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चालू शालू की मस्ती-1

(Chalu Shalu Ki Masti- Part 1)

हाय दोस्तो… आपकी शालिनी भाभी एक बार फिर से आप सबके लंड खड़े करने आ गई है अपनी एक नई कहानी लेकर!
भूले तो नहीं ना मुझे?
मैं लेडी राउडी राठौड़, आपकी शालिनी भाभी, आया कुछ याद?

तो लगी शर्त
जीजा मेरे पीछे पड़ा
गर्मी का इलाज
डॉक्टर संग मस्ती
सम्भोग का सफर
और चूत से चुकाया क़र्ज़!

आया कुछ याद?

हाँ जी, आपकी वही शालिनी भाभी जयपुर वाली!

आज मेरी कहानी का हर एक दीवाना मुझे चोदने को बेचैन है।
आज कहानी लिखते हुए और चुदते हुए दस साल हो गए, इन दस सालों में लाखों लोगों के मेल और मैसेज आ चुके है, मैंने हो सके उतने मेसेज का रिप्लाई भी दिया और करीब- करीब अब तक 500 लोगो से चैट भी कर चुकी हूं, सच मानो अब तो मेरी चूत भी चाहती है कि मैं अपने हर दीवाने का लंड अपने अंदर घुसवा कर चुद जाऊँ पर यह मुमकिन नहीं है यारो!

अब आपको ज्यादा बोर नहीं करूंगी और कहानी पर आऊंगी.

बात आज से लगभग एक साल पहले की है, सर्दी अपने पूरे चरम पर थी, मेरे पीहर में कोई शादी का प्रोग्राम था, मम्मी पापा का फ़ोन आया और बताया कि मेरे चाचा की लड़के की शादी बारह दिसम्बर को तय हो गई है और मुझे और मेरे पति को बच्चो सहित चार पांच दिन पहले आने के लिए बोला.

बात करते करते मेरी चाची और चाचाजी से भी मेरी बात करवाई तो चाचा और चाची ने कहा- शालू पिछली बार जब तू आई थी तो तूने वादा किया था कि भाई की शादी में पांच दिन पहले आएगी. अब शादी आ गई है तो अपना वादा भूलना नहीं और पूरे परिवार के साथ चार-पांच दिन पहले पहुँच जाना और शादी की जिम्मेदारी संभालो आकर!

मैं भी बहुत उतावली हो रही थी अपने भाई की शादी में जाने के लिए तो मैंने चाचा और चाची को बोला- ठीक है, हम सब पांच दिन पहले पहुंच जाएंगे.

शाम को जब पति ऑफिस से आए तो मैंने उन्हें बताया- कुणाल की शादी तय हो गई है बारह दिसम्बर को. तो आप कल ही छुट्टी की एप्लीकेशन लगा दो, हमें पांच दिन पहले वहां जाना है.
पति ने कहा- नौ और दस दिसंबर को तो हमारे बैंक की दो नई ब्रांच का उद्घाटन अपने शहर में होने वाला है. और बॉस ने सम्पूर्ण जिम्मेदारी मुझे दी है तो मैं तो शादी में ग्यारह दिसंबर को ही आ पाऊंगा और बच्चों के भी पेपर शुरू होने वाले हैं. वो भी पच्चीस दिसम्बर से पहले ख़त्म नहीं होंगे.

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और फिर मुझसे बोले- तुम कार लेकर चली जाओ.
मैंने भी सोचा कि पति के कारण में अपने भाई की शादी का प्रोग्राम क्यों कैंसिल करूं.

फिर मैंने मेरी सासूजी को फोन मिलाया और बोली- मम्मी जी, आप प्लीज हमारे घर आ जाइए. मुझे कुणाल की शादी में जाना है और बच्चों के एग्जाम शुरू होने वाले हैं तो बच्चों की देखभाल के लिए आपको यहां आना पड़ेगा.
सासुजी ने कहा- बेटी, तुम आराम से जाओ. मैं और तेरे ससुर जी दोनों कल शाम को ही तुम्हारे घर आ जाते हैं।

अगले दिन जब मेरी सास और ससुर जी दोनों घर पर आए तो मैंने सासू मां से बोला- मम्मी, मुझे कुणाल की बहू के लिए पोशाक और कुणाल के लिए अपने घर की तरफ से कुछ कपड़े और सामान लेना है तो आप मेरे साथ मार्केट चलो.
मैं और मम्मी तैयार होकर शाम को मार्केट चले गए. वहां से मैंने कुणाल की पत्नी के लिए मेरे घर की तरफ से पोशाक और कुणाल के लिए भी कपड़े के लिए और शाम को वापस घर आ गए.
चार-पांच दिन बाद मुझे मेरे पीहर जाना था।

पीहर जाने वाले दिन से पहले वाली रात में मैंने और मेरे पति ने जमकर चुदाई की, मैंने पति को बोला- मैं तुम्हारे लंड के बिना चार-पांच दिन कैसे रहूंगी जानू, मेरी चूत को रोज लंड की जरूरत है और वहां शादी में भी जब तुम आओगे तो रात में मिलना हो पाएगा या नहीं इसलिए आज मुझे जमकर रगड़ दो.

मेरे मुंह से ये सब सुनकर मेरे पति भी जोश में आ गए और हम दोनों ने पूरी रात तीन बार चुदाई की. एक बार तो उन्होंने मेरी गांड भी मारी और गांड मारने के बाद अपने वीर्य को मेरे हलक में उतार दिया.
आपको तो पता ही है मुझे वीर्य पीना तो बहुत ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने उनके वीर्य का एक एक कतरा अपने मुंह में गटक लिया और लंड को चाट चाट कर साफ कर दिया.

हमारी तीन बार की चुदाई में सुबह के चार बज गए थे, मुझे चुदाई की थकावट की वजह से नींद आने लग गई.

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चुदाई की मस्ती की के बाद सुबह नौ बजे में उठी तो सासु ने बोला- आज तुझे जाना है और इतनी लेट उठी है?
मैंने कहा- मम्मी कल रात में हल्का सा बुखार आ गया था तो गोली लेकर सो गई थी इसलिए आज लेट उठी.
अब सासु मां को कौन समझाए इसने निगोड़ी चूत के लिए रात भर जागना पड़ा और आप के बेटे ने मुझे चोद-चोद कर निहाल कर दिया.

मैंने एक दिन पहले ही सभी सामान पैक कर लिया था जाने के लिए, तो दिन में दो बजे जयपुर से अपने पीहर के लिए मेरी कार लेकर निकल पड़ी अपनी पीहर की तरफ.

मेरे ससुराल जयपुर से मेरा पीहर लगभग साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर है, अभी मैं आधी दूरी ही तय कर पाई थी तब तक शाम के पांच बज चुके थे और मावठ की बरसात की बूंदें गिरनी शुरू हो गई. जिनको पता नहीं है उनकी जानकारी के लिए बता दूँ की जब कश्मीर में बर्फबारी शुरू हो जाती है तो हमारे राजस्थान में भी सर्दियों में बरसात होती है जिसे मावठ की बरसात कहते हैं. उसके बाद से ही राजस्थान में ज्यादा सर्दी पड़नी शुरू होती है.

अचानक से बरसात बहुत तेज की होने लगी तो मैंने हाईवे पर गाड़ी चलाने के बजाय गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ा करके पार्किंग लाइट ऑन कर दी और गाड़ी के कांच पर वाइपर चालू कर दिए. लगभग आधा घंटे तक बारिश रुकने का इंतजार किया, जब बारिश कुछ हल्की पड़ी तो मैंने फिर से चलने का प्लान बनाया और जैसे ही गाड़ी स्टार्ट की तो ये क्या … गाड़ी तो स्टार्ट ही नहीं हो रही!

मैंने बार-बार सेल्फ बंद चालू किया लेकिन गाड़ी तो स्टार्ट ही नहीं ही रही थी और बारिश भी हल्की हल्की हो रही थी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए. मैंने सड़क के आसपास नजर दौड़ाई तो मुझे कहीं भी कोई पास में ढाबा या होटल या ऐसा कुछ नहीं दिखा जहाँ से मदद की आशा की जा सकती थी.

शाम के लगभग 6:00 बजने वाले थे और बादलों और बरसात की वजह से अंधेरा होने लग गया था मेरा दिल बैठने लग गया. मैंने सोचा कि बरसात बंद हो तो मैं भी गाड़ी से बाहर निकल के किसी की मदद मांगू.
लेकिन बरसात तो हल्की हल्की अभी भी चालू था बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

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अचानक मेरी नजर गाड़ी से कुछ दूर पर रोड के किनारे लगे हुए बोर्ड पर पड़ी, बरसात की वजह से उसमें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था फिर मैंने गाड़ी के अंदर से कपड़े से शीशे को साफ किया और बाहर भी वाइपर को तेज कर दिया तो मुझे दिखा, वो किसी गैरेज का बोर्ड था.
“*** मोटर गेरेज”
यहा पर सभी प्रकार की गाड़ियों की रिपेयरिंग की जाती है,
डेंटिंग, पैन्टिंग और मेकेनिकल वर्क्स
हाईवे की गाड़ियों के लिए क्रैन की सुविधा उपलब्ध,
मिस्त्री- *** फ़ोन न.- 9×××××××××

मुझे उम्मीद की एक किरण नजर आई मैंने तुरंत अपना सेलफोन लिया और बोर्ड पर लिखे नंबरों को डायल कर दिया और घंटी जाने लगी, सामने से कॉल रिसीव हुआ और एक मर्दाना आवाज आई- हेलो.
मैंने कहा- हाँ जी, कौन बोल रहा है?
“पवन मोटर गेरेज से पवन बोल रहा हूं, आप कौन बोल रही हैं?”
“मैं शालिनी बोल रही, यहाँ अजमेर से बाहर बाई पास से आगे मेरी गाड़ी ख़राब हो गई है और सामने आपके बोर्ड पर नंबर लिखा हुआ है, तो क्या प्लीज आप आ जाओगे?”
“हाँ मेडम, मैं बस पहुँचता हूँ.” यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।

लगभर दस मिनट बाद एक कार मेरे कार के पास आकर रुकी, और उसमें से एक आदमी छाता लेकर भागता हुआ मेरी गाड़ी के पास आया तो मैंने अपनी कार का शीशा नीचे किया।
वो बोला- शालिनी जी.
मैंने कहा- जी!
“मैं पवन, आपने कॉल किया था।”
“ओह्ह! पवन जी, सो सॉरी. मैंने आपको इतनी बारिश में बुलाया, पर मेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन ही नहीं था।”
“अरे! नहीं नहीं मेडम, इट्स ओके, और वैसे भी कस्टमर को जरूरत के समय सर्विस देना तो तो हमारा काम है। आप गाड़ी का बोनट खोलिए ना मैं देखता हूं प्रॉब्लम कहां पर है।”
मैंने कहा- ओके!

कहानी जारी रहेगी.