चुदाई की कहानियाँ

दोस्त के साथ मिलकर उसकी बहन चोदी-2

(Dost ke sath mil ke uski bahan chodi-2)

मैंने कहा कि अरे डर मत, अगर वो उठ गयी तो हम टीवी की तरफ मुड़ जाएँगे और कम्बल से अपना आधा शरीर ढक देंगे. सोनू ने थोड़ी देर सोचा और मेरी तरह सुहाना की तरफ मुड़कर उसने अपना भी लंड बाहर निकाल दिया. हमने एक दूसरे के लंड को सिर्फ़ पेशाब करते हुए या नहाते हुए ही देखा था, लेकिन यह पहली बार खुल्लम खुल्ला था, दोनों का लंड बाहर और बहुत तना हुआ था और अब में एक हाथ से लंड को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से सुहाना की पेंटी को धीरे धीरे ऊपर करने लगा और ऊपर करते हुए मुझे उसकी पेंटी का नीचे का भाग नज़र आया और फिर उसकी गांड जो पेंटी में लिपटी हुई थी और थोड़ी ऊपर करके मैंने उसकी स्कर्ट को छोड़ दिया, क्योंकि वो इससे ऊपर नहीं जा रही थी और में ज्यादा ज़ोर नहीं लगाना चाहता था.

सोनू यह सब चुपचाप देख रहा था और अपने हाथ को लंड पर तेज़ी से ऊपर नीचे कर रहा था, थोड़ी देर तक में भी सुहाना की गांड को देखते हुए ज़ोर से लंड को दबा दबाकर सहलाने लगा और उसकी पेंटी की लाईट भूरे कलर की थी. में अपनी नाक को सीधा उसकी गांड के बीच (जहाँ पर उसकी गांड का छेद होता है) मैंने अपनी नाक को चिपका दिया और सूँघने लगा.

फिर मेरे बाद सोनू ने भी धीरे से यही किया, सोनू अब पहली बार नहीं डर रहा था और अब की बार मैंने अपने हाथ को सुहाना की गांड पर रखा और उसकी गांड के ऊपर घूमने लगा, में अपनी आखों को बंद करके उसकी गांड के पूरे आकार को महसूस करने लगा और मेरा दूसरा हाथ अभी भी मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था.

तभी मुझे मेरे सुहाना के ऊपर रखे हाथ पर कुछ महसूस हुआ और जब मैंने आखें खोलकर देखा कि सोनू भी सुहाना की गांड को छूना चाहता था. तो में मुस्कुराया और मैंने अपना हाथ सुहाना की गांड की एक तरफ ले लिया और सोनू दूसरी तरफ और अब हम दोनों एक हाथ सुहाना की गांड पर और दूसरा अपने लंड पर रख कर मज़े ले रहे थे और अब झड़ने का वक़्त हो गया.

दोस्तों मैंने देखा कि सोनू बहुत चिंतित हो रहा था कि वीर्य कहाँ निकालें? में झट से उठा और सुहाना की गांड से सोनू का हाथ हटा दिया और अपने लंड को गांड के नज़दीक ले जाकर एकदम से हिलाया और धीरे से लंड को सुहाना की गांड पर सटाकर झड़ने लगा और उसकी गांड पर मेरा वीर्य निकल गया और मैंने सोनू की तरफ देखकर उसको भी वही करने को कहा. तो सोनू की आंखे आश्चर्य चकित होने से बड़ी हो गई थी, लेकिन वो डरा नहीं और फिर सोनू ने भी वही किया और झड़ने के बाद वीर्य को सुहाना के गांड पर फैला दिया.

मैंने सुहाना की स्कर्ट को नीचे कर दिया और हम दोनों साफ होकर फिर से टीवी देखने लगे और करीब एक घंटे बाद सुहाना थोड़ा जागने लगी और मैंने इसी मौका का फ़ायदा उठाकर उसके सर को हिलाते हुए उससे कहा कि सुहाना अब उठ जाओ बहुत रात हो गई है और अब बिस्तर पर जाकर सो जाओ, तो सुहाना उठी और थोड़ी थोड़ी नींद में अपने कमरे के अंदर जाकर उसने दरवाजा बंद कर दिया. तो सोनू मेरी तरफ देख रहा था और उसके चहरे पर एक शैतान वाली मुस्कान थी और हम भी अपने कमरे में चले गये और फिर सो गये. तो जब सुबह हुई मेरी आंख खुली और में बिस्तर पर लेटते हुए आगे का प्लान बनाने लगा कि अब कैसे सुहाना को तैयार करके चोदना है? दोस्तों में ऐसे काम में बहुत माहिर था और मैंने झट से आगे का सारा प्लान मेरे दिमाग़ में बना लिया.

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में : सोनू अब आज का प्लान सुनेगा? आज हम बहुत कुछ करेंगे.

सोनू : अब आगे क्या करना बाकी है? कल से ज़्यादा कुछ कर तो नहीं सकते ना, वर्ना उससे पता चल जाएगा.

में : मुझे पता था तू यही कहेगा, तू ज़रा सोच कि अगर कल में ना होता तो क्या तू वो सब कर सकता था? नहीं ना, मेरी बात मान और में जो कहता हूँ तू वही कर और देख कैसे सुहाना को पता चले बिना वो हमें सब कुछ करने देगी, सोनू का अंडरवियर का भाग पूरा फूल चुका था, उसका लंड मेरी बातें सुनकर और भी तन गया.

सोनू : क्या करना है?

में : आज हम सुहाना को देखेंगे, उसके बूब्स, उसकी गांड, उसकी चूत का हिस्सा चारों से तरफ देखेंगे. वो भी उसके सामने उसे भी पता चलना चाहिए कि हम उसे ऐसी नज़र से देख रहे है, लेकिन हमे ऐसा दिखना है कि हमे नहीं पता वो हमारी बुरी नज़र के बारे में जानती है और उसे शुरू में थोड़ा अलग लगेगा कि उसके भाई उसे ऐसे देख रहे है, लेकिन यह कोई नयी बात नहीं है. हम उसे पहले भी थोड़े थोड़े देखते थे, लेकिन उसे वो सब एक घटना जैसा दिखता था और हर लड़का ऐसा ही होता है यह बात उसे भी मालूम है. उसे बस अलग लगेगा कि आज हम बिना डर के उसे देख रहे है.

सोनू : ठीक है में यह कर सकता हूँ, लेकिन इसके आगे क्या?

में : इसके आगे का काम तू मुझ पर छोड़ दे.

तो बस यहीं से हमारा प्लान शुरू हुआ..

दोस्तों हम सुहाना को बुरी नज़र से देख रहे थे, जब वो खाना बनती, इधर से उधर जाती, हर समय हम उसे घूर रहे थे और उसे यह सब मालूम था, क्योंकि पहले तो वो बहुत चकित दिख रही थी, लेकिन कुछ देर के बाद में धीरे धीरे ठीक होती गई और में उससे बहुत बातें कर रहा था, कभी उसे हंसाता, कभी चिढ़ता और उसे सब्जी काटने के बहाने से छूता और फिर मैंने सोनू को भी इसमें शामिल किया और आज दिनभर हम उसे बहुत इज्जत दे रहे थे, जैसे कि वो कोई रानी है और हम उसकी सुन्दरता की भी बहुत तारीफ करने लगे. जिससे वो एकदम शरमा जाती, हमने उससे ऐसी पहले कभी बात नहीं की थी, लेकिन अब सब ठीक हो रहा था और शाम के चार बज चुके थे.

हम अपने कमरे में गेम खेल रहे थे और तभी हमारे प्लान को आगे बड़ाने का वक़्त आया, मैंने दरवाजा को थोड़ा सा खोल रखा था और उस समय सुहाना किचन में थी और में इंतज़ार कर रहा था कि कब वो हमारे कमरे से होती हुई बाथरूम की तरफ जाए और उसके आने का एहसास होते ही में सोनू से बातें करने लगा. वैसे मैंने सोनू को पहले ही बताकर रखा था कि उसे क्या बोलना है? और इतनी ज़ोर से बोलना है कि जब सुहाना दरवाजे के करीब आए तो उसे बाहर से सब सुनाई दे.

में : लेकिन सोनू अब क्या करे वो बहुत सुंदर है और में तो अपने आपको कंट्रोल ही नहीं कर सकता, में जब उसे देखता हूँ तो वो एसी लगती है जैसे कि वो कोई अप्सरा है और अभी तक बाथरूम का दरवाजा नहीं खुला था. तो मुझे पक्का विश्वास था कि सुहाना दरवाजे के बाहर से यह सब सुन रही है.

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सोनू : लेकिन वो तो दीदी है ना और हम उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते है?

में : दीदी है तो क्या हुआ? प्यार तो किसी से भी हो सकता है और सुहाना को देखकर किसको प्यार ना आए? तूने कल देखा था ना जब वो सोफे पर सोई थी, कितनी मस्त सेक्सी लग रही थी, में तो वो नज़ारा अपनी आखों के सामने से हटा ही नहीं पा रहा हूँ.

सोनू : हाँ वो तो है मैंने उसे पहले कभी ऐसे नहीं देखा, लेकिन कल तो जैसे इस दुनिया में उसके बराबर कोई और लड़की ही नहीं, लेकिन तू जो कह रहा है वो नहीं हो सकता, वो हमारी दीदी है.

में : कुछ नहीं होगा, यह इस उम्र में सभी लड़को को होता है, ऐसे वक़्त में अपने आस पास की सुंदर लड़की से प्यार हो जाता है, चाहे वो अपनी दीदी ही क्यों ना हो? और कुछ सप्ताह के बाद यह सब पता चला जाएगा और आज जब वो सोएगी तो बस उसको यहाँ वहां छूना है और अगर मौका मिले तो थोड़ा देखना है और हम उसके बाद मुठ मारेंगे, उसे पता भी नहीं चलेगा और फिर कभी नहीं करेंगे और कुछ दिनों बाद हम दोनों को याद भी नहीं होगा.

तो सोनू मेरे कहने के मुताबिक थोड़ी देर चुप रहा और वो सोचने का नाटक कर रहा था, सुहाना भी यह सब बातें हमसे छुपा रही होगी और मुझे पक्का विश्वास था कि वो हमारी बात को समझ रही है.

सोनू : मुझे पता नहीं और अगर वो उठ गयी और उसे बुरा लगा तो वो मुझसे नाराज हो जाएगी और अगर ऐसा हुआ तो में अपने आपको ज़िंदगी भर माफ़ नहीं कर सकता क्योंकि वो मेरी दीदी है और में उसको बहुत प्यार करता हूँ, उसकी आवाज़ में थोड़ी सच्चाई थी और थोड़ा भारी पन और मुझे पता था कि अब तक यह सब सुनकर सुहाना की आखें गीली हो चुकी होगी.

में : हाँ मुझे अच्छी तरह से पता है कि सोनू और में भी यह सब नहीं चाहता, लेकिन अगर हमने यह आज नहीं किया तो हम ज़िंदगी भर उसके लिए तड़पते रहेंगे और इसलिए हमें इस किस्से को आज ही खत्म करना है. अगर सुहाना को पता होता तो वो भी यही चाहती, आख़िर हम उसके भाई है और वो भी हमे इस वक़्त में थोड़ी मदद करना तो ज़रूर चाहती होगी, आख़िर इसमे उसका जाता ही क्या है थोड़ा देखना और छूना, मेरी बात मान सोनू आज हम उसके सोने के बाद कर लेते है, उसको पता भी नहीं चलेगा और कल से सब एकदम ठीक हो जाएगा. दोस्तों इतना सब कुछ सुनने के बाद तो शायद ही कोई होगा जिसे मेरी बात ठीक ना लगे और फिर सोनू ने थोड़ा सोचने का नाटक किया और बोला.

सोनू : ठीक है, लेकिन स्टार्ट तू करना में नहीं करूँगा.

में : अच्छा आज बहुत गर्मी है हम बनियान भी उतार देते है और सिर्फ अंडरवियर ही पहनते है और वैसे भी हम लड़के है सुहाना कुछ नहीं कहेगी, चल अब थोड़ी देर खेलते है, सुहाना किचन में होगी, उसका किचन का काम होने से पहले काम खत्म करते है.

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तो उसके थोड़ी ही देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुला, लेकिन थोड़ा ज़्यादा ही देर के बाद खुला और शायद मेरी कहानी सुनकर सुहाना को ज़रूर कुछ हुआ होगा. तो शाम को खाने से पहले में बाहर जाकर कुछ प्रेग्नेंट ना होने वाली दवाईयां ले आया क्योंकि मुझे पता था कि अब मेरा प्लान काम करेगा. तो शाम को खाने के समय में और सोनू सिर्फ़ अंडरवियर में थे, लेकिन सुहाना ने कुछ नहीं कहा, उसके चहरे पर शर्म दिख रही थी, लेकिन वो नॉर्मल दिखने का प्रयास कर रही थी और अब जबकि मुझे पता था कि सुहाना ने हमारी सब बात सुन ली है और समझ भी ली है तो में आग में तेल छिड़कने लगा. में सुहाना को खाना खिलाने में मदद करने लगा और अब में पहले से कुछ ज़्यादा छू रहा था और अगर उसने हमारी बात ना सुनी होती तो शायद माहोल कुछ और ही होता, लेकिन उसके चहरे पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं था..

अब मेरा लंड पूरा तना हुआ था और अंडरवियर के बाहर से साफ साफ दिखाई दे रहा था, लेकिन मैंने उससे वैसे ही व्यहवार रखा और खाना खाने के बाद हम आज भी फिल्म देखने लगे ज़्यादा देर भी नहीं हुई करीब 8 बजे होंगे और मैंने अपना प्लान आगे बढ़ाया और सुहाना से कहा कि सुहाना तुम आज टीवी के सामने ही एक बिस्तर लगा लो, टीवी देखते हुए तुम आराम से सोना और अगर तुम सो भी जाओगी तो हम तुम्हे नहीं उठाएगे और बस टीवी बंद करके अपने रूम में चले जाएँगे और तुम यहीं पर आराम से सो जाना.

दोस्तों मेरी बात तो एकदम ठीक थी, लेकिन सुहाना समझ चुकी थी कि आज उसके साथ क्या होने वाला है और उसके भाई आज उसके बदन को छुयेगें, चूमेंगे और देखेंगे. मेरे प्लान में यह पहले से ही था कि उसको भी मालूम हो कि क्या हो रहा है और अब वो राज़ी हो गई, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसकी आज पूरी रात भर हर जगह चुदाई होगी.

सुहाना : ठीक है में भी थकी हुई हूँ, में आज आराम से सो जाउंगी, लेकिन मुझे बीच में जगाना मत.

तो बिस्तर मिलने के बाद सुहाना टीवी के ठीक आगे ज़मीन पर पड़े हुए बिस्तर पर लेटकर पेट के बल होकर टीवी देखने लगी, में और सोनू भी बिस्तर पर ही उसके दोनों साईड में बैठे थे और करीब आधे घंटे के बाद सुहाना ने पहली बार आंखे बंद की और उसने सर नीचे किया. मुझे पता था कि वो बस आखों को आराम करा रही है और उसे नींद इतनी जल्दी तो किसी भी हालत में नहीं आएगी, लेकिन मेरा प्लान तो यही था कि उसे भी मालूम हो कि उसके साथ क्या हो रहा है, लेकिन फिर भी उसे लगे कि हमे नहीं मालूम कि हमें सब कुछ पता है और मैंने झट से बोल दिया.

में : सोनू वो सो गयी है देख तो कितनी थकी हुई थी कि इतनी जल्दी सो गई, ऐसे थकी हुई हालत में तो आदमी बहुत आराम से सोता है. अब तू कुछ भी कर, उसकी नींद नहीं खुलेगी.