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डॉक्टर मेरी गुरुआनी-3

अब अलका ने फ़िर एक जुम्बिश खाई और पलट कर मुझे नीचे कर दिया और वो मेरे ऊपर हो गई, मैं फ़िर एकबार उसकी इस हरकत पर दंग रह गया, न जाने अलका मुझे बहुत ही प्यारी लगने लगी हालाँकि अब तक का उसका व्यव्हार एक रहस्य था. लेकिन अब तक का बिजी टाइम मुझे ये पूछने नही दे रहा था. 1 मिनिट का रेस्ट लेकर अलका ने कहा कि नीरू राज्जा अब मेरे ऊपर के बदन से जैसा चाहो खेलो, मैंने उसके बोबे दबाना और लिप किस करना एक साथ शुरू किया हम दोनों में आग भरती गई, फ़िर तो मैंने उसके बोबे चूसना, गर्दन और कानो को चूसना और होटों व एक दूसरे की जीभ को चूसना ये सब एक के बाद एक बदल बदल कर करना शुरू किया और अलका ने बगैर न नुकर किए पूरा सहयोग देना शुरू किया।

धीरे धीरे हम दोनों की आँखें मुंदने लगी, सिसकियों और आहों से कमरे में गर्मी आने लगी, बदन से गर्मी फूट कर पसीना आने लगा, अलका के हिप्स लम्बाई में चलने लगे. वो हिप्स को ऊपर नीचे नही करके लम्बाई में चला रही थी. इसने मुझे बहुत आनंद दिया, मेरी झांटे उसकी झांटों से रगड़ खा रही थी और उसका क्लैटोरियस भी. ऊपर के आधे शरीर पर सारी हरकतें हो रही थी और नीचे चक्की के पाटों के बीच घर्षण हो रहा था. अन्दर लण्ड अलका के बच्चेदानी पर टकरा रहा था, मेरी गाण्ड भी धीरे धीरे हरकत में आने लगी, अलका की हरकत लम्बाई में कम होकर तेज मूव होने लगी, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए, मेरे धक्के भी नीचे से तेज और तेज होते गए, अचानक अलका के होंट खुले और वो फुसफुसाई राजा और तेज़, और और तेज़ ठोको, और एकदम से थम कर मेरे ऊपर ढेर हो गई, फ़िर उसके शरीर ने हरकत बंद कर दी. मैं उसके बाल सहलाने लगा, धीरे धीरे उसको चूमने लगा, वो बहुत ही प्यारी लगने और प्यारी लगने लगी।

चार पॉँच मिनिट बाद उसकी ऑंखें खुली, वो बहुत हौले से प्यारी सी मुस्कुराई, बोली मज्जा आ गया, और फ़िर दोबारा किस्सिंग चालू हो गई, अलका ने तीन बार, ऊपर रहते हुए ओर्गास्म लिया और तीसरी बार में फ़िर उसके शरीर ने जुम्बिश खाकर मुझको ऊपर ले लिया, बोली अब तुम्हारी बारी है राजा शुरू हो जाओ।

नीचे से उसने किस्सिंग को बदल बदल कर मेरे होटों फ़िर कान फ़िर सीना फ़िर गर्दन सब को चूस कर मुझ में भट्टी जला दी. अब मैंने धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत के फलक तक लाकर अन्दर गहरे उतरना चालू किया, उसके मुह से हिचकियाँ आने लगी, दोनों एक दूसरे की बाँहों में जकड गए।

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मैं धक्के लगाने की रफ्तार बढ़ता चला गया और उसके मुह से हिचकियों की रफ्तार भी बढ़ने लगी. लगभग ७०-८० धक्कों के बाद मेरे लण्ड में जोर की अकडन हुई और इतना तेज ओर्गास्म हुआ कि मैं अलका के बिल्कुल चिपक गया, मेरी आँखें मुंद गई, और मैं कहाँ चला गया कुछ पता नही चला. लगभग पाँच मिनिट बाद आंखें खुली, मैं अलका की साइड में आ गया, करवट लेकर, अलका को अपनी बाँहों में जकडा, उसमे अभी तक हरकत नही थी, और एक दूसरे के चिपक कर सो गए.

आधे घंटे बाद हम जागे, एक दूसरे को बाँहों में लिए ही हम बैठ गए, अलका ने तकिये और गाव तकिये दीवार के सटा कर सेट किए और हम टाँगे फैला कर दीवार के सहारे धड टिका कर बैठ गए. अब थी मेरी सारी उत्सुकता शांत करने की बारी, अलका ने धीरे धीरे एक एक सवाल का जवाब दिया, अलका भी एक ऐम ऐस डॉक्टर है, उसकी शादी को ६-७ महीने ही हुए हैं लेकिन पति के ट्रान्सफर ने सारा कबाडा कर दिया, कभी सात तो कभी कभी १५ दिन तक में एक बार डेढ़ दिन का मिलन होता है, हमारी दोनों की नौकरी ने हमें अलग कर रखा है. तुम आए, मुझे अच्छे लगे, फ़िर तुम इतने अच्छे लुक के होते हुए भी इधर उधर मुंह नही मारते, बोलने का अंदाज बहुत अच्छा है, तमीज और आदर के साथ बोलते हो, तो मैंने ये निर्णय लिया.

अब तो तुमको अनुभव हो गया होगा कि किस किस स्टेज पर कैसा मज़ा आता है. फ़िर उसने बताया कि ओर्गास्म के समय फेरोमोन नाम का हारमोन शरीर को परम आनंद की ओर ले जाता है और शरीर को पूरा रिलेक्स कर देता है. अब एक वादा करो कि यदि अब भी इधर उधर मुह नहीं मारोगे तो मैं तुमसे सम्बन्ध रखने को तैयार हूँ, जब मेरी इच्छा होगी तुमको बुला लूंगी. मैंने वादा किया. अलका ने और बताया कि मैं उनकी जिन्दगी में कुल दूसरा पुरूष हूँ.

अब फ़िर वो उठी और मेरी जांघो पर बैठ गई, हम बैठे हुए ही एक दूसरे की बाँहों में बंध गए. हमारे होंट फ़िर एक दूसरे के चिपक कर चूसने लगे. मैंने अलका को हिप्स के पीछे हाथ रखकर अपने से सटा लिया, उसकी चूत की दरार में मेरा लण्ड सेट हो गया. मेरे हाथ उसके बोबे दबाने लगे. उसके हाथ मेरे लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत में क्लैटोरियस पर फिरने लगे, मैं उसकी जीभ चूसने लगा.

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फ़िर अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर अपनी उँगलियों के पोरों को उसकी एड़ी से छूआया और सिर्फ़ अँगुलियों के पोर हौले से छुआते हुए हाथ ऊपर को लाते गया. पिंडली, घुटने फ़िर जांघे और उसके बाद कूल्हे. कूल्हे तक आते आते अलका के शरीर में तेज हरकत होनी शुरू हो गयी. उसके होंट मेरे होटों से हट कर सिसकियाँ भरने लग गए. उत्तेजना की लहरें उसके शरीर में उठने लगी, वो मेरे से एकदम चिपक गई. मैंने दो बार और इसी तरह किया. उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और बोबों पर कस लिए. मैं समझ गया की अब वो और बर्दाश्त नही कर सकती मैंने उसके बोबे भींचने शुरू कर दिए. अपने होंट उसके गले पर चिपका दिए और चूसने लगा.

अब उसने मेरी एडी से कूल्हों तक अपनी अँगुलियों का स्पर्श करते हुए हाथ फिराए. मेरे शरीर में बिजली फूटने लगी. मैंने कस कर अलका को अपने से चिपका लिया और उसके कूल्हों को अपने हाथों में थम कर अलका को ऊपर नीचे करने लग गया. इस बैठी पोसिशन का फायदा ये था की पूरा शरीर हाथों की हद में था. शरीर एक दूसरे को चिपके थे और दोनों के मुह एक दूसरे के बिल्कुल सामने थे और दोनों के हाथ कुछ भी करने को स्वतंत्र थे.

अलका ने मेरी जीभ अपने मुह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे कस कर कूल्हे चंलाने शुरू कर दिए. मैंने एक हाथ दोनों के बीच लेकर अपने लण्ड को पकड़ कर अलका को थोड़ा पीछे करके उसकी चूत के छेद पर सेट करके अलका के हिप्स के पीछे अपना हाथ लगाकर अपनी और खींचा. लण्ड सरकता हुआ उसकी चूत में जा घुसा और बच्चेदानी के मुह पे जा लगा. उसके मुह से सीसाहट निकलने लगी उसने फ़िर मेरे पूरे मुह को चाट दिया. अब मैंने उसके कूल्हे हाथों में उठा कर ऊपर नीचे करने लगा. अब अलका ने इसी पोसिशन में सहयोग करना शुरू किया, हमारे होंट एक दूसरे को चूसने लगे।

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जैसे जैसे हम ओर्गास्म की तरफ़ बढ़ते गए, होंट बहुत जोरों के चूसे जाने लगे. कूल्हों की हरकत बढती गई. अलका के होंट ढीले पड़ने लगे और गर्दन पर हाथ कसते गए फ़िर एकदम से ढीले हो गए. अलका के मुह से लम्बी सीत्कार निकली और मेरे ओर्गास्म आने तक वो हिचकियाँ लेने लग गई. हम एक दूसरे को पकड़े जकडे फ़िर निढाल हो गए.

१५ -२० मिनिट बाद धीरे धीरे हमारे शरीर में हरकत होने लगी. न चाहते हुए भी हम एक दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े इकठ्ठा करके उनको बदन पर डालने लगे. थोडी देर में हम वापस २ घंटे पुरानी हालत में आ गए. मैं विदा होने के लिए तैयार हो गया. अलका ने विदा होते समय कहा कि हमारे रिश्ते के बारे में किसी को भी पता नही चलना चाहिए. मैंने कहा कि बिल्कुल, ये भी कोई कहने वाली बात है, निश्चिंत रहो.

मेरे पूछने पर फीस के बारे में बताया कि ज्वेलरी उसके पास बहुत है, कोई यादगार आइटम लाकर दे देना, मैंने अगले ही दिन उसको प्यार करते हुए पेयर का चाइनीज शो पीस लाकर दिया, उसने बहुत खुशी से स्वीकार किया जो आज भी उसकी शो विण्डो की शोभा है.

वो मुझे बहुत समय तक बुलाती रही, २ सालों बाद भी वोही पहली बार की अनुभूति होती थी. जब मेरी शादी की बात चलने लगी तो भी वो बहुत खुश हुई, बोली मेरे प्यारे स्टुडेंट अब तुम्हारा एक्जाम का टाइम आ गया है, हम ऐसे ही मिलते रहेंगे. मजे करो.

और मेरी गुरुआनी के सबक मेरी शादी में बहुत काम आये. अलका ने मेरी पत्नी को देख कर मेरे कान में कहा कि तुम खुश किस्मत हो, सुखी रहोगे, लड़की अच्छी है. मैंने अलका को बोला मैं तो पहले से ही खुश किस्मत हूँ. शादी के बाद भी दो सालों से ज्यादा हम और साथ बने रहे फ़िर उसके पति का ट्रान्सफर जयपुर हो गया. अब मैं एक साथी की जरूरत महसूस करता हूँ. आपका स्वागत है…