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दीदी की सुहागरात

Didi ki suhagrat, १४ फरबरी की रात दीदी की शादी हुयी। और इसी के साथ वो शादीशुदा हो गयी। पर भगवान् मुझसे पता नही क्या चाहता था? दीदी की शादी के अगले दिन उनकी विदा हुयी और २ दिन बाद वो घर लौट आयी। दूसरी विदा के लिए। उनके घर आते ही हम उन्हें छेड़ने लगीं, की दीदी बताओ न क्या क्या हुआ।? तो पता चला की दीदी के पिरिअड चल रहे थे। इसलिए उनका अभी शारीरिक सम्बन्ध नही हो पाया है। और जब पूरे साथ दिन के बाद जीजू दीदी को लेने ले लिए आए। तो उनकी सुहागरात तो हमारे यहाँ ही होनी थी न क्योंकि जीजू अगले दिन जाने वाले थे। सो रात में हमने उनका कमरा खूब सजाया। और में भी उनके बगल वाले कमरे में थी।

मैने जीजू को मजाक में कहा भी की अगर कुछ जरूरत हो तो बताना। हम भी बगल वाले कमरे में ही हैं। पर मेरी आंखों में नींद नही थी। में यहो सब सोच रही थी की अन्दर क्या चल रहा होगा? और आख़िर में मैने फ़ैसला कर ही लिया। दीदी के कमरे में खुलने वाली एक खिड़की की झिर्री में अपनी आँख लगा दीं। और देखा। दीदी लाल रंग की साड़ी में पलंग पर बैठी थी। और जीजू कुरते पायजामे में थे। जीजू के आते ही वो थोड़ा सा हिली और उनकी चूड़ियाँ और पायल बज उठी। उन्होंने दीदी को एक डायमंड की अंगूठी दीं और दीदी बोली। इसकी क्या जरूरत थी?। तो जीजू बोले की ‘अरे यह तो तुम्हारी मुह दिखायी है।’ वैसे भी आज तुम बहुत सुंदर दिख रही हो। और उन्होंने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उनके माथे, गाल, और लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया।

ऐसा लग रहा था की दो प्रेमी बड़े दिनों के बाद मिले हों। शुरू में उनके हाथ स्थिर थे पर जैसे जैसे वासना का तूफ़ान परवान चढ़ रहा था। वैसे वैसे दोनों के हाथ एक दूसरे को खोज रहे थे। दीदी के हाथ जीजू की पींठ पर थे और जीजू के हाथ दीदी के पींठ पर से होते हुए हिप्स पर आए और उन्हें कस लिया। जीजू ने अपने एक हाथ को दीदी के लेफ्ट स्तन पर रखा तो दीदी ने जीजू को देखा और फिर से किस करने लगीं। शायद यह एक हाँ थी जीजू को जिन्होंने हाँ मिलते ही अपने दोनों हाथों से दीदी के बूब्स को साड़ी के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया था। और जल्दी ही उन्होंने दीदी की साड़ी भी निकाल दीं।

इधर मेरा एक हाथ भी मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी पूसी पर पहुँच चुका था। जीजू ने दीदी के पेटीकोट का नारा ढूँढ लिया और उसे खोल दिया। ऐसा करते ही उनका पेटीकोट खुलकर उनके पैरों में नीचे गिर गया। और दीदी उसमे से बाहर निकल कर खड़ी हो गयी। दीदी ने चमकते लाल रंग की एक पैंटी पहन राखी थी जिसमे से उनके हिप्स का उभर खूब चमक रहा था। अब वो जीजू की पकड़ में थीं, एक ब्लाऊज, पैंटी और एक ब्रा पहने हुए। जीजू ने दीदी को घुमाया और उनका मुह ड्रेसिंग टेबल के शीशे की और कर दिया और पीछे से हाथ आगे लाये और दीदी के बूब्स को जकड लिया अपनी हथेलियों में। और दीदी भी करहा रही थी जैसे ही उन्होंने दीदी के गले और गर्दन और कान के नीचे किस करना शुरू कर दिया। दीदी शायद बड़ी ही उत्तेजना में थी, क्योंकि उन्होंने भी तुंरत ही पायजामे के ऊपर से जीजू का लंड अपने हाथों में ले लिया।

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उधर जीजू में दीदी के ब्लाऊज भी खोल दिया और दीदी अब ब्रा में उनके सामने थीं। “यह आप क्या कर रहे हो ?”, दीदी ने बोला तो जीजू ने बोला की, “अब तुम मेरी बीवी हो और में तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हे कोई ऐतराज है?” दीदी ने बोला “नही।” और वापस घूम कर जीजू की और मुह कर लिया और पेनिस को धीरे धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। जीजू ने दीदी की ब्रा भी उतार दीं और बेद पर फ़ेंक दीं और दोनों स्तन अपने हथेलियों में भर लिए। दीदी के मुह से आह निकल ही जा रही थी। वो बीच बीच में दीदी के निप्पलस भी चूस रहे थे। अब दीदी सिर्फ़ लाल रंग की एक पैंटी में थीं। जीजू ने उन्हें पलंग पर लिटा दिया, उनको बूब्स एकदम गोल गोल और ऊपर उठे हुए थे। जीजू ने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिए।

और सिर्फ़ अंडरवियर में वो भी पलंग पर आ गए। उनका पेनिस उस अंडरवियर में से बाहर आ जाना चाह रहा था। दोनों एक दूसरे के शरीर से लिपट गए थे। जीजू दीदी की टांगों के बीच में उनकी चूत पर हाथ फेर रहे थे और अपने सीने के नीचे दीदी के बूब्स दबे हुए थे। जीजू ने दीदी की पैंटी के अन्दर हाथ डाला और उनके नंगे हिप्स पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और दीदी ने जीजू के अंडरवियर को उतार दिया और पेनिस को पकड़ कर रगड़ना शुरू कर दिया। तो जीजू ने भी दीदी की पैंटी उतारनी शुरू करदी और दीदी ने अपनी कमर ऊपर उठाकर जीजू की मदद करदी। बस अब दोनों पूरे नंगे थे, और यह सब मेरी आँखे देख रही थी।

मेरी चूत नल की तरह पानी छोडे जा रही थी। जब जीजू दीदी को घोरने लगे तो दीदी ने अपना मुह अपनी हथेलियों से धक् लिया। कमरे बल्ब जल रहा था सो में साफ़ साफ़ देख पा रही थी की दीदी के गोरे बदन पर सिर्फ़ चूत के ठीक ऊपर हलके हलके बाल थे और जीजू उनमे अपनी उंगलियाँ फेर रहे थे। जीजू का पेनिस एकदम कदा था लोहे को रोड की तरह। जीजू ने दीदी की टाँगे फैलाई और उनके बीच में बैठ गए और नीचे झुके और उनके पूसी पर किस कर लिया। दीदी इसके लिए तयार नही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढकने लगीं। वो अपना सर हिलाकर मने करने लगी, “वहां नही।!”।

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लगता था कि शायद वहां बाल होने की वजह से वो किस नही करने देना चाहती थी। पर जीजू ने जिद नही कि और उनके पेट पर किस करते हुए बूब्स कि और बढने लगे। दोनों हाथों से वो दोनों स्तनों का मर्दन करने लगे और दीदी के मुह से सिसकारी निकलने लगीं। फिर एक स्तन को चूसते और दूसरे के निप्पल को उँगलियों से रगड़ने लगते। दीदी के हाथ जो जीजू कि पींठ पर लिपटे हुए थे इसलिए जीजू ने दीदी का एक हाथ फिर से अपने लंड पर रख दिया। और उधर जीजू ने तकिये के नीचे से कंडोम का पैकेट निकाल लिया।

और फिर एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चडा लिया। फिर एक डिब्बी निकली (जोकि एक जेल्ली थी), और उसमे से थोडी सी के वाई जेली निकाल कर दीदी कि गीली चूत पर मल दीं। जीजू दीदी के ऊपर थे और उनका लंबा मोटा लिंग दीदी कि जाँघों के बीच में ठीक चूत के सामने लटका हुआ था। जीजू ने दीदी के कान में कुछ फुसफुसाया और दीदी ने तुंरत ही अपने हिप्स और घुटनों को ऊपर नीचे करके उनके लंड को अपनी चूत पर टक्कर दिलवाने लगीं। मेरी उंगलियाँ मेरी क्लिटोरिस को जोर जोर से रगड़ रही थी और चूत में से पानी बहे जा रहा था। मन तो ऊँगली को चूत के अन्दर डालने को हो रहा था पर मजबूर थी चूँकि अभी तक में कुंवारी ही थी, मेरा मतलब मेरी योनी में झिल्ली टूटी नही थी, इसलिए ऊँगली नही डालना चाहती थी।

उधर, दीदी जीजू के लिंग को अपनी चूत के प्रवेश पर बार बार रगड़ रही थीं और शायद जैसे ही वो सही सीध में आया होगा, दीदी ने अपने हिप्स और घुटनों को ऊपर नीचे करना रोक दिया और जीजू कि पींठ पर एक हाथ रखकर उन्हें नीचे दबाब देने को कहा।और जीजू ने धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया। पर या तो चिकनाई ज्यादा थी या दीदी का छेद सही नही बैठ पा रहा था। उनका लिंग स्लिप हो गया। दीदी ने अपना हाथ बढाया और अपने हाथ से उनके लिंग को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर फिर रखा और फिर से नीचे दवाने को कहा।पर इस बार फिर लिंग टुंडी कि तरफ़ भाग गया।तब जीजू ने ख़ुद ही अपने लिंग को पकड़ा और दीदी कि चूत में डालने कि कोशिश करी और जैसे ही उन्होंने एक हल्का सा धक्का लगाया, तो शायद वो थोड़ा अन्दर गया, क्योंकि दीदी के हाथ और पाँव एकदम हवा में उठ गए और मुह से सिसकारी निकल गयी।

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और अभी दो तीन ही धक्के मारे थे जीजू ने कि दीदी ने उन्हें रोक दिया और बोली कि “दर्द हो रहा है।।आज मत करो।आराम से करेनेगे न।बताओ।कोई जल्दी है क्या ।?” और जीजू मान भी गए, पर इस सब से मुझे यह पता लगा कि शायद दीदी अभी भी कुंवारी हैं और वो इस से पहले कभी लिंग से नही चुदी!” जीजू दीदी कि बात मान गए और कंडोम निकाल दिया और पलंग पर लेट गए। दीदी उठकर बैठी और जीजू के ऊपर आ गयी और उन्हें किस करने लगी। उनके लिंग को छोड़कर दीदी ने उन्हें हर जगह चूमा। फिर वो जीजू कि बायें और बैठ गयी और जीजू के लिंग को पकड़ कर फिर से स्ट्रोक करने लगी। बीच बीच में वो अपनी जीभ से लिंग को किस भी कर देती। दीदी ने पहले जीजू के लिंग को किस किया और फिर एकदम से अपने मुह में भर लिया।

ओह माय गोड ! क्या सीन था वो। जीजू के लिंग का टॉप उनके मुह में था और वो उसे एक तोफ्फ्य कि तरह से चूस रह थीं। और जब जीजू को मदहोशी छाने लगी तो उन्होंने भी दीदी का सर अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने लिंग के ऊपर दीदी के मुह को ऊपर नीचे करने लगे। एक आध बार दीदी ने पूरा लिंग भी अन्दर लेना चाह पर सफल न हो पायी।पर यह सब कुछ देर ही चला क्योंकि अचानक ही जीजू ने दीदी को पीछे हटते हुए फुसफुसाया।”आह में निकलने वाला हूँ।” और ऐसा कहते ही उनके लिंग से वीर्य का फुव्बारा फूट पड़ा।

वो तो दीदी हट गयी थी वरना सारा उनके मुह में ही जाता। अभी सारा उनके लिंग से निकल कर उनके पेट पर फेल गया तहा और दीदी के हाथों में भी क्योंकि उनके लिंग पकड़ा जो हुआ था। जीजू ने अपना कुरता लिया और अपना पेट और दीदी के हाथ को साफ़ किया। और उसके बाद दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ लेट गए। दोनों एक दूसरे को आयी लव यू बोले जा रहे थे।उनकी सुहागरात पूरी हो चुकी थी और मेरे बदन में आग लग चुकी थी और में अब तक दो बार ओर्गस्म हासिल कर चुकी थी। दीदी ने रूम का बल्ब बंद कर दिया और में भी खिड़की से हट कर अपने बेड पर लेट गयी।