हिंदी सेक्स स्टोरी

दोनों बहनों की कामकथा – [Part 5]

Do bahno ki kamkatha-5

रोड़ पर 5 स्ट्रीट लाईट लगी हुई थी. फिर उसके बाद तो पूरे रोड़ पर अंधेरा था. फिर एक दूसरे के साथ मज़ाक करते हुए हम दोनों उसी रोड़ पर चल दिए और धीरे धीरे हम सारी स्ट्रीट लाईट पार कर गये और फिर अंधेरे वाला रोड़ देखकर मैंने आईना से कहा कि चल लौट चलते है तो इस पर वो बोली अरे लाईट में घूमने का क्या मज़ा? अंधेरे में घूमते है मज़ा आयेगा.

मैंने फिर आईना को देखा और मुस्कुरा दी और फिर हमने घूमना जारी रखा और अंधेरे में चलते चले गये. फिर बात करते करते आईना अपना टॉप उतारने लगी और में देखती रह गई कि वो क्या पागलपन कर रही है? और में जब तक कुछ बोलती उससे पहले उसने अपने बूब्स बिल्कुल नंगे कर दिए. मैंने उसे धीरे से कहा कि क्या पागलपन कर रही है? आईना तू मरवायेगी क्या? कोई देख लेगा तुझे ऐसे तो? तो वो बोली अरे रोड़ पर कोई नहीं है और अपने बदन को ताजी हवा खिला रही हूँ. मैंने कहा पागल हो गई है तू तो वो बोली तू भी उतारकर देख, बड़ा अच्छा सा महसूस हो रहा है. मैंने कहा नहीं, में तेरी तरह पागल नहीं हूँ.

फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो गई. अब में क्या बोलती? वो तो बिल्कुल पागलपन कर रही थी. मैंने गुस्से में आईना से बोला क्या पागलपन कर रही है तू? अरे किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तुझे कोई नहीं बचा पायेगा, लेकिन उसे तो किसी बात का डर ही नहीं था, वो बोली अरे इस रोड़ पर कोई नहीं आता आईशा कुछ नहीं होगा.

मैंने कहा तू पागल है और यह कहकर मैंने उससे उसके कपड़े लिए और ज़बरदस्ती उसे कपड़े पहनाने लगी, लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, वो मुझसे दूर भागने लगी में उसके पीछे कपड़े लेकर भाग रही थी और वो आगे आगे नंगी भाग रही थी. में आख़िरकार थक कर बोली कि रुक आईना पागलपन मत कर मेरे लिए कपड़े पहन ले, वो बोली तू पागल है में नहीं पहन रही तो तुझे क्या और देख रोड़ पर अब तक कोई नहीं आया और तू फालतू में परेशान हो रही है.

फिर मैंने भी देखा कि रोड़ सुनसान ही था, यह देख कर मेरी थोड़ी हिम्मत बड़ी तभी आईना ने पीछे से आ कर मेरा पजामा नीचे कर दिया और मेरा पजामा नीचे होते ही में पेंटी में आ गई, लेकिन अगले ही सेकेंड उसने मेरी पेंटी भी नीचे खींच दी. फिर में पीछ मूडी और पेंटी और पजामा ऊपर करते हुए आईना को मारने भागी, लेकिन फिर मैंने भी सोचा कि ट्राई करते है शायद बाहर नंगा होने का अलग ही मज़ा हो यह सोचकर मैंने अपना पजामा और पेंटी उतारकर अपने कंधे पर रख लिए और फिर में अपना टॉप उतारकर बिल्कुल नंगी हो गई और यह देख आईना मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली कि देख आया ना मज़ा.

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मैंने उसे ऊपर से नीचे देखा और उसे देख मुस्कुरा दी और बोली हाँ मज़ा तो आ रहा है, लेकिन बस कोई देख ना ले. फिर आईना बोली कि तू पागल है, यहाँ पर कोई नहीं आता है और वो मुझे पूरी सड़क दिखाने लगी.

फिर हम नंगे ही घूमने लगे, पूरे बदन पर ठंडी ठंडी हवा महसूस हो रही थी और जब मेरे चूतड़ और चूत पर हवा का स्पर्श होता तो पूरा बदन सरसरा उठता, घबराहट तो थी कि कोई देख ना ले, लेकिन उससे ज्यादा अब उत्तेजना होने लगी थी. फिर आईना जानबूझ कर धीरे धीरे चलने लगी और में उससे आगे हो गई और फिर वो मेरे पीछे चलती हुई बोली कि हाय तेरी क्या ग़ज़ब चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी.

फिर मैंने कहा अच्छा और फिर में आईना के पीछे गई और बोली कि नहीं तेरी चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी और फिर उसके कूल्हों को हल्का सा नोचा और मेरे नोचते ही उसके मुँह से हल्की सी आहह निकली और वो जैसे ही मेरी तरफ मुड़ी तो मैंने उसे कसकर अपनी और खींचा और फिर उसका स्मूच ले लिया. वो पहले तो पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और में स्मूच करते हुये उसके चूतड़ों को मसलने लगी. फिर उसने भी पंजे उठाकर अपनी चूत मेरी चूत से बिल्कुल चिपका दी और हम दोनों ऐसे ही 1-2 मिनट तक स्मूच करते रहे, तभी मुझे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी, में एकदम डर गई और आईना से दूर हट गई.

फिर मैंने रोड़ के किनारे लगे एक पेड़ के पीछे उसे खींच लिया और फिर आहट तेज होती गई, उधर मेरे दिल की धड़कन भी तेज होती जा रही थी. आईना भी यह सोच रही थी कि पता नहीं कौन है और चिंता उसके चेहरे पर भी साफ़ दिख रही थी, वो चौकीदार था वो हमारी परछाई देखकर शायद यहाँ आ गया था और फिर वो देखने लगा कि कौन है.

में बुरी तरह डर गई थी और आईना को बिल्कुल अपनी बाहों में जकड़ लिया था और पेड़ में कम से कम जगह में हम दोनों सिमटने की कोशिश करने लगी, जिससे कि हम पेड़ के पीछे छुप जाये और वो हमें देख ना पाये. आईना के बूब्स पेड़ के तने से सट गये और में बिल्कुल आईना के पीछे उसकी गांड से अपनी चूत सटा कर खड़ी हो गई. कुछ देर उसने देखा, लेकिन कोई नहीं दिखने पर वो जाने लगा तब मेरी जान में जान आई, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर वो वापस मुड़ा और फिर वापस हमारे पेड़ की तरफ आने लगा, मेरी धड़कन से फिर से तेज हो गई और आईना को भी डर लग रहा था.

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उस समय में यह उसके बदन के थरथराने से महसूस कर सकती थी और चौकीदार हमारे पेड़ के आगे आकर खड़ा हो गया तो मुझे लगा कि अब बस हम पकड़े गये तो यह अब हमारे साथ सेक्स करके ही हमें छोड़ेगा या हमारे पापा, मम्मी को सब बता देगा. यह सोच मैंने अपनी आँखें बंद कर बस बचने की मन्नत करने लगी.

फिर तभी मुझे चैन खुलने की आवाज़ आई, मैंने और आईना ने पेड़ के पीछे से देखा तो चौकीदार ने अपनी पेंट की चैन खोली हुई थी और अपनी पेंट का बटन खोलकर अपनी चड्डी नीचे सरका रहा था. फिर उसने जैसे ही अपनी चड्डी नीचे सरकाई तो उसका कम से कम 7 इंच बड़ा लंड झूलता हुआ बाहर आ गया और हम दोनों का मुँह फटा का फटा रह गया और जब उसका लंड बाहर आया था तो खड़ा था.

फिर उसके लंड से पेशाब बाहर आने लगा, जैसे ही पेशाब गिरने की मात्रा कम हुई वैसे वैसे उसके लंड का आकार भी छोटा होता गया और फिर आख़िरी में उसने अपने लंड को हिला कर अपनी बची हुई दो चार बूँद भी गिरा दी. में यह देख अपना डर तो भूल गई थी ऊपर से गर्म भी हो गई थी. आईना बिल्कुल पेड़ के तने से सटकर खड़ी थी और उससे बिल्कुल चिपककर में खड़ी थी.

मेरी चूत उसकी गांड से चिपकी हुई थी और मेरे बूब्स उसके कंधे को टच कर रहे थे और लंड देखकर मेरा हाथ अपने आप आईना की चूत को सहलाने लगा, लेकिन आईना का ध्यान चौकीदार के लंड पर ही था. फिर चौकीदार ने अपनी चड्डी वापस पहनी और पेंट ऊपर की और वो वापस चला गया. फिर तब आईना को मेरे हाथ का स्पर्श अपनी चूत पर होने का पता चला, वो मेरी और मूडी और फिर हमने एक दूसरे के होंठ से होंठ मिला दिए और वो मेरे होठों को चूसने लगी. फिर मैंने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी कमर पर टिका ली, जिससे मुझे उसकी चूत के दरवाजे का आसानी से रास्ता मिल गया.

फिर में उसकी चूत को तेज़ी से रगड़ने लगी और रगड़ते-रगड़ते वो झड़ने की कगार पर आ गई, लेकिन में उसकी चूत को और तेज़ी से सहलाने लगी, वो मेरे बूब्स को मसलने लगी. फिर मैंने उसके होंठ चूसना छोड़ा और हल्का सा नीचे झुककर उसके निपल्स को चूमा, फिर धीरे धीरे उसके निपल्स को चूसना शुरू कर दिया और दूसरी और उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगी.

हम दोनों अभी तक वर्जिन थे इसलिये उसकी चूत बड़ी टाईट थी और उंगली ज्यादा अंदर तक नहीं जा रही थी, लेकिन मैंने भी अधिक कोशिश ना करते हुए जितनी उंगली अंदर गई थी उसे ही अंदर-बाहर करने लगी. उसको हल्का सा दर्द तो हुआ, लेकिन बाद में उसे मज़ा आने लगा. फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मज़े में खो गई और में उसके निपल को चूसने के बाद धीरे धीरे उसकी नाभि को चूसते हुए उसकी चूत तक पहुँच गई.

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फिर मैंने आईना को अपने पैर छोड़ने को कहा और उसने मेरे दोनों पैर छोड़ दिए और में उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गई और फिर मैंने उसकी चूत के होठों से अपने होंठ मिला दिए और दो चार बार उनको चूमा और फिर मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. वहां ऐसे बैठने से मेरी गांड खुल गई थी और उसमें ताज़ी ताज़ी हवा लग रही थी. आईना की चूत को चूसते चूसते बड़ा मज़ा आ रहा था.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ की दरार को फैलाया और फिर अपनी उंगली से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगी, वो सिसकारियां भरने लगी. फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी, मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही वो थरथरा उठी और चूत में अंदर कुछ देर तक जीभ फेरने के बाद, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और दो चार बार फिर से चूत को चूमा और फिर उसकी कमर पकड़ कर, मैंने उसको पलट दिया. जिससे अब उसकी गांड मेरे सामने थी.

फिर मैंने उसे पंजो पर खड़ा होने को कहा, उसने वैसा ही किया और मैंने उसकी चूत से लेकर गांड के छेद पर दो चार बार जीभ फेरी. वो पागल हो उठी और फिर मैंने उसकी गांड के छेद को चूसना शुरू कर दिया, वो कुछ ही देर में झड़ गई और उसकी चूत बिल्कुल गीली हो गई और पेड़ से लिपटते हुए ज़मीन पर चूतड़ों के बल बैठ गई उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी.

फिर में भी उसके बगल में बैठकर उसके बूब्स को सहलाने लगी, वो कुछ देर में नॉर्मल हो गई और फिर उसने मुझसे उसके ऊपर खड़े होने को कहा में खड़ी हो गई और वो मेरे पैरों के बीच में बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी. में भी उसके होठों का स्पर्श अपनी चूत पर होने की वजह से पागल हो गई और में उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत से उसके मुँह को सटा दिया. फिर कुछ देर तक, वो मेरी चूत चूसती रही और में अपने हाथों से अपने ही बूब्स को सहलाती रही. फिर उसने मेरी चूत को चूसते चूसते मेरी चूत में उंगली डाल दी. उंगली डालते ही में हल्का सा उछल पड़ी.