चालक बनने के चक्कर में चुद गई-4
Chalak banne ke chakkar me chud gai-4
यही हाल भाई का भी था, उसने मेरा टॉप निकाल दिया और मैंने टॉप को उतारने में उसकी मदद की और अब ऊपर से में बिल्कुल नंगी हो गई और भाई मेरे बूब्स पर जैसे टूट पड़ा, वो कभी एक को चूसता तो कभी दूसरे को ज़ोर लगाकर दबा देता, जिसकी वजह से मेरे बूब्स में हल्का हल्का सा दर्द होने लगा, क्योंकि वो बहुत ज़ोर से चूस और निचोड़ रहा था और अब भाई ने एक हाथ से मेरा बॉक्सर नीचे सरकाना शुरू कर दिया और में भी इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसे रोक नहीं सकती थी, इसलिए में भी हर काम में उसका साथ दे रही थी, मुझे पता ही नहीं चला कब भाई ने अपना बॉक्सर उतार लिया.
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे और अब भाई मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत के मुहं पर लगाया और गरम गरम लंड का एहसास ही अलग था, उस पल को में कभी भूल नहीं सकती. फिर भाई ने लंड बिल्कुल मेरी चूत पर टिका दिया और मेरे दोनों पैरों को पकड़कर मेरे पेट से चिपकाता हुआ वो मेरे ऊपर लेट गया और उसने लंड को मेरी चूत के अंदर सरका दिया.
में उस असहनीय दर्द से बिखल उठी, में भूल गई थी कि भाई अब एक 25 साल का मर्द बन चुका है और में अभी कच्ची कली हूँ, जिसने अभी जवानी में अपना पहला कदम रखा है और जब एक मर्द कच्ची कली पर चढ़ेगा तो ऐसा ही होगा.
अब में उस दर्द को सहन नहीं कर पा रही थी और भाई से छोड़ने का आग्रह करने लगी, लेकिन वो इस वक़्त कहाँ मानने वाला था? इसलिए मैंने अपना दम लगाकर खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बेकार गया, क्योंकि उसमें बहुत ताक़त थी. में तो उसके नीचे दब सी गई, उसका लंड धीरे धीरे अंदर ही जा रहा था और भाई ने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और धीरे धीरे करके उसने अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया, मेरी तो जैसे जान ही निकल गई. अगर मुझे पता होता कि चुदने में इतना दर्द झेलना पड़ता है तो में कभी भी यह रिस्क नहीं लेती, लेकिन अब तो जो होना था हो गया. अब भाई ने अपने लंड को धीरे धीरे मेरी चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे मुझे कुछ राहत मिली और उसका लंड धीरे से बाहर जाता और फिर आराम से अंदर आ जाता और धीरे धीरे करके मुझे भी मज़ा आने लगा और मेरा पूरा दर्द गायब हो गया. अब भाई ने भी अपने धक्को की स्पीड को बढ़ा दिया और अब वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगा और उसकी स्पीड बढ़ते ही में फ्री हो गई और में उससे हटने का इशारा करने लगी, लेकिन वो तो अपनी धुन में लगा हुआ था, जैसे पता नहीं कौन सा खजाना उसके हाथ लग गया हो?
उस समय मेरी तो उसे बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी. अब उसके धक्को से मुझे फिर से मज़ा आने लगा था और अब में भी उसका साथ देने लगी, वो लगभग 15 मिनट तक मुझे पूरे जोश के साथ चोदता रहा और इस बीच में पांच बार झड़ गई थी, अब तो मुझसे झेलना भी मुश्किल हो गया था. तभी उसने धक्को की स्पीड को तेज कर दिया और उसके हर एक धक्के से में अपने आप ही ऊपर की और सरक जाती.
फिर उसने मुझे पूरे जोश के साथ एकदम टाईट पकड़ लिया और एक गरम गरम पिचकारी मेरे अंदर छूटी, जिससे में बिल्कुल निढाल हो गई और उसी वक़्त में फिर से झड़ गई, मेरे मुहं से अपने आप सिसकियाँ निकलने लगी, आह्ह्हहह उूउऊँ आईईईईईई और फिर सब शांत हो गया. अब हम ऐसे ही लेटे रहे. फिर भाई ने एक करवट ली और खुद पीठ के बल लेट गया. मैंने भी उसकी छाती पर अपना सर रख लिया और एक पैर फैलाकर भाई के ऊपर रख दिया और में आँखे बंद करके लेट गई और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई. सुबह मेरी आँख खुली तो जब भाई मेरे बूब्स दबा रहा था.
अब मुझे जागता हुआ देख उसने मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिए और में भी उसके साथ उसके होंठो को चूसने लगी, लेकिन जैसे ही मैंने अपने पैर खोले तो मुझे एक तीखा सा दर्द हुआ. मैंने एकदम से भाई को हटाया और बैठकर अपनी चूत को देखने लगी, उस वक़्त मेरी चूत में थोड़ी सूजन थी और मेरे पैरों के जोड़ो में दर्द भी हो रहा था.
फिर भाई ने पूछा कि क्या हुआ? तो मैंने उसे बताया कि दर्द हो रहा है तो उसने कहा कि पहली बार करने पर थोड़ा सा दर्द जरुर होता है, में दर्द की दवाई ला दूँगा सब ठीक हो जाएगा और फिर में बेड से उठकर वॉशरूम की तरफ़ जाने लगी और चलते समय भी मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए मुझे पैर खोलकर चलना पढ़ रहा था और सू-सू करते समय भी जलन सी हो रही थी, जब में बाहर निकली तो भाई नीचे जा चुका था और में भी नीचे की तरफ़ चल दी.
मम्मी, पापा और भाई तीनों टेबल पर बैठे थे और मेरी चाल देखकर मम्मी ने मुझसे पूछा कि मेरे बच्चे को क्या हुआ और मेरे पास आकर फुसफुसाई. मैंने हाँ में अपना सर हिला दिया तो मम्मी ने कहा कि ड्रॉयर में नॅपकिन रखे है, उसे काम में ले लेना. फिर मैंने कहा कि मेरे पास है, लेकिन पेट में बहुत दर्द हो रहा है, तो मम्मी मुझसे बोली कि कोई बात नहीं खाना खाकर आराम कर ले और फिर मुझे हग करके ही कुर्सी तक ले गई और कुर्सी पर बैठा दिया.
फिर पापा मुझसे बोले कि क्या हुआ बेटा तो मम्मी ने इशारे से उनको समझा दिया. फिर भाई ने कहा कि कुछ नहीं हुआ ऐसे ही ड्रामे कर रही है ड्रामेबाज़, तो पापा बोली उसकी तबियत खराब है उसे तो तंग ना कर. फिर मैंने जीभ निकालकर भाई को चिड़ाया और बोली कि सुन लिया ना मुझे तंग नहीं करना और उसके बाद मम्मी पापा अपने ऑफिस के लिए निकल गये.
भाई ने बर्तन साफ किए और फिर हम दोनों सोफे पर बैठकर टी.वी. देखने लगे. अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और में भी उसके ऊपर ही लेट गई और उसकी आँखो में देखने लगी, जिनमें मुझे सिर्फ़ प्यार ही प्यार दिख रहा था, भाई मेरे होंठो को चूसने लगा और अब उसके हाथ मेरी गांड पर आ गये और दबाने लगे. फिर में उसके हाथ को हटाते हुए बोली कि भैया आज नहीं प्लीज़ मुझे सच दर्द हो रहा है तो उसने मेरी बात मान ली और अपने हाथ से मेरी कमर को सहलाता रहा और में ना जाने कब उसके ऊपर ही सो गई, मुझे पता ही नहीं चला और शाम को मेरी आँख खुली तो में सोफे पर अकेली लेटी हुई थी, में उठकर फ्रेश हुई और उस वक़्त मेरा दर्द करीब खत्म सा हो चुका था, लेकिन रात को भाई के साथ सोते हुए मैंने उसे कुछ नहीं करने दिया ना ही उसने मुझे कुछ किया, हम बस हग किए बातें करते रहे.
अगली सुबह में एकदम ठीक थी, मेरे दर्द का नामोनिशान तक नहीं था और फ्रेश होकर मैंने मम्मी के काम में थोड़ा हाथ बंटाया और उनके जाने के बाद में बर्तन साफ कर ही रही थी कि भाई पीछे से आ गया और मुझे हग कर लिया और उसका खड़ा लंड मेरी गांड पर चुभने लगा. मैंने पूछा कि क्या बात है आज सुबह सुबह मूड में हो? तो भाई ने कहा कि क्या करूं जानू तुम हो ही इतनी मस्त कि देखते ही में मूड में आ जाता हूँ और फिर भाई मुझे गोद में उठाकर सोफे पर ले गया और मेरा लोवर और टॉप उतार फेंका.
फिर ब्रा और पेंटी उतारकर मुझे पूरी नंगी कर दिया और मुझ पर टूट पड़ा और में भी उसका साथ देने लगी और फिर उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया, मुझे दर्द तो हुआ, लेकिन उसके बाद जो मज़ा आया, वो में किसी भी शब्दों में आप लोगों को बता नहीं सकती. उस दिन भाई ने पूरे दिन मज़े से करीब 6 बार चोदा. मेरी तो बहुत बुरी हालत हो गई, में एक बार की चुदाई में 2-3 बार झड़ गई.