Aunty Sex Story

दीपावली पर आंटी ने गुजिया खिलाई-1

Deepawali par aunty ne gujiya khilai-1

Aunty xx, हैल्लो दोस्तों, चुड़क्कड़ लड़कों और मेरी चुदासी बहनों आप सभी कैसे है? हाँ तो मेरी चुदासी बहनों और प्यारे लंड धारी भाइयों इस बार दीवाली में मैंने किसकी गुजिया चखी, उसके बारे में आज में आप सभी को बताने जा रहा हूँ. दोस्तों अब आप लोग मेरी उस सच्ची घटना को जरा ध्यान लगाकर सुनिए और मज़े ले.

दोस्तों दीवाली के दूसरे दिन में अपनी मामी के घर दीवाली पर मिलने गया, जहाँ पर मेरे मामा और मामी के अलावा उनकी एक लड़की जिसकी उम्र 15 साल है वो भी रहती है. मेरी मामी भी अभी बहुत सुंदर है और उनका गोरा बदन बड़े बड़े बूब्स और भरी भरी गांड और उसके ऊपर से उनका बड़े गले का ब्लाउज पहनना, जिसके अंदर से उनके बड़े आकार के पपीते की तरह के बूब्स हमेशा आधे बाहर ही झांकते रहते थे और में उनको देखा करता था.

दोस्तों में अपनी एक चाची और यहाँ तक की अपनी मौसी को भी कई बार चोद चुका हूँ, वो सभी बहुत धार्मिक विचारों की थी, लेकिन मुझे मेरी मामी जी उन सभी में सबसे ज्यादा कड़क स्वभाव की लगती थी, हालाँकि की ऊपर से तो उनका रवैया बिल्कुल अच्छा और अपनापन लिए हुए होता था, लेकिन वो बहुत अकड़ेल स्वभाव की थी, उनको गुस्सा भी बहुत ज्यादा आता था और में हमेशा से ही उनको अपने पैरों के नीचे लेना चाहता था, लेकिन मेरा बस नहीं चल पा रहा था और मुझे ऐसे ही किसी अच्छे मौके की तलाश थी, जिसका फायदा उठाकर में उनकी चुदाई के मज़े लूँ और उनकी चूत को अपने लंड का गुलाम बना लूँ.

फिर जब दीवाली के अवसर पर में उनके घर पर गया तो मेरे मन में बस यही सब विचार पहले से ही आ रहे थे, वहाँ पर मेरे मामा जी और नेहा मेरे मामा की लड़की घर पर नहीं थी, लेकिन एक और औरत जिनकी उम्र करीब 44 साल रही होगी और वो भी मेरी मामी की तरह ही भरे हुए शरीर की थी, उनका रंग गोरा, उनके बूब्स ऐसे जैसे कि बस अभी वो ब्लाउज को फाड़कर बाहर निकल पड़ेंगे, वैसे उनका ब्लाउज तो और भी ज्यादा क़यामत वाला था, गले के साथ साथ उनकी कमर भी बहुत ज्यादा खुली हुई थी, जिसकी वजह से मुझे उनकी गोरी गोरी पीठ साफ नज़र आ रही थी और उनकी पीठ को देखकर तो में तुरंत उस पर हाथ फेरने को तड़प गया.

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फिर मुझे देखकर मामी बहुत खुश हो गई और नाश्ता वगेरा करने के बाद मैंने अपनी मामी से मेरे मामा के बारे में पूछा कि वो कहाँ है? तो उन्होंने मुझे बताया कि वो नेहा को भी अपने साथ लेकर अपने एक दोस्त के घर गये हुए है और वो तीन दिन के बाद आएँगे और यह मेरी सहेली है, इसका नाम नीतू है और यह मुझसे मिलने मेरे पास आई थी, लेकिन मैंने इसको मेरे घर पर बिल्कुल अकेले होने की वजह से अपने पास ही रोक लिया. फिर मैंने बड़े ध्यान से देखा कि नीतू आंटी मुझे कुछ चालू किस्म की लगी और वो मुझे बहुत गौर से देख रही थी और में तो उनकी ऐसी नज़रों को देखकर तुरंत ही समझ जाता था, क्योंकि मुझे इन कामों में समझ ज्यादा थी, इसलिए में भी जब भी वो ऐसी कोई हरकत करती तो में भी उनकी तरफ देखकर मुस्कुरा देता था. फिर थोड़ी देर के बाद मामी उठकर अपने कमरे में चली गई और वापस आकर वो मुझसे बोली कि राज तू यहीं पर बैठकर नीतू से बातें कर ले, में तब तक ज़रा बाजार से सब्जी कुछ जरूरी सामान ले आती हूँ और इतना कहने के बाद मामी जी बाजार चली गयी.

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है आप आराम से आपका पूरा काम खत्म करके आना, में भी तब तक अपना कुछ जरूरी काम खत्म कर लेता हूँ, यह बात सुनकर मामी चली गई और उनके जाते ही नीतू आंटी तुरंत उठकर मेरे ज्यादा करीब आते ही वो अब मुझसे मुस्कुराकर बोली हाँ तो बेटा बताओ तुम्हारी इस बार की दीवाली कैसी रही? क्या तुमने कोई गुजिया वगेरा खाई या तुम अब तक भूखे ही हो? दोस्तों उनका मुझसे यह सब बातें पूछने का अंदाज़ बहुत ही अलग था और उनकी उस बात के दो मतलब थे, जिसको में बहुत अच्छी तरह से समझ चुका था और मैंने उनको अपना जवाब भी उसी अंदाज़ में दे दिया कि आंटी गुजिया तो मैंने अब तक बहुत खाई, लेकिन अभी तक मुझे कोई मतलब की गुजिया नहीं मिली, जिसका रस जायकेदार हो और जिसको खाते ही मन अंदर से कहे कि वाह मज़ा आ गया.

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अब वो शरारती हंसी हंसते हुए कहने लगी कि क्यों में अगर तुम्हें अपनी गुजिया खिलाऊं तो तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा? दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश होकर मैंने कहा कि नहीं आंटी मुझे कैसा ऐतराज़, लेकिन उसको खाने के लिए मुझे आपके साथ आपके घर पर जाना पड़ेगा?

फिर वो कहने लगी कि नहीं में अभी यहीं पर तुझे अपनी रसीली गुजिया खिला देती हूँ जा तू भी क्या याद रखेगा? और यह शब्द कहकर आंटी तुरंत अपनी साड़ी को ऊपर उठाने लगी और में अपनी चकित नजरों से वो नजारा देखता रहा और धीरे धीरे करके उन्होंने अपनी साड़ी को जांघों के ऊपर तक उठा दिया, जिसकी वजह से उनकी साड़ी के नीचे उनकी लाल कलर की पेंटी मुझे अब साफ साफ नज़र आने लगी थी और अब मैंने मन ही मन कुछ बातें सोचकर उनके सामने पूरी तरह से खुलना बेवकूफी समझा और मैंने नाटक करते हुए उनसे कहा कि आंटी यह आप क्या कर रही है? क्या भला यहाँ पर भी कोई गुजिया होती है?

तो मेरे मुहं से बात सुनकर वो बोल पड़ी, अरे भोसड़ी के यहीं तो असली गुजिया होती है आजा अब जल्दी से अपना मुहं लगाकर इसको चाट और ले ले सारा मज़ा जवानी का, में तो तुझे पहली बार देखकर ही समझ गयी थी कि तू तो बहुत बड़ा वाला चुड़क्कड़ है, हरामी तू जब से यहाँ पर आया है, तब से तू मेरे बूब्स को ऐसे घूर रहा है जैसे खा ही जाएगा और तो और तू अपनी मामी को भी तू ऐसे देख रहा था, जैसे उसको तू अभी यहीं पर पटककर उसकी चूत में अपना लंड घुसा देगा.

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दोस्तों आंटी के मुहं से मेरे लिए इस तरह की सच्ची बातें सुनकर में पहले तो बहुत आश्चर्यचकित था, लेकिन में उसके बाद अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ और अब मुझे मेरा उनके साथ पूरी तरह से खुल जाना ही बेहतर लगा, क्योंकि मुझे उसकी बातों से लग रहा था कि वो साली कोई बहुत बड़ी छिनाल है, उसने अब तक ना जाने कितनों के लंड को ठंडा किया था, लेकिन वो सब मुझे देखने और लंड को अंदर डालने के बाद पता चलने वाला था और में उसी के इंतजार में था.

फिर मैंने उस रंडी से कहा की आंटी आप तो बहुत ही परखी नज़र रखती है, मुझे आपका यह अंदाज बहुत पसंद आया और यह बात बिल्कुल सही है कि जब से में यहाँ पर आया और मैंने आपको देखा है, तब से में मन ही मन बस यही बात सोच रहा था कि किस तरह से आपको अपने लंड के नीचे लिया जाए और आपकी चूत को चोदकर वो असली मज़ा लिया जाए? और रही बात मामी की तो उसके चक्कर में तो में पता नहीं कब से हूँ, वो साली बहुत सेक्सी इधर उधर मडराती रहती है, लेकिन वो मुझे कभी भी भाव ही नहीं देती.

तभी वो मेरी बात को बीच में काटकर तुरंत बोली कि अरे तेरी वो साली मामी तू नहीं जानता, उसको वो बहुत सयानी है रंडी कुतिया, वो मेरे लड़के से मेरे ही सामने कई बार अपनी चूत को चुदवा चुकी है, जो तेरी ही उम्र का है और अब वो उसके एक दोस्त जिसका नाम जमाल है, वो उस पर अपनी नजर गड़ाए हुई है, आज सबसे पहले तू मेरी गुजिया खा उसके बाद में तुझको उसकी भी गुजिया खिलवा देती हूँ.