Aunty Sex Story

चाची ने बड़ी मुश्किल से चूत दी–3

Chachi ne badi mushkil se chut di-3

तभी मै नीचे बैठ गया और चाची के हाथो को हटाकर उनके पजामे को खोलने की कोशिश करने लगा।तभी मैंने चाची के पजामे को ज़ोर से खींचा।चाची का पजामा एक ही झटके में नीचे उतर आया। अब चाची बहुत ज्यादा डर गई।तभी चाची ने वापस पजामा पहनने की कोशिश करने लगी लेकिन वो मेरी पकड़ से पजामा नहीं छुड़ा पाई। तभी चाची ने थक हारकर कहा–रोहित,तुझे जो करना है,वो कर ले।लेकिन प्लीज नीचे कुछ मत कर। मैं तेरी चाची हूं।थोड़ी सी शर्म हमारे बीच में रहने दे।
मैं– मतलब,आप कहना क्या चाहती है?
चाची– मै कह रही हूं कि नीचे मुझे पजामा पहना दे,बाकी कमर से ऊपर ऊपर तुझे जो करना है वो कर लेे। मैं तुझे नहीं रोकूंगी।
मैं– लेकिन चाची असली मज़ा तो नीचे ही है।अगर आप नीचे की नहीं दोगी तो फिर मज़ा कैसे आएगा?
चाची– वो हमारे बीच लाज शर्म की लास्ट कुण्डी है।प्लीज उस लास्ट कुण्डी को मत खोल।बाकी सारी कुंडिया खोल ले।
मैं–यार चाची आप भी बहुत ज्यादा नखरे दिखा रही हो।

अब मैंने सोचा भगाते भूत की लंगोटी ही सही।अभी चाची के जिस्म की सारी कुंडिया खोल लेता हूं बाकी लास्ट कुण्डी को भी खोलने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा।मैंने तुंरत चाची को हां कह दिया। अब मैं उठ गया और चाची ने पजामा पहन लिया। अब मैं कुर्ते के ऊपर से ही चाची के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से अच्छी तरह से कसने लगा। मुझे चाची के बूब्स को कसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
चाची के बूब्स की शानदार कसावट मेरे लन्ड को तूफान मचाने पर मजबुर कर रही थी। अब मैं आराम से चाची के मस्त बूब्स को दबाने,मसलने का मज़ा ले रहा था। अब चाची आराम से बूब्स मसलवा रहीं थी।धीरे धीरे चाची आहे भरने लगी।
चाची– ओह रोहित प्लीज धीरे धीरे मसलों ना।बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।आह आह आह।

मैं– ओह चाची,आपके बूब्स ही इतने शानदार है। मैं क्या करूं इन्हे तो ज़ोर ज़ोर से मसलने का मन कर रहा है। अब मैं अपने आप को कैसे रोकू।
चाची– आह आह आह ओह आह ऊंह आह आह आह आह आह ओह ओह ऊंह ऊंह उमह।
मैं– ओह चाची आपके बूब्स तो बहुत ज्यादा रसीले है।आह आह ऊंह आह आह।मज़ा आ रहा है।आह आह आह।ओह ओह आह आह।
चाची के जिस्म के ऊपर का हिस्सा अब मेरा हो चुका था। मैं चाची के बूब्स को अच्छी तरह से दबा रहा था।इधर चाची धीरे धीरे सिसकारियां भरते हुए गर्म होती जा रही थी। तभी मैं चाची के कुर्ते को खोलने लगा तो चाची ने फिर से मुझे रोक लिया।चाची मुझे कुर्ता नहीं खोलने दे रही थी।

चाची– रोहित कुर्ता मत खोल सिर्फ ऊपर ऊपर से ही दबा लेे।
मैं– चाची अब आपके बूब्स तो देखने दो।
चाची– नहीं ,मैंने तुझे पहले ही बोल दिया था।
चाची की बात सुनकर मेरा दिमाग खराब हो गया। मैं जानता था कि चाची चूत में मेरा लन्ड लेने के लिए तैयार है लेकिन साली बहुत ज्यादा नखरे दिखा रही है। अब इनके नखरों को कैसे खत्म करू?
मैं– चाची आप भी बहुत ज्यादा नखरे दिखा रही हो।
अब मैं मन मसोसकर चाची के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा।फिर उनकी कमर को पकड़ कर चाची के रसीले होंठों को चूसने लग गया। अब किचन में होंठो को चूसने की आवाजे गूंजने लगी। मैं लबालब चाची के होंठो को चूसे जा रहा था।इधर मै चाची के बूब्स को भी अच्छी तरह से दबाता जा रहा था।मेरा लन्ड चाची की चूत में घुसने की पूरी पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन मेरे लन्ड को चाची की चूत में घुसने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था।

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फिर कुछ ही देर में मैंने चाची के रसीले होंठों को बुरी तरह से चूस डाला।तभी मैंने चाची के कुर्ते में हाथ डाल दिया और अन्दर से उनके बूब्स को पकड़ लिया।
चाची– रोहित ये क्या कर रहा है।मैने तुझे मना किया ना।
मैं– करने दो ना चाची।तभी तो मेरे लंड को मज़ा आयेगा।
चाची– नहीं। प्लीज नहीं।ऊपर ऊपर से तुझे सब करने दे रही हूं वो ही बहुत है।
तभी चाची ने मेरे हाथो को कुर्ते मेरे से बाहर निकाल दिया। अब मैंने चाची के बूब्स को ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया।चाची चीख पड़ी।
चाची– आईईईई।

तभी डोर बेल बज उठी। अब चाची ने मुझे दूर हटाया और खुद को ठीक करके गेट खोलने चली गई। अब मैंने भी मेरा लन्ड पजामे के अन्दर डाल लिया।मयंक खेलकर आ चुका था। अब मैं पढ़ाई में दिमाग लगाने की कोशिश करने लगा। खैर रात हुई।चाचा घर आए और चाची ने उन्हें खाना परोस दिया।मेरी गांड़ फट रही थी कहीं चाची  चाचा को सब कुछ नहीं बता दे।
मैं पूरी रात  सो नहीं पाया। सारी रात लंड को पकड़े रहा। अब मै ठान चुका था कि कल चाची को कैसे भी करके चोदना है।सुबह मयंक के स्कूल जाने के बाद चाचा भी दुकान पर चले गए। अब घर में हम दोनों अकेले ही बचे थे। कुछ देर बाद चाची बेडरूम में अलमारी में कपड़े सेट कर रही थी।
मेरा लन्ड चाची की चूत के लिए ज़ोर से फड़कने लगा।तभी मैने मेरे सारे सारे खोल फेंके।सिर्फ अंडरवियर को बचाकर रखा।   तभी मैंने चाची को पीछे से पकड़ लिया और धड़ाधड चाची के बूब्स को दबाने लगा।
चाची– रोहित काम तो कर लेने दे।फिर दबा लेना।

मैं–नहीं चाची आज तो मैं आपको कोई काम नहीं करने दूंगा।
चाची– रोहित छोड़ दे ना।
मैं– नहीं चाची,आज तो आपकी चूत में लंड डालकर ही आपको छोडूंगा।
तभी चाची मेरी तरफ पलटी।
चाची– मैंने तुझे कल क्या समझाया था। मैं तुझे वो चीज नहीं दे सकती हूं यार। थोड़ा तो समझ ना।
मैं– अब मै कुछ नहीं समझने वाला।मुझे अब सिर्फ आपकी चूत चाहिए।
तभी मैंने चाची को कसकर अलमारी से चिपका दिया और उनके बूब्स को दबाते हुए चाची के पजामे में हाथ डालकर चूत को सहलाने लगा। अब चाची मेरे हाथ को चूत में से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मै पूरी ताकत से चाची की चूत को मसल रहा था।चाची चूत में खलबली होने की वजह से सिसकारियां भरने लगी। मैं चाची की चूत को बुरी तरह से रगड़ रहा था।
चाची– आईईईई आईईईई आह आह आह आह आह ओह प्लीज हाथ को बाहर निकाल।

मैं– आह आह ओह चाची करने दो ना बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आह आह आह आह।
चाची– आईईईई आईईईई बहुत दर्द हो रहा है रोहित। प्लीज जल्दी से बाहर निकाल ना।
मैं– आह आह आह ओह चाची। पहले बोलो आप चूत मारने दोगी?
चाची– थोड़ा तो रिश्ते का लिहाज कर।
मैं– रिश्ते को छोड़िए।आजकल तो सब चलता है।
चाची– नहीं रोहित। तू तो ऊपर ऊपर से ही कर लेे।
मैं– नहीं चाची।आज तो मैं आपकी सारी कुंडिया खोल कर रहूंगा।
चाची अभी भी मेरे हाथ को चूत में से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी लेकिन उनकी हर एक कोशिश नकायाब हो रही थी। मैं चाची की चूत में ज्वाला भड़का रहा था।चाची की चूत धीरे धीरे गर्म होती जा रही थी।
चाची– ओह आह आह आह ओह रोहित मत कर ना।
थोड़ी देर तक चाची और मेरे बीच में चूत के लिए जंग होती रही और मै चाची की चूत को रगड़ता रहा।

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कुछ देर बाद मैंने चाची को उठाकर बेड पर पटक दिया और चाची के हॉट सेक्सी कातिल जिस्म पर चढ गया। अब मै चाची के रसीले होंठों पर टूट पड़ा और पागल सा होकर चाची के बूब्स को खाने लगा।चाची बार बार मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी।वो हाथ पैरों को उठा उठाकर पटक रही थी लेकिन आज तो चाची की चूत में लंड ठुकना पक्का था।चाची मुझे उनके जिस्म पर से हटाने की लाख कोशिशं कर रही थी। मैं चाची के होंठो को लबालब चूसे जा रहा था।पूरे बेडरूम में पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ पुच्छ की आवाजे आ रही थी।

अब चाची के रसीले होंठों को अच्छी तरह से चूसने के बाद मै चाची के गले पर किस करने लगा।चाची गर्दन को इधर उधर पटकने लगी। मैं उनकी गौरी चिकनी गर्दन को चूमे जा रहा था। अब चाची भी कहां तक झूठा नाटक करने की कोशिश करती। धीरे धीरे चाची भी गर्म होने लगी। अब चाची के नखरे धीरे धीरे कम होने लगे।फिर मैंने चाची की गर्दन को चुमबनो से गीली कर चाची को पिघला दिया।
तभी मैं मौका देखकर चाची का कुर्ता खोलने लगा लेकिन तभी चाची ने होश सम्हाल लिया और कुर्ते को पकड़ लिया। मैं कुर्ते पर से चाची के हाथो को हटाने लेकिन चाची ने कुर्ते को अच्छी तरह से पकड़ लिया था। मैं चाची का कुर्ता नहीं खोल पा रहा था। मैं भी चाची का कुरता खोलने की पूरी पूरी कोशिश कर रहा था और चाची भी कुर्ते को खोलने से बचाने के लिए पूरी जान लगा रही थी।तभी मेरा दिमाग बजा और मैंने चाची का इलास्टिक वाला पजामा खींचकर टांगो में लेे आया।पजामा खुलते ही चाची की गांड़ फट गई। अब वो पजामे को बचाने की कोशिश करने लगी लेकिन तब तक चाची बहुत देर कर चुकी थी।मैंने एक ही झटके में चाची का पजामा खोलकर उनके मुंह पर फेंक दिया। चांदी बुरी तरह से पानी पानी हो गई। अब उनकी बोलती बंद हो चुकी थी।

अब चाची की काले रंग की पैंटी मेरे लंड के सामने थी। आह! चाची की पैंटी में से चूत की क्या शानदार खुशबू आ रही थी।आह मै तो चूत की महक से ही पागल होने लगा था। अब मेरा लन्ड बुरी तरह से ठन चुका था। मैंने तुंरत मेरी अंडरवियर को खोल फेंका और लंड को आज़ाद कर दिया।  अब मै चाची की काली पैंटी को खोलने लगा।चाची ने तो पहले ही पैंटी को पकड़ रखा था। अब मै फिर से पैंटी को खोलने के लिए चाची के साथ उठापटक करने लगा।चाची पैंटी पर से बिल्कुल भी हाथ नहीं हटा रही थी।
मैं– चाची पैंटी को खोलने दो।
चाची– नहीं मै नहीं खोलने दूंगी।
मैं– चाची पैंटी खोलने दो नहीं तो आपकी पैंटी फट जाएगी।

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मेरे इतने कहने पर भी चाची पैंटी खुलवाने के लिए नहीं मान रही थी।तभी मैंने चाची की पैंटी को पकड़ा और ज़ोर से पैंटी को खींचने लगा।पैंटी एक ही बार में चाची की जांघो तक खिसक गई और चाची की चूत नंगी हो गई।चाची अब भी पैंटी को पकड़े हुए थी।तभी मैंने चाची को झटका देकर हाथो को पैंटी से दूर हटाया और एक ही पल में चाची की पैंटी को खोल फेंका।
अब चाची की नंगी चूत मेरे सामने थी।चाची ने चूत को हाथो से ढक लिया था।
मैं– चाची अब और कितने नखरे करोगी। अब तो आपकी चूत पूरी नंगी हो चुकी है।
अब चाची कुछ नहीं बोल पा रही थी।फिर मैंने ज़ोर लगाकर चाची के हाथो को चूत पर से हटाया और उनके हाथो को पकड़ लिया।चाची अभी भी ना नू कर रही थी। मैं चाची की चूत को निहारने लगा।

चाची की चूत चारो तरफ से बड़ी बड़ी काली घनी झांटों से अटी पड़ी थी। इन बड़ी बड़ी काली घास ने चूत की झील को पूरी तरह से ढक रखा था।ऐसा लग रहा था जैसे कई सालों से बावड़ी की सार सम्हाल ही नहीं की गई हो।हालांकि चाची की बावड़ी बड़ी थी जिसमे से पानी की बूंदे साफ साफ नजर आ रही थी।
नीचे से पूरी नंगी होते ही चाची बहुत ज्यादा शरमा रही थी।वो मुझसे नज़रे नहीं मिला पा रही थी।तभी मैंने चाची के हाथो को छोड़ा और चाची की दोनो टांगो को फैला कर चाची की मस्त शानदार खुशबूदार चूत को चाटने लगा। मैं तो चाची की चूत की खुशबू से ही पागल होने लगा।मुझे चाची की चूत चाटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं पागल सा होकर चाची की चूत चाट रहा था।चाची ने अभी भी मेरे सिर को पकड़ रखा था और चूत पर से हटाने की कोशिश कर रही थी।
मैं चाची की खुशबूदार चूत को चाटने का पूरा मज़ा ले रहा था।तभी मैंने चाची की चूत में मेरी जीभ घुसा दी और अब मै जीभ से चाची की चूत में हमला करने लगा।मेरे इस हमले से चाची बुरी से सिहर उठी।उनके मुंह से सिसकारियां फुट पड़ी।तभी चाची ने मजबुर होकर मेरे सिर को ज़ोर से चूत कर दबा दिया। मैं सबड सबड कर चाची की चूत को पिघला रहा था।
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं– [email protected]
Rohit