हिंदी सेक्स स्टोरी

दोस्त की बहन को लंड पर नचाया – [पार्ट 3]

(Dost ki Bahan ko Lund par Nachaya- 3)

फिर होटल के रूम की सुहागरात की सेज पर रश्मि ने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया और फिर हम दोनों चिपक कर लेट गये. हम दोनों एक दूसरे के होंठ पर किस कर रहे थे. उधर रोमी और जीजा जी को हॉस्पिटल गये हुए अभी सिर्फ़ एक घंटा ही हुआ था और हमारे पास बहुत टाइम था.. इसलिए रश्मि ने मुझसे कहा कि अगर में इजाजत दे दूँ तो वो अपनी दुल्हन की ड्रेस उतार कर दूसरे हल्के कपड़े पहनना चाहती है और उसका नहाने का भी दिल कर रहा था.

तभी मैंने रश्मि को कहा कि हम नहा सकते है लेकिन जीजा जी आएगे और तुम्हारे खुले बाल और नॉर्मल कपड़ो में तुम्हे देखकर बुरा तो नहीं मानेगे? तभी रश्मि बोली कि उन्होंने ही तो कहा था कि नहा कर फ्रेश हो जाना और वैसे भी ब्यूटीशियन के मेकअप की वजह से और ब्यूटीशियन ने जो मेरे बालों स्टाईल बनाया है उससे मुझे प्राब्लम हो रही है. ब्यूटीशियन ने रश्मि के बालों पर बहुत बालों का फिक्सर लगाया था. उसकी बालों की स्टाइलिंग के लिए जिसकी वजह से उसके बाल बहुत कड़क हो गये थे और रश्मि को तकलीफ हो रही थी. फिर मैंने बाथरूम में जाकर बाथटब में गरम पानी भर लिया और फोम सोप डाल दिया. रश्मि ने पहले अपने बालों को शेम्पू से वॉश किया और फिर बाथ टब में मेरे ऊपर आ कर उल्टी होकर लेट गयी.

तभी मैंने उसके दोनों बूब्स की मसाज करनी शुरू कर दी और मेरा लंड उसकी गांड पर रगड़ खा रहा था जिसकी वजह से लंड बहुत टाईट हो गया और रश्मि की गांड में चुभने लगा और मुझे भी प्राब्लम हो रही थी इसलिए मैंने पीछे से अपना लंड रश्मि की चूत में डाल दिया और हम एक दूसरे की मसाज करने लगे. फिर बाथ टब की साईड में मैंने ऑरेंज जूस से भरा ग्लास रखा था जिसे एक सीप लेकर में अपने होंठ से रश्मि को पिलाता और फिर रश्मि सीप लेकर अपने होंठ से मुझे पिलाती. एक घंटे तक बाथटब में नहाने के बाद हम निकले और फिर बाथटब का सारा पानी बाहर निकाल दिया उसके बाद हमने शावर के नीचे खड़े होकर एक दूसरे को नहलाया और फिर टावल से अपने बदन पोछने के बाद मैंने रश्मि को अपनी बाहों में उठाया और रूम में बेड पर लाकर लेटा दिया. तभी रश्मि ने कहा कि वो दो कप चाय बनाती है. दूध, चाय और शक्कर टेबल पर ही थे तो रश्मि ने दो कप चाय बनाई. हमने कपड़े नहीं पहने थे और रश्मि ने पहले एक कप में चाय डाली और मेरी गोद में आकर बैठ गयी. फिर हम दोनों एक ही कप से एक एक सीप करके चाय पी रहे थे. तभी पहला कप खत्म होने के बाद हमने दूसरा कप भी वैसे ही खत्म किया और बेड पर लेट गये.

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तभी रश्मि ने मुझसे कहा कि वो बहुत खुशकिस्मत होती अगर में उसकी ज़िंदगी में उसका पति होता.. वो मेरी प्यार करने की अदाओ की दीवानी हो चुकी थी और मुझसे एक पल के लिए भी अलग नहीं हो रही थी और उसकी बात सुनकर में भी बहुत भावुक हो गया और फिर मैंने उसको बोला कि हम भाग चलते है लेकिन रश्मि बोली कि अब हम बहुत लेट हो चुके है अब यह मुमकिन नहीं है.. और वैसे भी में हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी. रश्मि बोली कि तुम जब चाहो मुझसे मिलने आ सकते हो मुझे हमेशा तुम्हारा इंतज़ार रहेगा और यह प्यार कभी भी कम नहीं होगा. इसके बाद मैंने रश्मि को साईड की कुर्सी पर बैठने को कहा और उसके दोनों पैरों को उठाकर अलग अलग कुर्सी की हेंडल पर रख दिया और सामने से जाकर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के नीचे ले जाकर उसकी गांड को नीचे से उठाया और उसकी फैली हुई प्यारी चिकनी नरम गुलाबी चूत को चाटना शुरू कर दिया. रश्मि भी अपनी गांड उछाल उछाल कर अपनी चूत की टक्कर मेरे मुहं पर मार रही थी और करीब 10 मिनट के बाद उसकी चूत का बटर पिघल कर बाहर निकालने लगा.

हम दोनों फिर बेड पर लेट गये और रश्मि अपनी नाज़ुक उंगलियों से मेरे लंड को और मेरी गोलियों को बड़े प्यार से सहला रही थी. में भी रश्मि की चूचियों को चूस रहा था और उसकी चूत को सहलाते हुए उसे दोबारा गरम कर रहा था क्योंकि अभी तक मेरे लंड ने तो रश्मि की चूत को सलामी नहीं दी थी. मेरा लंड बहुत टाईट था और जैसे ही रश्मि थोड़ी गरम हुई तो मैंने अपने लंड को टाईट मुट्ठी में पकड़ा और लंड के सुपाड़े को रश्मि की चूत पर रगड़ने लगा. जब रश्मि ने मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर लेने के लिए गांड उठानी शुरू की तो मैंने एक धक्के से अपना पूरा लंड रश्मि की चूत में घुसेड़ दिया. रश्मि के मुहं से चीख निकल गयी और उसकी प्यारी झील सी गहरी आँखों से आँसू निकल पड़े.. क्योंकि लंड बहुत देर से इंतज़ार कर रहा था और बहुत टाईट, गरम और मोटा हो गया था. तभी मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए और बेतहाशा रश्मि के चेहरे पर किस कर रह था और थोड़ी देर के बाद जब में अपना लंड निकालने लगा तो रश्मि ने पूछा कि क्या हुआ? तो में बोला कि में झड़ने वाला हूँ तभी रश्मि बोली कि मेरी जान मेरी चूत में ही अपना प्यार भर दो.. में तुमसे बेपनाह प्यार करती हूँ और में तुम्हारे बच्चे की माँ बनाना चाहती हूँ. तभी मैंने अपने लंड के गरम वीर्य से उसकी चूत को भर दिया और उसके ऊपर लेट कर थोड़ा आराम करने लगा. फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गये.. क्योंकि दोनों रात से जाग रहे थे और बहुत थक भी चुके थे.

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फिर हम सुबह 11:00 बजे सोए थे और 02:00 बजे दोपहर को अपने मोबाईल पर लगाए अलार्म की आवाज़ से हम उठ गये. फिर मैंने रश्मि को बोला कि में लंच ऑर्डर कर देता हूँ तो वो बोली कि मुझे तो भूख नहीं हैं.. मुझे तो तुम्हारा लंड खाना है और रश्मि बोली कि पहले प्यार करते है फिर लंच ऑर्डर करेंगे. फिर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर चहरा धोया और रूम में आ गये. मैंने रश्मि को उल्टा बेड पर आधा कमर तक लेटाया और उसके दोनों पैर जमीन पर थे. तभी में नीचे से उसके पैरो को चूमते हुए उसकी गर्दन तक गया और फिर गर्दन से नीचे पैर तक आया. फिर ऐसा मैंने बहुत देर तक किया और फिर अपने लंड को उसकी गांड के साथ सटाकर उसके पिछले हिस्से को चूमने लगा और कभी कभी प्यार से काट भी रहा था.. उसकी ज़ुल्फो को गर्दन से हटा कर किस करता और उसके कान पर काट लेता. रश्मि मेरे प्यार को बहुत एंजाय कर रही थी.

फिर में रश्मि के दोनों पैरो के बीच में बैठ गया और उसके पैर फैलाकर उसकी चूत को चाटने लगा. जब रश्मि ने चोदने के लिए कहा तो मैंने उसे बेड पर सीधा किया और में जमीन पर खड़ा था और मैंने उसके दोनों पैरों को अपने हाथों से पकड़कर फैलाया और उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया और में बड़े प्यार से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था.. लेकिन उसके पैरों को मैंने फैलाया हुआ था जिसकी वजह से उसकी टाईट चूत खिंचकर और भी टाईट हो गयी थी. तभी कुछ देर के बाद जल्दी ही रश्मि झड़ने वाली थी तो मैंने भी जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और तेज तेज उखड़ती सांसो के साथ हम एक दूसरे में समा गये. रश्मि ने अपनी चूत को टाईट कर लिया और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चूत ने मेरे लंड को उसकी गर्दन से पकड़ रखा था और मेरा लंड भी उसकी चूत में आराम से झड़ने के बाद ठंडी साँसें ले रहा था.

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तभी हम थोड़ी देर के बाद अलग हुए और लंच मँगवाया और एक साथ में बैठकर एक प्लेट में लंच किया और फिर बेड पर आराम करने लगे हम फिर से सो गये और थोड़ी देर के बाद फोन की बेल से उठे. वो जीजा जी का फोन था और वो एक घंटे के बाद आने वाले थे और उनकी रात की 10:00 बजे की ट्रेन थी. अभी शाम के 06:00 बजे थे हमने चाय मँगवाई और चाय की चुस्कियों के साथ बैठकर बातें करने लगे. फिर रात को हम सब मिलकर पूरे बारातियों और रश्मि को विदा करने स्टेशन पर आए. जीजा जी की मम्मी अभी हॉस्पिटल में थी इसलिए केवल जीजा जी के पिता ही नहीं गये.

दोस्तों रश्मि अब 3 बच्चो की माँ है. रश्मि की दो बेटियाँ और एक लड़का है.. जिसमे उसकी बड़ी बेटी मेरी औलाद है. आज भी हम जब मिलते है तो पुरानी बातें याद करते है.. मस्ती करते है और आज भी हम दोनों एक दूसरे से उतना ही प्यार करते है. मेरी यह कहानी बहुत लंबी हो गयी है.. इसलिए शॉर्ट में बताता हूँ कि में रश्मि को करीब 3-4 महीने में एक बार ज़रूर मिलने जाता हूँ. मैंने उसके बच्चे होने के बाद कई बार उसका दूध भी बहुत मज़े लेकर पिया और उसकी गांड भी कई बार मारी है वो मेरी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है और खुद ही मुझे पूरी तरह से सेक्स सन्तुष्टि देने की कोशिश करती है. दोस्तों मस्त रहो और मस्ती करो.. क्योंकि ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा.