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दादी के साथ बहु और बेटी की चुदाई-2

Dadi ke saath bahu aur beti ki chudai-2

तारीख 12 जून सुबह जब धर्मपाल बाथरूम में नहा रहे थे और राधिका रसोई में कुछ काम कर रही थी, तो तभी धन्नो मेरे कमरे में घुसी और अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया तो में सोने का नाटक करते हुए उनको चोर निगाहों से देख रहा था.

अब उनके ब्लाउज के ऊपर के 2-3 बटन खुले हुए थे और उनकी चूचीयों का आधा भाग साफ़-साफ़ दिख रहा था, यहाँ तक की मुझको उनकी निप्पल भी साफ़-साफ़ दिख रही थी.

फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए और किचन में चली गयी. आज में बहुत परेशान था, अब में रात को अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था कि अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरे एक तरफ धर्मपाल लेटा हुआ था और दूसरी तरफ राधिक लेटी हुई थी और राधिका के बगल में धन्नो लेटी हुई थी, जब राधिका सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए थी और राधिका का पेटीकोट उसके घुटनों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी एक टांग जाँघ तक नंगी थी.

फिर में हिम्मत करते हुए राधिका के करीब सरक गया और अपना एक हाथ आहिस्ता से उसकी चूचीयों पर रखा और धीरे-धीरे उसकी चूचीयों को दबाने लगा.

अब मेरी इस क्रिया से वो कुछ भी नहीं बोली, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो जाग चुकी थी और सोने का नाटक कर रही थी. फिर में अपना एक हाथ राधिका दीदी की नंगी टांग पर रखकर उनकी नंगी जाँघ को सहलाने लगा.

फिर राधिका दीदी ने लेटे-लेटे ही अपने ब्लाउज का बटन खोलकर अपना ब्लाउज उतार दिया. राधिका दीदी ने अपने ब्लाउज के नीचे सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी और जब उनको ब्लाउज उतारते देखकर में गर्म हो गया, लेकिन मैंने अपने आप पर काबू रखा. अब में राधिका दीदी के पीछे से मेरा हाथ दीदी की पीठ से होकर उनके चूतड़ तक पहुँचा चुका था. फिर मैंने अपने हाथों से दीदी का पेटीकोट उनके चूतड़ के ऊपर तक खींच दिया और इस समय मेरा हाथ उनकी जाँघ और उनके चूतड़ों को सहला रहा था.

तब राधिका दीदी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और अपनी ब्रा उतार दी. फिर में राधिका दीदी की चूचीयों को दबाने लगा, उनकी चूचीयाँ बहुत कड़क-कड़क और खड़ी थी, इस समय जब वो मेरी तरफ करवट लेकर लेटी थी तो उनकी चूचीयाँ अपने वजन से नीचे की तरह लुढ़क गयी थी.

राधिका दीदी की चूचीयाँ तो बड़ी-बड़ी थी, लेकिन उनके निप्पल छोटे-छोटे थे. फिर मैंने उनके निप्पल को अपनी दोनों उँगलियों के बीच में लेकर ज़ोर से दबा दिया, तो वो धीरे से मेरे कान में फुसफुसा कर बोली कि आउच, दीनू दर्द करता है, धीरे-धीरे सहलाओ. फिर में उनकी बात मानकर उनकी निप्पल को धीरे-धीरे से सहलाने लगा और फिर उनकी पूरी चूची को अपने हाथ में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगा.

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फिर मैंने उनकी चूची को सहलाते हुए उनसे पूछा कि पहले किसी ने ऐसे चूची दबाई है? मज़ा आ रहा है ना? तो वो सिसकारी भरते हुए बोली कि बहुत मज़ा आ रहा है, पहले कुछ लड़को ने मेरे कपड़ो के ऊपर से मेरी चूची दबाई थी, लेकिन उसमें मुझे मज़ा नहीं आया था, आज बहुत अच्छा लग रहा है, दबाते रहो. फिर में अपने पेट के बल लेट गया और उनकी दोनों चूचीयों को अपने हाथों में लेकर धीरे- धीरे दबाने और सहलाने लगा.

फिर वो अपनी चूची दबवाते हुए मुझसे बोली कि उूउउफफफफफ्फ़ तुमने तो मुझे पागल ही कर दिया है, मेरे पूरे बदन में चीटियाँ चल रही है, अब मेरी गर्मी और बढ़ गई है, तो मैंने अपने दोनों हाथों को उनके कंधों के नीचे ले जाकर उनको अपने आपसे लिपटा लिया, तो उसने भी अपने बदन से मुझको लिपटा लिया. अब उनकी दोनों चूचीयाँ मेरी छाती से दब रही थी और मुझको उनकी गर्मी का एहसास हो रहा था.

फिर मैंने उनके होंठो को अपने होंठो से लगाकर खूब कसकर चूमा और अपने एक हाथ से उनकी एक चूची को पकड़कर सहलाते हुए अपने दूसरे हाथ को उनके शरीर पर फैरने लगा, उनका बदन बहुत चिकना था. फिर मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उनके पेटीकोट के नाड़े को खोलकर उसको उनकी जांघों के नीचे सरका दिया.

अब मेरा हाथ उनकी कोरी बिन चुदी गर्म चूत के ऊपर था. राधिका दीदी की चूत पर झांटे थी, लेकिन वो मेरे हाथों को रोक नहीं पा रही थी और मेरा हाथ उनकी चूत के होंठो को छूते हुए उनकी चूत के दरवाजे में घुस गया और फिर जैसे ही मेरी उंगली उनकी चूत के अंदर गयी तो उनकी जांघे अपने आप खुल गयी. अब मेरी उंगली ठीक तरीके से उनकी चूत में अंदर बाहर होने लगी थी.

अब उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूची पर कसकर दबा लिया और अपनी जांघों से मेरे हाथ को दबा लिया और छटपटा कर बोलने लगी कि उूउउफफफ्फ़ उसको मत छुओ, नहीं तो में संभाल नहीं पाऊँगी, मेरी जाँघो और चूतड़ों को सहलाओ, लेकिन अपना हाथ वहाँ से हटा लो, लेकिन फिर भी में अपना हाथ उनकी चूत पर फैरता रहा और वो मुझको अपने आपसे लिपटाकर मुझको ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी और अपना एक हाथ मेरी लुंगी में डालकर मेरे लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी, उसकी चूत हल्के भूरे रंग की झांटो से ढकी हुई थी. अब वो अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी थी और अब वो धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनी चूत पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की तरफ रगड़ रही थी.

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अब पहले तो वो मेरे लंड को अपनी चूत पर धीरे-धीरे रगड़ रही थी और फिर अचानक से उनकी रगड़ने की स्पीड बढ़ गयी और उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी. फिर थोड़ी देर के बाद मुझे उनकी चूत की चिकनाई मेरे लंड के ऊपर होने का एहसास हुआ तो मैंने नीचे की तरफ देखा तो मैंने पाया कि मेरा लंड करीब आधे से ज़्यादा उनकी चूत में घुसा हुआ था.

फिर मैंने जोश में आकर अपनी कमर का दबाव थोड़ा और डाला तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ उनकी बच्चेदानी से टकरा गया. अब उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी और वो बोल रही थी अहह ओह में मर गयी, अहह बहुत मजाआाआआ, अहह में गयी और फिर उनकी चूत सिकुड़न पैदा करते हुए झड़ गयी और में भी करीब 15-20 धक्को के बाद उनकी चूत में ही झड़ गया. फिर हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही शांत पड़े रहे.

फिर वो मुझको चूमते हुए बोली कि थैंक यू दीनू जी, मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला, तुम बहुत मस्त हो और तुम्हारा लंड खाकर कोई भी लड़की या औरत मस्त हो जाएगी और फिर हमने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और अपनी-अपनी जगह पर सो गये, लेकिन बेचारी राधिका को यह बात नहीं मालूम थी कि उसकी भाभी धन्नो मेरे लंड को अपनी चूत से खाने के लिए तड़प रही है. फिर तारीख 15 जून को दिनभर में कई बार धन्नो आते जाते मेरे शरीर से अपनी चूची रगड़कर निकली, लेकिन में उन चूचीयों को पकड़कर दबाने का मौका नहीं पा पाया, लेकिन उस दिन एक घटना घटी, अब पहले तो धन्नो मेरे दफ़्तर जाने के बाद नहाती थी, लेकिन आज शनिवार था और मेरी छुट्टी थी. अब धर्मपाल और राधिका अपने-अपने काम पर निकल चुके थे, तो तब धन्नो मेरे बाथरूम में जाने से ठीक पहले बाथरूम में घुस गयी.

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अब में रोज़ की तरह तोलिया लपेटे था और वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुई थी, तो बाथरूम में जाने से पहले उन्होंने पीछे मुड़कर मुझको इशारा किया कि में भी बाथरूम में घुस जाऊं. इस समय उनके शरीर पर सिर्फ़ पेटीकोट था, जिसको उन्होंने अपनी चूची के ऊपर से बाँध रखा था.

फिर में जल्दी से बाथरूम की तरफ गया और बाथरूम का दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया, तो बाथरूम में धन्नो नंगी होकर अपने पैरों को फैलाए हुए खड़ी थी और उनकी चूत के ऊपर कोई भी बाल नहीं था. फिर उन्होंने जल्दी से मुझको अपने पास खींच लिया और मुझको अपने आपसे लिपटा लिया और मेरे कान में फुसफुसा कर बोली कि जल्दी से मौका निकालकर मुझे चोदो, मेरी चूत बहुत प्यासी है. फिर उन्होंने मेरे ऊपर से तौलिया खींचा और जल्दी से मेरा लंड अपने हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी, तो तब उन्होंने अपनी एक टांग को ऊपर उठाकर एक बाल्टी के ऊपर रख लिया और मेरे खड़े लंड को पकड़कर अपनी चूत से सटा दिया.

फिर मैंने भी अपने लंड को धन्नो की चूत से सटा दिया और अपनी कमर हिलाकर एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और अपनी कमर हिला- हिलाकर उसको खड़े-खड़े चोदने लगा.

अब में उनकी चिकनी बगैर झांटो वाली गर्म चूत को चोद रहा था, तो वो मुझसे लिपटे हुए बोली कि ओह बहुत अच्छे, साले, मादरचोद चोदो, मेरी खुली चूत को चोद साले, तेरा लंड बहुत मस्त है, मारो धक्का ज़ोर से मारो, ऊऊ ऐसे ही मारते रहो, ऊओ आआआहह बसस्स्स्स्सस्स अब में झड़ने वाली हूँ, तू धक्का मार और ज़ोर-ज़ोर से मार.

फिर थोड़ी देर के बाद वो झड़कर चुपचाप हो गयी, लेकिन मेरा अभी तक पानी नहीं निकला था तो में उसकी चूत के अंदर मेरा लंड पेलता रहा और उनकी दोनों चूचीयों को पकड़कर उनकी चूत के अंदर अपना लंड दनादन पेल रहा था, वो इस समय मेरे साथ अपनी चूत चुदवाकर बहुत खुश थी और फिर मैंने भी कुछ पलों में ही उसकी चूत को अपने लंड रस से भर दिया, आज वो काफ़ी संतुष्ट थी. फिर में जब तक वहाँ रहा मैंने उन तीनों के खूब मजे लिए और उनकी खूब चुदाई की.