कसम से मेरे लन्ड को तो बहुत ही ज्यादा मज़ा आ गया था। मैं आराम आराम से चाची के बोबे को मसल रहा था।चाची कुछ नहीं कह रही थी।वो चुपचाप अभी भी मुझे टॉपिक्स समझा रही थी। अब मेरा लन्ड चाची की चूत में घुसने के लिए तड़पने लगा।मुझे चाची के बोबे को मसलते हुए बहुत देर हो चुकी थी। अब मैं ठंडे पड़े माहौल को पूरा गरमा गर्म करना चाहता था।तभी मैंने चाची को सोफे पर पटक दिया और मै उनके ऊपर चढ बैठा।चाची मुझे उनके ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने चाची को अच्छी तरह से मेरी बाहों में जकड़ लिया था। अब मैं चाची के मस्त शानदार गुलाबी होंठो की लिपस्टिक को चूसने लग गया। मैं ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए चाची के रसीले होंठों को चूस रहा था।

चाची मुझे दूर हटाने की बहुत ज्यादा कोशिश कर रही थी।वो बार बार हाथो पैरो को इधर उधर फेंक रही थी।मैने चाची के होंठो को अच्छी तरह से मेरे हिंठी में फंसा रखा था जिससे चाची को कुछ बोलने का मौका नहीं मिल रहा था। मैं लपालप चाची के रसीले होंठों को खाए जा रहा था।पूरे हॉल में चूत चुदाई की उठापटक की आवाज़ आ रही थी। अब तक मै चाची के होंठो को बुरी तरह से रगड़ चुका था।
थोड़ी देर बाद मैंने चाची के होंठो को छोड़ा और उनके इलास्टिक वाले पजामे को खोलने लगा तभी चाची ने ज़ोर से पजामे को पकड़ लिया।चाची मुझे उनका पजामा खोलने के लिए रोकने लगी।इधर मै भी चाची के पजामे को खोलने के लिए पूरी जान लगाने लगा।चाची ने ज़ोर से पजामे को पकड़ लिया था।हम दोनों के बीच पजामे के लिए भयंकर खींचतान हो रही थी।चाची ने पजामे को बचाने के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया था।तभी मैंने थोड़ी सी ढील देकर चाची के पजामे को एकसाथ खींचा और चाची का पजामा उनके हाथो से छूटता हुआ मेरे हाथो में आ गया।चाची पजामे को पकड़ते ही रह गई। अब मैंने एक ही झटके में चाची के पजामे को उनकी टांगो से निकालकर उनके मुंह पर फेंक दिया।अब चाची की बड़ी बड़ी मोटी मोटी जांघें मेरे सामने नंगी हो चुकी थी। अब जैसे ही मैंने चाची की पैंटी में हाथ डाला तो डोर बेल बज उठी।हम दोनों की गांड़ फट गई। चाची तुरंत उठने लगी तभी मैंने  फटाफट जल्दी जल्दी चाची की चूत को मसल दिया। अब चाची ने तुरंत पजामा पहन लिया और मैंने भी शर्ट पजामा पहन लिया।

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अब चाची ने दरवाजा खोला।मयंक स्कूल से आ चुका था।फिर चाची ने मयंक को सम्हाला। अब मैं चाची से बात करने का मौका ढूंढने लगा।
कहानी के पहले भाग में आपने जाना कि किस तरह से चाची को अकेली घर में देखकर मेरा लन्ड चाची की चूत चोदने के लिए बेकरार होने लगा।फिर मैंने चाची को लंड दिखाकर उनकी चूत को रगड़ दिया था।
अब आगे…………………………
अब शाम को मयंक खेलने के लिए पार्क में चला गया। अब मुझे चाची के साथ बात करने का पूरा मौका मिल गया था।चाची किचन में काम कर रही थी।तभी पीछे से मैने चाची को दबोच लिया और उनके बूब्स को ज़ोर से कस डाला।तभी चाची ने मुझे दूर हटा दिया।वो मेरी तरफ पलटी।चाची बहुत ज्यादा गुस्से में थी।उनका चेहरा गुस्से से लाल पीला हो गया था।
चाची– तुझे मेरे साथ ऐसी हरकत करते हुए शर्म नहीं आ रही है।मै कुछ नहीं कह रही हूं इसका मतलब तू तो हद ही पार कर रहा है।थोड़ी तो शर्म कर।मै तेरी चाची हूं।

मैं– हां चाची आपकी बात बिल्कुल सही है।लेकिन मै भी क्या करू? मेरा लन्ड मान ही नहीं रहा है।ये तो आपकी चूत के लिए तड़प रहा है।
तभी मैंने तुंरत पजामे को नीचे खिसका कर लंड बाहर निकाल लिया।मेरा लन्ड दन दनाता हुआ चाची के सामने खड़ा हो गया।
चाची– ये क्या कर रहा है तू। पागल हो क्या।इसको जल्दी से अंदर कर।
मैं– मै इसको अंदर तभी  डालूंगा जब आप चूत दिखाओगी।
चाची– अब तू उसको क्या देखेगा।इतना सबकुछ तो तूने सुबह देख लिया।
मैं– मै सुबह अच्छी तरह से नहीं देख पाया था।

चाची– देख रोहित, तू हमेशा से ही अच्छा लड़का रहा है। अब तू ये बेवकूफी वाली हरकते क्यो कर रहा है। सुधर जा नहीं तो तेरे चाचा को सब कुछ बता दूंगी।
मैं–बता देना। मैं नहीं डरता हूं।मुझे तो बस आपकी चूत चाहिए।
चाची–तू तो पागल हो चुका है।ये हरकते करना छोड़ और पढ़ाई पर ध्यान दे।एग्जाम्स आ रहे है।
मैं– चाची आप भी तो मेरी परेशानी समझिए ना। मैं आपको देख देखकर पढ़ाई नहीं कर पा रहा हूं।मेरा लंड आपके सेक्सी जिस्म को देख देखकर बार बार खड़ा हो जाता है। मैं कई रातों से तो सोया नहीं हूं।अगर आपने चूत नहीं दी तो मै फ़ैल हो जाऊंगा।

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चाची– अरे यार तू समझ क्यो नही रहा है? मैं ऐसे कैसे तुझे दे दू?
मैं– क्यो आपको चूत देने में क्या दिक्कत है।
चाची– मै तेरी चाची हूं।थोड़ा सा तो रिश्ते का लिहाज कर।
मैं– चाची आप भी कोनसे ज़माने में जी रही हो? मै–आजकल तो लोग आपकी भाभी, बहिन को चोद देते है।फिर मैं तो आपका भतीजा हूं।मुझसे आपको चुदवाने में क्या दिक्कत है।
चाची–देख मुझे कुछ नहीं करवाना है।बस। सुन लिया तूने। अब इसको फटाफट अंदर कर।
मैं– चाची देख लो। आप इतने बड़े लंड को छोड़ रही
ही।
चाची– मैंने तुझसे बोल दिया। एकबार में समझ में नहीं आया क्या।

चाची मेरी बात नहीं सुन रही थी।इधर मेरा लन्ड चाची की चूत के लिए बहुत ज्यादा तड़प रहा था। अब मैंने सोचा सीधी उंगली से तो घी नहीं निकलेगा अब तो उंगली को टेढ़ा ही करना पड़ेगा।तभी मैंने चाची को फिर से बाहों में कस लिया और ताबड़तोड़ उनके रसीले होंठों पर चुम्बनों की बारिश कर दी।चाची फिर से खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।वो मुझे धक्का देने लगी लेकिन मैंने मजबूती से चाची को पकड़ रखा था। अब मैं चाची को सरकाते हुए किचन की पट्टी के पास ले गया और उनके मादक,कामुक सेक्सी जिस्म को ताबड़तोड़ मसलने लगा।तभी चाची की पकड़ ढीली पड़ते ही मैंने चाची के पजामे में हाथ घुसा दिया। मेरा हाथ सीधा चाची की चूत में का घुसा।                               अब चाची मेरे हाथ को पजामे में से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।लेकिन वो मेरे हाथ को नहीं निकाल पा रही थी। मैं बुरी तरह से चाची की चूत को कुरेद रहा था।इधर अब मैं दूसरे हाथ से चाची के बोबे को दबाने लगा।चाची मुझे दूर हटाने के लिए पूरी गांड़ का ज़ोर लगा रही थी।लेकिन मुझे दूर हटाना उनके बस की बात नहीं थी।

अब मैं चाची के बोबे को दबाता हुआ चाची के इलास्टिक वाले पजामे को नीचे खिचनें लगा तो चाची ने अब सारा ज़ोर पजामे को बचाने में लगा दिया। मैं बार बार चाची के पजामे को नीचे खींच रहा था और चाची बार बार पजामे को ऊपर सरका रही थी।इधर मै चाची के होंठो को लगातार खा रहा था। अब मैं कभी चाची के पजामे को नीचे खिचता तो कभी उनकी चूत को रगड़ देता।
चाची को समझ में नहीं आ रहा था कि वो किस किस चीज को बचाए।पजामे को बचाने के चक्कर में तो उन्होंने बूब्स को फ्री छोड़ दिया था। अब मैं चाची के बूब्स को अच्छी तरह से मसल रहा था।आह आह इतने मस्त शानदार बूब्स मेरे तो लंड की लॉटरी लग चुकी थी।

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं– [email protected]
Rohit