हिंदी सेक्स स्टोरी

दोस्त की रंडी बहन का जिस्म-1

Dost ki randi bahan ka jism-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है, जिसका नाम रंजीत है, जो मुंबई में ही अपनी बड़ी बहन और माँ के साथ रहता है और वो एक प्राइवेट बेंक में नौकरी करता है, उसके परिवार में सिर्फ़ तीन लोग है, एक रंजीत उसकी मम्मी और उसकी दीदी कामिनी. उसकी मम्मी की उम्र 48 साल है और बड़ी बहन 28 साल जिनकी शादी हो चुकी है और उनका पति पिछले पांच साल से जर्मनी में एक कंपनी में काम करता है.

दोस्तों जैसा कि आप लोग अच्छी तरह से जानते है कि गाँव में शादियाँ छोटी ही उम्र में हो जाती है और खासतौर पर लड़कियों की. उसकी मम्मी की भी 15 साल की उम्र में शादी हुई थी और इस तरह से मेरे दोस्त की बड़ी बहन की भी 18 साल की उम्र में शादी हो गयी थी.

दोस्तों उसकी बड़ी बहन का नाम रीना है. में और रंजीत कॉलेज के जमाने के पक्के दोस्त है और इसलिए हम दोनों अक्सर एक दूसरे के घर पर आते जाते रहते है, उसकी बड़ी बहन बहुत ही खुले विचार वाली महिला है और वो मुझे अपने भाई रंजीत की तरह ही मानती है और उस दिन शनिवार था और में अपने रूम में आराम कर रहा था कि रीना मेरे घर पर आ गई और वो अक्सर आती रहती थी और वो हमेशा मेरे लिए कुछ ना कुछ जरुर लेकर आती थी.

फिर उस दिन भी वो बाजार से खरीददारी करके आई थी. रीना दीदी 28 साल की बहुत ही सुंदर और कामुक चेहरे वाली औरत है. उनका फिगर 38-28-36 है और उनकी गोरी उभरी हुई छाती और गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता, जैसे ही वो मेरे रूम में आई तो मुझसे कहने लगी क्या बात है महेश आज कल तुम घर नहीं आ रहे हो? में बोला कि दीदी आज कल मुझे काम के सिलसिले में कई कई महीनो तक बाहर रहना होता है, इसलिए में नहीं आ सका. अब वो मुस्कुराते हुए बोली कि मुझे सब मालूम है कि तुम क्या काम करते हो? अच्छा चल अब मुझे पानी तो पिला दे.

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अब मैंने उनसे कहा हाँ दीदी मुझे माफ़ करना, में अभी लाता हूँ और मैंने फ़्रीज़ से पानी की एक बोतल निकालकर उनको दी, जिसके बाद वो पानी पीकर बोली उउफफफफ्फ़ आज कितनी गरमी है. फिर मैंने बोला कि हाँ दीदी और फिर हम दोनों में ऐसे ही बातें होती रही. तब मैंने उनसे पूछा कि रंजीत और मम्मी कैसी है?

वो बोली कि वो दोनों तो आज सुबह ही गाँव गए है और में अकेली बोर हो रही थी, इसलिए में तुम्हारे पास चली आई और इतने में बाहर जोरदार बारिश होने लगी, जो बहुत देर तक चली और वो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और यह देखकर दीदी अब बड़ी परेशान हो गयी और वो कहने लगी, अरे यार अब में अपने घर पर कैसे जाउंगी, आज तो यह पानी बिल्कुल भी कम नहीं होता दिखता? में उनसे बोला कि रीना दीदी अब जब तक यह बारिश नहीं रुक जाती है, तब तक आपको यहीं पर रुकना पड़ेगा और वैसे भी आप आज घर में बिल्कुल अकेली रहोगी, यहाँ पर मेरे साथ रहने से आपका समय भी पास हो जाएगा.

दीदी : लेकिन?

में : अरे दीदी हो सकता है, सुबह तक यह बारिश थम जाएगी आप तब चली जाना.

दीदी : लेकिन में यहाँ पर उफफफ्फ़ अब क्या करूँ?

फिर मैंने उनसे पूछा क्यों क्या हुआ दीदी? वो बोली कि हुआ क्या अब तो मुझे यहाँ रुकना ही पड़ेगा और क्या? तो में पूछने लगा क्यों क्या हुआ? यहाँ पर आपको कौन सी परेशानी है? वो कहने लगी अरे यार, लेकिन में रात को क्या पहनूंगी? क्या तेरे पास और कपड़े है?

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में बोला कि हाँ यह परेशानी तो है, आप मेरी लूँगी और कुर्ता पहन लेना तो वो बोली कि हाँ यही ठीक रहेगा, अच्छा खाने का क्या है? मैंने उनसे कहा कि खाना तो बनाना पड़ेगा दीदी. फिर वो बोली कि हाँ चलो ठीक है, घर में दाल चावल तो होंगे, हम आज वही बना लेते है. फिर मैंने कहा कि हाँ दाल चावल है और कुछ सब्ज़ियाँ भी है, जो फ़्रीज़ में रखी हुई है.

दोस्तों उस समय शाम के 8 बज चुके थे और अब दीदी रसोई में हम दोनों के लिए खाना तैयार कर रही थी और में टी.वी. देख रहा था.

तभी रीना दीदी ने मुझे आवाज़ देकर कहा महेश यहाँ तो आ, में उनके पास चला गया और बोला कि हाँ दीदी बताओ ना क्या बात है? तो वो पूछने लगी अरे घी कहाँ है? मैंने उन्हें घी का डब्बा दे दिया और में वहीं पर खड़ा हो गया और दीदी उस समय लूंगी और सफेद रंग के पतले कुर्ते में थी, जो कि उनके पसीने से भीग गया था, क्योंकि रसोई में बहुत गरमी थी और भीगी हुई लूंगी और कुर्ते से मुझे उनके बदन का सारा भूगोल नज़र आ रहा था और उनकी गांड को देखकर मेरे अंदर का शैतान जाग उठा, उनके कूल्हों का आकार, रंग देखकर पता चलता था कि उन्होंने अंदर पेंटी नहीं पहनी है उूउउफ़फ्फ़ यह सब देखकर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया और मुझे बुरे बुरे विचार मन में आने लगे, लेकिन वो मेरे दोस्त की बड़ी बहन है, यह बात सोचकर में वापस अपने कमरे में जाने लगा.

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फिर वो बोली कहाँ जा रहे हो यहीं रहो ना? में अकेली बोर हो रही हूँ, चलो कुछ बातें करते है, खाना भी बन जाएगा और मुझे बौरियत भी नहीं होगी. फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है दीदी और बताओ आपको यहाँ पर किसी बात की कोई परेशानी तो नहीं है? दीदी बोली कि नहीं मुझे कोई भी परेशानी नहीं है, में यहाँ पर बहुत आराम से हूँ, तुम्हारे दफ्तर के क्या हाल है? मैंने कहा कि जी एकदम ठीक है, में तो बस दफ़्तर जाता हूँ और घर पर रहता हूँ. फिर उन्होंने मुझसे पूछा अच्छा महेश ज़रा तू मुझे एक बात सच सच बता? मैंने पूछा हाँ वो क्या दीदी?