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दीदी ने माँ को जीजाजी से चुदवाया-3

Didi ne maa ko jijaji se chudwaya-3

दीदी नीचे झुककर जीजाजी का लंड चूसने लगी. फिर जीजाजी ने कुछ देर बाद माँ के एक पैर को घुमा दिया था, उस वजह से माँ की चूत और गांड साफ साफ दिखने लगी थी और उसी समय जीजाजी ने बिना देर किए अपनी एक उंगली को माँ की चूत में डाल दिया और वो अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करने के साथ साथ माँ के बूब्स को भी वो ज़ोर से मसलने लगे थे. फिर दीदी ने उसी समय जीजाजी का लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और जीजाजी ने अपना वो लंड मेरी माँ की चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोर के धक्के में पूरा अंदर कर दिया, ताकि माँ को संभलने का मौका भी ना मिले.

अब माँ अचानक से हुए उस जोरदार प्रहार के दर्द की वजह से एकदम चीख पड़ी और वो दर्द से छटपटाने लगी, उनको बड़ा दर्द हुआ, क्योंकि उन्होंने बहुत दिनों के बाद एक लंड अपनी चूत में लिया था, जो ज्यादा मोटा होने की वजह से आज उनकी चूत को चीरता, फाड़ता हुआ पूरा अंदर जा पहुंचा था और तभी माँ उस दर्द की वजह से उठकर बैठ गयी और वो सिसकियाँ लेते हुए कहने लगी आह्ह्हह्ह ऊईईईईई बेटा तुम यह क्या कर रहे हो?

जीजा जी बोले कि माँ क्या हुआ अभी आपको भी कुछ देर बाद मज़ा आने लगेगा, यह सब दुःख दर्द भूल जाओगी? माँ ने कहा कि नहीं यह सब जो भी हमारे बीच में हो रहा है, यह बिल्कुल ग़लत है और तभी दीदी अपनी ऊँची आवाज से बोली कि चुपकर रंडी साली अब तू ज्यादा नखरा मत दिखा, बड़ी सती सावित्री बनती है, छिनाल साली कुतिया चल अब जल्दी से सीधी नीचे लेट जा देख आज मेरे पति का लंड तुझे जन्नत की कैसे सेर करवाएगा, तुझे असली चुदाई के मज़े देगा.

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माँ कहने लगी कि नहीं तुम अब बस करो आऊऊऊ स्स्सीईईईइ में इस दर्द से मरी जा रही हूँ मुझे बड़ा अजीब सा दर्द महसूस हो रहा है. फिर दीदी जीजाजी से कहने लगी कि यह साली रंडी मुझे लगता है कि ऐसे नहीं मानेगी, आप इसको चोदना शुरू करो में इसको देखती हूँ कि यह क्या करती है? और अब जीजा जी ने अपना लंड बाहर निकालकर में के मुँह के पास कर दिया और उनको कहा कि इसको तुम अब अपने मुहं में लेकर चूसना शुरू करो.

फिर माँ ना ऐसा करने से मना करने लगी, लेकिन उसी समय दीदी ने मेरी माँ का मुँह पकड़कर जबरदस्ती अपने पति का लंड मेरी माँ के मुहं के अंदर डाल दिया और फिर माँ उसको चूसने लगी. माँ थोड़ी देर तक उस मोटे दमदार लंड को लोलीपोप की तरह चूसती रही. फिर उन्होंने लंड को बाहर निकालकर कहा कि में अब तैयार हूँ, लेकिन तुम थोड़ा आराम से करना, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है और इतना कहकर माँ एकदम सीधी होकर लेट गयी.

फिर दीदी ने अपनी चूत को माँ के मुँह पर रख दिया और वो उनके मुहं पर बैठ गयी और माँ अपनी बेटी की रसभरी चूत को अपनी जीभ अंदर डालकर चूसने लगी थी और दीदी जोश में आकर आऊऊऊ आईईई करके सिसकियाँ लेने लगी थी.

उन दोनों का वो जोश देखकर जीजा जी ने माँ की चूत के मुहं पर अपना लंड रख दिया और उन्होंने अपनी तरफ से एक हल्का सा झटका मार दिया, जिसकी वजह से जीजाजी का आधा लंड माँ की चूत में फिसलता हुआ अंदर चला गया और उसके बाद जीजा जी ने एक बार फिर ज़ोर से धक्का मार दिया और उस वजह से उनका पूरा लंड माँ की चूत में चला गया और अब जीजाजी माँ के ऊपर ही लेट गये और वो उनके बूब्स को दबाने उनका रस निचोड़ने लगे थे और साथ ही साथ वो ज़ोर ज़ोर से धक्के भी मारने लगे थे और माँ अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी थी और वो जोश में आकर कहने लगी उफ्फ्फ्फ़ हाँ और ज़ोर से दो आह्ह्ह्ह हाँ तुम जाने दो पूरा अंदर हाँ ऐसे ही धक्के देकर चोदो मुझे आज तुम मेरी इस चूत को शांत कर दो, में बहुत समय से इसकी वजह से बहुत परेशान हूँ और आज तुम इसकी पूरी भूख प्यास को मिटाकर मुझे वो मज़े दो जिसके लिए में अब तक तरस रही हूँ, लेकिन दोस्तों थोड़ी ही देर धक्के देने के बाद माँ अब झड़ चुकी थी और उनकी चूत से चूत का बहुत सारा रस बहकर बाहर आने लगा था.

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अब दीदी यह सब देखकर बिल्कुल सीधी होकर लेट गयी और जीजा जी ने अपने लंड को मेरी माँ की चूत से बाहर निकालकर अपनी पत्नी की गीली कामुक चूत के मुहं पर रखकर एक ही जोरदार झटके में अपना पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में डाल दिया जिसकी वजह से दीदी के मुहं से बस एक आईईईईई की आवाज बाहर आई और उसके बाद वो चुपकर मज़े लेने लगी थी और अब वो अपनी तरफ से दीदी को ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे थे और उसी समय माँ ने उठकर अपने बूब्स की निप्पल को जीजाजी के मुँह में डाल दिया और वो बोली कि बेटा मेरा दूध बहुत मेहनत करने पर बाहर आता है आज तुम इसका भी स्वाद चखकर मुझे बताओ कि यह तुम्हे कैसा लगा आज तुम इसका पूरा रस निचोड़ दो.

करीब दस मिनट में दीदी भी झाड़ गयी, लेकिन जीजाजी का लंड अब भी वैसे ही तनकर खड़ा था इसलिए अब उन्होंने माँ को अपने सामने घोड़ी बनाया और फिर एक ही ज़ोर के झटके में माँ की चूत में उन्होंने अपना लंड डाल दिया और वो ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगे थे. फिर तभी उसी समय जीजाजी ने अपनी एक उंगली को माँ की गांड में डाल दिया, जिसकी वजह से माँ को थोड़ा सा दर्द हुआ. फिर माँ ने कहा कि बेटा इसे मत छेड़ो, मैंने कभी गांड नहीं दी, दीदी बोली कि माँ इसमे आपको बहुत मज़ा आएगा और यह बहुत प्यार से आपका यह काम भी जरुर पूरा कर देंगे.

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माँ मेरी दीदी की वो बातें सुनकर थोड़ा सा शांत होकर अपनी गांड में लंड का मज़ा लेने लगी थी, क्योंकि कुछ देर बाद उनका वो दर्द अब मज़े मस्ती में बदल चुका था. अब जीजाजी ने कुछ देर धक्के देने के बाद अपना लंड तुरंत गांड से बाहर निकालकर माँ के मुँह में डाल दिया, क्योंकि वो झड़ने वाले थे और मेरी छिनाल माँ ने जीजा जी के लंड से बाहर निकला वो सारा वीर्य पी लिया और वो तीनों थककर वैसे ही पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटकर लेट गये और वो तीनों ही उस मज़े मस्ती की वजह से अपने अपने चेहरे से बहुत ही खुश और मेरी माँ पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी. दोस्तों यह था अपनी आखों से देखा हुआ वो सच जिसे मैंने इतनी मेहनत करके इसको आप तक पहुंचाया.