चुदाई की कहानियाँ

दूध वाले को दुद्दू दिखा कर चुदवाया-2

सुबह बेल बजी तो मैं उठी, पहले एक बार सोचा कि ऐसे ही चली जाऊँ, मगर अगर वो भी आगे बढ़ा और मुझे सेक्स के लिए मजबूर किया, तो?
अभी तो मेरे पति भी घर पर हैं, अभी तो कुछ भी करना खतरे से खाली नहीं है तो मैंने वार्डरोब से अपना एक सटिन का पीले रंग का गाउन निकाला जो मेरे घुटनों से थोड़ा ऊपर तक था और सामने से खुलता था, उसे सटिन की ही एक बेल्ट से गांठ बांध कर बंद करना पड़ता था।

मैंने बेल्ट की गांठ तो बांधी मगर बहुत ही ढीली सी… जिससे मेरा गला तो पूरा खुला हुआ दिख रहा था, बेल्ट के लगे होने की वजह से मेरी चूत ज़रूर ढकी हुई थी। मैं बर्तन लेकर आई, तो उसने पहले मेरे पूरे जिस्म को घूरा फिर बोला- नमस्ते मैडम जी।
मैंने भी उसे नमस्ते का जवाब दिया।

फिर वो बोला- मैडम जी, आज रात को हमारे पड़ोस में जगराता है, तो कल दूध थोड़ा लेट देने आऊँ तो चलेगा?
मैंने पूछा- कितना लेट?
वो बोला- जी सुबह 9 बजे तक।
मैंने कहा- ठीक है, 9 बजे दे जाना।

कह कर मैं दूध लेकर अंदर आ गई। फिर किचन में जा कर मुझे खयाल आया- अरे नौ बजे तो ये भी काम पे चले जाते हैं, क्या कल को मैं कुछ करने वाली हूँ। पहले तो यह सोचने लगी कि अगर मैंने उसे लिफ्ट दी, तो वो क्या करेगा। फिर सोचा, देखते हैं, अगर कोई बात बनी तो ठीक, नहीं तो रहने दूँगी। मतलब पक्का मैंने कुछ भी नहीं किया, बस सब कल पर ही छोड़ दिया।

अगले दिन सुबह उसने आना नहीं था तो मैं देर तक सोती रही। उस दिन जॉगिंग भी मिस कर दी। सुबह सात बजे उठी और उठ कर अपने पति को नाश्ता और लंच देकर काम पे भेजा।

उनके जाने के बाद सोचा के चलो मैं भी नहा लूँ। मैंने अपने लिए वार्डरोब से काले रंग की प्रिंटेड माइक्रो पेंटी और ब्रा निकाली। पेंटी क्या थी, सिर्फ आगे थोड़ा सा कपड़ा था, बाकी तो एक उंगली जितनी बारीक बेल्ट सी थी, जो पूरी कमर पर घूमती थी और वही बारीक से बेल्ट नीचे चूतड़ों में घुस जाती थी और ब्रा जो वो जालीदार थी, उसमें से तो मेरे मम्मे बिल्कुल साफ दिख रहे थे।

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मैं अभी नहा ही रही थी कि डोर बेल बजी। मुझे लगा ‘अरे लो, अभी तो मैं नहाई भी नहीं और ये आ भी गया।’
मैंने जल्दी से बदन पर पड़ा पानी पौंछा और अंदर से ही पूछा- कौन?
वो बाहर से बोला- मैडम जी मैं हूँ, दूध लाया हूँ।

रिमोट से मैंने अपना इलैक्ट्रिकल लॉक वाला दरवाजा खोला तो वो दूध का केन लेकर अंदर आ गया। मैंने बाथरूम से ही उसे कह दिया कि दूध किचन में फ्रिज में रख दे। मैं अभी अपनी ब्रा पेंटी पहन रही थी कि मुझे पहले फ्रिज का दरवाजा बंद होने और फिर बाहर का मेन गेट बंद होने की आवाज़ सुनाई दी।

मैंने सोचा- लो, वो तो गया, और मैं खामख्वाह सेक्सी लौंजरी पहन रही थी।

बाथरूम से बाहर आकर मैंने अपने बाल सँवारे और फिर ब्रा पेंटी में ही किचन में गई। मैंने फ्रिज खोल कर देखा, दूध का बर्तन फ्रिज में पड़ा था। मैंने अपने लिए नाश्ता बनाने के लिए फ्रिज से जूस निकाला और ब्रैड के स्लाइस पॉप अप टोस्टर में डाले।
अभी मैं ये काम कर ही रही थी कि पीछे से आवाज़ आई- मैडम जी?
मैं तो एकदम से चौंक पड़ी।

पीछे मुड़ कर देखा, वो तो मेरे सामने खड़ा था।
“तुम” मेरे मुँह से निकला- तुम गए नहीं?
उसको ऐसे अपने सामने देख कर मैं तो घबरा गई, मुझे खुद को ढाँपने के लिए कुछ मिल नहीं रहा था, क्या करती, किस चीज़ से खुद का नंगापन छुपाती।

वो तो मुझे घूरे जा रहा था और मुझे खुद को छुपने की कोई जगह नज़र नहीं आ रही थी। मगर मेरी निगाहें किसी कपड़े को ढूंढ रही थी जिससे मैं अपना बदन ढाँप सकती। और कुछ नहीं मिला तो मैंने एक छोटे किचन टॉवल से अपने बूब्स ढकने की कोशिश की।
वो बोला- मैडम जी, दूध का बिल लेना था तो मैं तो बाहर हाल में रुक गया था।

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मतलब उसने मुझे मेरे बेडरूम से निकल कर किचन तक ऐसे ही ब्रा पेंटी में जाते हुये देखा था। मैं बहुत हैरान थी, परेशान थी कि अब इस से मैं क्या छुपाऊँ। अब अगर किचन टॉवल से मैंने अपने बूब्स को छुपा लिया था वो मेरी चड्डी और जांघों को घूर रहा था।
कुछ सोच कर मैंने अपने सीने से भी वो किचन टॉवल हटा दिया कि अब सब कुछ तो इसने देख लिया है।

जब मैंने वो टॉवल साइड पे रख दिया तो वो थोड़ा हकला कर बोला- म… मैडम जी… क्या घर में आप ऐसे ही रहती हैं?
मैंने कहा- क्यों?
वो बोला- आप को डर नहीं लगता, आप इतनी सुंदर हो, कोई आपसे कुछ गलत कर दे तो?
मैंने कहा- बाहर से दरवाजा हर वक्त लॉक रहता है, कोई अंदर आ नहीं सकता, तो डर किस बात का?
वो बोला- पर मैं तो आ गया।

मैंने उसकी ओर देखा, उसके लोअर में उसका लंड तन चुका था। मैंने टोस्टर को स्विच ऑफ किया और उसके बिल्कुल सामने जा कर खड़ी हो गई- तुमसे मुझे क्या डर, तुम क्या कर सकते हो?

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मेरे इतना कहते ही वो मुझसे चिपक गया- मैडम जी… ओह… मैडम जी!
कहते हुये उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपना चेहरा मेरे दोनों मम्मों में घुसा दिया। उसका तना हुआ लंड मैं अपनी जांघ पर रगड़ता हुआ महसूस कर रही थी।

वैसे तो मैं भी शुरू से ही उस पर बेईमान थी, मगर फिर भी मैंने थोड़ा सा नखरा किया- नहीं, छोड़ो मुझे… छोड़ कमीने…
मैंने नकली सा विरोध किया मगर उसकी पकड़ मजबूत थी। उसने मेरे क्लीवेज को चूमा और अपनी जीभ मेरे दोनों बूब्स के बीच की घाटी में घुमाई- ओह मैडम जी, आप कितनी सेक्सी हो, मैडम जी आपकी तो मैं कब से लेने की सोच रहा था!
वो मेरे मम्मों पर अपना चेहरा रगड़ते हुये बुदबुदाया।

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अब ज़्यादा नखरे करने की कोई ज़रूरत नहीं थी, जो मैं चाहती थी, वो मुझे मिल रहा था तो मैंने उसे कहा- सुनो, यहाँ किचन में नहीं, उधर बेडरूम में चलते हैं।
उसने झट से मुझे छोड़ दिया, मैं उसका हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले गई।

बेडरूम में जाते ही उसने मुझे फिर से पकड़ा और धकेल कर बेड पे गिरा दिया। मैं बेड पे लेटी उसे देखने लगी, उसने अपनी कमीज़, बानियान, लोअर और चड्डी सब एक साथ ही उतार कर फेंक दिया।

21 साल का नौजवान, कसा हुआ बदन, सीने पर हल्के हल्के बाल, मगर झांट पूरी भरी हुई और झांटों के बीच में किसी खंबे की तरह खड़ा उसका लंड एकदम सीधा, ऊपर को उठा हुआ। उसने अपने लंड को हाथ में पकड़ा और उसकी चमड़ी पीछे हटा कर अपना गुलाबी रंग का टोपा बाहर निकाला।
जैसे उसका बदन मजबूत था, वैसे ही उसका लंड भी पूरा मजबूत था।

वो मेरे पास आया, मैंने अपनी टाँगें फैला दी। उसने पहले मुझे उल्टा करके लेटा दिया, फिर अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ दबा कर देखा, मेरे दोनों चूतड़ों को चूमा, उन्हें खोल कर देखा। मेरी पीठ पर हाथ फेर कर देखा, मेरे ब्रा पर अपने हाथ फिरा कर देखे।
“मैडम जी!” वो बोला।
मैंने सिर्फ “हूँ” कहा।