हिंदी सेक्स स्टोरी

डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा-3

Doctor Se Chudwayi-3

पर साहब ये मेरी छूट मैं कैसे घुस पायेगा इतना मोटा. मैं तो मर जाऊंगी. राजन का लुंड तो इसके सामने बहुत छोटा है जब वो ही नहीं जाता तो. ये कैसे. यही तो मरद की सम्भोग कला कौशूल होता है मेरी रानी. छूट खोलना और उसे ढंग से चोदना. हर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी छूट जैसी. कुंवारी. करारी. तू डर मत सुरु मैं थोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू चुद्वाते चुद्वाते थक जायेगी पर तेरा मन नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लुंड से खेलो मेरी रानी. कह कर मैंने उसे उठा लिया बाँहों मैं. और बिस्तर पर लिटा दिया. उसकी छूट ही नहीं बल्कि घुटनों तक झांघा भी भीग चुकी थी. बूब्स एकदम सॉलिड और बड़े बड़े हो गए थे. साँस के साथ ऊपर नीचे. साँस जोर जोर से चल रही थी.

मैं बिस्तर पर चढा और उसके पेट पर बैठ गया. उन्नत उठे बूब्स के बीच मैं मैंने आपने लंबे खड़े लुंड तो बिठा दिया और दोनों बूब्स हथेली से दबा दिए. मेरा लुंड बूब्स के बीच मैं फँस गया. उँगलियों से बूब्स के निप्प्ले रगड़ते हुए मैं बूब्स को मसलने लगा और लुंड से उसके संकरे क्लेवागे को फुक्क करने लगा. उप स्ट्रोक मैं लुंड का लाल हेड नंगा होकर उसके लिप्स से तौच करता और डाउन स्ट्रोक मैं वल्ली की चुदाई. उतेजना मैं आकर गोरी ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे की मेरे लुंड का हेड उसमें जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. की आवाज़ करने लगी.

मैंने और जोर लगाया ऊपर को तो लगभग आगे से २ -३ इंच लुंड उसके मुंह मैं घुस गया. थोडी देर की कशमकश के बाद मोशन सेट हो गया. और मैं जैसे स्वर्ग मैं था. लुंड ने स्पीड पकड़ ली थी. गोरी के मुंह भी हेड को मस्त चूस रहा था. और शाफ्ट उंदर तक जा कर उसके गले तक हित कर रही थी. बूओब्स बड़े विशाल हो गए थे. आब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और गोरी के बूब्स पर बैठ गया. और मैंने जितना पोस्सिब्ले था लुंड उसके मुंह मैं घुसा दिया. मेरी झांघाओं के बीच कसा उसका पुरा बदन जैसे बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था.

थोडी देर के बाद मैंने लुंड को निकला और आब गोरी ने मेरे दोनों एग्गस बराबर तेस्तिक्लेस को चाटना सुरु किया. बीच मई वो पुरे एक फुट लंबे लुंड पर आपनी जीभ फिरती तो कभी सुपदे को चाट लेती. थोडी देर के बाद मैंने ६९ की पोसिशन ले ली तो उसे मेरे कम अंगो और आस पास के एरिया की पुरी एक्सेस मिल गई अब वो मेरे चुत्तर भी चाटने लगी. मैंने भी गांड का छेड़ उसके मुंह पर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे चुत्तर को हाथों मैं लिया और मेरी गांड के छेड़ पर जीभ से छठा. इस बीच मैंने भी उसकी छूट को आपनी जीभ से छठा और चोदा. पर वाकई उसकी छूट बड़ी कासी थी जीभ तक भी नहीं घुस प् रही थी उस मैं. एक बार तो मुझे भी लगा की कहीं वो मर न जाई मेरा लुंड घुस्वते समाया. फिर मैंने उसे पलता कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चुत्तर भी चुसे और चाते. आब गोरी बड़े जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और बीच बीच मैं चिल्ला भी उठती थी. वो मेरे लुंड को दोनों हाथों से पकडे हुए थी और आब काफी जोर जोर से चिल्लाने लगी थी. डॉक्टर साहब. छोड़ दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे ऊपर. घुसा दो डॉक्टर साहब. दया करो मेरे ऊपर. नहीं तो मैं मर जाऊंगी. चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे उंदर दाल दो. देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है. गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब आपने हथोडे से. वह क्या मरदाना मस्त लुंड है डॉक्टर साहब आपका. कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जय और अपने कपडे खोलकर आपके बिस्तर पर लेट जय. आओ साहब आ जाओ घुसा दो. ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़.

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मेरा लुंड भी आब कामुकता की साडी हदें पर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व् शपे की तरह पुरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पर अपने लौडे को रखा और आहिस्ता से पर जरा कास कर दबाया. छूट इतनी लुब्रिकातेद थी की लुंड का हेड तो घुस ही गया. आह. मर्ग्गई. !! मैं मर गई. दोक्टूर्र्र स्साह्ह्ह्हाआब्ब्ब. घबराऊ नहीं मेरी जान. और मैंने लुंड को हाथ से पकड़ थोड़ा और घुसाया. वो मुझे ढाका देने लगी वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मरे. तब मैंने उसे जबरदस्ती नीचे पटककर. उसपर लेट गया. अपनी छत्ती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लुंड को एक जबरदस्त शोट मारा. वो इतनी जोर से चीखी जैसे किसी ने मर ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कास कर जकड भी लिया था. मेरे लुंड का करीब ७ इंच उंदर घुसा हुआ था. और शायद उसकी कौमार्य की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी पत्नी बाकि थी. थोडी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली.

डॉक्टर साहब मुझे छोड़ दो. मैं नहीं सह पूंगी आपका लुंड. मैंने उसके हून्थों पर अपने हूनथ रखे और एक जबरदस्त किस दिया जिसमें उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गए थे. उसकी लम्बी बहूँ ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांगें भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से चुदने के लिए पोसिशन ले रही हो. थोडी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैंने लुंड को थोड़ा सा बहार निकलते हुए एक भरपूर शोट मारा. लुंड का ये प्रहार इतना शक्तिशाली था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ. एक हलकी सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्य आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दुसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस’की छूट से रस धार बह निक’ली और बुरी तरह हांफ रही थी.
अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैंने जोर दार धक्कों के साथ उसे छोड़’न शुरू किया. उस’की टाइट छूट की दीवारों से रगड़ खाके मेरा लुंड छीला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बुरी तरह छोड़’ता रहा. फिर मैंने लुंड उस’की छूट से खींच लिया और लुंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया जैसे सोडा वाटर की बोत्त्ले खोली हो. फिर मैंने उसे डोगग्य स्टाइल में कर दिया और पीछे से लुंड उस’की छूट में दाल उसे छोड़’ने लगा. अब गोरी भी मस्ती में आ गयी और मुझे जोर से छोड़’ने के लिए उक’साने लगी. छोड़ो मुझे. डॉक्टर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉक्टर साहब. छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. पहाड़ दो मुझे. और जोर से छोड़ दो मुझे. मैं दासी हूँ आपकी. आपकी सेवा करूंगी. रोज रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी. आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी. और जब जब आपका लुंड चाहेगा तब तब चुदवाने के लिए आपके बिस्तर पर लेट जाऊंगी. पर मुझे खूब छोड़ो साहब. और जोर से और तेजी से छोड़ो साहब. उस रात मैंने गोरी को दो बार चोदा. दूसरे दिन दोपहर में थाकुरें क्लीनिक में अ गयी. मैंने उसे बताया की चेक उप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा और कल आप’की बहु आप’के घर चली जायेगी. थाकुरें संतुस्ट होकर वापस हवेली चली गयी.

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आज रात गोरी ख़ुद उतावली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मजा लूटने का. उसने आज जैसे मैंने चाहा वैसे कर’ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों खूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैंने गोरी को तरह तरह से कई पोस में चोदा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह’न है और क्या कर’न है सब सम’झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैंने उसे समझा दिया की गोरी का ऑपरेशन हो गया है.तो डॉक्टर साहब गोरी अब माँ बनेगी न? हाँ पर तुम जल्द बाजी मत कर’न. अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रह’न. और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेक उप के लिए भेज’ते रह’न. यह बहुत साव’धानी का काम है. राजन ने कुछ असमंजस से हाँ भरी. फिर वह गोरी को ले गया. गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लीनिक में आती रही. मैं उसे शाम के वक्त बुलाता जब गाँव के मरीज नहीं होते. रात ८ – ९ बजे तक उसे रख उसकी खूब चुदाई कर’ता. गोरी भी खूब मस्ती के साथ मुझ से चुद’टी.
दो महीने बाद गोरी के गर्भ ठहर गया. मैंने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब चुदवाये. उसकी छूट को तो मेरे १०” के लुंड ने पहले ही भोस’दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लुंड आराम से चला जाता. राजन भी बहुत खुश था की डॉक्टर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है. गोरी पह’ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. थाकुरें को जब पता चला की गोरी के पान’व् भरी हो गए हैं तो उस’ने क्लीनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो खुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मीद में एपी’न क्लीनिक चला रहा हूँ.