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दोनों बहनों की कामकथा – [Part 7]

Do bahno ki kamkatha-7

में भी वैसे ही खड़ी रही, उनकी हिम्मत थोड़ी खुली और धीरे धीरे उनकी कोहनी की जगह अब वो अपनी उंगलियों से मेरी जांघें सहलाने लगी और धीरे धीरे उनका पूरा हाथ मेरी जांघों को सहलाने लग गया. फिर धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चूतड़ों तक पहुंचा तो मैंने उनकी और देखा तो उनकी भावना से भरा हुआ चेहरा और ठरकीपन को देखकर मेरे मुँह पर मुस्कुराहट आ गई.

यह देख वो भी मुस्कुरा दी और मुझसे बोली बेटा तुम मेरी बगल की सीट पर बैठ जाओ. मैंने कहा नहीं आंटी ठीक है और आपके बगल की सीट पर तो आपकी बेटी बैठी है ना, इस पर वो बोली इसे तो में अपनी गोद में बिठा लूँगी. तुम इधर आ जाओ. फिर उनके एक इशारे पर उनकी बेटी उठी और उनकी गोद में बैठ गई, वो लड़की हमसे कुछ ही छोटी होगी और उसका वजन लगभग आईना से थोड़ा ही कम होगा, लेकिन आंटी ने तो उसे ऐसे गोद में बैठा लिया जैसे कोई बच्ची हो और वो भी आंटी की गोद में बच्चों की तरह बैठ गई और फिर में कुछ ना कह पाई और उनके बगल की सीट पर जा कर बैठ गई. फिर धीरे धीरे उनका हाथ वापस मेरी जांघों को सहलाने लगा और में उनका साथ दे रही थी.

यह देख अंकल को भी थोड़ी हिम्मत आई और उन्होंने आईना की जांघों को अपनी उंगलियों से टच करना शुरू कर दिया और आईना ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो भी समझ गये कि हम दोनों क्या चाहते है? फिर अंकल ने धीरे धीरे आईना की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसकी स्कर्ट के अंदर तक हाथ को ले जाने लगे, लेकिन फिर भी वो वैसे ही खड़ी रही.

फिर उसने हल्का सा अंकल की और देखा, लेकिन वो उसकी जांघों में इतने मस्त थे कि उन्होंने आईना को देखते हुए भी नहीं देखा और फिर धीरे धीरे उनका हाथ आईना के चूतड़ों पर चला गया और वो हल्के हल्के उन्हें उसकी स्कर्ट पर से ही सहलाने लगे. आईना को भी मज़ा आ रहा था उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था. फिर धीरे धीरे बस भी खाली होती गई और फिर बस में हम दोनों के अलावा आंटी की फेमिली और एक आदमी और बैठा था और कंडक्टर और ड्राइवर ही बस में रह गये, लेकिन आईना और अंकल वहीं खड़े रहे. इधर आंटी मेरी जांघो को सहलाते हुये टी-शर्ट के अंदर जाकर मेरी लेगी के ऊपर से मेरी चूत पर टच कर रही थी. में भी बस की खिड़की के बाहर देख रही थी, मेरे कुछ ना बोलने से उनको और हिम्मत आ गई, अब उनकी बेटी ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे.

मैंने जब अपने बूब्स पर उसके हाथ देखे तो में समझ गई कि पूरी फेमिली ही ठरकी है. उधर आईना की स्कर्ट के अंदर लगभग अंकल का हाथ जाने लग गया था और कुछ ना बोलने की वजह से अंकल ने अपना पूरा हाथ एकदम से आईना की स्कर्ट के अंदर डाल दिया और पेंटी के ऊपर से उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उनके एकदम से इतना कामुक होने पर आईना भी थोड़ी हैरान हुई, लेकिन फिर वो कुछ ना बोली. यह देखकर अंकल की और हिम्मत बड़ गई और वो आईना की पेंटी पकड़कर खींचने लगे, लेकिन आईना ने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन आईना कुछ बोल नहीं रही थी तो अंकल जानते थे कि वो क्या चाह रही है? तभी दूसरी और से एक आदमी उठा और उसने आईना का हाथ पकड़ लिया जिससे अंकल फ्री हो गये और उन्होंने तुरंत उसकी पेंटी नीचे खींच दी, अब वो सिर्फ़ स्कर्ट में थी और उसके नीचे वो बिल्कुल नंगी थी.

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अब आईना के पीछे दो आदमी थे, अंकल और वो दूसरा आदमी और दोनों अब आईना की स्कर्ट उठाकर उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उधर आंटी और उनकी बेटी मेरे बूब्स और चूत को सहलाते हुये मसलने लग गये थे. आंटी ने मेरी टी-शर्ट को मेरी नाभि तक ऊपर उठा दिया और मेरी लेगी को उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका, लेकिन उनकी बेटी ने तुरंत मेरे हाथ पकड़ लिए. फिर आंटी मेरी लेगी को नीचे करने लगी, लेकिन मैंने भी अपने चूतड़ नहीं उठाये तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड के नीचे लगाया और मुझे हल्का सा उठा दिया और फिर मेरी लेगी को पंजो तक पूरी नीचे ऊतार दिया. अब मेरे नीचे सिर्फ़ पेंटी बची थी और आंटी वापस मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत को रगड़ने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स मसलने लगी और दूसरी और वहाँ अंकल और वो दूसरा आदमी आईना के नंगे चूतड़ों को बुरी तरह मसलने में लगे थे.

फिर अंकल ने अपना हाथ आगे किया और आईना की दोनों टाँगो के बीच उसकी चूत को टटोलने लगे. आईना ने भी अपने पैर हल्के से फैला लिए और दूसरा आदमी उसकी गांड और गोरे-गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा. अब अंकल अपने एक हाथ से आईना की चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स को मसलने लगे. आईना को बड़ा मज़ा आ रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. अब बस का कंडक्टर भी आईना के पास आ गया और आते ही उसके बूब्स को दबाने लगा.

फिर अंकल आईना की टी-शर्ट को उतारने लगे. आईना ने पहले तो अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को दबाया, लेकिन अंकल कहाँ मानने वाले थे. उन्होंने उसके हाथ ज़बरदस्ती ऊपर किए और उसकी टी-शर्ट ऊतार दी, अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी. इधर आंटी की बेटी ने भी मेरी टी-शर्ट ऊतार दी थी और मेरी ब्रा पर से मेरे बूब्स से खेल रही थी. फिर मैंने अपनी खिड़की बंद कर दी और उस पर पर्दा डाल दिया था जिससे कि बाहर का कोई अंदर ना देख सके, फिर आंटी ने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा रह गई, कुछ ही देर में उनकी बेटी ने मेरी ब्रा को भी ऊतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया.

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फिर आंटी सीट के नीचे बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स को चूसने लगी. मैंने पीछे मुड़कर आईना की हालत देखी तो उसके शरीर पर बस स्कर्ट ही बची थी. उसकी ब्रा कंडक्टर ने उतार दी थी और वो अब उसके बूब्स को चूस रहा था और स्कर्ट भी कुछ ही बची थी, उसे अंकल ने ऊपर उठा रखा था और वो भी उसकी चूत चूस रहे थे और पीछे खड़ा आदमी उसके चूतड़ को चूम रहा था.

फिर आंटी अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर तक ले जा रही थी और मस्त तरह से मेरी चूत को चूस रही थी. फिर मैंने वहां उनकी बेटी को नंगा करना शुरू कर दिया था. आंटी ने जैसे ही ऊपर देखा तो उन्होंने अपनी बेटी को देखा और फिर मेरी और देखा और मुस्कुराई. फिर मेरी चूत को वापस चूसने लगी, फिर वहां आईना की स्कर्ट भी तीसरे आदमी ने उतार दी और फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा.

आईना अभी भी वर्जिन थी तो मुझे डर था कि वो इतने लंड झेल पायेगी या नहीं और में यह सोच रही थी कि तीनों आदमीयों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे और थोड़ी ही देर में तीनों बिल्कुल नंगे हो गये. इधर मैंने आंटी की बेटी को भी पूरा नंगा कर दिया और उसके छोटे छोटे बूब्स चूसने लगी. अब बस वहां आंटी ही कपड़े पहनी थी. अंकल ने आईना को अपना लंड चूसने को कहा तो आईना का मन नहीं कर रहा था, लेकिन फिर वो किसी तरह घुटनों के बल बैठी तो तीनों ने अपने अपने लंड उसके मुँह के सामने रख दिए, लेकिन इतने में आंटी उठी और उन आदमियों से बोली अरे उस अकेली बेचारी को क्यों पकड़ रखा है और वैसे भी यह दोनों कुँवारी लड़कियाँ है. एक लंड से ज्यादा नहीं झेल पायेंगी. यहाँ तीन जवान लड़कीयां है एक एक आदमी एक लड़की को पकड़ लो.

इस पर अंकल तो वहीं रहे और कंडक्टर मेरे पास आ गया और वो तीसरा आदमी आंटी की बेटी को लेकर अगली सीट पर चला गया. आंटी ने अपने सारे कपड़े उतारे और ड्राइवर के पास चली गई. ड्राइवर ने भी अंधेरी जगह देखकर बस साईड में खड़ी कर दी और आंटी पर सवार हो गया. फिर कंडक्टर मेरे मुँह के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया.

में जानती थी कि वो क्या चाहता है, लेकिन उसका काला लंड देखकर मेरा उसे मुँह में लेने का मन नहीं कर रहा था. उधर आईना ने अंकल के लंड को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी बॉल्स को चूमने लगी, अंकल का लंड पूरा तन गया और लगभग 7 इंच का हो गया. फिर आईना ने अब उनके सुपाड़े को दो चार बार चूमा और फिर उनका लंड अपने मुँह में ले लिया.

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यह देख मुझे भी जोश आया और मैंने अपनी आँखें बंद की और कंडक्टर के लंड को सीधे मुँह में डाल लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी. फिर बगल की सीट पर लेटी आंटी की बेटी की चुदाई शुरू हो गई थी, क्योंकि उसकी सिसकियाँ में साफ सुन सकती थी और आईना ने अंकल के लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उसे बड़े मज़े लेकर चूसने लगी, जबकि मुझे कंडक्टर का लंड चूसने में ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन में क्या करती? लेकिन उसका लंड भी पूरी तरह तन चुका था और करीब 8 इंच का हो गया था.

फिर उसने मुझसे रुकने को कहा और अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और घुटनो के बल बैठ गया और मुझे सीट पर लेटने को कहा, में चुपचाप सीट पर लेट गई. फिर उसने मेरी दोनों टाँगो को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत को चाटने लगा, उसकी जीभ के स्पर्श से में एकदम उत्तेजित हो उठी और मुझे बड़ा मज़ा आने लगा. वो मेरी चूत के आस पास हर जगह को चाट रहा था. कभी मेरी जाँघो को चूमता तो कभी मेरी चूत को चाटता और फिर जीभ उसने मेरी गांड पर रख दी और उसे चाटने लगा.

मुझ को बड़ा मज़ा आने लगा. फिर कुछ देर उसने ऐसा ही किया और मुझसे बोला लड़की कौन से छेद में चुदना चाहोगी गांड में या चूत में? में सोच में पड़ गई, क्योंकि में दोनों जगह से कुँवारी थी. फिर वो ही बोला तेरी गांड चोद दूँ में एकदम डर गई और बोली नहीं तो वो बोला तो क्या चूत देगी. मैंने कहा हाँ, लेकिन आप कंडोम पहनकर करना तो वो हंस पड़ा और बोला आज कल तुम जैसी रंडीयों के भी बड़े नखरे है. यह सुन मुझे बड़ी शर्म आई, एक दो कोड़ी का कंडक्टर मुझसे रंडी कह गया. में क्या करती और किया भी हमने रंडीयों जैसा काम था. फिर वो उठा और उसने मेरी चूत में लंड डाल कर मेरी जोरदार चुदाई की और फिर मैंने उसके लंड का पानी भी पीया और मेरी बहन की चुदाई भी लगभग ख़त्म हो गई थी और उसने भी खूब मजे लिए और फिर हम घर आ गये और अब हमें जब भी चुदाई करानी होती है तो अब हम खूब मजे करते है और लंड के मजे लेती है.