चुदाई की कहानियाँ

दूध वाले को दुद्दू दिखा कर चुदवाया-1

(Doodh Wale Ko Duddu Dikha Kar Chudwaya-1)

दोस्तो, मैं आपकी पुरनी सहेली सीमा सिंह… मैं चंडीगढ़ में रहती हूँ. आज मैं बहुत दिनों बाद आपको कोई कहानी सुनाने जा रही हूँ।
बात दरअसल यह है कि इतने दिनों में कोई कारनामा हुआ ही नहीं था। पति से सेक्स कोई कहानी नहीं बनती। कहनी बनती ही तब है जब आप कोई अलग बात करें।

तो दोस्तो बात यूं हुई कि हमारे घर हर रोज़ राम रत्न दूध देने आता है। करीब 14-15 साल से हम उसी से दूध ले रहे हैं। उसकी आदत है कि वो सुबह 5 बजे आकर दूध दे जाता है। उसके आने पर ही मैं उठती हूँ, और दूध लेने के बाद ही मैं तैयार होकर जॉगिंग के लिए निकल पड़ती हूँ।

अब रात को सोते हुये मैं अक्सर कम ही कपड़े पहनती हूँ, पतली सी नाइटी, या कोई टी शर्ट। नीचे से तो मैं कुछ नहीं पहनती, न निकर, न चड्डी, कुछ भी नहीं।
तो जब सुबह राम रत्न दूध देने आता है तो मैं वैसे ही उस से दूध ले आती हूँ। अब फ्लैट के अंदर किसी को क्या पता चलता है। और राम रत्न भी बहुत ही सीधा और शरीफ है, उसने भी मुझे कभी नहीं घूरा, अगर मेरी नाइटी का गला गहरा है, या मैं सिर्फ टी शर्ट में हूँ तो वो कभी भी मेरे बदन को नहीं झाँकता, बस दूध बर्तन में डाला और वापिस। अब टी शर्ट मेरी लंबी होती है, तो जांघें तो दिखती हैं मगर ऊपर का बाकी समान ढका रहता है।
तो ये तो रूटीन है रोज़ की, न मुझे न राम रत्न को इस से कोई परेशानी नहीं थी।

मगर पिछले हफ्ते, सुबह जब दरवाजे की घंटी बजी और मैं अपनी नाइटी में ही उठी और बर्तन ले कर दरवाजे पर गई, तो देखा वहाँ पर एक 20-21 साल का नौजवान खड़ा था, हाथ में दूध का केन लिए।
मैंने पूछा- तुम कौन हो?
वो बोला- पिताजी को कल बुखार आ आया, तो उन्होने मुझे दूध देने को भेजा है।

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मगर इतनी बात करते हुये भी उसने मुझे ऊपर से नीचे तक ताड़ लिया। नाइटी के गहरे गले से दिखते मेरे खुले झूल रहे मम्मे… घुटनों तक की नाइटी के नीचे वेक्स की हुई मेरी चिकनी टाँगें। सुबह सुबह का आलस जो मेरे चेहरे पे साफ झलक रहा था।

मुझे उसका इस तरह घूरना कुछ कुछ बुरा तो लगा, पर मुझे कुछ कुछ रोमांचित भी कर गया। बेशक मैं शादीशुदा हूँ, मगर फिर भी कोई बड़ी चाहत से मेरे बदन को देखे तो मन में सुगबुगाहट तो होती ही है। और थोड़ा सा क्लीवेज अगर उसने देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ गया।

दूध लेकर मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गई। हाल से गुजरते हुये मेरे निगाह बड़े सारे शीशे पर पड़ी, तो मैं शीशे की तरफ घूम गई, मेरी नाइटी का गला नीचे मेरे पेट तक आ रखा था। दो पर्वत जैसे मम्मो के बीच के गहरी घाटी बड़ी साफ दिख रही थी और मेरे दोनों मम्मे भी बीच में से आधे आधे तो नाइटी के गले से बाहर दिख रहे थे।

वैसे ही मेरे दिल में कुछ अजीब अजीब से विचार आए कि अगर वो लड़का दूध डालते डालते एक हाथ से पकड़ कर मेरा मम्मा दबा देता तो? या फिर मेरी नाइटी नीचे से उठा देता तो? तो… तो क्या होता।
मुझे अपनी सोच पर हंसी भी आई और शर्म भी।

उसके बाद मैं बाथरूम में गई, तैयार होकर जॉगिंग के लिए निकल गई।

रात को एक पार्टी में जाना था, तो वहाँ से काफी लेट वापिस आना हुआ और पार्टी में दोस्तों के संग कुछ ज़्यादा ही चढ़ा ली थी।

पर जब वापिस घर आई और सोने से पहले बाथरूम में अपने कपड़े बदलने गई, तो फ्रेश होने के बाद अपना सारा मेकअप उतारा और फिर अपनी एक टीशर्ट पहनी और शीशे में खुद को देखा, तो वैसे ही सुबह का ख्याल आया कि अगली सुबह भी वही लड़का दूध देने आया तो मुझे इस टीशर्ट देखेगा, तो क्या हाल होगा उसका!

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क्योंकि टी शर्ट बड़ी मुश्किल से मेरी कमर से थोड़ी ही नीची थी, ज़रा सा अगर मैं नीचे झुक जाऊँ तो पीछे वाले को सारा नज़ारा दिखे और अगर सिर्फ अपने सर को खुजाने के लिए भी हाथ थोड़ा सा ऊपर उठाऊँ तो सामने वाले को भी पूरा नज़ारा दिखे, बस यही सोचते मैं सोने को चली गई।

सुबह बेल बजी तो मैं उठ कर दूध लेने गई, मगर इस बार मैंने दरवाजा खोलने से पहले खुद को एक बार हाल में लगे बड़े शीशे में देखा। बस सेंटीमीटर के फर्क से ही मेरे गुप्त अंग उस बेचारी टी शर्ट ने छुपा रखे थे। और मम्मों के निप्पल तो टी शर्ट में से साफ उभर कर बाहर को आ रहे थे।

मैंने दरवाजा खोला तो देखा तो वो तो साला बड़ा हरामी निकला। साला पहले ही दूध का केन रख कर नीचे फर्श पर बैठा था। अब जब मैं उसके सामने जा कर खड़ी हुई, तो मेरी टीशर्ट के नीचे से उसने पहले ही मेरी नंगी चूत के दर्शन कर लिए।
अब मैं क्या करूँ, अगर खड़ी रहती हूँ, तो भी मेरी चूत उसे दिखेगी, और अगर बैठ जाती हूँ, फिर मेरा सब कुछ उसे दिख जाएगा।

मैंने अपनी टी शर्ट के आगे वाले हिस्से को खींच कर नीचे को किया, पर इससे तो उसका ध्यान और भी मेरी हुआ। कल तो मेरी नाइटी घुटनों तक थी, मगर आज तो टीशर्ट जांघों से भी ऊपर थी, मेरी मांसल चिकनी जाघें पूरी तरह से उसके सामने नुमाया थी।

उसे घूरता देख मैंने उसे यूं ही हल्का सा डांट कर पूछा- क्यों बे बैठा क्यों है?
वो बोला- मैडम जी क्या बताऊँ, सुबह सुबह इतना काम करना पड़ता है, मैं थक गया, इस लिए बैठ गया।
मगर उसका ध्यान पूरा मेरी चूत की तरफ ही था। मुझे पता था कि वो देख रहा था और मैं भी बेशर्मों की तरह खड़ी उसे दिखा रही थी।

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मैंने उसे पूछा- पढ़ता है? स्कूल कॉलेज जाता है?
वो बोला- जी प्लस टू की है, अब तो पिताजी के साथ ही काम करूंगा।

उसके बाद उसने बड़ी हसरत से एक और नज़र मेरी टी शर्ट के नीचे मेरी चूत पर मारी और अपना केन उठा कर चल पड़ा। मैं दरवाजे में खड़ी उसे जाते देखती रही, फिर वापिस अंदर को मुड़ी। बड़े शीशे के सामने पहुँच कर मैंने पाँव के बल बैठ कर देखा।
‘हे भगवान!’ मैं चौंक पड़ी, अगर मैं ऐसे बैठ जाती तो वो मेरी पूरी चूत के खुले दर्शन, दीदार कर लेता। फिर मन में विचार आया, क्या हो अगर मैं उसे अपने खुले दीदार करवा दूँ!
फिर सोचा ‘नहीं यार, अभी छोटा है, नई नई जवानी आई है, पता नहीं हुस्न की यह बाढ़ वो संभाल भी पाएगा या नहीं!’

मगर इतना ज़रूर था कि मेरा मन उस लड़के पर पूरी तरह से बेईमान हो चुका था। कुछ कुछ था, जो मेरे मन की हांडी में पक रहा था। मैं अभी तक यह फैसला नहीं कर पाई थी कि मैं उस लड़के से आगे बात बढ़ाऊँ, या नहीं। अगर बात आगे बढ़ी तो पक्का है मुझे उससे सेक्स तो करना ही पड़ेगा, अब जब उसे अपने जवान और गदराए हुये जिस्म के जलवे दिखा रही हूँ, तो चाहेगा तो वो भी के मैं उसके नीचे लेटूँ। और वैसे भी वो कोई बहुत सुंदर या आकर्षक नहीं था, फिर भी न जाने क्यों उसे गंवार पर मेरा मन मेहरबान हुआ जा रहा था।

अगली रात हम दोनों मियां बीवी ने सेक्स किया, तो रात को तो हम दोनों बिल्कुल नंगे ही सो गए।