हिंदी सेक्स स्टोरी

दोनों बहनों की कामकथा – [Part 2]

Do bahno ki kamkatha-2

एक आदमी तो मेरी केफ्री का बटन खोलकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा, लेकिन मैंने किसी तरह उसे रोका. तभी बस रुकी और बस कंडक्टर ने लोगों को उतरने को बोला तो हम दोनों तेज़ी से गेट की और लपके, लेकिन लोग हमें बाहर नहीं निकलने दे रहे थे. तभी वो आदमी आया और उसने हम दोनों के लिए जगह बनाई और किसी तरह हम दोनों को उस बस से बाहर धकेला.

फिर हम दोनों नीचे उतरे तो बड़ा सुरक्षित सा महसूस हुआ और बस के जाते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे, ऐसा गंदा एहसास हो रहा था कि क्या बताऊँ? हम दोनों तो किसी मासं के टुकड़े की तरह नोचे गये थे, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और आस-पास देखा और फिर अपनी बहन की ड्रेस पर लगी धूल साफ की और फिर मैंने ऑटो रोका और सीधे उसे अपने घर चलने को कहा, ऑटो में बैठे बैठे हर पल वो ही हाथ अपने बदन पर महसूस हो रहे थे, मैंने आदमीयों का इतना जानवरपन आज तक नहीं देखा था.

में अपनी रोती हुई बहन को चुप करने की कोशिश करने लगी और उसे दिलासा देने लगी, वो बेचारी तो बहुत बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी तो लगभग इज़्ज़त लूट गई थी, लेकिन भला हो उस आदमी का जिसने हमें उस हवसी भीड़ से बचाया और में उसे धन्यवाद भी नहीं कह पाई. काफ़ी रात को हम घर पहुंचे और हमारी ख़राब हालत देख माँ और पापा को एक मिनट भी नहीं लगा यह समझते हुए कि हमारे साथ क्या हुआ है और फिर मैंने उन्हें सब घटना बताई. माँ और पापा को जब हमारे साथ क्या हुआ है यह पता चला तो पापा तो एकदम गुस्से में आग बबूला हो गये और मुझसे बस का नंबर पूछने लगे.

फिर माँ ने उन्हें समझाया कि अब बात आगे बड़ाने का कोई फ़ायदा नहीं, क्योंकि बदनामी तो अब हम लोगों की होगी और लड़कियाँ कम से कम सही सलामत घर पर तो आ गई और माँ ने हम दोनों को अपने सीने से लगा लिया और हमें समझाने लगी कि जो हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जायें.

फिर भी भूलना इतना आसान नहीं था, हम दोनों को संभलने में काफ़ी समय लग गया और मेरी बहन तो काफ़ी दिनों तक सदमे में रही. उसने तो दो दिनों तक खाना तक नहीं खाया. रात में घबराकर उठ जाती, फिर सो भी नहीं पाती थी और में खुद भी सदमे में थी तो उसे कहाँ संभाल पाती, लेकिन कुछ दिन में, में तो नॉर्मल होने लगी और जो हुआ था उसे भूलने की कोशिश करने लगी, लेकिन आईना अभी तक सदमे में थी. कभी कभी तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगती. में उसे किसी तरह संभालती और कहती कि अब उस घटना को भूल जाये, वो कहती थी कि में क्या करूँ? में उस दिन को भुला ही नहीं पा रही हूँ. उनके हाथ अभी तक मुझे मेरे बदन पर महसूस होते है.

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मैंने कहा जो तेरे साथ हुआ वो ही मेरे साथ भी तो हुआ है, लेकिन में तो उस बात को भुला चुकी हूँ और देख में नॉर्मल हो गई हूँ. वो बोली कि आईशा ऐसा नहीं है कि में उस दिन को भूलना नहीं चाहती हूँ, लेकिन में क्या करूँ? में भुला नहीं पा रही हूँ अब बता में क्या करूँ? मैंने उससे बोला देख आईना तू जितना उस दिन के बारे में सोचेगी उतना तुझे खराब महसूस होगा इसलिये उस दिन को अपनी लाईफ से निकाल दे और सोच की कभी ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. उसने बोला पता नहीं तू यह कैसे कर लेती है, लेकिन मुझको तो वो दिन अपनी लाईफ से निकालकर फेंकना बड़ा मुश्किल लग रहा है. फिर इसी बात पर हम में काफ़ी बहस हुई, लेकिन में उसे समझाने में नाकामयाब रही, फिर मैंने भी यह सोचा कि सब बात वक़्त पर छोड़ देते है शायद कुछ दिन में वो अपने आप नॉर्मल हो जाये. आईना मेरे साथ ही सोती थी, एक रात प्यास लगने की वजह से मेरी नींद टूट गई और में उठी तो मैंने देखा की आईना बेड पर नहीं थी.

मैंने सोचा शायद टायलेट करने गई होगी, बाथरूम की लाईट भी चालू थी. में उठी और फ्रिज से पानी की बॉटल निकालकर पानी पीने लगी, तभी मुझे बाथरूम से सिसकारियाँ भरने की आवाजें आने लगी. में एकदम चोंक गई कि क्या हुआ? और एकदम भागकर बाथरूम के गेट तक पहुंची, लेकिन जैसे ही मैंने अंदर देखा तो आईना का टॉप बाथरूम के गेट पर ही पड़ा था और थोड़े आगे उसके शॉर्ट्स कपड़े पड़े थे और फिर ब्रा पेंटी पड़ी थी. फिर में समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है और धीरे धीरे गेट के अंदर गई और गेट के बगल में बनी दीवार के पीछे खड़ी हो गई और मैंने अंदर देखा तो आईना बिल्कुल नंगी खड़ी थी और अपने एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और उसकी चूत पर झाटे नहीं थी, जबकि मेरी चूत पर बाल आ चुके थे.

वो दूसरे हाथ से अपने निप्पल को मसल रही थी. ऐसा नहीं था कि मैंने आईना को नंगा नहीं देखा हो, बल्कि रोज ही हम दोनों एक दूसरे के सामने ही कपड़े बदलते थे और एक दूसरे को आधा नंगा यानी टॉपलेस तो रोज ही देखते थे और बचपन में तो एक साथ ही नहाते थे और आज भी कभी कभी हम जब लेट उठते है तो एक ब्रश कर रहा होता है तो दूसरा नहा रहा होता है, लेकिन यह सीन कुछ अलग था वो नंगी तो थी ही, लेकिन आज में उसके बदन को पहली बार इस तरह मचलता देख रही थी. थोड़ी देर तक उसे यह करता देख में भी गर्म हो गई और अपने शॉर्ट्स के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगी, वहाँ आईना ने एक उंगली अपनी चूत में डाली और बड़े हल्के हल्के से उसे अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी देर ऐसा करते-करते उसकी चूत गीली हो गई और वो पस्त हो कर वही अपने चूतड़ के बल बैठ गई और अपनी दोनों टाँगें खोलकर अपनी चूत हल्के हल्के सहलाने लगी. उसकी वजह से मुझे उसकी चूत पूरी दिखाई देने लगी और मुझे पता नहीं उसे नंगा देख कर क्या हो रहा था, जो में इतना गर्म हो गई थी.

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फिर वो थोड़ी देर में उठी और गेट की तरफ आने लगी, तब में फटाफट बेड पर आकर लेट गई और उसके आते ही सोने का नाटक करने लगी. फिर उसने मुझे देखा कि कही में जाग तो नहीं रही और फिर धीरे से मेरे बगल में लेट गई और कुछ देर में शायद सो गई, लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. में पूरी रात करवटे बदलती रही और सोचती रही कि शायद यही बात थी, जो आईना उस दिन को भूल नहीं पा रही थी.

उसे उस दिन मज़ा आया था, ना कि बुरा लगा था, लेकिन मुझे क्या हुआ था आईना को नंगा देख कर? में क्यों इतना गर्म हो गई थी उसे देख कर? कहीं मुझे भी सेक्स की इच्छा तो नहीं हो रही थी और यह सोचते-सोचते पूरी रात गुजर गई और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता भी नहीं चला.

फिर अगली सुबह में बहुत लेट उठी और उठते ही माँ से डांट खानी पड़ी. फिर माँ ने मुझे ब्रश करके और नहाकर तुरंत ब्रेकफास्ट टेबल पर आने को कहा. में ब्रश करने बाथरूम में जाने लगी, बाथरूम में पहले से ही आईना ब्रश कर रही थी, उसे देख मेरे दिमाग़ में फिर कल रात का सीन आ गया कि कैसे आईना अपनी चूत को रगड़ रही थी. फिर आईना ने मुझे देखा और बोली कि आज तू भी लेट उठी, लेकिन तू तो बहुत जल्दी सो गई थी, मैंने कहा कि पता नहीं आज नींद नहीं खुली और फिर मैंने आईना को देखकर पूछा कि तू ठीक है ना? तो वो बोली हाँ अब में ठीक हूँ, तू सही कहती थी कि उस दिन को भुला देना ही अच्छा है. फिर उसने कहा आईशा पहले में नहा रही हूँ. मैंने कहा ठीक है यह सुनकर वो थोड़ी चौक गई, क्योंकि हमेशा हम दोनों में पहले नहाने के लिए लड़ाई होती थी, लेकिन आज मेरे कुछ ना कहने पर वो चौंक गई. फिर उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा कि आज तुझे क्या हुआ है. तू आज मुझसे पहले नहाने की जिद नहीं करेगी. मैंने भी हल्के से मज़ाक में कह दिया कि नहीं, मैंने पहले नहाने का चांस आज तुझे दिया, आख़िर में तेरी बड़ी बहन हूँ, वो भी मुस्कुराई और नहाने चल दी, में ब्रश करती रही.

मेरे सामने एक कांच था, उसमें आईना साफ दिख रही थी, नॉर्मली वो नहाती रहती है, लेकिन मेरी नज़र कभी उस कांच पर नहीं जाती थी, लेकिन आज मेरा मन उसे फिर से नंगा देखने का कर रहा था, इसलिये ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उस कांच पर जा रही थी. आईना ने अपना टॉप उतार दिया और हम दोनों ही घर में रात को सोते समय टॉप के नीचे ब्रा नहीं पहनते है इसलिये टॉप के उतरते ही आईना के 34D साईज़ के गोरे-गोरे बूब्स अब मेरे सामने आ गये, उन्हें देखकर पहली बार मेरे बदन में कंपकपी सी छूट गई, जबकि वैसे तो जाने कितनी बार मैंने उसे नंगा देखा होगा.

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फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी ऊतार दिए और सिर्फ़ पेंटी में आ गई उसने गुलाबी कलर की पेंटी पहन रखी थी जिस पर पीछे मिकी माऊस का टेटू बन रहा था, ऐसी ही पेंटी मैंने भी पहन रखी थी, लेकिन मेरी पेंटी पर पीछे डिजनी डक का टेटू था और इस तरह हम दोनों अपनी अपनी पेंटी पहचानते थे. फिर वो शॉवर चालू करके उसके नीचे खड़ी हो गई, जिससे उसके बैक साईड को में कांच में देख सकती थी, फिर धीरे-धीरे पानी से उसका पूरा बदन गीला होता जा रहा था और पानी से कुछ ही देर में उसकी पूरी पेंटी गीली हो गई और उसके गोरे-गोरे चूतड़ो से चिपक गई.

अब उसकी पेंटी के बाहर से उसकी चूत साफ दिख रही थी, में किसी भूखे लड़के की तरह उसे देख रही थी. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे मन में क्या चल रहा है मुझको अपने लेस्बियन होने का डर भी लग रहा था, लेकिन में क्या करती? लाख चाहते हुए भी मेरी नज़र आईना के आधे नंगे बदन से हट नहीं रही थी और बार-बार कल रात हुई घटना का मुझे ख्याल आ रहा था, वहाँ आईना को यह नहीं पता था कि में कांच में उसे देख रही थी. वो सोच रही थी कि में पीछे खड़े होकर ब्रश कर रही हूँ. फिर उसने शॉवर को बंद कर दिया और बगल से साबुन उठाकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी. पीठ, जांघ और पैर पर साबुन लगाने के लिए उसे झुकना पड़ता, जिससे उसकी गांड और बाहर आ गई और उसकी पेंटी भी थोड़ी नीचे हो गई. जिससे उसके चूतड़ों की दरार दिखने लगी.

फिर उसने अपनी जाँघो पर साबुन लगाया, उसकी जांघें उसकी उम्र के हिसाब से काफ़ी मोटी-मोटी और चिकनी थी. मेरी भी जांघें चिकनी थी, लेकिन मेरी जाँघो पर मांस थोड़ा कम था. फिर वो साबुन अपने चेहरे पर लगाने लगी. इतने में ही साबुन उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी देर वो नीचे बैठ कर साबुन ढूँढती रही, लेकिन उसे साबुन नहीं मिला. उसने मुझसे साबुन उठाकर देने को कहा तो मैंने साबुन उठाया और उसे दे दिया, लेकिन उस शैतान ने मज़ाक मज़ाक में शॉवर चालू करके मेरी तरफ कर दिया और में पूरी गीली हो गई. मैंने कहा आईना यह क्या बदमाशी है तो वो बोली अरे क्या बदमाशी? तुझे भी तो नहाना था ना, तो मेरे साथ ही नहा ले और फिर हंसने लगी.