दोस्त की विधवा माँ की लॉकडाउन मे चुदाई
Dost ki vidhava maa ki lockdown mein chudai kahani
मैंने पीछे से आकर उनकी चूत में अपना लंड दिया और उनकी गद्देदार गांड को पकड़ कर धक्के लगाने लगा, मुझे असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी, क्योंकि हम छत पर थे और गद्दा ज्यादा मोटा नहीं था जिसके कारण आंटी के घुटने दर्द करने लगे तो वह नीचे लेट गई. मेरी इस असली दोस्त की विधवा माँ की लॉकडाउन मे चुदाई कहानी को पढ़ो और मेरी ज़िंदगी में हुए चुदाई अनुभव को जानो वोभी मेरी दोस्त की विधवा माँ की।
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम दुष्यंत है, मै जोधपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ , मेरी उम्र 24 साल और कद 5’10 इंच है तथा मेरे लंड 6 इंच लंबा 3 इंच मोटा है, मेरे परिवार में मैं मेरे पिताजी माँ और मेरा छोटा भाई है,
ये Lockdown Hindi Sex Story मेरे स्कूल के दोस्त और मेरे पड़ोसी देवेंद्र की मां जिनका नाम पिंकी आंटी है, उनकी और मेरी है,
देवेंद्र का घर हमारे घर के बिल्कुल पास मे यानी छत से छत मिली हुई है, हम दोनो बचपन के दोस्त है तथा हमारी स्कूल, कॉलेज साथ साथ मे हुई, हम दोनो अच्छे दोस्त था और हमारी फैमली के भी एक दूसरे से अच्छे सम्बन्ध थे, आज से दो साल पहले देवेंद्र की बैंक मे जॉब लग गयी और वो इंदौर चला गया,
दोस्तो जब मै कॉलेज मे आया और सेक्स के बारे मे समझने लगा तो मुझे लगने लगा कि मेरी कोई GF हो, लेकिन ऐसा मुश्किल था क्योंकि मेरा कॉलेज BOYS कॉलेज था और फिर मै शर्मिला भी था जिससे बाहर GF बनाना मेरे लिए मुश्किल था,
पिंकी आंटी की उम्र 48 साल है और वो गोरे बदन की मालकिन है, उनका कद 5’3 है तथा शरीर भरा हुआ है, वो एक गृहणी जैसी लगती है, आज से 5 साल पहले उनके पति का एक दुर्घटना में निधन हो गया और देवेंद्र ही उनकी इकलौती संतान है, स्कूल लाइफ तक मेरे मन मे उनके प्रति कोई गलत ख्याल नही था लेकिन जब मै कॉलेज मे आया तो मन ही मन उन्हे पसंद करने लगा,
दोस्तों ये पिछले साल मई की बात है जब मै हमारी छत पे सोने जाता था, देशभर मे लॉक डाउन था, पिंकी आंटी भी छत पर सोया करती थी, बैंक मे जॉब होने की वजह से देवेंद्र जोधपुर नही आ पाया था,
मेरा और पिंकी आंटी का बोलचाल शुरू से ही अच्छा था क्योंकि मेरा बचपन देवेंद्र के साथ उनके घर खेलते हुए ही बीता था,
मैं रात को 9:00 बजे खाना खाकर ऊपर सोने जाया करता था, एक दिन पिंकी आँटी ऊपर सोने के लिए आई, हम दोनों कि छत मिली हुई है, मै इंस्टाग्राम चलाने में बिजी था तो पिंकी आंटी ने मुझसे आवाज लगाई, तो मैं आवाज सुनकर उनकी छत पर चला गया,
मैंने उनसे कहा “आंटी आज इतनी रात को ऊपर कैसे..?
तो उन्होंने कहा कि नीचे उनका एसी खराब हो गया है और इस लॉकडाउन में कोई इलेक्ट्रीशियन भी नहीं है, इसलिए जब तक AC सही नहीं हो जाता वो ऊपर ही सोया करेगी, उस रात देर तक हमारी बातें हुई और 1:00 बजे मैं अपनी छत पर आकर सो गया,
अब यह सिलसिला रोज चलने लगा हम दोनों रोजाना सोने से पहले दो-तीन घंटे बातें करते थे करीब 7-8 दिन बाद काफी इंतजार के बाद भी पिंकी आंटी छत पर नहीं आई, मैंने सोचा कि आज वो नीचे सोने वाली है और मैं ये सोच कर मै अपने फोन में बीएफ देखने लग गया और Hot Sex Stories पढ़ने लग गया।,
मेरा एक हाथ मेरे पजामे के अंदर था, तभी पता नहीं न जाने कब आंटी छत पर आ गई और उन्होंने मुझे बीएफ देखते हुए देख लिया,
मैं पजामे के अंदर अपना लंड हिला रहा था और मज़ा ले रहा था,
थोड़ी ही देर बाद मेरा वीर्य पजामे मे ही निकल गया जब मैं हाथ धोने के लिए उठा तो देखा आंटी मुझे लगातार देख रही थी, यह देखकर मै शर्मा गया और पलंग से उठकर पास ही टंकी से पानी निकाल कर अपना हाथ धोने लग गया, मुझे शर्म आ रही थी मैं आंटी से कुछ नहीं बोला और वापिस पलंग पर लेटकर फोन में लग गया,
आंटी ने मुझे आवाज देकर अपने छत पर बुलाया मैं शर्माते हुए उनके पास चला गया,
वो पलंग पर जाकर लेट गयी और मै चेयर पर बैठे गया, आंटी मुझसे नॉर्मल बाते करने लगी अंत मे उन्होंने मुझसे कहाँ कि “तुम ये सब रोज करते हो क्या..?”
तो मै शर्मा गया और बोला “नही आंटी कभी कभी करता हूँ”
वो हँसने लगी बोली हाँ अब GF से मिलना नही होता होगा ना…?
तो मैने कहाँ नही आंटी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है,
यह सुनकर आंटी हंसने लग गई और मैंने शर्मा कर गर्दन नीचे कर ली और उठकर अपनी छत पर आ गया, लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी, मै सोच रहा था आंटी मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी..? कही उन्होंने ये बात मम्मी को बता दी तो..? मुझे डर भी लग रहा था,
ऐसे ही अगले दिन रात को आंटी मुझसे बातें करने लगी, उन्होंने कहाँ कि तुम्हारा मन नहीं करता क्या कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड हो..?
तुम उसके साथ मजे करो, तो मैंने शर्मा कर कुछ भी जवाब नहीं दिया, लेकिन अब मै आंटी को ज्यादा पसंद करने लगा और सोचने लगा कि काश आंटी पट जाए तो मज़ा आ गए,
ऐसे ही दिन निकलते गए आंटी रोज़ मुझसे ऐसी बात करने लगी, जिससे मुझे लगने लगा कि आँटी के मन मे भी कुछ है और वो भी मुझे पसंद करने लगी है,
एक रात मै और आंटी बात कर रहे थे तो वो बोली कि मेरा सिर दर्द कर रहा है तो मैंने कहा आंटी मैं आपका सर दबा देता हूं और फिर मै चेयर से उठकर पलंग के किनारे बैठ गया और उनका सिर दबाने लगा फिर आंटी ने कहाँ की अब उन्हे अच्छा लग रहा है अब रहने दो,
और फिर मै पलंग के किनारे बैठकर ही बात करने लगा, आंटी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक बातें कर रही थी,
मैंने सोचा आज कुछ करते है वरना कब तक ऐसे हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहूँगा,
कुछ देर बाद मैं बात करते करते उनके पास में ही लेट गया, इससे मुझे डर लग रहा था कि कही आंटी बुरा ना मान जाए और नाराज हो जाए लेकिन इस पर एंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, और बात करती रही…
फिर मैं सोने का नाटक करने लगा तो आंटी ने मुझे जगाया भी कि अपनी छत पर जाओ लेकिन मैंने अनसुना कर दिया और सोने का नाटक करता रहा फिर वो भी सो गई,
जब ये निश्चित हो गया कि आंटी सो गई तो मैंने अपना एक पैर उनके ऊपर रख दिया इससे मेरे अंदर एक करंट सा दौड़ गया, आंटी का चेहरा मेरे चेहरे की ओर ही था वो सोती हुई बहुत ही मस्त लग रही थी, फिर मैंने अपना एक हाथ भी हिम्मत करके उनके पेट पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर ली,
आंटी नींद में थी और हम दोनों बिल्कुल लगकर सो रहे थे हम दोनों के मध्य बहुत कम फासला था,
फिर नींदों में आंटी ने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिये और धीरे धीरे उन्हें चूसने लगी,
मेरे कुछ समझ नही आ रहा था, मैं आंखें बंद करके लेटा रहा और उनका साथ देने लगा क्योंकि यह मेरा पहली बार था इसलिए मुझे डर भी लग रहा था,
आंटी और मै बिल्कुल चिपके हुए थे और नीचे मेरा लंड खड़ा हो चुका था और आंटी की जांघो को छू रहा था, 5- 7 मिनट के होठ चूसने के बाद फिर अचानक आंटी की नींद खुल गई और वो दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई, लेकिन मेरा लैंड खड़ा हुआ था पीछे से उनकी गांड पर चुभ रहा था, उन्होंने ने भी इसे अलग नही किया और इससे मुझे भी मज़ा आ रहा था, मैंने आँखे बंद कर ली और न जाने कब मुझे नींद आ गई,
जब सुबह मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि आंटी के नीचे जा चुकी थी और मैं भी उठ कर अपनी छत पर आ गया, फिर उस दिन रात को मैं पर छत पर सोने गया और कुछ देर बाद आंटी भी आ गयी, आज वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मैं भी उनको देखकर मुस्कुरा दिया रोजाना की तरह हम फिर बातें करने लगे, आज मै चेयर की बजाय उनके पलंग के किनारे पर बैठा था और बात करते करते कल कि तरह उनके पास लेट गया इस पर आंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और थोड़े टाइम के बाद वो सो गई,
मैंने भी कल की तरह अपना एक पैर उनके पैर पर रख दिया और अपना हाथ उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे उनके पेट पर हाथ फिराने लगा,
इस पर एंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और सोती रही…
फिर अचानक आंटी ने मेरी और करवट ली और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और चूसने लगी, जिससे मुझे यह मालूम हो गया कि आंटी सोई हुई नहीं थी बल्कि सोने का नाटक कर रही थी,
मै भी उनका साथ देने लगा और मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और उसे दबाने लगा आंटी भी अब आंखें खोल कर मजा लेने लगी,
काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद मैंने अपनी टी-शर्ट को खोल दिया, और आंटी की मैक्सी भी उठाने लगा आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहाँ कि “दुष्यंत यहाँ आसपास की छत पर भी लोग सोए हुए हैं, चाँदनी रात है, कोई देख लेगा,
मैंने कहाँ पलंग से नीचे उतर कर नीचे छत पर करते हैं, आंटी मान गई मैंने पलंग से गद्दा लेकर नीचे बिछा दिया और फिर मैं आंटी पर टूट पड़ा और फिर से किस करने लगा,
मैंने आंटी की मैक्सि को उतार दिया, आंटी ने लाल ब्रा पहन रखी थी, उनके बूब्स काफ़ी बड़े बड़े थे, मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा और ब्रा के ऊपर से ही उन्हें किस करने लगा यह देखकर आंटी ने अपनी ब्रा को उतार दिया,
फिर मैं एक बूब्स को दबाने लगा और एक के निप्पल को मुंह में लेकर दूध पीने लगा, आंटी मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी, मै बारी बारी से दोनों का दूध पीने लगा, बिच बिच मे दांत भी लगा देता जिससे आँटी की आवाज निकल जाती, कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैं फिर आंटी के होंठ चूसने लगा इसके बाद मैं आंटी गर्दन, बूब्स पर किस करते करते आंटी के पेट पर आ गया और उनकी नाभि को चूसने लगा,
आंटी मदहोश हो गई और सिसकारियां लेने लगी फिर मैंने आंटी की पेंटी को उतार दिया, आंटी की चूत पर बड़े बड़े बाल थे, मैंने भी अपना पजामा और अंडरवियर को उतार दिया, आंटी ने तुरंत ही मेरा लंड पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी,
फिर मैं दोबारा उनकी नाभि को चूसने लगा आंटी मेरा सिर उनकी चूत पर ले जा रही थी,
उन्होंने कहा “इसे चाटो” लेकिन बड़े-बड़े बालों को देखकर मेरा चाटने का मन नहीं कर रहा था आंटी ये बात समझ गई और उन्होंने कुछ नहीं कहा और मुझे लिटा कर मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया,
क्या बताऊं दोस्तों मैं तो जन्नत में था, आंटी बहुत ही अच्छी तरीके से मेरा लौड़ा चूस रही थी ऐसे लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में सो रहा हूं, मुझे यह सब अभी भी स्वप्न लग रहा था,
आंटी लंड चूसने में माहिर थी, फिर आंटी नीचे लेट गई और मुझे ऊपर आने के लिए कहा
मेरा लंड उनके धूक से गीला हो चुका था,
मैं फिर से आंटी के होंठ चूसने लगा, आंटी ने मेरा लौड़ा पकड़ अपनी चूत के ऊपर रख दिया, आंटी की चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी,
मैं धीरे-धीरे उस पर दबाव बनाने लगा और मेरा आधा लंड आंटी की चूत के अंदर चला गया, आंटी की चूत अंदर से बिल्कुल गर्म थी, ऐसा लग रहा था जब अंकल जिंदा थे तो उन्होंने आंटी को खूब बजाया था, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी तपती भी भट्टी में अपना लंड दे दिया,
मैं धीरे-धीरे और दबाव बढ़ाने लगा आंटी सिसकारी लेने लगी उन्होंने बिल्कुल ही मुझे जकड़ लिया और मेरी पीठ पर नाखून चुभाने लगी, मै तेजी से लंड आगे पीछे करने लगा, इतने में ही मुझे लगा कि मेरा निकल जाएगा इससे पहले कि मैं कुछ सोचता मेरा वीर्य आंटी की चूत के अंदर ही निकल गया और मै आंटी के ऊपर ही लेट गया,
आंटी समझ चुकी थी मेरा पहली बार है इसलिए जल्दी निकल गया उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरे सिर को चूम लिया, मैंने अपनी आँखे बंद कर रखी थी आंटी फिर से मेरे होंठ चूसने लगी और एक हाथ से मेरा लौड़ा भी आगे पीछे करने लगी,
मै भी आंटी का साथ देने लगा और जिससे कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया,
मैंने ब्लू फिल्म्स में और Hindi Sex Stories में डॉगी स्टाइल के बारे में देखा था जब मैंने आंटी को इसके बारे में मत आ गया तो वो हँसने लगी और चुपचाप कुत्तिया बन गई
मैंने पीछे से आकर उनकी चूत में अपना लंड दिया और उनकी गद्देदार गांड को पकड़ कर धक्के लगाने लगा,
मुझे असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी, क्योंकि हम छत पर थे और गद्दा ज्यादा मोटा नहीं था जिसके कारण आंटी के घुटने दर्द करने लगे तो वह नीचे लेट गई
हम फिर से मिशनरी पोजीशन में चुदाई करने लगे इस बार मै धीरे धीरे धक्के लगा रहा था और आंटी सिसकारियां भर रही थी, उनके मुँह से आ आ आह की धीमी धीमी आवाज आ रही थी, आंटी ज्यादा आवाज भी नहीं कर सकती थी क्योंकि काफी रात हो चुकी थी और चारों तरफ सन्नाटा था, कभी मैं आंटी के होंठ चूसता तो कभी उनकी गर्दन चूसता और आंटी भी अपने नाखून मेरी पिठ मे चुभा रही थी जिससे मुझे मिठा मिठा दर्द हो रहा था,
कुछ देर बाद आंटी की पकड़ मजबूत हो गई और वह भी तेजी से नीचे से धक्के लगाने लगी यह देखकर मुझे भी जोश आ गया और मैं भी धका धक धक्के लगाने लगा फिर आंटी का गरमा गरम पानी निकल गया जिसकी गर्मी मेरा लंड भी बर्दाश्त नहीं कर सका और मेरा लावा भी उनकी चूत के अंदर फुट पड़ा,
मैंने डाल दो कर आंटी के ऊपर लेट गया, हम दोनों पसीने में तर हो गए थे, आंटी ने मेरे गालो को चूमा और कहाँ “कैसा लगा दुष्यंत”
मैंने कहाँ – बहुत अच्छा आंटी और उनसे चिपक कर लेट गया कुछ देर बाद हमने अपने कपड़े पहने और मै अपनी छत पर आकर गहरी नींद मे सो गया….
इसके बाद हम दोनो की बीच आगे क्या क्या हुआ ये मै आपको अगली अपनी Maa Beta Sex Story में बताऊँगा…